Radius Of Rotation in hindi , घूर्णन त्रिज्या की परिभाषा क्या है ? , घूर्णन त्रिज्या का मात्रक है , in English :-
घूर्णन गतिज ऊर्जा : माना दृढ पिण्ड अपनी घूर्णन अक्ष के सापेक्ष कोणीय वेग w से घूर्णन कर रहा है जिसमें n कण उपस्थित है जिनके द्रव्यमान m1 , m2 , m3 . . . . mn है तथा घूर्णन अक्ष से लम्बवत दूरियाँ r1 , r2 , r3 . . . . rn है व रेखीय वेग v1 , v2 , v3 . . . . vn है।
अत: m1 कण की घूर्णन गतिज ऊर्जा –
K1 = m1v12/2
v1 = r1w
K1 = m1(r1w)2/2
K1 = m1r12w2 /2
m2 कण की घूर्णन गतिज ऊर्जा –
K2 = m2v22/2
v2 = r2w
K2 = m2(r2w)2/2
K2 = m2r22w2 /2
m3 कण की घूर्णन गतिज ऊर्जा –
K3 = m3r32w2 /2
n वें कण की घूर्णन गतिज ऊर्जा –
Kn = mnrn2w2 /2
कुल घूर्णन गतिज ऊर्जा –
K = K1 + K2 + K3 + . . . . . . . + Kn
K = m1r12w2/2 + m2r22w2/2 + m3r32w2/2 + . . . . . + mnrn2w2/2
K = w2/2 [m1r12 + m2r22 + m3r32+ . . . . . + mnrn2]
चूँकि I = [m1r12 + m2r22 + m3r32+ . . . . . + mnrn2]
K = I w2/2 समीकरण-1
चूँकि J = Iw
w = J/I
समीकरण 1 में –
w का मान समीकरण-1 में रखने पर –
K = I (J/I)2/2
K = J2/2I
J2 = 2I K
J = √2KI
प्रश्न : दो पिण्डो की घूर्णन गतिज ऊर्जा का मान समान है तो बताइये कौनसे पिंड का जडत्व आघूर्ण अधिक होगा ?
उत्तर : K = J2/2I
दिया गया है –
K1 = K2
J12/2I1 = J22/2I2
J12/I1 = J22/I2
J12/J22 = I1/I2
J ∝ I
जिस पिण्ड का कोणीय संवेग अधिक होगा उसका जड़त्व आघूर्ण भी अधिक होगा।
प्रश्न : दो पिंडो के कोणीय संवेग समान है तो बताइये कौनसे पिण्ड का जडत्व आघूर्ण अधिक होगा ?
उत्तर : J = √2KI
दिया गया है –
J1 = J2
√2K1I1 = √2K2I2
K1I1 = K2I2
K1/K2 = I2/I1
K ∝ 1/I
घूर्णन त्रिज्या : घूर्णन त्रिज्या घूर्णन अक्ष से वह लम्बवत दूरी है जिसके वर्ग को पिण्ड के द्रव्यमान से गुणा करने पर पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण प्राप्त होता है।
I = MK2
K = √(I/M)
यदि पिण्ड में n कण उपस्थित हो –
K = √(m1r12 + m2r22 + m3r32+ . . . . . + mnrn2)/(m1 + m2 + m3+ . . . . . + mn)
यदि सभी कणों का द्रव्यमान समान हो तो –
m = m1 = m2 = m3 = . . . . . = mn
K = √(mr12 + mr22 + mr32+ . . . . . + mrn2)/(m + m + m+ . . . . . + m)
K = √m(r12 + r22 + r32+ . . . . . + rn2)/nm
K = √[(r12 + r22 + r32+ . . . . . + rn2)/n]
घूर्णन त्रिज्या का मान घूर्णन अक्ष से प्रत्येक कण की लम्बवत दूरी के वर्ग माध्य मूल के बराबर होता है।
- घूर्णन त्रिज्या का मान घूर्णन अक्ष की स्थिति तथा द्रव्यमान वितरण पर निर्भर करता है।
- घूर्णन त्रिज्या का मान द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।
कोणीय संवेग संरक्षण का नियम : यदि किसी पिण्ड पर आरोपित बाह्य बल आघूर्ण का मान शून्य होता है तो पिण्ड का कोणीय संवेग नियत रहता है इसे कोणीय संवेग संरक्षण का नियम कहते है।
ग्रहों की गति में कोणीय संवेग का मान नियत रहता है।
किसी घूर्णन कर रही स्टूल के ऊपर खड़ा छात्र अपने हाथों में दो द्रव्यमान लिए हुए घूम रहा है तो इस स्थित में कोणीय वेग का मान घट जाता है। (हाथ फैलाए हुए)
यदि बालक हाथो को समेट लेता है तो उसका कोणीय वेग बढ़ जाता है क्योंकि जडत्व आघूर्ण का मान घट जाता है।
लम्बवत अक्षों की प्रमेय : किसी समतल पटल के तल में स्थित लम्बवत अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण का मान अन्य दो लम्बवत अक्षों के सापेक्ष जडत्व आघूर्ण के योग के बराबर होता है लेकिन लम्बवत अक्ष उन दोनों अक्षो के कटान बिंदु से गुजरनी चाहिए।
Iz = IA + Iy
माना p कोई कण है जिसके द्रव्यमान M है तथा बिन्दु θ से दूरी r है।
अत: x अक्ष के सापेक्ष पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण –
Ix = ΣMy2 . . . . समीकरण-1
y अक्ष के सापेक्ष पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण –
Iy = ΣMx2 . . . . समीकरण-2
z अक्ष के सापेक्ष पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण –
Iz = ΣMx2 . . . . समीकरण-3
ΔOPQ से
OP2 = OQ2 + PQ2
r2 = x2 + y2 समीकरण-4
समीकरण-4 को ΣM से गुणा करने पर –
ΣMr2 = ΣMx2 + ΣMy2 समीकरण-5
समीकरण-5 में, 1 , 2 , 3 का मान रखने पर –
Iz = Ix + Iy
समान्तर अक्षों की प्रमेय : किसी दी हुई अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण का मान पिण्ड के गुरुत्वीय केंद्र से जाने वाली अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण तथा समान्तर अक्षो के मध्य दूरी के वेग का द्रव्यमान के साथ गुणनफल का योग जडत्व आघूर्ण के बराबर होता है।
I = IG + Md2
माना ydy घूर्णन अक्ष है जिसके सापेक्ष पिण्ड घूर्णन कर रहा है तथा G गुरुत्वीय केंद्र है जिससे गुजरने वाली अक्ष AB , गुरूत्वीय अक्ष है।
ΔOPQ से –
OP2 = OQ2 + PQ2
चूँकि OQ = OG + GQ
OP2 = OG2 + GQ2 + PQ2 + 2 x OG x GQ समीकरण-1
ΔPQ से –
GP2 = GQ2 + PQ2 GQ2 + PQ2
समीकरण-1 में मान रखने पर –
OP2 = OG2 + GP2 + 2 x OG x GQ समीकरण-2
ΔGP’Q से –
Cosθ = GQ/GP
GQ = GPcosθ
OP2 = OG2 + GP2 + 2 x OG x GPcosθ समीकरण-3
समीकरण-3 को ΣM से गुणा करने पर –
ΣMOP2 = ΣMOG2 + ΣMGP2 + ΣM x 2 x OG x GPcosθ
चूँकि ΣMOP2 = I
चूँकि ΣMOG2 = Md2
चूँकि ΣMGP2 = IG
चूँकि ΣM = 2 x OG x GPcosθ = 0
I = Md2 + IG
I = IG + Md2
लोटनी गति में गतिज ऊर्जा :लौटनी गति में रखिये गति व घूर्णन गति दोनों ही होती है।
गतिज ऊर्जा = रेखीय गतिज ऊर्जा + घूर्णन गतिज ऊर्जा
K = mv2/2 + Iw2/2 समीकरण-1
K = IW2/2
I = MK2
K = MK2W2/2
V = RW
W = V/R
K = MK2V2/2R2 समीकरण-2
समीकरण-2 का मान 1 में रखने पर –
K = mv2/2 + mk2v2/2R2
K = mv2/2[1 + K2/R2]
वलय , चकती , छड , बेलन , ठोस गोले का जड़त्व आघूर्ण –
(A) वलय :
(i) तल के लम्बवत केंद्र के सापेक्ष –
I = MR2
(ii) व्यास के सापेक्ष –
I = MR2/2
(B) चकती :
(i) तल के लम्बवत केंद्र के सापेक्ष
I = MR2/2
(ii) व्यास के सापेक्ष –
I = MR2/4
(C) छड की लम्बाई के लम्बवत –
I = MR2/12
(D) खोखले बेलन (अक्ष के सापेक्ष)
I = MR2
(ii) ठोस बेलन (अक्ष के सापेक्ष)
I = MR2/2
(E) ठोस गोले (व्यास के सापेक्ष)
I = 2MR2/5
रेखीय गति व रेखीय गति व घूर्णन गति की तुलना –
रेखीय गति व रेखीय गति | घूर्णन गति |
विस्थापन = S | कोणीय विस्थापन = θ |
रेखीय वेग V = ds/dt | कोणीय वेग w = dθ/dt |
रेखीय त्वरण a = dv/dt | कोणीय त्वरण = dw/dt |
बल F = Ma | बलाघूर्ण = Jw |
शक्ति P = F.V | शक्ति P = Jw |
गतिज ऊर्जा K = mv2/2 | घूर्णन गतिज ऊर्जा K = Iw2/2 |
dp/dt = F
कार्य w= F.ds |
dJ/dt = I
कार्य w = Id θ |