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ZSM-5 जियोलाइट , zsm 5 full form , जियोलाइट के उपयोग , जिओलाइट की परिभाषा , सूत्र , संरचना
जियोलाइट के उपयोग , संरचना , ZSM-5 जियोलाइट , zsm 5 full form , जिओलाइट की परिभाषा , सूत्र :-
zsm 5 =zeolite socony mobil-5
उत्प्रेरण : वे पदार्थ जो अभिक्रिया के वेग को बढ़ा देते है परन्तु स्वयं द्रव्यमान तथा संघठन की दृष्टि से अपरिवर्तित रहते है उन्हें उत्प्रेरक कहते है तथा इस घटना को उत्प्रेरण कहते है तथा इस घटना को उत्प्रेरण कहते है।
N2 + 3H2 → 2NH3
उपरोक्त अभिक्रिया में Fe चूर्ण उत्प्रेरक का काम करता है।
नोट : वे पदार्थ जो उत्प्रेरक की क्रियाशीलता को बढ़ा देते है उन्हें वर्धक कहते है , उपरोक्त अभिक्रिया में NO वर्धक है।
नोट : वे पदार्थ जो उत्प्रेरक की क्रियाशीलता को कम कर देते है उन्हें उत्प्रेरक विष कहते है , उपरोक्त अभिक्रिया में H2S तथा CO विष का काम करते है।
उत्प्रेरण के प्रकार
यह दो प्रकार का होता है –
- समांगी उत्प्रेरण: जब उत्प्रेरक , क्रियाकारक , क्रियाफल , सभी की भौतिक अवस्था समान होती है तो उसे समांगी उत्प्रेरण कहते है।
उदाहरण : 2SO2 (g) + O2 (g) → 2SO3 (g)
- विषमांगी उत्प्रेरण: जब उत्प्रेरक , क्रियाकारक , क्रियाफल की भौतिक अवस्थाएं अलग अलग हो तो उसे विषमांगी उत्प्रेरण कहते है।
उदाहरण : 2SO2 (g) + O2 (g) → 2SO3 (g)
विषमांगी उत्प्रेरण का अधिशोषण सिद्धांत :
इसके मुख्य बिंदु निम्न है –
- उत्प्रेरक की सतह पर क्रियाकारक के अणुओं का विसरण
- उत्प्रेरक की सतह पर क्रियाकारक के अणुओं का अधिशोषण
- उत्प्रेरक की सतह पर सक्रीयत संकुल का निर्माण
- उत्प्रेरक की सतह से उत्पाद का विशोषण
- उत्प्रेरक की सतह से उत्पाद का दूर विसरण
उपरोक्त सिद्धांत से स्पष्ट है कि क्रिया के पश्चात् उत्प्रेरक भार तथा संगठन में कोई परिवर्तन नहीं होता।
ठोस उत्प्रेरको की विशेषताएँ
- सक्रियता: ठोस उत्प्रेरको की सक्रियता से अभिप्राय है कि यह क्रियाकारक के अणुओं को पर्याप्त प्रबलता से अधिशोषित कर ले। क्रियाकारक के अणु इतनी प्रबलता से भी अधिशोषित नहीं होने चाहिए कि वे ठोस की सतह से गतिहीन हो जाये।
- वर्णात्मकता: ठोस उत्प्रेरक की वर्णात्मकता से तात्पर्य है कि उत्प्रेरक किसी अभिक्रिया को दिशा देकर विशेष उत्पाद बनाने की क्षमता रखते है
जैसे
CO + H2 → HCHO
CO + 2H2 → CH3-OH
CO + 3H2 → CH4 + H2O
एंजाइम उत्प्रेरक : नाइट्रोजन के जटिल कार्बनिक पदार्थो को एंजाइम कहते है। वास्तविकता में ये प्रोटीन है। ये स्थायी होते है। ये जीव जंतुओं में होने वाली अभिक्रियाओ में उत्प्रेरक का काम करते है अत: इन्हें जैव रासायनिक उत्प्रेरक भी कहते है। एंजाइम द्वारा होने वाली अभिक्रिया निम्न है –
(i) इक्षु शर्करा (सुक्रोस) का प्रतिलोमन –
C12H22O11 + H2O → C6H12O6 + C6H12O6
एंजाइम की उत्प्रेरको की विशेषताएँ :
- एन्जाइम का एक अणु एक मिनट में 10 लाख क्रियाकारक के अणुओं को क्रियाफल में बदल देता है अर्थात यह सर्वोत्तम दक्ष है।
- एक एंजाइम किसी एक ही अभिक्रिया को उत्प्रेरित करता है अर्थात इनकी उच्च विशिष्ट प्रकृति होती है।
- एंजाइम 25 से 37 डिग्री सेल्सियस ताप पर अधिक सक्रीय रहते है। इस ताप को अनुकूलतम ताप कहते है। मानव शरीर के लिए अनुकूलतम ताप 37 डिग्री सेल्सियस है।
- pH 4 पर एंजाइम अधिक प्रभावशाली रहते है , इस pH को अनुकुलतम pH कहते है।
- कुछ कार्बनिक पदार्थ एंजाइम कि क्रियाशीलता को बढ़ा देते है इन्हें सहएन्जाइम कहते है जैसे विटामिन।
- कुछ धातु आयन जैसे Mn2+, CO2+, Cu2+ , Na+ एंजाइम की सक्रियता को बढ़ा देते है उन्हें सक्रियक कहते है।
- वे पदार्थ जो एंजाइम की क्रियाशीलता कम कर देते है उन्हें संदमक या विष कहते है।
एन्जाइम उत्प्रेरण की क्रियाविधि
एंजाइम की सतह पर अनेक कोटर (गर्त) होते है , इन कोटरों में सक्रीय समूह जैसे -NH2 , -COOH , -OH , -SH जुड़े होते है। जिस स्थान पर ये समूह जुड़े होते है उसे सक्रीय केंद्र कहते है। इन कोटरों में परिपूरक आकृति के क्रियाकारक के अणु उसी प्रकार से व्यवस्थित हो जाते है जिस प्रकार से एक ताले में विशेष चाबी फिट होती है अत: इसे ताला चाबी सिद्धांत भी कहते है।
एंजाइम क्रियाकारक संकुल विघटित होकर एंजाइम तथा उत्पाद बना लेता है।
जिओलाइट का आकार वर्णात्मक उत्प्रेरण
- वे उत्प्रेरकीय अभिक्रियाएँ जो उत्प्रेरको के छिद्रों के आकार , क्रियाकारक व क्रियाफलो के अणुओं के आकार पर निर्भर करती है उन्हें आकार वर्णात्मक उत्प्रेरण कहते है।
- जियोलाइट आकार वर्णात्मक उत्प्रेरक है। इसका रासायनिक नाम सोडियम एलुमिनो सिलिकेट है इसमें Al-O-Si का ढांचा होता है।
- इसकी संरचना मधुमक्खी के छते के समान होती है जिसमे असंख्य छिद्र होते है। इन छिद्रों में क्रियाकारक के वे अणु ही प्रवेश कर पाते है जिनका आकार इन छिद्रो के अनुरूप होता है अत: जियोलाइट को आकार वर्णात्मक उत्प्रेरक कहते है।
जियोलाइट के उपयोग :
- ये कठोर जल को मृदु जल में बदलते है।
- पेट्रोरसायन उद्योग में यह समावयवीकरण तथा भंजन में सहायक होते है।
- ZSM-5 नामक जियोलाइट एथिल एल्कोहल को निर्जलीकृत कर उसे गैसोलीन (पेट्रोल) में बदल देता है।
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