जेनर डायोड क्या है , परिभाषा , उपयोग ,जेनर डायोड किसे कहते हैं (zener diode in hindi)

(zener diode in hindi) जेनर डायोड क्या है , परिभाषा , उपयोग ,जेनर डायोड किसे कहते हैं : जेनर भंजन में हमने अध्ययन किया है कि जब सामान्य p-n संधि पर उत्क्रम अभिनति लगाई जाती है तो उच्च उत्क्रम वोल्टेज पर संधि में भंजन उत्पन्न हो जाता है।
अर्थात एक सामान्य pn सन्धि डायोड को भंजक क्षेत्र में प्रचलित नहीं किया जा सकता है लेकिन यदि हम pn संधि में मादन अर्थात डोपिंग अर्थात अशुद्धि का स्तर बढ़ा देते है तो उच्च उत्क्रम वोल्टेज पर इसे आसानी से प्रचलित किया जा सकता है इस घटना को जेनर डायोड कहते है और इस प्रकार के उच्च मादित या डोपिंग वाले डायोड को जेनर डायोड कहा जाता है।

जेनर डायोड (zener diode)

यह कोई युक्ति नहीं है बल्कि यह सामान्य pn संधि की तरह ही होता है लेकिन इसमें कुछ विशेष गुण होते है , डायोड के इस विशेष गुण की खोज सबसे पहले “क्लीयरेंस जेनर” ने की थी और इसलिए ही इस विशेष गुण वाले डायोड को जेनर डायोड कहते है।
सामान्य pn संधि डायोड से हटकर इसमें विशेष गुण यह होता है कि इसमें pn संधि उच्च कोटि तक मादित रहती है अर्थात उच्च कोटि तक इनमें डोपिंग की जाती है।
इसे इस प्रकार से बनाया जाता है कि यह उत्क्रम दिशा में भी में कार्य कर सके जब इस पर उत्क्रम वोल्टेज आरोपित किया जाए।
इस जेनर डायोड में भी जेनर भंजन परिभाषित रहता है जिसके बाद इसमें धारा प्रवाहित होना शुरू हो जाती है , और इसके बाद उत्क्रम बायस में बिना नुक्सान के आसानी से कार्य करता रहता है। जेनर डायोड के सिरों पर वोल्टेज पतन का मान स्थिर रहता है और इसी कारण इसे वोल्टेज रेगुलेटर में उपयोग किया जाता है।

जेनर डायोड के अभिलक्षण

जब किसी जेनर डायोड को अग्र अभिनति में जोड़ा जाता है तो यह सामान्य pn संधि डायोड की तरह कार्य करता है लेकिन जब इसे उत्क्रम बायस या पश्च अभिनति में जोड़ा जाता है तो एक उच्च उत्क्रम वोल्टेज पर अर्थात परिभाषित जेनर वोल्टेज पर इसमें जेनर भंजन उत्पन्न हो जाता है इसके बाद धारा में तीक्ष्ण वृद्धि होती है और वोल्टेज तीक्ष्ण हो जाता है जैसा चित्र में दिखाया गया है –