जेनर डायोड (Zener diode) , फोटो डायोड (Photo diode)

प्रश्न 1 : जेनर डायोड किसे कहते है इसकी कार्य प्रणाली समझाइये?

उत्तर :  जेनर डायोड (Zener diode):- यह ऐसा डायोड है जो वोल्टता नियंत्रण में काम आता है। इसके p और n भाग में अधिक मात्रा में अशुद्वि अपमिश्रित करते है ताकि ह्यसी क्षेत्र की चैड़ाई कम हो । इससे कम वोल्टता आरोपित करने पर ही संधि तल पर उच्च विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है इसे परिपथ में पश्च बायस में जोड़ते है और इसे निम्न प्रतीक चिन्ह से प्रदर्शित करते है।

प्रतीक चिन्ह:- डाइग्राम

कार्य प्रणाली:- डाइग्राम

परिवर्ति दिष्ट विद्युत आपूर्ति स्त्रोत xy के साथ प्रतिरोध Rs और जेनर डायोड जोड़ देते है। जेनर डायोड पश्य बायस में जोड़ना चाहिए। जेनर डायोड के समानान्तर क्रम में लोड RL जोड़ देते है। यदि विद्युत आपूर्ति स्त्रोत से अधिक वोल्टता आती है तो भी डायोड पर वोल्टता का मान Vz के बराबर ही होता है और शेष वोल्टता प्रतिरोध Rs पर आरोपित होती है। लोड RL डायोड के समानान्तर क्रम में होने से इस पर वोल्टता Vz ही प्राप्त होगी। यदि विद्युत आपूर्ति से वोल्टता में कमी होती है तो जेनर डायोड पर वोल्टता Vz ही रहेगी और यह कमी प्रतिरोध Rs की वोल्टता में आयेगी। इस प्रकार लोड RL पर वोल्टता का मान Vz ही बना रहता है।

प्रश्न 2 :  फोटो डायोड का परिपथ चित्र बनाकर कार्य प्रणाली समझाइये?

उत्तर : फोटो डायोड (Photo diode):- ये ऐसे डायोड है जो प्रकाशीय सिग्नल को विद्युत सिग्नल में परिवर्तित करते है ये परिपथ में पश्च बायस में जोड़ देते है इसका ऊपरी भाग पारदर्शी बनाया जाता है ताकि प्रकाशीय सिग्नल संधि क्षेत्र में प्रवेश कर सकें।

डाइग्राम

कार्य प्रणाली:-  जब संधि तल पर कोटोन आपतित कराते हैं तो इले. फोटोन का अवशोषण करके चालन बैण्ड में पहुँच जाते है। इस प्रकार इले. हाॅल युग्म का उत्पादन होता है। इसके लिए जरूरी है कि कि फोटोन की ऊर्जा वर्जित ऊर्जा अन्तराल से अधिक होनी चाहिए। (Hv > Eg)ये इले. हाॅल पुनः संयोजित हुए बिना ही ह्यासी क्षेत्र पर विद्युत तीव्रता के कारण पृथक पृथक हो जाते है इले. n भाग की ओर तथा कोटर p भाग की ओर गति करते है। जिससे दोनों सीरों पर विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है। जिससे परिपथ में धारा बहती है यह धारा प्रकाशीय तीव्रता के समानुपाती होती है।