हिंदी माध्यम नोट्स
योजक चिन्ह की परिभाषा क्या है | योजक चिन्ह किसे कहते है , उदाहरण , कौनसा है , वाक्य yojak chinh in hindi
yojak chinh in hindi grammar , योजक चिन्ह की परिभाषा क्या है | योजक चिन्ह किसे कहते है , उदाहरण , कौनसा है , वाक्य ? निम्नलिखित में से कौनसे है ?
योजक चिह्न (-)
हिन्दी भाषा की प्रकृति विश्लेषणात्मक है । इस कारण इसमें योजक चिह्नों की जरूरत पड$ती है। वस्तुतः योजक चिन्ह वाक्य में प्रयुक्त शब्द अर्थ को स्पष्ट करते हैं । इससे किसी शब्द के उच्चारण अथवा बर्तनी में स्पष्टता आती है। कहीं-कहीं तो योजक चिह्नों का ठीक प्रयोग न करने से उच्चारण और अर्थ से सम्बन्धित अनेक गलतियाँ हो सकती हैं । जैसे-‘उपमाता‘ के दो अर्थ हैं- उपमा देनेवाला, सौतेली माँ । लेकिन यदि दूसरे अर्थ में उक्त शब्द का प्रयोग करना है तो ‘उप‘ और श्माताश् के बीच योजक चिह्न लगाना (उप-माता) जरूरी होगा।
इसी प्रकार ‘कुशासन‘ के भी दो अर्थ हैं- बुरा शासन और कुश से बना हुआ आसन । यदि पहले अर्थ में उक्त शब्द का प्रयोग करना है तो ‘कु‘ के बाद योजक चिह्न (कु-शासन) लगाना जरूरी होगा।
निम्नलिखित रूप में योजक चिह्नों का प्रयोग किया जा सकता है ।
1. दो विपरीतार्थक शब्दों के बीच योजक चिह्न लगाये जा सकते हैं। जैसे-रात-दिन, पाप-पुण्य, माता-पिता, लेन-देन, आदान-प्रदान आदि।
2. जिन पदों के दोनों खण्ड प्रधान हों और जिनमें ‘और‘ लुप्त हो वहाँ योजक चिहन का प्रयोग किया जाता है। जैसे-लोटा- डोरी, माता-पिता, लड$का-लड$की, भात-दाल आदि।
3. ‘एकार्थबोधक सहचर‘ शब्दों (अर्थात् ऐसे शब्दों में जिनके अर्थ समान होते हैं) के बीच योजक चिह्न लगाए जाते हैं । जैसे-समझ-बूझ, दीन-दुखी, सेठ-साहूकार, हँसी-खुशी, नपा-तुला, चाल-चलनय जी-जान ।
4. जब दो संयुक्त क्रियाएँ एक साथ प्रयुक्त हों तो दोनों के बीच योजक चिह्न का प्रयोग होता है । जैसे-पढ$ना-लिखना, खाना-पीना, उठना-बैठना, कहना – सुनना, मारना-पीटना, आना-जाना आदि ।
5. यदि दो विशेषण पर्दो का संज्ञा के अर्थ में प्रयोग हो, तो वहाँ योजक चिह्न का प्रयोग हो सकता है । जैसे-अन्धा – बहरा, भूखा – प्यासा, लूला-लँगड$ा ।
6. दो प्रेरणार्थक क्रियाओं के बीच भी योजक चिहून का प्रयोग होता है । जैसे-चलाना-चलवाना, जिताना-जितवाना, कटाना- कटवाना ।
7. यदि एक ही संख्या दो बार प्रयुक्त हो तो उनके बीच योजक चिह्न लगाया जा सकता है। जैसे-राम-राम, बच्चा-बच्चा, बूंद-बूंद, नगर-नगर, गली-गली आदि।
8. निश्चित संख्यावाचक विशेषण के जब दो पद एक साथ प्रयुक्त हों तो दोनों के बीच योजक-चिह्न प्रयुक्त हो सकता है । जैसे-बहुत-सा धन, बहुत-सी बातें, एक से बढ$कर एक, कम-से-कम।
9. जब दो शब्दों के बीच सम्बन्धकारक के चिहन – का, के, की- लुप्त हों तो दोनों के बीच योजक चिह्न लगाया जा सकता है । जैसे-शब्द-सागर, रावण – वध, प्रकाश-स्तम्भ, राम-नाम, मानव-शरीर, कृष्ण – लीला, मानव-जीवन इत्यादि।
10. लिखते समय यदि कोई शब्द पंक्ति के अन्त में पूरा न हो तो उक्त शब्द के आधे खण्ड के बाद योजक चिह्न लगाया जा सकता है । जैसे-उसका व्यवहार वस्तुतः आपत्ति जनक है ।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…