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जीनॉन : जिनोन उत्कृष्ट तत्व के यौगिक , परमाणु क्रमांक , के बाह्यतम या संयोजकता कोश में इलेक्ट्रॉन (xenon compounds in hindi)

(xenon compounds in hindi) जीनॉन : जिनोन उत्कृष्ट तत्व के यौगिक , परमाणु क्रमांक , के बाह्यतम या संयोजकता कोश में इलेक्ट्रॉन : जिनोन को Xe द्वारा व्यक्त किया जाता है , यह 18 वें वर्ग का तत्व है।  चूँकि वर्ग 18 के तत्वों का संयोजकता कोश पूर्ण भरित होता है इसलिए इस वर्ग के तत्वों को उत्कृष्ट तत्व कहते है और इसलिए जिनोन को भी उत्कृष्ट तत्व कहा जाता है। Xe का परमाणु क्रमांक 54 होता है।
जीनॉन के संयोजकता कक्षक में 8 इलेक्ट्रॉन पाए जाते है अर्थात इसका बाह्यतम कोश पूर्ण भरित होता है यही कारण है कि जिनोन बहुत कम क्रियाशील होता है।
मार्च 1962 में सबसे पहले वैज्ञानिक नील बर्टलेट ने उत्कृष्ट तत्वों में से जीनॉन गैस की क्रियाशीलता को प्रेक्षित किया था और बताया था कि ये तत्व भी क्रिया करके यौगिक का निर्माण करते है , इससे पहले इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के कारण यह माना जाता था कि ये सभी तत्व अपने पूर्णित विन्यास के कारण किसी अन्य तत्व के साथ क्रिया नहीं करते है।
बर्लेट के जीनॉन की प्लैटिनम हेक्साफ्लोराइड के साथ क्रिया करके एक यौगिक बनाया जिसे जीनॉन हेक्साफ्लुओरिडोप्लेटिनेट (V) कहते है।
नील बर्टलेट द्वारा इस क्रिया को निम्न तरह समझाया जाता है –
Xe         +      PtF6     →           Xe[PtF6]
जिनोन के इसके बाद बहुत सारे यौगिक प्राप्त हुए जिनमे फ्लोराइड, ऑक्सीफ्लोराइड्स और ऑक्साइड आदि शामिल थे।
जीनॉन के फ्लुओरिन यौगिक : जिनोन से तीन प्रकार के द्वि अंगीय फ्लुओराइड बनते है जो निम्न प्रकार –
1. ज़ेनॉन डेफ़्लुओराइड (XeF2) : यह सफ़ेद रंग का क्रिस्टल ठोस होता है , यह यौगिक स्थायी होता है। जब यह प्रकाश और पानी की भाप के सम्पर्क में आता है तो यह अपघटित होने लगता है। इसकी संरचना रैखिक होती है।
इसमें σ बंध की संख्या 2 होती है , इसमें एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म 3 होते है और संकरित कक्षक की संख्या 5 होती है।  इसका संकरण Sp3d होता है।
इसकी संरचना निम्न है –
यह निम्न अभिक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है –
Xe+ f2 = XeF2F
2. जीनॉन टेट्रफ्लुओराइड (XeF4) : यह रंगहीन क्रिस्टल होता है , इसकी संरचना वर्गाकार तलीय संरचना होती है।
इसमें σ बंध की संख्या 4 होती है , इसमें एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म 2 होते है और संकरित कक्षक की संख्या 6 होती है।  इसका संकरण Sp3d2 होता है।
इसकी संरचना निम्न प्रकार होती है –
यह यौगिक निम्न प्रकार क्रिया द्वारा प्राप्त होता है –
Xe+ 2f2 = XeF4


3. जीनॉन हेक्साफ्लोराइड : इसका रासायनिक सूत्र XeF6 होता है , यह एक रंगहीन ठोस होता है , इसकी संरचना विकृत अष्टफलकीय होती है।
इस यौगिक की संरचना निम्न प्रकार है –
यह यौगिक निम्न प्रकार अभिक्रिया द्वारा प्राप्त होता है –
Xe+ 3f2 = XeF6

इस यौगिक में σ बन्ध की संख्या 6 , एकांकी इलेक्ट्रॉन की संख्या 7 तथा संकरित कक्षको की संख्या 7 होती है और इसका संकरण Sp3d3 होगा।
Sbistudy

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