JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

महिलाओं में रोजगार की प्रवृत्तियाँ | श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी , भारत में महिला रोजगार की स्थिति

women’s job in hindi in india महिलाओं में रोजगार की प्रवृत्तियाँ | श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी , भारत में महिला रोजगार की स्थिति ?

महिलाओं के प्रस्थिति के सूचक
यह विचित्र सी बात है कि भारत में जहाँ देवियों की पूजा की जाती है, वहाँ महिलाओं को स्वतंत्र व्यक्तित्व और प्रस्थिति से वंचित रखा जाता है। यह प्रवृत्ति हमारे सामाजिक ढाँचे, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और राजनीति में दृढ़तापूर्वक समायी हुई है। मनु संहिता में कहा गया है -‘‘महिलाओं को कभी स्वतंत्र नहीं होना चाहिए।‘‘ बाल्यकाल में उस पर उसके पिता का अधिकार होता है, यौवन काल में उसके पति का और बुढ़ापे में उसके पुत्र का (मनुस्मृति, धर्मशास्त्र, IX, 3)। महिलाओं की अस्मिता, आजादी, संसाधनों तक पहुँचने का अवसर आदि, परिवार की जाति और वर्ग प्रस्थिति द्वारा निर्धारित होती है। वैवाहिक प्रस्थिति और उनकी प्रजनन शक्ति से महिलाओं की पहचान होती है। विवाह होने पर उसको उच्चतम प्रस्थिति ‘‘सौभाग्यवती‘‘ दी जाती है। विवाहित महिलाएँ मातृत्व प्राप्त करने के बाद विशेषकर पुत्र को जन्म देने पर परिवार और समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करती है।

परिवार और समाज की विभिन्न सांस्कृतिक प्रक्रियाओं द्वारा महिला के आत्म (तत्त्व स्वत्व) को बचपन से ही नकारा जाता है। स्वतंत्रता, व्यक्तिवाद और पहचान सीमित और दबी हुई रहती है और इसके बहुत से प्रभाव होते हैं। यद्यपि महिलाओं की शिक्षा, रोजगार, पंचायतों में भाग लेने आदि के संबंध में कई सकारात्मक परिवर्तन हो रहे हैं, फिर भी अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

आमतौर पर पुरुषों की प्रस्थिति की तुलना में महिलाओं की प्रस्थिति का मूल्यांकन किया जाता है। इस मूल्यांकन में जिन मुख्य प्रतिकूल द्योतकों का प्रयोग किया जाता है, वे हैं -जनसांख्यिकीय प्रस्थिति, स्वास्थ्य प्रस्थिति, साक्षरता प्रस्थिति, रोजगार दर और विन्यास तथा राजनीतिक प्रस्थिति।

 जनसांख्यिकीय प्रस्थिति
लिंग अनुपात (sex ratio), मृत्यु दर (mortality rate) और रुग्णता दर (उवतइपकपजल तंजम) तथा जीवन संभाव्यता (सपमि मगचमबजंदबल) जैसे द्योतक जनसंख्या की जनसांख्यिकीय प्रस्थिति का मूल्यांकन करते हैं। महिलाओं की जनसांख्यिकीय प्रस्थिति के लिए लिंग अनुपात और मृत्यु दर विन्यास का विस्तार से वर्णन किया जाएगा। लिंग अनुपात से अभिप्राय आबादी में 1,000 पुरुषों के लिए महिलाओं का अनुपात है। भारत में इस शताब्दी के प्रारंभ से महिलाओं का अनुपात जनसंख्या में गिर रहा है। 1981 की जनगणना के अनुसार इस अनुपात में थोड़ी-सी वृद्धि हुई है, फिर भी, 1991 की जनसंख्या के अनंतिम आँकड़ों में पुनः गिरावट दिखाई गई है, 2001 में न्यूनतम वृद्धि के साथ।

तालिका 1: 1901-1911 लिंग अनुपात
वर्ष अनुपात
1901 972
1911 964
1921 955
1931 950
1941 945
1951 946
1961 941
1971 930
1981 934
1991 929
2001 933

मृत्यु दर मौतों की आवृत्ति अर्थात् बारंबारता को नापती है। यह वार्षिक दर है और 1,000 जीवित जन्मों के लिए मृत्यु की संख्या के रूप में विभिन्न आयु-वर्गों के लिए परिकलित की जाती है। आयु विशेष मृत्यु दर के आँकड़े बालिका शिशुओं (0-4 वर्ष) की उच्च मृत्यु दर और मातृ (15-25 वर्ष) उच्च मृत्यु दर सूचित करती है। बालक शिशु मृत्यु दर (33.6) है जबकि बालिका शिशु मृत्यु दर (36.8) है। यह इस बात का संकेत देता है कि बालिका शिशुओं को पर्याप्त भोजन, स्वास्थ्य देखभाल के बारे में भेदभाव का सामना करना पड़ता है (नमूना पंजीकरण प्रणाली, 1987)। मातृ मृत्यु की उच्च दरों (2.7 का 46.1 प्रतिशत) का कारण प्रसव के समय प्रसूति जोखिम तथा अपर्याप्त चिकित्सा देखभाल है। छोटी उम्र में विवाह और कम उम्र में गर्भाधान के कारण प्रसव के समय जोखिम होता है। जीवन संभाव्यता दर का अभिप्राय किसी व्यक्ति की औसत आयु से है जिसमें वह विद्यमान मृत्यु दर स्थितियों के बाद जीवित रहता है। जीवन संभाव्यता दर की गणना भी विशिष्ट आयु वर्गों के अनुसार की जाती है। महिलाओं की जीवन संभाव्यता 63.8 वर्ष है और पुरुषों की 62.8 वर्ष है। (सन् 2000 के अनुसार, यह पाया गया है कि बुढ़ापे के दौरान महिलाओं में अधिक जीने की संभाव्यता होती है, जबकि युवा अवस्था में उनकी मृत्यु दर ऊँची होती है (देखें ई.एस.ओ.-12 के खंड 7 की इकाई 33)।

 स्वास्थ्य प्रस्थिति
स्वास्थ्य की देखभाल जुटाने में भी महिलाओं के प्रति भेदभाव किया जाता है। अस्पताल दाखिलों और आँकड़ांे के अध्ययन से पता चला है कि महिलाओं और लड़कियों की तुलना में पुरुष और लड़कों की स्वास्थ्य देखभाल अधिक होती है। यह कहा जाता है कि महिलाएँ और लड़कियाँ पुरुष और लड़कों की तुलना में बीमारी की स्थिति में काफी विलम्ब से अस्पतालों में ले जाई जाती है। इसके अलावा अधिकांश भारतीय महिलाओं में रक्ताल्पता (anaemia) होती है। वे भोजन पकाने, सफाई करने, कपड़ा धोने, पानी लाने, लकड़ी इकट्ठा करने, बच्चे और वृद्धों की देखभल करने, पशुओं की देखभाल करने और खेती के कामकाज जैसे कई कार्यों में बहुत शक्ति व्यय करती हैं जबकि खर्च की गई शक्ति की तुलना में वे कम कैलोरी लेती हैं। कैलोरी की कमी से आमतौर पर महिला के स्वास्थ्य पर खासतौर से प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

यह देखा गया है कि पर्यावरण ह्रास से महिलाओं को ईंधन की लकड़ी इकट्ठा करने और पानी लाने के लिए कई मील दूर जाना पड़ता है। इससे महिलाओं के कार्य का भार बढ़ गया है। इसका उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसी प्रकार, चूंकि पानी लाने का काम अधिकतर महिलाएँ करती हैं, इससे वे जल जनित रोग का शिकार भी हो जाती हैं। फसल के अवशिष्टों, गोबर के उपलों आदि जैसे ईंधन से भोजन बनाने और स्टोव से सांस की जीर्ण बीमारियाँ होती हैं। खेती, खादों, पादप रोपण और गृह आधारित उत्पादन जैसे बीड़ी बनाना, कागज की थैलियाँ बनाना, कसीदाकारी आदि से कई व्यावसायिक स्वास्थ्य हानियाँ होती हैं और इन्हें किसी भी स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत नहीं लिया गया है।

 साक्षरता प्रस्थिति
सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए शिक्षा को महत्त्वपूर्ण साधन माना गया है। व्यक्तित्व विकास के अलावा शिक्षा वित्तीय आत्मनिर्भरता और प्रस्थिति गतिशीलता को प्राप्त करने का काम भी करती है।

भारत में स्वतंत्रताप्राप्ति के बाद से बालिकाएँ उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और पुरुषप्रधान क्षेत्रों में भी प्रवेश कर रही हैं। फिर भी, समग्र साक्षरता दर और सापेक्ष साक्षरता दर पुरुष साक्षरता दर की तुलना में अभी कम है। भारत में कुल साक्षरता दर 65.38 प्रतिशत है, जबकि पुरुषों के लिए यह 75.85 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 54.16 प्रतिशत है (जनगणना 2001)।

कई ऐसे कारक हैं जिनसे यह स्थिति बनती है। पहला, परिवार की निम्न सामाजिक और आर्थिक प्रस्थिति के कारण बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जाता है। यदि बच्चे स्कूल में दाखिल भी किए जाते हैं तो बालिकाओं को स्कूल से हटा दिया जाता है और उन्हें छोटे बच्चों की देखभाल और घर के कामकाज की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। आर्थिक आवश्यकता जो बच्चों को मजदूरी करने के लिए विवश करती है, इससे भी बच्चे शिक्षा से वंचित रहते हैं। लड़की की शादी और मातृत्व को बहुत महत्त्व दिया जाता है, इसलिए परिवार लड़कियों की शिक्षा में अपने दुर्लभ संसाधनों को नहीं लगाना चाहते। लड़कों को रोजगार के अधिक अच्छे अवसर प्राप्त करवाने के लिए उनकी शिक्षा पर अधिक खर्च किया जाता है (अधिक जानकारी के लिए देखें ई.एस.ओ.-12 के खंड 7 की इकाई 32)।

 रोजगार प्रस्थिति
नृशास्त्र संबंधी अध्ययनों से पता चलता है कि मानव इतिहास में भोजन, वस्त्र, दस्तकारी और कई विभिन्न औजार बनाने में महिलाओं की प्रमुख भूमिका रही है।

अपने परिवारों की उत्तरजीविता के लिए भारतीय महिलाओं ने कई कार्यकलापों में भाग लिया, फिर भी ‘‘काम‘‘ और ‘‘कामगार‘‘ शब्दों की व्याख्या महिलाओं के कार्य की विविधताओं को समझने में अपर्याप्त है। 2001 की जनगणना के अनुसार, 25.7 प्रतिशत महिलाएँ और 39.3 प्रतिशत पुरुष श्रमजीवी हैं। कुल महिला श्रमजीवियों में 32.5 प्रतिशत खेतिहर, 39.4 प्रतिशत कृषि मजदूर हैं, 6.4 प्रतिशत घरेलू उद्योगों में कार्यरत और 21.7 प्रतिशत अन्य श्रेणी के श्रमिक हैं। समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 के बावजूद महिलाओं को अभी भी कम मजदूरी मिलती है उन्हें कम कौशलपूर्ण कार्यों पर लगाया जाता है और दक्षता प्रशिक्षण और पदोन्नति के लिए भी उनकी पहुंच कम है। शहरी क्षेत्रों में रोजगारशुदा महिलाएँ शिक्षक, नर्स, डॉक्टर, क्लर्क और टाइपिंग जैसे नियत धारणाओं वाले काम में लगी हुई हैं। अब महिलाएँ, अभियांत्रिकी, वास्तुकार, वैमानिकी, निर्माण, पुलिस सेवा और प्रबंध जैसे पुरुष-प्रधान व्यवसायों में भी प्रविष्ट हो रही हैं। परंतु सांस्कृतिक बाधाएँ जिसमें महिला को अबला नारी (ूमंामत ेमग) के रूप में देखा जाता है, उनके चुनाव, प्रशिक्षण और पदोन्नति में बाधक बनती हैं। महिलाओं को अपनी योग्यता सिद्ध करने के लिए दुगनी मेहनत करनी पड़ती है। (अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए पढ़ें ई.एस.ओ.- 12 के खंड 2 की इकाई 31 एवं ई.एस.ओ.- 16 के खंड 7 की इकाई 11)।

 राजनीतिक प्रस्थिति
बहुत से पश्चिमी देशों के विपरीत जहाँ महिलाओं ने मताधिकार प्राप्त करने के लिए संगठित संघर्ष किया, परंतु भारत में इस राष्ट्र के नागरिक के रूप में उन्हें मताधिकार प्राप्त है। यद्यपि भारत में महिला प्रधानमंत्री-श्रीमती इंदिरा गांधी रहीं, फिर भी यह नहीं कहा जा सकता है कि संसद और राज्य विधानमंडलों तथा स्थानीय निकायों में महिलाओं का उचित प्रतिनिधित्व है। संसद में उनकी केवल 8.91 प्रतिशत सीटें हैं। कुल मिलाकर महिलाएँ चुनाव में निष्क्रिय मतदाता मात्र रह गई हैं और उनके मतदान का स्वरूप पुरुष सदस्यों के निर्णय के अनुसार निर्धारित किया जाता है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के प्रश्न पर हाल ही में चर्चा हुई है। हालांकि यह विधेयक कई बार संसद में रखा गया लेकिन किसी न किसी तर्क के कारण इसे वापस ले लिया गया। तथापि 73वें संवैधानिक संशोधन से भारत में, पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की सहभागिता सुनिश्चित हो गई है। पंचायती राज संस्थाओं में 30 प्रतिशत आरक्षण का लाभ उठाते हुए 3 करोड़ से भी ज्यादा महिलाएँ राजनीतिक निर्णय लेने में सक्रिय रूप से सहभागी हैं।

बोध प्रश्न 1
1) क्या आपको महिलाओं के लिए समानता की संवैधानिक गारंटी और वास्तविकता के बीच कोई विरोधाभास दिखाई देता है? लगभग नौ पंक्तियों में उत्तर दीजिए।
2) महिलाओं की निम्न प्रस्थिति के क्या प्रभाव हैं? लगभग सात पंक्तियों में उत्तर दीजिए।
3) सही उत्तर पर टिक ( ) का निशान लगाइए:
महिला कामगारों की प्रतिशतता कम है, क्योंकि-
क) महिला गृहणियाँ होती हैं। ( )
ख) महिलाओं की गणना कामगार के रूप में नहीं की जाती है। ( )
ग) महिलाएँ काम नहीं करती हैं। ( )
घ) कामगार हमेशा पुरुष ही होते हैं। ( )

बोध प्रश्न 1 उत्तर
1) हाँ, महिलाओं के मामले में संवैधानिक गारंटी और वास्तविकता के बीच विरोधाभास है। यद्यपि महिलाओं ने कुछ क्षेत्रों में प्रगति की है परंतु अधिकांश महिलाओं को अभी बहुत अधिक परिश्रम करना है। लिंग अनुपात को संतुलित किया जाना है, सभी आयु वर्गों में महिलाओं की जीवन संभाव्यता में सुधार किया जाना है। महिलाओं को स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रक्रमों और कार्यों में अधिक अधिकार दिए जाने चाहिए।

2) देश की महिलाओं की निम्न प्रस्थिति का प्रभाव विकास की प्रक्रिया पर पड़ता है। क्योंकि 50 प्रतिशत जनसंख्या की उपेक्षा की जा रही है। परिवार में गरीबी के आर्थिक दबाव का प्रभाव महिलाओं तथा लड़कियों पर पड़ता है जिन्हें सख्त मेहनत और अधिक समय तक काम करना पड़ता है, वे कम भोजन करती हैं, सामाजिक सामग्री और सेवाओं तक उनकी पहुँच कम है।
3) ख

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

2 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

4 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

7 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

7 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

7 days ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now