अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल क्यों और कब हुआ why did us enter the second world war in hindi
why did us enter the second world war in hindi अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल क्यों और कब हुआ ?
प्रश्न: अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल क्यों हुआ ?
उत्तर: 7 दिसम्बर, 1941 को युद्ध का पाप 7 दिसम्बर, 1941 को युद्ध की घोषणा किये बिना, जापान ने अचानक प्रशान्त महासागर में हवाई द्वीप समूह में स्थित पलहाबर पर अमेरिकी हवाई जहाजों व पनडुब्बियों पर हमला कर दिया। संयुक्त राज्य को इससे बड़ी हार व नुकसान कभी रहा। फलतः 6 अगस्त, 1945 को हिरोशिमा पर तथा 9 अगस्त, 1945 को नागाशाकी पर अमेरिका ने अणुबम गिराकर युद्ध समाप्त कर दिया।
प्रश्न: द्वितीय विश्व के क्या प्रभाव पड़े ?
उत्तर: आर्थिक नकसान. सैनिक-जनता का सत्रपात, उग्रराष्ट्रवाद क्षीण, आर्थिक संगठन महत्वपूर्ण, परमाणु युग का सूत्रपात. शीतयुद्ध एवं दो विचारधाराओं में विश्व का विभाजन, गुट निरपेक्षता का उदय, प्रादेशिक संगठनों का विकास विउपनिवेशीकरण, यू.एन.ओ. की स्थापना,
साम्राज्यवाद के स्वरूप में परिवर्तन आदि द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम थे।
प्रश्न: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कब व किसने धुरी राष्ट्रों की ओर से आत्म सम्पर्ण किया?
उत्तर: 7 मई, 1945 को रीम्स में जर्मन सेनाध्यक्ष जोड्ल ने सम्पूर्ण जर्मनी की ओर से जनरल आइजनहावर के रीम्स स्थित मख्यालय में बिना शर्त समर्पण कर दिया। 8 मई की रात्रि से जर्मनी में युद्ध बन्द हो गया। 8 मई को श्युरोप विजय दिवसश् के रूप में मनाया गया।
प्रश्न: ट्वालाइट वार
उत्तर: पोलैण्ड पर अधिकार करने के पश्चात् हिटलर ने पश्चिमी मोर्च पर कोई सक्रियता नहीं दिखायी। अतः 1939 के शीतकाल में वहां पर श्युद्ध का दिखावा मात्रश् (Phony War) होता रहा। ब्रिटिश प्रधानमंत्री चेम्बरलेन ने इस अवधि के युद्ध को श्ट्वाइलाइट वारश् (Tarlight War) कहा था।
प्रश्न: द्वितीय विश्व के क्या कारण थे ?
उत्तर: वर्साय की संधि, आर्थिक मंदी, तानाशाहों का उत्कर्ष, इंग्लैण्ड व फ्रांस की तुष्टिकरण की नीति, राष्ट्रसंघ की असफलता. शस्त्रीकरण की दौड़, उग्र राष्ट्रवाद, अल्पसंख्यक जातियों का असंतोष आदि ने मिलकर द्वितीय विश्व को अवश्यम्भावी बना दिया। युद्ध का तात्कालिक कारण हिटलर द्वारा 1 सितम्बर, 1939 को पौलेण्ड पर आक्रमण करना था।
प्रश्न: द्वितीय विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण क्या था?
उत्तर: अप्रैल, 1939 में जर्मनी ने पौलैण्ड से डेन्जिग (Dazing) की मांग की और पोलैण्ड के गलियारे में रेल व सड़क यातायात की मांग की। पोलैण्ड ने जर्मनी के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। 1 सितम्बर, 1939 को जर्मनी ने पोलैण्ड पर आक्रमण कर दिया। इंग्लैण्ड व फ्रांस ने जर्मनी को पौलैण्ड से सेना हुआने का अल्टीमेटन भेजा। अल्टीमेटम का समय 3 सितम्बर, 1939 को समाप्त हो गया। इंग्लैण्ड ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। कुछ समय पश्चात् फ्रांस भी सम्मिलित हुआ। इसके बाद इटली, जापान, रूस आदि राष्ट्र भी सम्मिलित हुए।
प्रश्न: स्पेन का गृह युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध का पूर्वाभ्यास था।
उत्तर: स्पेनिश सरकार साम्यवाद से प्रभावित थी। जनरल फ्रैंको, जर्मनी व इटली के नेतृत्व में राष्ट्रवादी मोर्चा उभरा जो साम्यवादी सरकार के विरोध में थे। दो फासीवादी शक्तियों ने साम्यवादियों को पराजित कर दिया। इससे जर्मनी व इटली का मनोज बढ़ा कि वे दोनों मिलकर पश्चिमी देशों को पराजित कर सकते हैं। अत इसे द्वितीय विश्व युद्ध का पूर्वाभ्यास कहा जा सकता है।
प्रश्न: राष्ट्र संघ का कमजोर आधार द्वितीय विश्व युद्ध के लिए उत्तरदायी था।
उत्तर: USA का राष्ट्रसंघ का सदस्य न बनना। जापान ने 1933, जर्मनी ने 1933 तथा इटली ने 1937 में नोटिश दिया और 1920 में अलग हो गया। अन्ततः लीग फ्रांस व ब्रिटेन की शक्ति पर आधारित रह गयी। इसका संपूर्ण तंत्र आंग्ल-फ्रांसीसी सिद्धांतों पर आधारित हो गया। आंग्ल-फ्रांसीसी प्रजातांत्रिक आदर्श व सिद्धांत से लीग प्रभावित हो गया। अन्य क्षेत्रों में इसका प्रभाव कम रहा। (इंग्लैण्ड व फ्रांस को छोड़कर अन्य पश्चिमी यूरोपीय देशों में प्रजातांत्रिक आदर्शों का प्रभाव कम था।) लीग का कोई स्पष्ट प्रशासनिक शक्ति का न होना। लीग के पास कोई सैनिक शक्ति न होना। लीग में सदस्य राष्ट्रों की ओर से योगदान की गंभीर सीमाएं। प्रावधानों के क्रियान्वयन में लीग की असफलता। अन्ततः सामूहिक सुरक्षा की स्थापना में विफल, शक्ति संतुलन को बनाये रखने में विफल, निःशस्त्रीकरण की समस्या के समाधान को प्रस्तुत करने में असफल हुआ। मुख्य रूप से लीग विजयी राष्ट्रों को पराजित राष्ट्रों के विरुद्ध संधि के प्रतीक के रूप में रहा। लीग ने शक्ति संतुलन की समाप्ति की घोषणा कर दी। इससे द्वितीय विश्व युद्ध के प्रारम्भ होने की अनुकूल परिस्थितियां बनी।
प्रश्न: तुष्टीकरण की नीति ने द्वितीय विश्व युद्ध को अवश्यम्भावी बना दिया। व्याख्या कीजिए।
उत्तर: यह प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् की पश्चिमी यूरोपीय राष्ट्रों (ब्रिटेन, फ्रांस) की नीति थी। इसमें फासीवादी शक्तियों से संबंध स्थापित करने का दृष्टिकोण था। फासीवादी शक्तियों को शान्त किया जा रहा है व उनके हितों को पूरा किया जा रहा है।
इसका आधार
1. साम्यवादी खतरा।
2. फासीवादी शक्तियों से पेरिस शांति सम्मेलन में उपेक्षा का व्यवहार, उनकी आकांक्षाओं का पूरा न होना जबकि उनकी मांगों का वैध
आधार था।
3. पश्चिमी राष्ट्रों का विचार कि इन्हें युक्तियुक्त रियायतें दे कर दूर की जाये, इनकी मांगों को पूरा किया जाये तो वे अन्ततः शान्त हो
जायेंगे।
4. यूद्ध की सम्भावनाओं को समाप्त व रोकने का दृष्टिकोण। पुनः किसी अन्य युद्ध की संकल्पना एक भयावह संकल्पना।
5. अतः राष्ट्रों का दृष्टिकोण शान्ति का दृष्टिकोण था।
इसकी अभिव्यक्ति
1. जापान द्वार मंचूरिया पर आक्रमण (1931)
2. इटली द्वारा अबीसीनिया व यूथोपिया पर आक्रमण (1935-36)
3. जर्मनी द्वारा म्यूनिख समझौता।
परिणाम
1. फासीवादी शक्तियों को बल।
2. उनके अवैध मांगों की वैधता।
3. फासीवादी शक्तियों की आक्रामक प्रवृत्तियों को बल मिला।
4. सामूहिक सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव (स्मंहनम की भूमिका पर प्रतिकूल प्रभाव)।
5. विजयी राष्ट्रों के कमजोर पक्ष का उजागर होना। जब वे फासीवाद शक्तियों के आक्रमणों के विरुद्ध कुछ कर नहीं सके।
6. पोलैण्ड पर आक्रमण सुडेटनलैण्ड या म्युनिख समझौते से शुरू इस प्रक्रिया की पराकाष्ठा थी। पोलैण्ड पर आक्रमण से द्वितीय विश्व
युद्ध की शुरूआत हो गई। इस प्रकार तुष्टीकरण की नीति ने द्वितीय विश्व युद्ध को अवश्यम्भावी बना दिया।
प्रश्न: दो विश्व युद्धों के बीच सामूहिक सुरक्षा की समस्या ने द्वितीय विश्व युद्ध का मार्ग ढूंढ लिया। व्याख्या कीजिए।
उत्तर: इसके अन्तर्गत एक अन्तर्राष्ट्रीय तंत्र राष्ट्र संघ था। लेकिन शुरूआती चरण में ही इस तंत्र के विभिन्न कमजोर पक्ष सामने आ गए। शुरूआती चरण में ही लीग की भूमिका पर एक प्रश्न चिन्ह उठने लगे। स्वयं की सैनिक शक्ति नहीं, सदस्य देशों पर निर्भर थी।
1. फ्रांस की ओर से स्वयं की सुरक्षा की गारण्टी के प्रयास, विशेष रूप से अपनी पूर्वी सीमा की सुरक्षा की गारण्टी की समस्या को लेकर
विशेष चिंता थी क्योंकि इधर से जर्मनी सीमा पर था।
2. इसलिए फ्रांस सुरक्षा के अन्तर्गत पूर्ण रूप से लीग पर आश्रित नहीं रहना चाहता था।
3. विल्सन व लायड जर्ज ने इस प्रकार की सुरक्षा की सहमति दिखलायी थी, लेकिन अमेरिकी सीनेट ने विल्सन के प्रस्ताव को अनुमोदित नहीं किया। फ्रांस को गारण्टी नहीं मिल पायी।
4. फ्रांस ने इस गारण्टी के कारण राइन नदी के पास की सीमा क्षेत्र में अपने दावे से वापिस हो गया। (पेरिस शान्ति वार्ता)।
5. फ्रांस द्विपक्षीय समझौतों से अलग हटकर स्वयं को सुरक्षित बनाना चाहता था। इसके अन्तर्गत राष्ट्र संघ के माध्यम से सुरक्षा के प्रयास किये। फ्रांस के उपरोक्त प्रयास के परिणाम था जेनेवा प्रोटोकाल (1924)। इसके अन्तर्गत सदस्य दिखायी। ब्रिटेन द्वारा इस प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं मिली। अतः जेनेवा प्रोटोकाल समाप्त हो गया।
6. फ्रांस का असंतोष व असुरक्षित स्थिति को महसूस करना और सुरक्षा के अन्तर्गत विभिन्न राष्ट्रों के साथ द्विपक्षीय संधि व समझौता
करना। जैसे – पोलैण्ड के साथ 1925 में, चेकोस्लोवाकिया के साथ 1924 में, रूमानिया के साथ 1926 में, तथा यूगोस्लाविया के साथ 1927 में द्विपक्षीय
संधि एवं समझौते किए।
अतः इसी प्रकार जर्मनी भी अपनी सुरक्षा दीवार खड़ी करने लगा। उसने भी रोम-टोकियो के साथ संधि की। इस प्रकार विश्व पुनः दो सैनिक खेमों में बंट गया। जिसका परिणाम था द्वितीय विश्व युद्ध।
प्रश्न: 1933 से 1939 के मध्य अंतरर्राष्ट्रीय संबंधों की विवेचना कीजिए तथा यह बताइए कि इस दौर में विश्व कैसे दूसरे विश्व युद्ध की ओर अग्रसर हो गया ?
उत्तर: दो विश्वयुद्धों के मध्य के काल को दो भागों में विभाजित किया जाता है, जिसमें प्रथम चरण 1919 से 1933 तक रहा जिसे हिटलर से पूर्व का काल कहते हैं। द्वितीय चरण 1933 से 1939 तक रहा जिसे हिटलर का काल कहा जाता है। इस काल में हिटलर द्वारा अपनी तानाशाही स्थापित की गई और घटनाओं के उस क्रम को अंजाम दिया जिसकी परिणति द्वितीय विश्वयुद्ध के रूप में हुई।
एडोल्फ हिटलर प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की ओर से लड़ा तथा आयरन क्रॉस नामक मैडल मिला। यह मैडल केवल अधिकारियों को मिलता था। 1919 में हिटलर जर्मन वर्कर्स पार्टी (National Socialist Party) का सदस्य बना। 1921 में इस पार्टी का लीडर बना। इस पार्टी का नाम बदलकर नाजी पार्टी (Nazi Party) रखा।
जनवरी, 1933 में हिटलर (फ्यूरर) सत्ता में आया। हिटलर लिबेन्सरोम “Lebensraum” की नीति पर चला जिसका अर्थ रहने का स्थान (Living Space) होता है। अक्टूबर, 1933 में जर्मनी ने स्वयं को जेनेवा सम्मेलन निःशस्त्रीकरण की संधि से अलग कर लिया। एक सप्ताह पश्चात् जर्मनी राष्ट्र संघ से भी पृथक हो गया। जनवरी, 1934 हिटलर ने पोलैण्ड के साथ 10 वर्ष के लिए अनाक्रमण संधि की। जुलाई, 1934 में हिटलर ने ऑस्ट्रिया पर अधिकार करने का असफल प्रयास किया।
जनवरी, 1935 में सार बेसिन में जनमत कराया गया। 90: बहुमत जर्मनी के पक्ष में रहा। मार्च, 1935 में हिटलर ने अनिवार्य सैनिक प्रशिक्षण की घोषणा की। उसने कहा जर्मनी में 36 डिवीजन होंगे जिनमें सैनिक 6 लाख की संख्या में रहेंगे। इसकी प्रतिक्रिया के रूप में इंग्लैण्ड, फ्रांस व इटली ने इटली के स्ट्रेसा नामक स्थान पर एक सम्मेलन किया तथा जर्मनी के इस कदम की कड़ी आलोचना की। तीनों का संघ स्ट्रेसा फ्रंट कहलाया।
इसी समय इटली ने साम्राज्यवादी नीति का अनुसरण कर 1935 में आबीसीनिया पर भी आक्रमण कर अधिकार कर लिया।
जून, 1935 में आंग्ल-जर्मन नौसेना समझौता (Anglo-German Noval Agreement) हुआ। इसके अनुसार यह निश्चित किया गया कि जर्मनी की नौसैनिक क्षमता इंग्लैण्ड की नौसेना का 35ः होगा। इसके साथ ही स्ट्रेसा फ्रंट टूट गया क्योंकि इस समझौते को इटली व फ्रांस को बिना बताये किया। मार्च, 1936 में हिटलर ने राइन प्रदेश पर अधिकार किया। इसका इंग्लैण्ड ने समर्थन किया। 1938 तक जर्मनी के पास 51 डिवीजन थे जिनमें 8 लाख सैनिक तथा अन्य सुरक्षित सैनिक थे। 21 युद्धपोत, 47 यू वोट, 5000 लड़ाकू विमान थे। रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी – अक्टूबर 1936 में जर्मनी ने इटली के साथ समझौता किया। इसे रोम, बर्लिन एक्सिस (Axiss) (धुरी राष्ट्र) कहते हैं। अगले महीने (नवम्बर, 1936) जर्मनी ने जापान के साथ समझौता किया जिसे एन्टी कामिन्टन पैक्ट कहते हैं। जर्मनी व जापान साम्यवाद के कट्टर विरोधी थे। 1937 में इटली भी एंटी कोमिन्टन का सदस्य बन गया। अत यह रोम-बर्लिन-टोकियों एक्सिस कहलाया।
मार्च, 1938 में जर्मनी ने ऑस्ट्रिया पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया। जर्मनी व ऑस्ट्रिया के बीच यह अंशलुश या यूनियन हुआ। फ्रांस व अन्य यूरोपीय देशों ने इसकी कड़ी आलोचना की क्योंकि इसके पश्चात् हिटलर ने चेकोस्लोवाकिया से स्यूडेट लैंड (Sudetenland) मांगा। 29 सितम्बर, 1938 श्म्यूनिक समझौताश् हुआ यह चार राष्ट्रों का समझौता था। हिटलर, इटली का बेनिटो मुसोलिनी, ब्रिटिश प्रधानमंत्री चेम्बरलिन और फ्रांस के राष्ट्रपति डेलाडियर (Daladier) सम्मिलित हुए। इस समझौते के अनुसार चेकोस्लोवाकिया तुरंत स्यूडेटनलैंड जर्मनी को दे। जर्मनी इससे अधिक सीमा की मांग नहीं करेगा। जर्मनी यदि चेकोस्लोवाकिया पर आक्रमण करता है तो इंग्लैण्ड व फ्रांस चेकोस्लोवाकिया को मदद करेंगे। इस पैक्ट में चकोस्लोवाकिया तथा रूस को अमांत्रित नहीं किया गया। जर्मनी ने तुरंत सेना भेज कर स्यूडटनलैंड पर अधिकार कर लिया। स्यूडेटनलैंड छिन जाने पर चेकोस्लोवाकिया में अराजकता की स्थिति बनी। स्लोवाकिया राज्य ने स्वायत्ता की मांग की। चेको के राष्ट्रपति हाका (Hacha) चेको में शांति स्थापना के लिए हिटलर के कहने पर जर्मनी से सहयोग मांगा। मार्च, 1939 में जर्मनी ने चेकोस्लोवाकिया पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया।
अप्रैल, 1939 में जर्मनी ने पौलैण्ड से डेन्जिग (Dazing) की मांग की और पोलैण्ड के गलियारे में रेल व सड़क यातायात की मांग की। पोलैण्ड ने जर्मनी के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। 1 सितम्बर, 1939 जर्मनी ने पोलैण्ड पर आक्रमण कर दिया। इस प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारंभ हो गया।