JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: indian

पहली महिला मुख्यमंत्री कौन थी , who was first woman chief minister of india in hindi

जाने पहली महिला मुख्यमंत्री कौन थी , who was first woman chief minister of india in hindi ?

प्रश्न: सुचेता कृपलानी
उत्तर: इनका जन्म 1908 में अम्बाला (हरियाणा) में एक बंगाली परिवार में हुआ। उनके पिता एस.एन. मजूमदार एक सरकारी डॉक्टर थे। वह 1932 में सार्वजनिक सेवा-क्षेत्र में और 1939 से सीधे राजनीतिक में भाग ले रही थीं, कांग्रेस में शामिल हो, स्वतंत्रता संग्राम में प्रत्यक्ष भाग लेने के कारण उनके कार्य से प्रभावित होकर ही गांधी ने 1940 में ‘व्यक्तिगत सत्याग्रह‘ के लिए उनके नाम का चुनाव किया था। तभी आंदोलन करती हुई वह गिरफ्तार हुई। 1945 में रिहा होने के बाद उन्होंने अपना अधिकांश समय समाज-सेवा को समर्पित कर दिया। 1947-51 में वह राष्ट्रीय कांग्रेस कार्यकारिणी की सदस्या रहीं। अक्टूबर, 1963 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री भी रहीं। अतः स्वतंत्र भारत की ‘पहली महिला मुख्यमंत्री‘ बनने का गौरव उन्हें प्राप्त हुआ।
प्रश्न: उषा मेहता
उत्तर: उषा मेहता का जन्म 20 मार्च, 1920 को सतारा में हुआ था। विल्सन कॉलेज, सूरत से बी.ए. और 1941 में बम्बई यूनिवर्सिटी में एल.एल.बी. करके एम.ए. में प्रवेश लिया ही था कि 1942 का ‘भारत छोड़ो‘ आंदोलन छिड़ गया और उषा कॉलेज की पढ़ाई छोड़, आंदोलन में कूद पड़ीं। बाबू भाई प्रसाद की सहायता से उषा ने गुप्त प्रसारण सेवा शुरू करने के लिए एक गुप्त रेडियो की स्थापना की। ऐसा ही गुप्त ट्रांसमीटर विट्ठल भाई झावेरी ने भी लगा रखा था। और उधर डा. लोहिया के साथियों का एक गुट भी गुप्त रेडियो चला रहा था। उषा के अपने ट्रांसमीटर, ट्रांसमिटिंग स्टेशन तथा रिकार्डिंग स्टेशन थे। अपने गुप्त संदेश थे और अपनी श्वेव लाइनश् थी। 9 अगस्त, 1942 को आंदोलन शुरू हुआ और 14 अगस्त, 1942 को उषा मेहता के गुप्त रेडियो का प्रसारण शुरू भी हो गया। 42-84 मीटर तक इनकी ‘रेडियो कालिंग‘ थी। वर्ष 1998 में उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। उनका निधन 11 अगस्त, 2000 को हुआ।
प्रश्न: भारत में प्रारंभिक बीसवीं शताब्दी के तीन महत्वपूर्ण महिला संगठनों का देश के समाज और राजनीति पर प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए। आपके विचार मैं, उन संगठनों के राजनीतिक उद्देश्यों के द्वारा उनके सामाजिक उद्देश्य किस सीमा तक बाधित हो गए थे?
उत्तर: भारत में 19वीं सदी के प्रारंभ में ही महिलाओं ने स्थानीय संगठनों में काम करना शुरू किया फलतः उन्होंने प्रांतीय व राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग प्रारंभ कर दिया। 1910 के बाद महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए विभिन्न महिला संगठनों ने इनका नेतृत्व अपने हाथ में लेने की घोषणा की। इन महिलाओं ने क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर महिला संगठनों की स्थापना आरंभ कर दी। 1917 ई. में ‘भारतीय महिला एसोसिएशन‘ की स्थापना मद्रास में की गई। इस संगठन ने महिला विकास के विविध आयामों को अपने उद्देश्यों में शामिल किया। यही नहीं इसने कुछ क्षेत्रों में महिलाओं क समान अधिकारों को लागू करवाने के लिए सरकार पर भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। डब्ल्यूआईए सशक्त संगठन था जिसे फंड जुटाने, सामाजिक सेवा और महिलाओं की शिक्षा को अपने गतिविधि के दायरे म रखा। उन्होंने महिलाओं के लिए समान अधिकार के लिए स्थानीय नीति को प्रभावित भी किया। इसके अलावा सामाजिक सुधार तथा मताधिकार जैसी सुविधाओं की मांग की। ‘नेशनल कौंसिल ऑफ विमेन इन इंडिया‘ (एनसीडब्ल्यूआई) की स्थापना 1925 में की गई तथा ‘अखिल भारतीय महिला कांफ्रेस‘ (एआईडब्ल्यूसी) की बैठक केवल महिला शिक्षा से संबंधित विषयों पर ही बुलाई जाती थी। इसका जोर मुख्यतः शैक्षिक, सामाजिक एवं कानूनी सुधार द्वारा महिलाओं की एकता एवं सामाजिक उत्थान का प्रयास करना था।
1927 में ‘अखिल भारतीय महिला सम्मेलन‘ का गठन हुआ। यह मूलतः महिलाओं के शिक्षा पर चर्चा के लिए बनाई गई। 1932 तक यह संस्था महिलाओं के राजनीतिक अधिकारों के साथ उन विषयों को भी अपने उद्देश्यों में शामिल करने लगी जो महिलाओं एवं बच्चों को प्रभावित करने के साथ-साथ अस्पृश्यता जैसे सामाजिक समस्याओं से भी संबंधित थे।
हालांकि समय बीतने के साथ महिलाओं के आंदोलन डब्ल्यूआईए और एआईडब्ल्यूसी जैसे दो मुख्य निकाय मजबूत होते गए। ये महिलाओं की समस्या से धीरे-धीरे समानता के पारंपरिक ढांचे के भीतर उत्थान तक जा पहुंचे। अनेक विषम परिस्थितियों के बावजूद महिलाओं के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। बाद के वर्षों में ये दोनों संगठन राष्ट्रीय आंदोलन से संबंद्ध हो गये तथा इन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने का काम किया।

प्रश्न: राष्ट्रीय आन्दोलन में महिलाओं की भूमिका की क्रमिक विवेचना
उत्तर:
1. 1870 के दशक में राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों के प्रति महिलाओं का प्रत्युत्तर।
इल्बर्ट बिल (1883) के समर्थन में महिलाओं ने ब्रिटिश गवर्नर जनरल को पत्र लिखे। राष्ट्रीय राजनीतिक संघर्ष में महिलाओं की भूमिका की यह प्रथम महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति थी।
2. कांग्रेस (1885) की स्थापना के बाद भूमिका में विस्तार
1885 में कांग्रेस की स्थापना के पश्चात् महिलाओं के कांग्रेस सत्र से जुड़ने की प्रक्रिया की शुरूआत। यद्यपि कांग्रेस के इन प्रारम्भिक सत्रों में महिलाओं की कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी, लेकिन राष्ट्रीय राजनीतिक संघर्ष में यह अखिल भारतीय राजनीतिक मंच के साथ जुड़ने के सन्दर्भ में विशेष महत्व रखता है।
1. 1889 के कांग्रेस सत्र में दस महिलाओं की सहभागिता रही।
2. 1890 के कांग्रेस सत्र में दो महत्वपूर्ण महिला कादम्बनी गांगुली व स्वर्णकुमारी घोषाल ने हिस्सा लिया। कलकत्ता विश्वविद्यालय से भारत की पहली महिला स्नातक कांदबिनी गांगुली ने 1890 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन को संबोधित किया। तत्पश्चात् कांग्रेस की प्रत्येक बैठक में महिलाओं की भागीदारी दर्ज होने लगी। विशेषकर पर्यवेक्षक के रूप में।
3. 1890 के पश्चात नियमित रूप से कांग्रेस की प्रत्येक बैठक में महिलाओं की भूमिका स्थापित होने लगी।
4. महिलाओं की सहभागिता कांग्रेस के प्रतिनिधि व पर्यवेक्षक के रूप में लेकिन मुख्य रूप से पर्यवेक्षक के रूप में ज्यादा रही।
स्वदेशी आंदोलन (1905) के बाद
ंण् 1905 में स्वदेशी आन्दोलन की शुरूआत। इसमें उग्रवादी राष्ट्रीय नेताओं के द्वारा बहिष्कार व स्वेदशी कार्यक्रमों का प्रस्तुतीकरण।
इण् आन्दोलन के दौरान महिलाओं ने इन कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार में भूमिका निभायी व स्वदेशी की भावना के विकास में भी एक आधार का निर्माण किया।
क्रांतिकारी आंतकवादी आन्दोलन में
ऽ कांतिकारी आंतकवादी आन्दोलन में महिलाओं की भूमिका के इसके प्रारंभ से शुरू हो जाती है।
ऽ कांतिकारी आतंकवाद के प्रथम चरण व पुनः द्वितीय चरण में महिलाओं की भूमिका दृष्टिगोचर होती है।
ऽ कांतिकारियों को घरेलू समर्थन प्रदान करने के साथ नेतृत्व प्रदान करने में भी भूमिका निभायी।
ऽ क्रांतिकारी आंतकवाद के दूसरे चरण में महिलाओं ने क्रांतिकारी आंतकवादी गतिविधियों में भाग लिया।
ऽ प्रीतिलता बाडेदर, कल्पना दत्त, शांति घोष, सुनीति चैधरी एवं बीना दास जैसी लड़कियों ने सूर्यसेन की क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ऽ प्रीतिलता वाड़ेदर रेलवे इंस्टीट्यूट पर छापे के दौरान मारी गई।
ऽ बीना दास ने 1932 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह के दौरान उपाधि धारण करते समय गर्वनर पर गोली चलाई।
ऽ सुनीति चैधरी व शांति घोष ने कोमिला के मजिस्ट्रेट स्टीवेन की हत्या कर दी।
ऽ कल्पना दत्त को गिरफ्तार किया गया व आजीवन कारावास की सजा दी गई।
1915-1917 के वर्षों में एनी बेसेन्ट का नेतृत्व
थियोफीकल सोसाइटी के जरिए राजनीतिक जागरूकता उत्पन्न की होमरूल आंदोलन के जरिए सरकार से स्वशासन की मांग की।
गांधीवादी के नेतृत्व काल में
1. गांधीवादी नेतृत्व में 1919 – 20 के काल में राष्ट्रीय संघर्ष में महिलाओं की सहभागिता को बल मिला।
2. गांधीजी ने महिलाओं को राष्ट्रीय आन्दोलन में भूमिका के निर्वाह के लिए प्रेरित किया, उनकी शक्ति की सराहना की। साथ ही राष्ट्रीय आन्दोलन में उनकी समान भूमिका पर बल दिया।
3. हिन्दू महिलाओं के समक्ष ‘रामायण‘ के उद्धरणों के आधार पर ब्रिटिश राज को रावण की संज्ञा दी जिसने सीता का हरण कर लिया। विचार प्रस्तुत किया कि ‘राम-राज्य‘ की स्थापना में सीता की राष्ट्रीय आन्दोलन में सहभागिता आवश्यक है।
4. मुस्लिम महिलाओं को भी गांधीजी ने प्रेरित करने का प्रयास किया। उनके समक्ष ब्रिटिश राज को ‘शैतान‘ के शासन की संज्ञा दी। विचार प्रस्तुत किया कि इस्लाम की सुरक्षा के लिए विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार आवश्यक है। गांधीजी ने उन्हें चर्खे के विचार के प्रति आकृर्षित किया। मुस्लिम महिलाओं ने अपने पतियों को आन्दोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित करने को कहा।
असहयोग आंदोलन के के दौरान महिलाओं की भूमिका का विस्तार।
1. महिलाओं के संगठन ‘राष्ट्रीय स्त्री संघ‘ की स्थापना हुई। यह एक राजनीतिक संगठन था जिसका उद्देश्य स्वराज की प्राप्ति व महिला स्वतंत्रता थी। इसकी अध्यक्ष सरोजिनी नायडू थी, इन्हीं के प्रयासों से इसकी स्थापना हुई थी।
2. सी.आर. दास के परिवार की महिला सदस्यों (उर्मिला देवी, बसन्ती देवी, सुनीती देवी) की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
3. बी अम्मा (अली बन्दुओं की माता) की भी इस बीच महत्वपूर्ण भूमिका रही।
4. इसी दौरान नेहरू परिवार की स्वरूप रानी की भूमिका भी प्रशंसनीय रही, इन्होंने सार्वजनिक प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।
5. राजकुमारी अमृत कौर, सरलादेवी चैधरानी, मुथ्थुलक्ष्मी रेडी (पहली महिला विधायक) आदि की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान महिलाओं की भूमिका
1. सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान महिलाओं की भूमिका का विस्तार दृष्टिगोचर होता है।
2. इस आन्दोलन के दौरान महिलाओं ने विशेष दायित्व का निर्वाह किया। शराब की दुकानों पर धरना दिया।
3. बाम्बे प्रान्त में महिलाओं द्वारा शराब की दुकानों पर धरना व प्रदर्शन उल्लेखनीय है।
4. धरासना सत्याग्रह (सरोजिनी नायडू के नेतृत्व में) विशेष महत्व रखता है।
5. सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान रानी गुइदाल्यू (नागालैण्ड) का विद्रोह विशेष महत्व रखता है।
6. कमला देवी चट्टोपाध्याय की भमिका भी सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान महत्वपूर्ण रही।
7. R.S.S. की महिला शाखा ‘देश सेविका संघ‘ की स्थापना 1930 ई. में हुई। इसने भी राष्ट्रीय राजनैतिक संघर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान
1. भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान महिलाओं की भूमिका पुनः दृष्टिगोचर होती है।
2. इस आन्दोलन के दौरान भूमिगत आन्दोलन में भी महिलाओं की भूमिका रही।
3. गुप्त रूप से आंदोलन संचालित किया – अरूणा आसिफ अली, सुचेता कृपलानी, ऊषा मेहता आदि ने।
4. उषा मेहता ने बाम्बे से कांग्रेस रेडियो को संचालित किया। (1942 ई. में) ‘स्वतंत्रता की आवाज‘ को स्थापित किया।
5. अरूणा आसफ अली ने भूमिगत आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इसी कारण उन्हें ‘देवी चैधरानी‘ व ‘लक्ष्मी बाई‘ का नाम दिया गया।
6. सुचेता कृपलानी की भूमिका भी दृष्टिगोचर होती है। इनकी भूमिका व्यक्तिगत सत्याग्रह (1940) में भी रही थी। इसमें उन्हें दो वर्षों का कारगार दिया गया था।
आई.एन.ए. आंदोलन
1. आई.एन.ए. में भी महिलाओं की भूमिका रही।
2. आई.एन.ए. के अन्तर्गत श्रानी झांसी रेजीमेण्टश् स्थापित किया गया था उसका प्रभार लक्ष्मी स्वामीनाथन को दिया गया था।
3. जानकी दवार की भूमिका भी में उल्लेखनीय है।
विधायिका में महिलाएं (दूसरा पक्ष)
1. महिलाओं की भूमिका का एक पक्ष विधायिका से महिलाओं का जुड़ना भी था।
2. महिलाएं राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान संसदीय गतिविधियों से जुड़ी, संसदीय सचिव व मन्त्रियों के रूप में भी कार्य किया। मुथ्थुलक्ष्मी रेड्डी प्रथम महिला विधायक के रूप में उभरी (1927 में, मद्रास क्षेत्र से)
प्रस्तावना:-
1. प्रारम्भ में महिलाएं धीमी गति से राष्ट्रीय आन्दोलन से (सहभागिता) जुड़ी।
2. गांधीवादी नेतृत्व में सहभागिता की प्रक्रिया का तीव्र होना।
3. राष्ट्रीय आन्दोलन में महिलाएं विभिन्न रूपों से जुड़ी।
4. विभिन्न गतिविधियों में सहभागिता हुई।
5. उग्रवादी (गैर संवैधानिक) गतिविधियों व क्रांतिकारी गतिविधियों में भूमिका रही। (संवैधानिक कार्यों के अलावा)
निष्कर्ष:-
1. राष्ट्रीय आन्दोलन के सामाजिक आधार (महिलाओं के जुड़ने से) का विस्तार हुआ।
2. राष्ट्रीय आन्दोलन को बहुवर्गीय आन्दोलन (महिलाओं के जुड़ने से) के रूप में बल मिला।
3. महिलाओं के जुड़ने से राष्ट्रीय एकता को बल मिला।
4. महिला जागरण, महिला स्वतंत्रता व अधिकारों को बल मिला। इसके अन्तर्गत किये जाने वाले प्रयासों को भी बल मिला।
5. आर्थिक बहिष्कार (शराब व वस्त्र की दुकानों पर धरना) में महिलाओं की भूमिका का विशेष महत्व था। इससे अंग्रेजी सरकार पर दबाव बना।
6. राष्ट्रीय आन्दोलन के आर्थिक आधार (चर्खे आदि के द्वारा) को बल प्रदान करने के अन्तर्गत भूमिका
7. गांधीवादी नेतृत्व में राष्ट्रीय आन्दोलन सत्याग्रह व अहिंसा पर आधारित था। इस अहिंसक आन्दोलन में महिलाओं की भूमिका का विशेष महत्व था। (सरकार इन पर बल प्रयोग ज्यादा नही कर सकती थी)।
8. सार्वजनिक जीवन में महिलाओं के प्रवेश को बल मिला जो सविनय अवज्ञा आंदोलन के पश्चात् स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

13 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

13 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now