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दक्षिण भारत का सबसे बड़ा मंदिर कौन सा है , which is the largest temple in south india in hindi
which is the largest temple in south india in hindi दक्षिण भारत का सबसे बड़ा मंदिर कौन सा है ?
तिरुवनामलाईः तमिलनाडु स्थित तिरुवनामलाई एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। अरुणाचल पहाड़ी पर बसे इस नगर को शिव एवं पार्वती का निवास स्थान माना जाता है। इस नगर में लगभग 100 मंदिर हैं। यहां स्थित अरुणाचल मंदिर संभवतः दक्षिण भारत का सबसे बड़ा मंदिर है। 16वीं एवं 17वीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर का एक गोपुरम 66 मीटर ऊंचा है। यहां स्थित रमन्ना महार्षि का आश्रम भी दर्शनीय है।
त्रिचूरः करे ल स्थित त्रिचरू नीलगिरि एवं पलानी पहाडियों के मध्य अवस्थित है। एक समय में कोच्चि राज्य की राजधानी रहे त्रिचूर पर 18वीं शताब्दी में टीपू सुल्तान का अधिकार था। त्रिचूर से 29 किलोमीटर दूर स्थित चेरुथुरुथी प्रसिद्ध सांस्कृतिक केंद्र है। यहां कथकली के अतिरिक्त संगीत, नाट्य, मोहिनीअट्टम तथा ओट्टम थुलाल की शिक्षा दी जाती है। त्रिचूर से कुछ दूर स्थित पीछी बांध वन्यजीव अभयार.य में नौकायन का आनंद लिया जा सकता है।
द्वारकाः गुजरात स्थित द्वारका का संबंध भगवान कृष्ण से है तथा यह वैष्णव हिंदुओं की चार पवित्र नगरियों में से एक है। द्वारका स्थित बेइट द्वारका, रुक्मणी मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, नागेश्वर मंदिर तथा गोपी तालाब तीर्थ विशेष रूप से दर्शनीय हैं।
देवप्रयागः उत्तराखंड स्थित देवप्रयाग ऋषिकेश से 68 किलोमीटर दूर स्थित है। देवप्रयाग भागीरथी एवं अलकनंदा नदियों का संगम स्थल है। दोनों नदियों के मिलन स्थल पर निर्मित घाट को भारत का आकार प्रदान किया गया है। इसी स्थल पर श्रद्धालु स्नान करते हैं। देवप्रयाग के बाद यह नदी गंगा के नाम से ही प्रवाह करती है। देवप्रयाग से 35 किलोमीटर दूर स्थित श्रीनगर प्राचीन टेहरी गढ़वाल की राजधानी थी। यहां स्थित पहाड़ी घरों के दरवाजों की खिड़कियों पर की गई नक्काशी विशिष्ट है। श्रीनगर से 35 किलोमीटर दूर रुद्रप्रयाग एक अन्य पर्यटक स्थल है। रुद्रप्रयाग से लगभग 5 किलोमीटर दूर वह स्थल स्थित है, जहां जिम काॅर्बेट ने नरभक्षी चीते को मारा था।
देवगढ़ः उत्तर प्रदेश स्थित देवगढ़ बेतवा नदी के किनारे मध्य प्रदेश सीमा पर स्थित है। देवगढ़ छठी शताब्दी के लाल बलुआ पत्थर से निर्मित दशावतार मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। खुरैया बीर मंदिर (7वीं शताब्दी) तथा किले पर निर्मित 31 जैन मंदिरों में से मंदिर-12 विशेष रूप से दर्शनीय है।
दिल्लीः भारत की राजधानी नई दिल्ली यमुना नदी के पश्चिमी किनारे पर अवस्थित है। वर्तमान दिल्ली तीन शहरों का सम्मिलित रूप है। पुरानी दिल्ली या शाहजागाबाद की स्थापना का श्रेय शाहजहां (17वीं शताब्दी) को तथा नई दिल्ली की स्थापना का श्रेय अंग्रेजों को है। नएशहर का औपचारिक उद्घाटन 9 फरवरी, 1931 को हुआ था। दिल्ली स्थित अनेक दर्शनीय स्थलों को तीन मुख्य परिसरों में विभाजित किया जा सकता है शाहजहानाबाद, कुतुबमीनार परिसर तथा तुगलकाबाद क्षेत्र। राजपथ के पूर्वी कोने में स्थित इंडिया गेट एक दर्शनीय युद्ध स्मारक है। इंडिया गेट के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित हैदराबाद हाउस तथा बड़ौदा हाउस प्रसिद्ध इमारतें हैं। मध्य दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के अतिरिक्त संसद भवन, रकाबगज गुरुद्वारा, लक्ष्मीनारायण मंदिर, हनुमान मंदिर, जंतर मंतर, राजघाट,शांति वन, विजय घाट आदि दर्शनीय हैं।
नई दिल्ली के दक्षिणी भाग में स्थित लोधी गार्डन, बड़ा गुम्बद, सफदरजंग मकबरा, हुमायूं मकबरा, कालकाजी मंदिर, बेगमपुरी मस्जिद, मोठ की मस्जिद आदि दर्शनीय हैं। पुरानी दिल्ली स्थित अष्टभुजाकार रूप में निर्मित लाल किला विशेष रूप से दर्शनीय है। लाल किले के समीप स्थित जामा मस्जिद एवं दिगम्बर जैन मंदिर भी विशेष रूप से दर्शनीय हैं। दिल्ली स्थित प्रमुख सगं्रहालय हंै राष्ट्रीय संग्रहालय, वायु सेना संग्रहालय, शिल्प संग्रहालय, गांधी संग्रहालय, आधुनिक कला की राष्ट्रीय दीर्घा, प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, लाल किला संग्रहालय आदि। दिल्ली स्थित प्रमुख उद्यान हैं बुद्ध जयंतंती उद्यान, लोध्ेधी उद्यान, राष्ट्रीªीय गुलाब उद्यान, तालकटोरेरा उद्यान आदि।
नालंदाः बिहार स्थित नालंदा में विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालय के अवशेष हैं। नालंदा में विभिन्न कालों में निर्मित 11 मठ तथा अनेक चैत्यों के अवशेष मिले हैं। इसके अतिरिक्त यहां सीढ़ियों, कुओं, कोष्ठों, कक्षों तथा अन्य इमारतों के अवशेष भी मिले हैं। यहां बुद्ध एवं मृछी की मूर्तियां भी पाई गई हैं। नालंदा के उत्तर-पश्चिम में स्थित सराय टीला में पाल वंश के हाथियों एवं घोड़ों के भित्ति-चित्र पाए गए हैं। नालंदा के उत्तर में स्थित बरगांव एवं बेगमपुर तथा दक्षिण-पश्चिम में स्थित जगदीशपुर में अनेक हिंदू एवं बौद्ध मूर्तियां हैं।
नालंदा से 13 किलोमीटर दूर बिहारशरीफ एक प्रसिद्ध मुस्लिम केंद्र है। नालंदा से कुछ दूर स्थित पावापुरी जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान जैन समुदाय के लिए विशेष महत्व रखा है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि महावीर ने यहीं ज्ञानार्जन किया था।
पटनाः बिहार की राजधानी पटना गंगा के दक्षिणी किनारे पर लगभग 15 किलोमीटर तक विस्तृत है। पटना शहर का इतिहास 2,500 वर्ष से भी पुराना है। अजातशत्रु, चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक तथा शेरशाह सूरी जैसे अनेक ऐतिहासिक व्यक्तित्व पटना से संबद्ध हैं। पटना शहर का पूर्वी भाग ऐतिहासिक धरोहरों को समेटे है तथा गंगा के किनारे बसा भाग प्रशासनिक एवं शैक्षिक रूप लिए हुए है। पटना स्थित पादरी-की-हवेली बिहार का प्राचीनतम ईसाई गिरजाघर है। कैप्टेन जोन ग्रस्टिन द्वारा 1798 में निर्मित गोलघर एक विशिष्ट अण्डरूप् गुम्बद है, जो 29 मीटर ऊंचा है। इस अण्डरूप गुम्बद का आधार 125 मीटर तथा दीवार की चैड़ाई 3-6 मीटर है। पटना के चैक क्षेत्र में स्थित हर मंदिर महाराजा रंजीत सिंह द्वारा निर्मित प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। यहां स्थित गुरुद्वारे में गुरु के चित्र, धार्मिक लेख तथा गिजी सामग्री को संकलित किया गया है। हरमंदिर से कुछ दूर किला गृह में प्रसिद्ध जलान संग्रहालय स्थित है। इसका निर्माण शेरशाह सूरी के ध्वस्त किले के ऊपर किया गया है तथा इस संग्रहालय में चीनी चित्रों के अतिरिक्त मुगल काल की बहुमूल्य वस्तुओं का भी संग्रह है। गंगा के तट पर 1621 में निर्मित पत्थर की मस्जिद का निर्माण परवेज शाह द्वारा करवाया गया था।
पटना साहिब एवं पटना जंक्शन के मध्य स्थित कुम्हरार में 600 ईसा पूर्व की ध्वस्त इमारतों के अवशेष मिले हैं। यहां मौर्य साम्राज्य के दुर्लभ लकड़ी के परकोटे तथा 400-300 ईसा पूर्व के मौर्य स्तंभ भी मिले हैं। गोलघर से 8 किलोमीटर पूर्व में कुम्हरार के समीप स्थित गुलजारीबाग पूर्व ईस्ट इंडिया कम्पनी का प्रमुख अफीम उत्पादक केंद्र था। इंदिरा गांधी विज्ञान परिसर, राज्य संग्रहालय, राजेंद्र स्मृति आश्रम पटना स्थित कुछ प्रमुख संग्राहलय हैं। यहां स्थित खुदा बक्श ओरिएंटल सार्वजनिक पुस्तकालय में दुर्लभ पर्शियन एवं अरबी पांडुलिपियों का संग्रह है। गांधी मैदान, वीर कुंवर सिंह उद्यान, संजय गांधी प्राणी उद्यान पटना स्थित कुछ प्रमुख उद्यान हैं।
पणजी (पंजिम)ः गोआ राज्य की राजधानी पणजी ग्रिड आकार लिए हुए एक प्राचीन पुर्तगली आधिपत्य में रहा शहर है। इडालकाओ महल, लार्गो डा इगरेजा चर्च, जामा मस्जिद, महालक्ष्मी मंदिर पणजी स्थित प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। पणजी के समीप स्थित मंडंडोवेवी.जुआरी मुहाना, काराबोेिलिम झील तथा सलीम अली पक्षी अभयार.य अन्य दर्शनीय स्थल हैं। मीरामर तथा डोना पाउला पणजी के समीप स्थित प्रसिद्ध समुद्र तट स्थल हैं। पणजी से 8 किलोमीटर दूर प्राचीन गोआ इस क्षेत्र का आध्यात्मिक स्थल है। यहां स्थित पम्र ख्ु ा इमारत ंे हंै कांवेंट आॅफ सैंट फ्रांसिस आॅफ असीसी, सैंट कैथरीन का प्रार्थनालय, चर्च आॅफ सैंट जोहन, बोम का महामंदिर, सैंट फ्रांसिस जेवियर का मकबरा, सैंट सेजेनन का चर्च आदि।
पद्मनाभपुरमः केरल स्थित पद्मनाभपुरम 1550 से 1750 तक त्रावणकोर राजाओं की राजधानी थी। पदमानाभापुरम स्थित प्राचीन महल में वास्तुकला तथा चित्रकारी के श्रेष्ठतम रूपों को देखा जा सकता है।
पाटनः गुजरात स्थित पाटन 8वीं शताब्दी मंे गुजरात के हिंदू राजाओं की राजधानी थी। पाटन में 100 से अधिक जैन मंदिर हैं। इनमें से कुछ में की गई आकर्षक काष्ठ नक्काशी विशेष रूप से दर्शनीय है। पाटन ‘पटोला’ साड़ियों के निर्माण का भी मुख्य केंद्र है। पाटन स्थित रानी वाव तथा सहसरा लिंगा 12वीं शताब्दी में निर्मित जलाशय हैं। पाटन के समीप स्थित बलराम, पलनपुर तथा पोशिना किला दर्शनीय स्थल हैं।
पानीपतः हरियाणा स्थित पानीपत प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल है, यहां 1526, 1556 तथा 1761 में तीन ऐतिहासिक लड़ाइयां हुई थीं। अबू अली कंधार की दरगाह पानीपत स्थित एक प्राचीन दर्शनीय इमारत है। पानीपत से 34 किलोमीटर दूर स्थित करनाल का संबंध महाभारत काल से है। करनाल से 3 किलोमीटर उत्तर में स्थित उछाना प्रसिद्ध प्राकृतिक झील है।
पुरीः ओडिशा स्थित पुरी जगन्नाथ मंदिर के लिए संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। ‘सबारस’ आदिवासी जगजाति समूह यहां वास करने वाले प्राचीनतम लोग थे। यहां स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बालभद्र एवं सुभद्रा को काष्ठ रूपों में सुसज्जित किया गया है। रघुनंदन पुस्तकालय, जय बलिया परिसर विशेष रूप से दर्शनीय हैं। इस मंदिर को श्वेत मंदिर (पैगोडा) की संज्ञा भी दी जाती है। जगन्नाथ मंदिर की रथ यात्रा संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। जगन्नाथ ‘रथ’ आधार पर 13 मीटर होता है तथा इसमें 16 पहिये लगे रहते हैं, जिनका व्यास 2 मीटर होता है। पुरी स्थित चार प्रसिद्ध जलाशयों में भक्त पवित्र स्नान सुख प्राप्त करते हैं, इनमें नरेंद्र जलाशय सबसे प्रमुख है। पुरी का सुगहरी बालू वाला समुद्र तट भी दर्शनीय है। पुरी से 22 किलोमीटर दूर स्थित सखी गोपाल अपने गोपाल मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। अथरनाला सेतु में हजारों भक्त पवित्र स्नान करते हैं। जून-जुलाई में आयोजित प्रसिद्ध रथ यात्रा के अतिरिक्त अप्रैल में आयोजित चंदन यात्रा का भी विशेष महत्व है।
पौंडाः गोआ स्थित पौंडा पुर्तगलियों द्वारा अधिकृत किए गए प्राचीनतम प्रांतों में से एक है। आदिल शाही द्वारा निर्मित पौंडा किला तथा 1560 में निर्मित साफा मस्जिद यहां स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक हैं। पौंडा में देवी दुग्र को समर्पित अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, इनमें 1738 में निर्मित शांता दुग्र मंदिर सबसे प्रसिद्ध है।
फतेहपुर सीकरीः उत्तर प्रदेश में फतेहपुर सीकरी आगरा से 37 किलोमीटर दूर पश्चिम मंे अवस्थित है। यहां स्थित शाही महल के दर्शनीय स्थलांे मंे सम्मिलित हैं दिवान-ए-आम, पच्चीसी बोर्ड, दिवान-ए-खास, सिंहासन स्तंभ, आंख मिचैली, तुर्की के सुल्तान का निवास, दौलतखाना-ए-खास, ख्वाबबाग, सुगहरा मकान, पंचमहल, जोधाबाई महल, हवा महल, नगीना मस्जिद, राजा बीरबल का महल आदि। शाही महल के समीप स्थित जामी मस्जिद,शेख्ेख सलीम चिश्ती का मकबरा तथा नवाब इस्लाम खां का मकबरा अन्य दर्शनीय स्थल हैं। फतेहपुर सीकरी स्थित बुलंद दरवाजा की स्थापना 1576 में अकबर द्वारा गुजरात की विजय की याद में की गई थी।
बादामीः कर्नाटक स्थित दो ऊंची लाल बलुआ पत्थर पहाड़ियों के मध्य एक घाटी में अवस्थित बादामी 543-757 ईसवी तक चालुक्यों की राजधानी थी। इस प्राचीन नगर में अनेक हिंदू एवं जैन मंदिर तथा बौद्ध गुफाएं हैं। यहां स्थित दक्षिण किला गुफा मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। भूतनाथ झील के समीप स्थित बौद्ध मंदिर एक प्राकृतिक गुफा के समीप अवस्थित है। 7वीं शताब्दी में निर्मित मालेगिट्टि शिवालय मंदिर चालुक्य शैली का श्रेष्ठतम उदाहरण है। उत्तरी किले के अधिकतर मंदिर सातवीं शताब्दी के हैं। बादामी से 5 किलोमीटर दूर स्थित महाकुटा में चालुक्यों द्वारा निर्मित महाकुटेश्वर मंदिर, मल्लिकार्जुन मंदिर तथा नागनाथ मंदिर भी दर्शनीय हैं।
बद्रीनाथः उत्तरांचल स्थित बद्रीनाथ (3,150 मीटर) हरिद्वार से 361 किलोमीटर दूर स्थित है। हिंदू शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि बद्रीनाथ यात्रा के बिना कोई भी धर्म यात्रा पूर्ण नहीं है। बद्रीनाथ का मंदिर हरे, नीले, गुलाबी, पीले, सफेद, सिल्वर तथा लाल रंग से रंगा हुआ है। मंदिर-दर्शन के उपरांत यहां स्थित तप्त कुंड में स्नान करना परम्परागत रूप से अनिवार्य-सा हो गया है बद्रीनाथ के समीप स्थित कुछ प्रसिद्ध स्थल एवं शिखरांे मंे सम्मिलित हंै गोचर, करणप्रयाग, चमोली, जोशीमठ, कैलाश पर्वत, मानसरोवर झील, औली, घंघरिया, हेमकुंड। घंघरिया से 4 किलोमीटर दूर स्थित पुष्प घाटी राष्ट्रीय उद्यान गोविंदघाट से घंघरिया तक फैला हुआ है। ब्रदीनाथ से 25 किलोमीटर दूर स्थित हिम झील सतोपंथ अन्य प्रसिद्ध स्थल है। यहां स्थित 44 मीटर ऊंचे वसंुधरा जल-प्रपात का विशेष महत्व है।
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