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महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहाँ हुई , where gautama buddha attained enlightenment in hindi
where gautama buddha attained enlightenment in hindi महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहाँ हुई ?
बोधगयाः बिहार स्थित बोधगया निरंजन (फालगु) नदी के किनारे स्थित एक प्रसिद्ध बौद्ध स्थल है। बोधगया स्थित पीपल वृक्ष के नीचे ही बुद्ध ने ज्ञानार्जन किया था। दिसंबर-जनवरी में दलाई लामा यहां 6 सप्ताह तक रहते हैं तथा प्रतिदिन प्रातः प्रार्थना में भाग लेते हैं। यहां निर्मित 54 मीटर ऊंचे पिरामिड आकार के महाबोधी मंदिर में बुद्ध की आसन पर बैठे हुए ध्यानमग्न एक मूर्ति है। इसी मंदिर के दक्षिण में कमल सरोवर है, जहां बुद्ध ने स्नान किया था। यहां स्थित वज्रशिला वह स्थान है, जहां बैठकर बुद्ध ने ध्यान लगाया था। अनिमेशलोछना अन्य प्रसिद्ध स्थल है, जहां बुद्ध एक सप्ताह तक पीपल को देखते हुए उसके सम्मान में खड़े रहे थे। इसी के समीप अनेक तिब्बती, जापानी, थाई, चीनी तथा भूटानियों ने भी मंदिरों का निर्माण किया है। यहां स्थित जापानी मंदिर के समीप ही बुद्ध की विशाल मूर्ति है जो 20 मीटर ऊंची है। इतिहास, संस्कृति तथा दर्शन का अंतरराष्ट्रीय केंद्र मगध विश्वविद्यालय महाबोधी मंदिर से 1 किलोमीटर दूर स्थित है। बोधगया स्थित पुरातत्व संग्रहालय में बुद्ध तथा हिंदू देवताओं की स्वर्ण, चांदी एवं ताम्र मूर्तियां संग्रहीत हैं। बोधगया से 20 किलोमीटर दूर दक्षिण में प्रसिद्ध शेरघाटी स्थित है। बोधगया से 150 किलोमीटर दूर स्थित पारसनाथ जैन समुदाय का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।
भरमौरः हिमाचल प्रदेश स्थित भरमौर अपने प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में यहां 9 नाथ और 84 सिद्ध एकत्रित हुए थे। भरमौर से 48 किलोमीटर दूर स्थित मन्महेश में एक बहुत प्रसिद्ध झील है। यहां भाद्र महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मेले का आयोजन किया जाता है। भरमौर से 23 किलोमीटर दूर स्थित छत्राणी सुंदर देवी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर काष्ठ-निर्मित है तथा पूरा मंदिर एक यंत्र के सहारे घूम जाता है।
भोपालः मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल दो प्राकृतिक झीलों एवं ढलाननुमा पहाड़ियों से घिरी है। भोपाल शहर के निर्माण का श्रेय 11वीं शताब्दी के राजा भोज को दिया जाता है। भोपाल स्थित गुलाबी ताज-उल मस्जिद (1878) भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। भोपाल स्थित मोती मस्जिद (1860) का निर्माण दिल्ली की जामा मस्जिद को आधार बनाकर किया गया था। शौकत महल में पूर्व-पुगर्जागरण काल एवं गोथिक शैलियों का समावेश है। बिरला संग्रहालय तथा राज्य पुरातात्विक संग्रहालय भोपाल स्थित प्रमुख संग्रहालय हैं। भोपाल से 30 किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर का शिव मंदिर दर्शनीय है। यहां भोजेश्वर मंदिर, जैन मंदिर भी हैं। भोपाल से 40 किलोमीटर दूर स्थित भीमबेटका प्रागैतिहासिक काल के चित्रों तथा पुरातात्विक खोजों की दृष्टि से दक्षिण एशिया का सबसे समृद्ध क्षेत्र है।
मंडीः शिवालिक पर्वतश्रेणी के मध्य तथा व्यास नदी के बायीं ओर स्थित मंडी हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख नगर है। मंडी प्राकृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, आर्थिक आदि सभी दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। मंडी में पत्थरों को तराश कर बनाये ये मंदिरांे की सख्ंया 81 है। मंडी स्थित कुछ प्रमुख मंदिर है त्रिलोकी नाथ मंदिर,श्यामकाली मंदिर, पंचवक्व्रा मंदिर एवं भूतनाथ मंदिर आदि। यहां प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। रिवाल्सर झील तथा सुंदरनगर स्थित महामाया मंदिर अन्य प्रसिद्ध स्थल हैं।
मथुराः उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के पश्चिमी किनारे पर अवस्थित मथुरा एक प्रसिद्ध हिंदू स्थल है। जिसका इतिहास 600 ईसा पूर्व का है। कृष्ण जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्ध इस नगरी में अनेक दर्शनीय मंदिर हैं। केशवदियो मंदिर यहां स्थित सबसे प्रमुख मंदिर है, ऐसी मान्यता है कि कृष्ण का जन्म इसी मंदिर में हुआ था। इसके समीप निर्मित नये केशव मंदिर का निर्माण बीर सिंह ने करवाया था। इसके निकट स्थित पोतरा कुंड एक दर्शनीय जलाशय है। यमुना के किनारे पर स्थित विश्राम घाट यहां का प्रमुख घाट है। सती बुर्ज, कंस किला, कटड़ा, होली गेट, जामी मस्जिद यहां स्थित अन्य दर्शनीय स्थल हैं।
मथुरा से 15 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित महावन नंद कृष्ण महल के लिए प्रसिद्ध है। यहां से 2 किलोमीटर दूर गोकुल में विष्णु कृष्ण के रूप् में अवतरित हुए थे। मथुरा के 21 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित बल्देव मंे खीरसागर तथा एक प्रसिद्ध मंदिर है। मथुरा से 26 किलोमीटर पश्चिम में स्थित गोवर्धन, हरिदेव मंदिर तथा राधा कुंड अन्य दर्शनीय स्थल हैं। मथुरा के समीप स्थित सबसे धार्मिक स्थल वृंदावन है। यहां स्थित प्रसिद्ध मंदिरों में सम्मिलित है गोविंद देव (1890), श्रीरंगनाथजी मदन मोहन मंदिर, 16वीं शताब्दी का जगत कृष्ण मंदिर, बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर। यहां स्थित कुछ अन्य प्रसिद्ध मंदिर जिनके अवशेष मात्र ही शेष हंै जुगल किशोर, राधा वल्लभ मंदिर। वृंदावन के शरदोत्सव एवं रथ यात्रा का भी विशेष महत्व है।
मदुरैः तमिलनाडु स्थित मदुरै नगर की प्रसिद्धि यहां निर्मित मंदिरों के कारण है। मदुरै स्थित तिरुमलाई नायक महल विशेष रूप से दर्शनीय है। यनाई महल एवं अलगार मंदिर मदुरै के समीप स्थित अन्य दर्शनीय स्थल हैं। मदुरै से 45 किलोमीटर दूर स्थित मनमदुरै पेरुमल मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। मदुरै से कुछ दूर स्थित तिरुपाराकुंदरम का हिंदू मंदिर 8वीं शताब्दी की समाधियों तथा सुब्रह्म.यम गुफा मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
ममालपुरमः तमिलनाडु स्थित ममालपुरम अपने 14 गुफा मंदिरों, 9 एकाश्म रथों तथा तीन शैल मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित मंडपों (गुफाओं) में गणेश मण्डप, वराह मण्डप प्रमुख हैं। पंच रथ 7वीं शताब्दी के मध्य में निर्मित प्रसिद्ध शैल मंदिर है।
महाबलेश्वरः महाराष्ट्र स्थित महाबलेश्वर पश्चिमी घाट के पश्चिमी भाग में अवस्थित है। महाबलेश्वर की स्थापना जनरल लाॅडविक ने 1824 में की थी। कृष्णबाड़ी, राम तथा हनुमान यहां स्थित तीन प्रसिद्ध मंदिर हैं।
महेश्वरः मध्य प्रदेश में नर्मदा के उत्तरी किनारे पर स्थित महेश्वर प्राचीन राजा कीर्तिविरार्जुन की राजधानी महिश्मठी थी। महश्े वर शहर का वणर्न रामायण एवं महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। महेश्वर स्थित किले के अंदर अवस्थित महल में होल्कर परिवार से संबंधित वस्तुओं को दर्शाया गया है। नदी के किनारे पर स्थित पेशवा, फेनिसि एवं अहिल्या घाट दर्शनीय हैं। महेश्वर स्थित दर्शनीय मंदिर हंै कालेश्वर, राजराजेश्वर, विट्ठलेश्वर एवं अहिलेश्वर आदि। महेश्वर के दक्षिण में स्थित नवदतोली,एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है, जहां 1500 ईसा पूर्व से 1200 ईसा पूर्व के अवशेष मिले हैं। महेश्वर से 61 किलोमीटर उत्तर में स्थित ओमकारेश्वर (मंदहाटा) नर्मदा एवं कावेरी के संगम पर अवस्थित प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल है। यहां स्थित श्री ओमकारेश्वर महादेव मंदिर में 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक स्थापित है।
मांडूः मध्य प्रदेश में स्थित मांडू का संबंध छठी शताब्दी से है। मांडू स्थित शाही परिसर में दिलवर खान की मस्जिद (1405), हाथी पोल, हिंडोला महल, चम्पा बौली, जहाज महल, तवेली महल आदि दर्शनीय हैं। मांडू किले के मध्य भाग में होशांग शाह का मकबरा, जामा मस्जिद, अशर्फी महल हैं। किले के सागर तलाब क्षेत्र में हाथी महल, दय्या खान का मकबरा, मलिक मुगिथ मस्जिद, दाई.का-महल आदि दर्शनीय हैं। रिवा कुंड क्षेत्र में स्थित रिवा कुंड एक पवित्र स्थल है तथा रूपमती पवेलियन एवं बाज बहादुर का महल अन्य स्थल हैं।
माउंट आबूः यह राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी केंद्र है, जो पर्यटकों को ग्रीष्म ऋतु में शीतलता प्रदान करता है। माउंट आबू में राजस्थान की सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर (1727 मीटर) स्थित है। माउंट आबू से 3 किलोमीटर उत्तर में स्थित दिलवाड़ा के जैन मंदिर संगमरमर की उत्कृष्ट वास्तुकला एवं सुंदर सज्जा के प्रतीक हैं। यहां स्थित पांच मुख्य मंदिरों में से दो मंदिर (वास्तुपाल और तेजपाल) अपनी सूक्ष्म कलात्मक खुदाई के लिए प्रसिद्ध हैं। गौमुख तथा विमलशाही यहां स्थित अन्य प्रसिद्ध मंदिर हैं। दिलवाड़ा से 6 किलोमीटर दूर अचलगढ़ में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग के स्थान पर ‘ब्रह्म खड्ड’ है। अचलगढ़ स्थित अन्य प्रसिद्ध मंदिर कान्तीनाथ जैन मंदिर है।
मुडाबिडरीः कर्नाटक स्थित मुडाबिडरी को प्रायः जैन वाराणसी कहा जाता है। यहां 18 जैन बस्तियां हैं, जिनमें हजार-स्तंभ वाली चंद्रन्था बस्ती सबसे प्रसिद्ध है। जैन मठ तथा छोटा महल भी दर्शनीय है। मुडाबिडरी से 17 किलोमीटर दूर स्थित करकाला में गोमतेश्वर की एकाश्म प्रतिमा है। मुडाबिडरी से 18 किलोमीटर दूर स्थित श्रीगेंरी का संबंध शंकराचार्य (7वीं शताब्दी) से है। शंकराचार्य द्वारा स्थापित मठ के अतिरिक्त यहां विद्याशंकर मंदिर तथा शारदा देवी मंदिर दर्शनीय हैं।
मुर्शिदाबादः पश्चिम बंगाल स्थित मुर्शिदाबाद प्राचीन बंगाल की पहली राजधानी थी। मुर्शिदाबाद 1757 तक बंगाल की राजधानी रही। मुर्शिदाबाद से 6 किलोमीटर दूर प्लासी में ही 1757 का प्रसिद्ध प्लासी युद्ध हआ था। मुर्शिदाबाद स्थित पम्र खु स्थल हंै गिजामत किला, हजारद्वार महल, इमामबाड़ा, जफरÛंजंज ड्य्योढेढ़ी, कटगोलेला जगत सेटेट का महल, कटरा मस्जिद, मोतेती झील, खोशबाग आदि।
मेरठः उत्तर प्रदेश स्थित मेरठ 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख केंद्र था। मेरठ अपने ऐतिहासिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है। 1821 में निर्मित सैंट जोहन गिरजाघर, बालेश्वरनाथ मंदिर, जोवलभीर माल द्वारा 1714 में निर्मित सूरज कुण्ड, जामा मस्जिद, शाहपीर मकबरा (1628), आबू मकबरा, कुतुबुद्दीन एबक द्वारा निर्मित सालार मसूद गाजी का मकबरा यहां स्थित प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक हैं।
मैसूरः कनार्ट क स्थित मैसूर महलांे, चदं न की लकड़ी तथा अगरबत्ती उत्पादन का प्रमुख केंद्र है। मैसूर सिटी पैलेस का निर्माण 1897 में हुआ था। मैसूर स्थित सिटी पैलेस भारत के सबसे बड़े महलों में से एक है। चामुंडी पहाड़ी पर स्थित चामु.डेश्वरी मंदिर, सैंट फीलोमेना कैथेड्रल अन्य प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल हैं। मैसूर से 19 किलोमीटर दूर स्थित वृंदावन उद्यान, कृष्णसागर बांध तथा 12 किलोमीटर दूर स्थित श्री महालिंगेश्वर मंदिर अन्य दर्शनीय स्थल हैं। मैसूर में आयोजित दस दिवसीय दशहरा उत्सव का विशेष महत्व है।
मोडेहराः गुजरात स्थित मोडेहरा सोलकीं काल (8-13वी ं शताब्दी) मंे निमिर्त प्रसिद्ध सूर्य मंदिर (1026) के लिए दर्शनीय है। इस मंदिर के निर्माण का श्रेय भीमदेव-प् को है। ऐसी मान्यता है कि यहां स्थापित सूर्य प्रतिमा (अब नहीं) पर सूर्य की पहली किरण पड़ती थी। सूर्य मंदिर का सभा मंडप विशेष रूप से दर्शनीय है।
राजगीरः बिहार स्थित राजगीर पाटलिपुत्र से पूर्व मगध साम्राज्य की राजधानी थी। वनों से घिरा यह प्रदेश बौद्ध एवं जैन समुदाय के लिए धार्मिक महत्व रखता है। दोनों समुदायों की मान्यता है कि बुद्ध एवं महावीर ने अनेक वर्षों तक यहां उपदेश दिए हैं। यहां स्थित गृडकुटा मौर्य सम्राट बिम्बसार का सर्वप्रिय स्थल था। यहां पाई गई दो गुफाओं में से सप्तपर्णी गुफा में पहली बौद्ध सभा हुई थी। सप्तपर्णी गुफा के समीप ही एक पीपला मचान है, जो कि पत्थर के खण्डों से निर्मित है। यह मचान लगभग 24 मीटर वग्रकार तथा 7 मीटर ऊंचा है।
राजगीर स्थित अजातशत्रु किला ईसा पूर्व 5वीं शताब्दी का है। इसकी बाहरी दीवार में प्रयुक्त पत्थर 1 से 1-5 मीटर लम्बे हैं। कहीं-कहीं यह पत्थर 4 मीटर ऊंचे तथा 5-5 मीटर चैड़े हैं। इस किले के अंदर के भाग में प्रसिद्ध जैन स्थल मनियार मठ स्थित है। इसके समीप स्थित वेणुवाणा बांस निर्मित प्रसिद्ध उपवन है, जहां बुद्ध ने अपना कुछ समय व्यतीत किया था। वेणुवाणा के दक्षिणी भाग में प्रसिद्ध जैन एवं हिंदू मंदिर हैं। जापानियों द्वारा निर्मित विश्व शांति स्तूप तथा निपोगजन मयोहोजी राजगीर स्थित अन्य प्रसिद्ध स्थल हैं।
बीदरः कर्नाटक के उत्तरी भाग में स्थित बीदर बहमनी राजाओं की राजधानी था। यहां निर्मित किला आज भी दक्कन में मुस्लिम वास्तुकला को जीवित रखे हुए है। किले के अंदरूनी भाग का निर्माण मुहम्मद शाह ने करवाया था। शरजा दरवाजा (1503) तथा 1420 में निर्मित गुंबद दरवाजा विशेष रूप से दर्शनीय हैं। रंगीन महल,शाही मतबक,शाही हमाम, लाल बाग, तरकश महल, गगन महल, दीवान-ए-आम, तख्त महल, हजार कोठरी तथा नौबत खाना आदि विशेष रूप से दर्शनीय हैं। बीदर के पुराने शहर में स्थित महमूद गवन का मदरसा (1472), चैबारा, जामी मस्जिद (1430), काली मस्जिद (1694) हब्शी कोट, नरसिंह झारनी आदि भी दर्शनीय हैं। अश्तूर स्थित बहमनी मकबरे, हजरत खलील उलाह की चैंखडी, बरीद शाही मकबरे तथा सिखों का पवित्र स्थल नानक झेरा भी दर्शनीय हैं।
बीजापुरः कर्नाटक स्थित बीजापुर अपने मकबरों, मस्जिदों तथा महलों में उत्तरी भारत के मुस्लिम रूप को समाये हुए है। अली आदिल शाह द्वारा निर्मित जामा मस्जिद दक्षिण भारत की सबसे श्रेष्ठ मस्जिदों में से एक है। इसके अतिरिक्त गगन महल, इब्रा्राहिम रोजा, गोल गुम्बद, जल मंजिल, मेहेहतर महल तथा असर महल आदि विशेष रूप से दर्शनीय हैं। बारा कमान में स्थित 24 मीटर ऊंचा उपली बुर्ज भी विशेष रूप से दर्शनीय है।
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