JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

भारत में पहली जूट मिल कहाँ स्थापित की गई | बंगाल में पहली जूट मिल कब स्थापित की गई थी when was the first jute industry set up in india

when was the first jute industry set up in india in hindi भारत में पहली जूट मिल कहाँ स्थापित की गई | बंगाल में पहली जूट मिल कब स्थापित की गई थी india’s first jute mill was established in 1854 in hindi

उत्तर : भारत देश में जूट का प्रथम कारखाना अथवा मील सन 1859 में स्कॉटलैंड के जार्ज ऑकलैंड नामक एक व्यापारी ने बंगाल में श्रीरामपुर के निकट स्थापित किया गया था |

जूट मिल उद्योग
मुख्य रूप से युद्धकालीन माँग के कारण, 1942-43 तक भारत में जूट मिलों की संख्या बढ़ कर 113 हो गई। इनमें से 101 पश्चिम बंगाल में स्थित थे। किंतु विभाजन का इस उद्योग के भविष्य पर भी प्रभाव पड़ा। सूती वस्त्र उद्योग के साथ जो कुछ हुआ था वह इस उद्योग के साथ भी घटित हुआ: कच्चे जूट के उत्पादन का अधिकांश हिस्सा पाकिस्तान में चला गया जबकि अधिकांश जूट मिलें भारत में ही रह गई। कच्चे जूट की सतत् आपूर्ति प्राप्त करने में कठिनाई, पाकिस्तान में स्थापित नए जूट मिलों से प्रतिस्पर्धा की शुरुआत, और पैकेजिंग सामग्री के रूप में जूट की घटती हुई माँग, इन सबका भारत में जूट उद्योग के खराब कार्य निष्पादन में योगदान रहा। यहाँ तक कि 1950 में कोरियाई युद्ध के परिणामस्वरूप उत्पन्न अनुकूल माँग भी इस उद्योग को पुनःजीवित नहीं कर सकी।

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् जूट से बनी सामग्रियों के अत्यधिक ऊँचे मूल्य के कारण पैकेजिंग मैं जूट उत्पादों के लिए स्थानापन्न की खोज तेज हो गई। युद्ध काल के दौरान जूट उत्पादों के अत्यधिक माँग के कारण जूट का मूल्य बहुत अधिक हो गया था। स्थानापन्न उत्पादों की माँग बढ़ने के साथ जूट सामग्रियों के विश्व उत्पादन में भारतीय उत्पादन का हिस्सा द्वितीय विश्व युद्ध से ठीक पहले के वर्षों में 60 प्रतिशत से गिर कर 1953-54 में 55 प्रतिशत रह गया था। इसी अवधि के दौरान भारत के कुल निर्यात में जूट सामग्रियों के निर्यात का अनुपात भी 89 प्रतिशत से गिरकर 83 प्रतिशत रह गया।

चीनी उद्योग
भारत में अत्यन्त ही प्राचीन काल से गन्ने से चीनी बनाने की घरेलू विधि प्रचलित थी। तथापि पुरानी विधियों से तैयार चीनी उतनी परिष्कृत नहीं होती थी जितना कि इन दिनों मिल में तैयार चीनी होती है। फिर भी, एशिया और यूरोप के अनेक भागों से भारतीय चीनी की भारी माँग थी। ईस्ट इंडिया कंपनी, ब्रिटिश सरकार के वेस्ट इंडीज में पैदा किए गए चीनी को बढ़ावा देने के निर्णय से काफी पहले से ही बंगाल से चीनी का निर्यात करती थी।

1937 में, चीनी मिलों ने ‘‘शुगर सिंडिकेट‘‘ की स्थापना की, यह एक संयुक्त विपणन व्यवस्था थी जिसका उद्देश्य उनमें परस्पर अत्यधिक प्रतिस्पर्धा को कम करना था। इसने 1937-40 के दौरान चीनी के मूल्यों को अलाभप्रद स्तर तक गिरने से रोका। वर्ष 1942 तक चीनी मूल्य सांविधिक नियंत्रण के अध्यधीन था जो 1947-49 के दौरान विनियंत्रण की संक्षिप्त अवधि को छोड़ कर युद्धोत्तर वर्षों में भी जारी रहा। विनियंत्रण की इस अवधि के दौरान ‘‘शुगर सिण्डिकेट‘‘ ने कृत्रिम रूप से चीनी मूल्य को बढ़ा दिया, फलतः 1950 में टैरिफ बोर्ड ने सिण्डिकेट को फटकार लगाई। तत्पश्चात, सिण्डिकेट स्वैच्छिक रूप से विघटित हो गया।

1930 के दशक के मध्य से, भारत अपनी घरेलू आवश्यकताओं को पूरी करने के बाद प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर पड़ोसी देशों को चीनी का निर्यात करने की स्थिति में था। किंतु 1937 के ‘‘इंटरनेशनल शुगर कन्वेन्शन‘‘ ने भारत पर अगले पाँच वर्षों तक सिर्फ बर्मा को चीनी निर्यात करने की पाबंदी लगा दी। इस प्रतिबंध को 1940 में अस्थायी तौर पर शिथिल किया गया ताकि भारत यूनाइटेड किंगडम को चीनी का निर्यात कर सके। तथापि, निर्यातित चीनी के मूल्य को लेकर दोनों देशों के बीच असहमति के कारण यह निर्यात नहीं किया जा सका। किंतु प्रतिबंध की अवधि पूरी हो जाने के बाद, घरेलू माँग में इतनी वृद्धि हुई कि यह देश की उत्पादक क्षमता को पार कर गई। उत्पादन की बढ़ती हुई घरेलू लागत के कारण भारत को निर्यात से होने वाला लाभ भी नहीं के बराबर रह गया।

वर्ष 1947-48 में भारत में लगभग 135 चीनी मिलें थीं जिसमें करीब 120,000 श्रमिक कार्यरत थे। किंतु चीनी उत्पादन के मौसमी होने के कारण इनमें से अधिकांश श्रमिकों को एक वर्ष में छः से आठ महीने तक ही रोजगार मिलता था।

सीमेण्ट उद्योग
1936 में दस प्रमुख सीमेण्ट उत्पादकों के एसोसिएटेड सीमेण्ट कंपनी में समामेलन के साथ भारत में सीमेण्ट उद्योग के संगठन में सुधार आया। इससे सीमेण्ट उद्योग उत्पादन की तकनीकी और विपणन व्यवस्था दोनों में सुधार कर सका। उस समय, डालमिया समूह भी सीमेण्ट उद्योग में एक बड़ा नाम था जिसकी अनेक बड़ी सीमेण्ट कंपनियाँ थीं। तथापि, यह समूह ए सी सी संघ (कार्टेल) से बाहर रहा।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, सीमेण्ट की माँग में कमी आई जिसका आंशिक कारण विशेष रूप से निर्माण कार्य के लिए पूरक सामग्री इस्पात की आपूर्ति में कमी आना था। तथापि, सीमेण्ट के निर्यात की व्यवस्था की गई और सीमेण्ट का उत्पादन अत्यधिक उच्च स्तर पर बना रहा। इस प्रकार युद्ध काल के दौरान सीमेण्ट उद्योग का विकास मुख्यतया विदेशी माँग से प्रेरित था। युद्ध पश्चात् अवधि में निर्माण कार्यकलापों के पुनः शुरू होने के बाद ही सीमेण्ट के घरेलू माँग में वृद्धि हुई। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय सीमेण्ट का उत्पादन प्रतिवर्ष 20 लाख टन पार कर गया।

 सूती वस्त्र उद्योग
प्रथम विश्व युद्ध के आरम्भ के साथ ही सूती धागों और कपड़ों की थानों के निर्यात के कुछ महत्त्वपूर्ण बाजार भारत के हाथ से निकल गए। इंग्लैंड के युद्ध में पूरी तरह से फँसे होने के कारण मिल मशीनों तथा चक्कियों के पाट आयात नहीं किए जा सके। युद्धकाल में वस्तुतः, सूती मिलों की संख्या में मामूली गिरावट आई।

देश के आंतरिक हिस्सों में स्थापित मिलों की तुलना में बॉम्बे मिलों को अधिक नुकसान उठाना पड़ा। इसके कई कारण थे। बॉम्बे मिलों की स्थापना इस उद्योग के विकास के आरम्भिक वर्षों में हुई थी और ये मोटा धागा तथा कपड़ा का उत्पादन करने में सक्षम थे। देश और विदेशों में बाजार की दशाओं में परिवर्तन से इन किस्मों का उत्पादन उत्तम किस्मों, जिनका उत्पादन देश के आंतरिक भागों में नए-नए स्थापित मिलों में हो सकता था की तुलना में कम लाभप्रद रह गया।

अप्रैल, 1932 में दूसरी बार सूती मिल उद्योग के लिए टैरिफ बोर्ड का गठन किया गया जिसे मार्च 1933 के पश्चात् उद्योग को संरक्षण जारी रखने के प्रश्न पर विचार करना था। जापानी मुद्रा (येन) के विनिमय मूल्य में निरंतर मूल्य हास के कारण अभी भी अत्यन्त ही कठिन जापानी प्रतिस्पर्धा मौजूद थी। इसकी सिफारिश पर गैर-ब्रिटिश कपड़े की थानों पर मूल्यानुसार शुल्क 31.25 प्रतिशत से बढ़ा कर 50 प्रतिशत और स्पष्ट अपरिभाषित वस्तुओं पर न्यूनतम विनिर्दिष्ट शुल्क 5/- प्रति पौंड कर दिया गया।

द्वितीय विश्व युद्ध ने उद्योग के विस्तार के लिए अनुकूल अवसर प्रदान किया। 1947 में संरक्षण समाप्त कर दिया गया। अप्रैल 1951 में, देश में पहले से ही 378 सूती मिल थे। यह उद्योग विश्व में तीसरा सबसे बड़ा उद्योग बन गया। तथापि, इस उद्योग को विभाजन के समय करारा झटका लगा जब कच्चे कपास के उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान में चला गया जबकि प्रायः 99 प्रतिशत मिल भारत में रह गई।

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

3 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

5 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

7 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

7 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

7 days ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now