JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Uncategorized

भारत का संविधान कब लागू हुआ , संविधान क्या है भारत का संविधान कब बनकर तैयार हुआ when indian constitution came into effect in hindi

when indian constitution came into effect in hindi भारत का संविधान कब लागू हुआ , संविधान क्या है भारत का संविधान कब बनकर तैयार हुआ ?

भारत का संविधान
हमारा वर्तमान संविधान-भारत का प्रथम संविधान जो भारत के लोगों द्वारा बनाया तथा स्वयं को समर्पित किया गया-संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर, 1949 को अंगीकार किया गया था। यह 26 जनवरी, 1950 से पूर्णरूपेण लागू हो गया था। मूल रूप में स्वीकृत संविधान में 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं। इस समय जो पाठ हमारे सामने है, वह इसका समय समय पर सशोधित रूप है जिसमें कुछ अनुच्छेद संशोधनों के द्वारा निकाल दिए गए और कुछ के साथ क, ख, ग आदि करके नये अनुच्छेद जोड़ दिए गए। इस समय गणना की दृष्टि से कुल अनुच्छेद (1 से 395 तक) वस्तुतया 440 हो गए हैं। अनुसूचियां 8 से बढ़कर 12 हो गई हैं। पिछले 45 वर्षों में 78 संविधान संशोधन विधेयक पारित हुए हैं।
संविधान के स्रोत
भारत के संविधान के स्रोत नानाविध तथा अनेक हैं। ये देशी भी है तथा विदेशी भी। सविधान निर्माताओं ने इस बात को स्पष्ट कर दिया था कि वे नितांत स्वतंत्र रूप से या एकदम नये सिरे से संविधान-लेखन नहीं कर रहे। उन्होने जानबूझकर यह निर्णय लिया था कि अतीत की उपेक्षा न करके पहले से स्थापित ढाचे तथा अनुभव के आधार पर ही संविधान को खडा किया जाए। भारत के संविधान का एक समन्वित विकास हुआ। यह विकास कतिपय प्रयासो के पारस्परिक प्रभाव का परिणाम था। स्वाधीनता के लिए छेड़े गए राष्ट्रवादी संघर्ष के दौरान प्रतिनिधिक एव उत्तरदायी शासन संस्थानों के लिए विभिन्न मांगें उठाई गई और अग्रेज शासकों ने झींक झींककर बड़ी कजूसी से समय समय पर थोडे थोड़े सवैधानिक सुधार किए। प्रारंभिक अवस्था में यह प्रक्रिया अति अविकसित रूप मे थी, कितु राजनीतिक संस्थान-निर्माण, विशेष रूप से आधुनिक विधानमंडलों का सूत्रपात 1920 के दशक के अंतिम वर्षों में हो गया था। वास्तव में, संविधान के कुछ उपबंधों के स्रोत तो भारत मे ईस्ट इंडिया कपनी तथा अंग्रेजी राज के शैशव काल में ही खोजे जा सकते है।
राज्य के नीति-निदेशक तत्वो के अतर्गत ग्राम पंचायतों के संगठन का उल्लेख स्पष्ट रूप से प्राचीन भारतीय स्वशासी सस्थानों से प्रेरित होकर किया गया था। 73वे तथा 74वें सविधान संशोधन अधिनियमो ने उन्हे अब और अधिक सार्थक तथा महत्वपूर्ण बना दिया है।
कतिपय मूल अधिकारो की मांग सबसे पहले 1918 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में की गई थी। भारत के राज्य-संघ विधेयक में, जिसे राष्ट्रीय सम्मेलन ने 1925 में अंतिम रूप दिया था, विधि के समक्ष समानता, अभिव्यक्ति, सभा करने और धर्म पालन की स्वतंत्रता जैसे अधिकारों की एक विशिष्ट घोषणा सम्मिलित थी। 1927 में कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया था जिसमें मूल अधिकारों की मांग को दोहराया गया था। सर्वदलीय सम्मेलन द्वारा 1928 में नियुक्त मोतीलाल नेहरू कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में घोषणा की थी कि भारत की जनता का सर्वोपरि लक्ष्य न्याय सीमा के अधीन मूल मानव अधिकार प्राप्त करना है। यहां यह उल्लेखनीय है कि नेहरू कमेटी की रिपोर्ट में जो उन्नीस मूल अधिकार शामिल किए गए थे, उनमें से दस को भारत के संविधान में बिना किसी खास परिवर्तन के शामिल कर लिया गया है। 1931 में कांग्रेस के कराची अधिवेशन में पारित किए गए प्रस्ताव में न केवल मूल अधिकारो का बल्कि मूल कर्तव्यों का भी विशिष्ट रूप से उल्लेख किया गया था। 1931 के प्रस्ताव मे वर्णित अनेक सामाजिक तथा आर्थिक अधिकारो को संविधान के निदेशक तत्वों में समाविष्ट कर लिया गया था। मूल संविधान में मूल कर्तव्यों का कोई उल्लेख नहीं था किंतु बाद में 1976 मे सविधान (बयालीसवा) सशोधन अधिनियम द्वारा इस विषय पर एक नया अध्याय संविधान में जोड़ दिया गया था।
संविधान में ससद के प्रति उत्तरदायी संसदीय शासन प्रणाली, अल्पसंख्यको के लिए रक्षोपायों और संघीय राज्य व्यवस्था की जो व्यवस्था रखी गई उसके मूल स्रोत भी 1928 की नेहरू कमेटी रिपोर्ट में मिलते है। अंततः कहा जा सकता है कि संविधान का लगभग 75 प्रतिशत अंश भारत शासन अधिनियम, 1935 से लिया गया था। उसमें बदली हुई परिस्थितियों के अनुकूल कुछ आवश्यक संशोधन मात्र किए गए थे। राज्य व्यवस्था का बुनियादी ढांचा तथा संघ एवं राज्यों के संबंधों, आपात स्थिति की घोषणा आदि को विनियमित करने वाले उपबंध अधिकांशतया 1935 के अधिनियम पर आधारित थे।
देशी स्रोतों के अलावा संविधान सभा के सामने विदेशी संविधानों के अनेक नमूने थे। निदेशक तत्वों की संकल्पना आयरलैंड के संविधान से ली गई थी। विधायिका के प्रति उत्तरदायी मंत्रियों वाली संसदीय प्रणाली अंग्रेजों से आई और राष्ट्रपति में संघ की कार्यपालिका शक्ति तथा संघ के रक्षा बलों का सर्वोच्च समादेश निहित करना और उपराष्ट्रपति को राज्य सभा का पदेन सभापति बनाने के उपबंध अमरीकी संविधान पर आधारित थे। कहा जा सकता है कि अमरीकी संविधान में सम्मिलित अधिकार पत्र भी हमारे मूल अधिकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत था।
कनाडा के संविधान ने, अन्य बातों के साथ साथ, संघीय ढांचे और संघ तथा राज्यों के संबंधों एवं संघ तथा राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण से संबंधित उपबंधों को प्रभावित किया। सप्तम अनुसूची में समवर्ती अनुसूची, व्यापार, वाणिज्य तथा समागम और संसदीय विशेषाधिकारों से संबंधित उपबंध, संभवतया आस्ट्रेलियाई संविधान के आधार पर तैयार किए गए। आपात स्थिति से संबंधित उपवध, अन्य बातों के साथ साथ, जर्मन राज्य‘ संविधान द्वारा प्रभावित हुए थे। न्यायिक आदेशो तथा संसदीय विशेषाधिकारों के विवाद से संबंधित उपबधों की परिधि तथा उनके विस्तार को समझने के लिए अभी भी ब्रिटिश संविधान का सहारा लेना पड़ता है।
संविधान का निर्वचन कानूनों के निर्वचन के लिए लागू सामान्य नियम सवैधानिक निर्वचन के क्षेत्र मे भी उतने ही मान्य है। किंतु संविधान मूलभूत तथा सर्वोच्च विधि होता है। वह विधायिका का सृजन करता है और उसके अतर्गत देश की सभी विधियां बनाई जाती हैं तथा वे वैधता प्राप्त करती है। उदार निर्वचन के सिद्धात के अनुसार संविधान का निर्वचन उदार दृष्टि से किया जाना चाहिए, संकीर्ण दृष्टि से नहीं । संविधान के निर्वचन के लिए सामान्य नियमों के अलावा कुछ विशेष नियम भी हैं।
संविधान के प्रत्येक उपबध की व्याख्या इस तरह से की जानी चाहिए जिससे उसमे प्रयोग में लाए गए प्रत्येक शब्द को अर्थ तथा प्रासंगिकता मिले। उच्चतम न्यायालय द्वारा यह निर्णय दिया गया है कि जब तक अन्यथा निर्दिष्ट न हो, प्रत्येक शब्द इसके सामान्य या साधारण अर्थ मे प्रयोग किया गया समझा जाता है और उसका सीधा सादा व्यावहारिक अर्थ लिया जाना चाहिए। (केशवानन्द भारती बनाम केरल राज्य (1973) 4 एस सी सी 225)।
सविधान के निर्वचन का उद्देश्य संविधान निर्माताओ की मंशा को समझना होता है। कितु इसे मूलपाठ में प्रयुक्त वास्तविक शब्दों से समझा जाना चाहिए। यदि किसी संवैधानिक उपबंध की भाषा स्पष्ट तथा असंदिग्ध है, तो संविधान की भावना या संविधान-निर्माताओं द्वारा संविधान सभा में व्यक्त किए गए विचार जैसी बातें निर्वचन के लिए बेमायने हैं। किंतु यदि भाषा की अस्पष्टता के कारण उसके एक से अधिक अर्थ लगाए जा सकते हों तो इन पर स्पष्टीकरण के लिए विचार किया जा सकता है। (मेनन बनाम बंबई राज्य, ए आई आर 1951 एस सी 128, गोपालन बनाम मद्रास राज्य, ए आई आर 1950 एस सी 27)।
अनिवार्य है कि संविधान को, उसके प्रत्येक भाग को उचित महत्व देते हुए, समग्र रूप में पढ़ा जाए। जहां दो उपबंध परस्पर विरोधी प्रतीत हों, वहां समरस-संरचना-सिद्धांत के अंतर्गत उनका यह अर्थ स्वीकार कर लेना चाहिए जो दोनों उपबंधों को प्रभावी बनाता हो तथा उसके सुप्रवाही तथा समरस प्रवर्तन को सुनिश्चित करता हो ख्देखिये वेंकटरामन बनाम मैसूर राज्य, ए 1958 एस सी 225, मद्रास राज्य बनाम चम्पकम, (1951) एस सी आर, 5257, गोपालन बनाम मद्रास राज्य (1950) एस सी आर 88, ।
‘पृथक्करण के सिद्धांत‘ के अंतर्गत यदि किसी उपबंध का कोई भाग अविधिमान्य पाया जाए तो शेष भाग की विधिमान्यता पर उसका कोई असर नहीं होना चाहिए बशर्ते इसे अपेक्षित भाग से पृथक किया जा सकता हो तथा यह अपने आप में पूर्ण हो। ख्गया प्रताप सिंह बनाम इलाहाबाद बैंक, ए आई आर 1955 एस सी 765, गोपालन बनाम मद्रास राज्य, (1950) एस सी आर 88, ।
गोलकनाथ के मामले में हमारे उच्चतम न्यायालय द्वारा अपनाए गए भावी विरुद्ध-निर्णय के सिद्धांत के अनुसार न्यायालय द्वारा दिए गए किसी निर्वचन तथा इसके द्वारा घोषित विधि को प्रतीप दिशा में अथवा किसी पिछली तारीख से लागू नहीं किया जाना चाहिए अर्थात अतीत के कार्यों की विधिमान्यता प्रभावित नहीं होनी चाहिए। (गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य, ए आई आर 1967 एस सी 1643)।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

17 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

17 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now