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कृषि क्या है , कृषि कितने प्रकार की होती है , what is agriculture in hindi , खरीफ , जलवायु , बागाती कृषि
(what is agriculture in hindi ) कृषि :
प्राथमिक क्रियाकलाप :
फसल उत्पादन : खेती बाड़ी , वानिकी , मत्स्यन , पशुपालन
वानिकी , मत्स्यन , पशुपालन – जैविक संसाधन
फसल उत्पादन , खेती-बाड़ी
- प्रबन्धन
- चयन
- रोपण
- काटा जाना
- शुद्धकरण
A. खरीफ – गर्मी – जुलाई-अक्टूबर
B. रबी – शीत – नवम्बर – मार्च
C. जायद – मई-जून
भारत कृषि की विशेषताएं –
- मानसून पर निर्भर है।
- भारत उष्णकटिबंधीय फसलो का उत्पादन होता है।
- भारत में बड़े क्षेत्र पर खरीफ की फसल उत्पादन की जाती है।
- भारत में तीन ऋतुओ के आधार पर उपलब्धता ताप , दाब , वर्षा आदि के कारण तीन तरह की फसलो का उत्पादन होता है।
खरीफ : जुलाई से अक्टूबर तक इसकी फसल की किस्म –
1. ज्वार 2. बाजार 3. मक्का 4. चावल 5. मूंगफली 6. मूंग 7. मोठ 8. गन्ना 9. तेल 10. चाय 11. कपास 12. उड़द
जलवायु : तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस , वर्षा 90-100 और चावल व गन्ना सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है।
रबी : नवम्बर – मार्च तक
इसकी फसल की किस्मे –
1. गेंहू 2. जौ 3. चना 4. तारामीरा तरो 5. अरहर 6. अलसी 8. सरसों 9. राई
जलवायु : तापमान 10-20 डिग्री सेल्सियस
इसका उत्पादन नदियों घाटियों पास होती है।
जायद : मई से जून तक
इसकी किस्म –
1. खरबूजा 2. तरबूज 3. ककड़ी सभी प्रकार बेलदार वाली फसले
जलवायु : तापमान 30-40 डिग्री सेल्सियस
यह अधिक तापमान में उगाई जाती है।
प्रश्न : भारतीय कृषि की विशेषताओं पर एक लेख लिखिए।
उत्तर : भारतीय कृषि की विशेषताएँ : भारत में अति प्राचीनकाल से अधिकांश खाद्यान के रूप में एवं परम्परागत रूप से कृषि की जाती रही है। विगम दशको से कृषि का आधुनिकीकरण एवं वैज्ञानिकीकरण हो रहा है।
भारतीय कृषि में मुख्य विशेषताएं इस प्रकार है –
- जनसंख्या की निर्भरता
- मानसून पर निर्भरता
- सिंचाई की सुविधाओ का अभाव
- प्रति हेक्टेयर कम उत्पादन
- चारा फसलो की कमी
- कृषि जोतो का छोटा आकार
- सिंचाई के साधनों का सिमित विकास
- खाद्यानो की प्रधानता
- फसलो की विविधता
कृषि के प्रकार :
- प्रारंभिक कृषि (स्थानीय कृषि) व कर्तन व दहन कृषि
- प्रारंभिक स्थानी कृषि-मैदानी कृषि
- गहन निर्वहन कृषि
- व्यापारिक कृषि-बागाती कृषि
- विस्तृत अनाज कृषि
उत्तरी पूर्वी भारत में इसको झुमिग कृषि कहते है।
ऐसी अर्थव्यवस्था जहाँ लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि कार्य करते है उसे ही निर्वहन कृषि कहते है।
छोटे खेत जोतो के आहार में अधिक श्रम ,उत्तम उर्वरक , अधिक पूंजी ही गहन निर्वहन कृषि कहते है।
इनके दो रूप होते है –
1. चावल प्रधान गहन – इसमें मुख्य चावल होते है।
चावल विहीन गहन – चावल के अलावा कुछ भी बोना
बागाती कृषि :
उद्देश्य :
- अधिक में अधिक लाभ कमाना।
- ज्यादा पूंजी ज्यादा श्रम खेती बाड़ी करना।
- बड़े बड़े बागान लगाना।
रूप : चाय , कहवा , कोपी , आदि।
विस्तृत अनाज कृषि : जहाँ जनसंख्या दबाव कम और बड़े खेतो में कम सदस्य मशीनों से कार्य उपजाऊता कम कम लागत प्रति व्यक्ति अधिक मुनाफा मिलता है।
प्रश्न : भारत में कृषि के प्रकारों का विस्तृत वर्णन कीजिये।
उत्तर : भारतीय कृषि के प्रकारों :
1. निर्वहन एवं व्यापारिक कृषि।
निर्वहन कृषि –
आदिम निर्वहन कृषि –
- स्थानांतरित कृषि
- स्थायी कृषि
गहन निर्वहन कृषि :
- चावल प्रधान कृषि
- गेहूँ प्रधान कृषि
2. आद्र एवं शुष्क कृषि : शुष्क
3. गहन व विस्तीर्ण कृषि : विस्तीर्ण कृषि
निर्वहन एवं व्यापारिक कृषि : भारत में जीवन निर्वहन कृषि एक परम्परागत कृषि विधि रही है , स्वतंत्रता पूर्व से यह जीवन निर्वहन करने वाली एक गहन कृषि के रूप में प्रचलित थी। उस समय किसान की जोत का आकार छोटा था और बैलो की सहायता से हल चलाकर खेती करता था। इन खेतो पर परिवार के सदस्य ही श्रमिक के रूप में कार्य करते थे। खेती करने का तरीका पुराना ही था।
जैविक कृषि : हरित क्रान्ति –
- गहन सिंचाई
- उन्नत बीज
- रासायनिक उर्वरक
- शक्ति कपास – BT कपास
वेसिल्स युरेन्जेसीस पशुओ को ऑक्सी टोसिन का इंजेक्शन दिया जाता था।
कृषि की पैदावर में तीव्र गति से पैदावार होना हरित क्रान्ति कहलाती है।
1. जैविक खाद एवं परम्परागत तरीके से कीट जाने वाली कृषि जैविक कृषि कहते है।
रासायनिक : रासायनिक खादों व कीटनाशक दवाओ को वनस्पति के पत्तो का उपयोग करना।
प्रश्न : जैविक व रासायनिक कृषि में अंतर स्पष्ट कीजिये।
उत्तर : जैविक कृषि :
- जैविक खाद परम्परागत तरीको से की जाने वाली खेती है।
- जैव पदार्थो द्वारा निर्मित खादों का प्रयोग किया जाता है।
- जैविक कृषि में मानव श्रम अधिक लगता है।
- जैविक खाद घर व फ़ार्म पर ही तैयार की जाती है।
- जैविक खाद भूमि के उपजाउपन को बढाने में सहायक होती है।
रासायनिक कृषि :
- रासायनिक कृषि में जल का अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है।
- रासायनिक कृषि से जैव विविधता पर विनाशात्मक प्रभाव पड़ता है।
- रासायनिक खाद से भूमि की उर्वरकता शक्ति नष्ट होती है।
- रासायनिक खाद से भूमि की उर्वरक शक्ति कम होती है।
- रासायनिक खाद औद्योगिक केन्द्रों में तैयार की जाती है।
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