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Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in hindi for Measurement of Cell Potential or E.M.F ?
गिब्ज ऊर्जा एवं सेल विभव (Gibbs Energy & Cell Potential )
एक उत्क्रमणीय गेल्वनी सेल से यदि अनन्त सूक्ष्म विद्युतधारा प्राप्त होती है (उत्क्रमणीयता की शर्त) ये हल पर वैद्युत कार्य सेल द्वारा प्राप्त विद्युत की मात्रा तथा सेल के वि.वा. बल का गुणनफल होता है।
माना कि एक सेल अभिक्रिया में ग्रा. तुल्यांक अभिकारक उत्पादों में परिवर्तित होते हैं अर्थात् एक इलेक्ट्रॉन पर मुक्त हुये अथवा अवशोषित हुये इलेक्ट्रॉनों की संख्या n हो तो कुल प्रवाहित धारा की मात्रा n फेराडे (nF) होगी। यदि सेल का वि. वा. बल E हो तो-
बैत कार्य = nFE………….(1)
चूंकि यह वैद्युत कार्य, गिब्ज द्वारा परिभाषित मुक्त ऊर्जा (Gibbs Free Energy) G के व्यय होने पर होता है, अतः मुक्त ऊर्जा में कमी (-G) किये गये वैद्युत कार्य के बराबर होती है।
-G=nFE …..(2)
जैसा कि हमें ज्ञात है, स्वतः अभिक्रियाओं के लिये G का मान ऋणात्मक होता है, अतः इन अभिक्रियाओं द्वारा उत्पन्न वि.वा.बल धनात्मक होंगे। जिन अभिक्रियाओं के G के मान धनात्मक होते है वे अस्वतः अभिक्रियायें होती है अतः इन अभिक्रियाओं द्वारा उत्पन्न वि.वा.बल ऋणात्मक होंगे, उसकी सेल अभिक्रिया स्वतः नहीं होंगी, साम्यावस्था पर सेल का वि. वा. बल तथा G का मान शुन्य होगा। सारणी 6.1 संक्षेप में उपरोक्त कथन को प्रदर्शित करती है।
मुक्त ऊर्जा, वि.वा. बल व अन्य ऊष्मागतिकी फलन
(Free Energy, E.M.F. and other Thermodynamic Functions)
सेल के वि.वा.बल को अन्य ऊष्मागतिक फलन जैसे एन्थेल्पी परिवर्तन (H). एन्ट्रापी परिवर्तन (S) आदि ज्ञात करने में भी उपयोग में लाया जाता है।
ऊष्मागतिकी में गिब्ज हेल्मोट्ज समीकरण (Gibbs Helmholtz Equation) एक महत्वपूर्ण समीकरण है जो कि इस प्रकार व्यक्त की जाती है।
यहाँ – G व-H स्थिर दाब पर इस तंत्र की मुक्त ऊर्जा में कमी तथा एन्थेल्पी में कमी है। एन्थेल्पी में कमी (-AH) को स्थिर दाब पर अभिक्रिया ऊष्मा कहते हैं।
समीकरण (2) द्वारा – G का मान प्रतिस्थापित करने पर
यहाँ
यदि वि.वा.बल का ताप गुणांक ज्ञात हो तो समीकरण (8) द्वारा एन्ट्रोपी परिवर्तन (S) का मान ज्ञात किया जा सकता है।
मानक सेल विभव द्वारा साम्य स्थिरांक का निर्धारण (Determination of Equilibrium Constant from Standard Cell Potential)
मानक सेल विभव जिसका मान मानक इलेक्ट्रोड विभव द्वारा ज्ञात किया जाता है का उपयोग करके अभिक्रिया के साम्य स्थिरांक का निर्धारण किया जाता है। एक रासायनिक अभिक्रिया को दो अर्द्धसेलों की अभिक्रियाओं का युग्म माना जाता है। उदाहरण के
यह एक सामान्य अभिक्रिया है। यदि इस अभिक्रिया का साम्य स्थिरांक K हो तो-
यहां यह ध्यान रखना चाहिऐ कि पदार्थ का सक्रिय द्रव्यमान तथा सक्रियता का अर्थ समान है यदि इस अभिक्रिया को सैल अभिक्रिया मान लिया जाये तो नेर्न्स्ट समीकरण द्वारा इसका सेल विभव व्यक्त किया जा सकता है।
उपरोक्त अभिक्रिया साम्यवस्था में हो तो सेल विभव (Ecell) का मान शून्य होता है। समीकरण (9) से K का मान रखने पर
नेर्स्ट समीकरण (The Nernst’s Equation)
ऊष्मागतिक मान्यताओं के आधार पर नेर्न्स्ट ने एक समीकरण व्युत्पन्न की है जो कि सेल के वि.. वा. बल, इलेक्ट्रोड की प्रकृति, ताप, विलयन तथा विलयन में उपस्थित आयनों की सक्रियता में सम्बन्ध दर्शाती है।
माना कि एक उत्क्रमणीय गैल्वनी सेल में एक सामान्य सेल अभिक्रिया निम्नलिखित है-
इस अभिक्रिया की मुक्त ऊर्जा में परिवर्तन (AG) का मान निम्न ऊष्मागतिक समीकरण द्वारा लिखा जाता है-
यहाँ aA, aB aC तथा ay क्रमशः A. B. C. तथा D की सक्रियतायें (activities) हैं। G° मानक अवस्था ऊर्जा परिवर्तन है अर्थात् जबकि अभिकारकों एवं उत्पादों की सक्रियतायें इकाई हों । समीकरण (2) द्वारा G तथा G° का मान समीकरण ( 13 ) में प्रतिस्थापित करने पर
समीकरण ( 14 ) नेर्स्ट समीकरण कहलाती है
यहां n सेल अभिक्रिया में स्थानान्तरित होने वाले इलेक्ट्रानों की संख्या, T परमताप व F फेराडे है । E° मानक वि.वा.ब. (Standard E.M.F.) अथवा मानक सेल विभव (Standard Cell Potential ) है । यदि अभिकारक एवं उत्पादों की सक्रियतायें इकाई हों (अर्थात aA = aB = ac = aD = 1) तो समीकरण (14) के अनुसार-
E=E°
अतः सेल अभिक्रिया में जब अभिकारक एवं उत्पादों की सक्रियतायें इकाई हो तो सेल का वि. वा. बल ही मानक वि.वा.बल कहलाता है। एक निश्चित ताप पर E° का मान नियतांक (constant) होता है और यह सेल का अभिलाक्षणिक गुण (characteristic property) है।
समीकरण (14) को निम्न प्रकार भी लिखा जा सकता है-
यह मान समीकरण (15) में प्रतिस्थापित करने पर 298 K पर सेल का वि. वा. बल. निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है-
यहां यह ध्यान रखना चाहिये कि ठोस पदार्थों, द्रवों (जैसे Hg Br, आदि) तथा 1 वायुमण्डल दाब पर गैस की सक्रियतायें इकाई होती है । चूंकि तनु विलयनों में सक्रियताओं के मान लगभग सान्द्रता के समान मान लिये जाते हैं अतः नेर्स्ट समीकरण को निम्न प्रकार भी व्यक्त कर सकते हैं-
सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन (Measurement of Cell Potential or E.M.F)
जैसा कि पूर्व में परिभाषित किया जा
चुका है, खुले परिपथ में (अर्थात् जबकि सेल से कोई विद्युतधारा न हो रही हो) इलेक्ट्रोडों का विभवान्तर सेल का वि.वा.बल अथवा सेल विभव कहलाता है। इसका मापन परिपथ में वोल्टमीटर लगाकर नहीं किया जा सकता है क्योंकि इस प्रक्रम में कुछ न कुछ धारा परिपथ में प्रवाहित होगी। सेल विभव का सही मापन पोगेन्डार्फ संपूरक सिद्धान्त (Poggendorffs Compensaion principle) पर आधारित है। इसके अनुसार यदि सैल विभव के बराबर विभव, अन्य सैल द्वारा विपरीत दिशा में लगाया जाये तो परिपथ में धारा प्रवाहित नहीं होगी। इस अवस्था में अन्य सैल द्वारा लगाया विभव ही सैल विभव अथवा सैल का वि.वा.बल होगा।
इस सिद्धान्त को चित्र 6.2 में दर्शाये अनुसार साधारण पोटेन्श्योमीटर द्वारा समझाया जा सकता है। AB एक समान अनुप्रस्थ काट तथा उच्च प्रतिरोध का तार है जो कि पोटेन्श्योमीटर सर्पण तार (Potentiometer sliding wire) कहलाता है। स्थिर वि. वा. बल को एक संचायक सैल “C” जिसका वि. वा. बल मापे जाने वाले सैल के वि. वा. बल से अधिक हो A तथा B सिरों से जोड़ दिया जाता है। अज्ञात वि. वा. बल के सेल X का एक टर्मिनल A से इस प्रकार जोड़ा जाता है कि इसका वि.वा.बल C के वि. वा. बल का विरोध करे। सेल X का दूसरा टर्मिनल एक गेल्वेनोमीटर G द्वारा सर्पी सम्पर्क Z से जोड़ा जाता है। अब इस सर्पी सम्पर्क को तार AB पर चला कर स्थिति D प्राप्त की जाती हैं जबकि गेल्वेनोमीटर में कोई धारा प्रवाहित न हो। यह तब ही संभव है जबकि सेल X का वि.वा.बल संचायक सेल C के तार की लम्बाई AD में विभव के पतन को संतुलित कर ले। अतः सेल X का विभव Ex ताप की लम्बाई AD समानुपाती होगा।
अब इस परिपथ में X के स्थान पर एक मानक सेल S (Standard Cell) लगाया जाता है। पूर्व में बतायी विधि द्वारा सर्पी सम्पर्क को समायोजित करके बिन्दु D’ प्राप्त किया जाता है जबकि गेल्वेनोमीटर कोई धारा प्रवाहित न हो। इस अवस्था में मानक सेल विभव Es तार की लम्बाई AD’ के समानुपाती होगा उपरोक्त कथनों को गणितीय रूप में लिखने पर –
AD तथा AD’ को सरलता से पोटेन्श्यिोमीटर स्केल पर मापा जा सकता है। मानक सेल विभव Es ज्ञात हो तो Ex के मान की गणना की जा सकती है।
वेस्टन मानक सेल (Weston Standard Cell)
उपरोक्त विधि से यह स्पष्ट है कि किसी सेल का वि.वा.बल मापने में मानक सेल विभव की महत्वपूर्ण भूमिका है, अतः इसका मान स्थिर रहना आवश्यक है। एक अच्छे मानक सेल में निम्नलिखित गुण अपेक्षित हैं-
(a) सेल का स्थिर (Constant) तथा पुररुत्पादनीय (reproducable) वि.वा.बल देना ।
(b) सेल का अनुत्क्रमणीय ( reversible) होना ।
(c) सेल का ताप गुणांक कम होना।
वेस्टन मानक सेल अथवा केडमियम सेल में उपरोक्त गुण पाये जाते हैं, अतः इस सेल को ही मानक सेल के रूप में काम में लिया जाता है।
यह सेल कांच का H आकृति के पात्र का बना होता है, जिसकी नलियां निचले सिरे पर बन्द रहती है। इन नलियों की तली में Pt में तार घुसे रहते हैं ताकि अन्दर के विलयन से विद्युत सम्बन्ध बनाया जा सके। इस प्रकार का सेल चित्र 6.3 में दिखाया गया है।
एक नली के पेंदे में शुद्ध Hg, Hg तथा Hg2SO4 से बनी लेई (paste) तथा ठोस
यह सेल जब कार्य करता है तो इसकी स्वतः अभिक्रिया निम्न प्रकार होती है-
इस सेल का 273K पर वि.वा. बल 1.01832 वोल्ट तथा 298K पर 1.01807 वोल्ट होता है तथा ताप गुणाक 0.0005 वोल्ट K-1 है।
6. II सेल विभव की ताप पर निर्भरता (The Temperature dependence of Cell Potential)
समीकरण (8) S, तथा ताप गुणांक में सम्बन्ध प्रदर्शित करती है-
माना कि T1 तथा T2 ताप पर क्रमशः ET1 तथा ET2 सेल के वि.वा.ब. है ।
समीकरण (19) का उपरोक्त सीमाओं में समाकलन करने पर
चूंकि S का मान ताप पर निर्भर नहीं करता। अतः S को स्थिर मान लिया जाता है।
समीकरण (20) ताप पर सेल विभव की निर्भरता प्रदर्शित करती है। यदि किसी ताप T, पर सेल I ET, ज्ञात हो तो अन्य ताप T2 पर सेल विभव ET2 ज्ञात किया जा सकता है। सामान्य सेल विभव 25°C पर मापा जाता है, यदि किसी ताप पर सेल विभव ज्ञात करना हो तो समीकरण (20) को इस प्रकार भी लिखा जा सकता है-
एकल इलेक्ट्रोड विभव (Single Electrode Potential)
एक सम्पूर्ण सेल दो अर्ध सेलों अथवा दो इलेक्ट्रोड़ों के युग्मन से बनता है। एक इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण होता है, अर्थात् इलेक्ट्रॉन निकलते हैं, जबकि दूसरे पर अपचयन होता हैं अर्थात् इलेक्ट्रॉन ग्रहण किए जाते हैं। यदि किसी इलेक्ट्रोड को उसके आयनों के संपर्क में रखा जाता है तो उसकी इलेक्ट्रॉन त्यागने अथवा ग्रहण करने की प्रवृति ( Tendency) इलेक्ट्रोड विभव (Electrode Potential) कहलाती है। यदि इलेक्ट्रोड इलेक्ट्रॉन त्यागता है तो विभव ऑक्सीकरण विभव (Oxidation Potential) कहलाता हैं यदि एक इलेक्ट्रोड का ऑक्सीकरण विभव +ve (धनात्मक) है तो उसका अपचयन विमव -ve (ऋणात्मक) होगा यह तथ्य विलोमतः भी हो सकता है।
सम्पूर्ण सेल के वि.वा.बल का मान तो पूर्व में वर्णित विधि द्वारा मापा जा सकता है परन्तु इलेक्ट्रोड विभव के परम मान (Absolute Value) का मापन संभव नहीं है। इलेक्ट्रोड विभव एक मानक इलेक्ट्रोड के विभव के सन्दर्भ में मापा जा सकता है। इस कार्य के लिए मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड (Standard Hydrogen Electrode- SHE ) का उपयोग किया जाता है। इसे नार्मल हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड (Normal Hydrogen Electrode) भी कहते हैं। इसका आरेख निम्न प्रकार लिखा जाता है-
मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड का विभव स्वेच्छा से शून्य माना जाता है। जिस इलेक्ट्रोड का विभव ज्ञात करना होता है, उसे मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के साथ युग्मित करके सेल बना लिया जाता है और इस प्रकार बने सेल का वि.वा.बल ज्ञात कर लेते हैं ।
माना कि एक इलेक्ट्रोड M | Mn + है, जिसका इलेक्ट्रोड विभव ज्ञात करना है। इस इलेक्ट्रोड को मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के साथ युग्मित करके इसके निम्नलिखित सेल बनाते हैं-
इस सेल का वि.वा.बल पोटेन्शयोमीटर द्वारा ज्ञात कर लेते है। चूंकि मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड का विभव शून्य है, अतः सेल का वि.वा.बल ही इलेक्ट्रोड का हाइड्रोजन मापक्रम पर इलेक्ट्रोड विभव होगा। उपरोक्त सेल की अभिक्रियाओं को निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है-
2 इलेक्ट्रोड विभव के चिन्ह-(Sign of Electrode Potential) : IUPAC की परिपाटी (Convention) के अनुसार मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के साथ युग्मित करने पर यदि इलेक्ट्रोड पर (reduction) होता है तो इलेक्ट्रोड विभव को धनात्मक चिन्ह (Positive Sign) दिया जाता है। इसी प्रकार यदि मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के संदर्भ में इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण होता है तो इलेक्ट्रोड विभव को ऋणात्मक चिन्ह (Negative sign ) दिया जाता है।
उपरोक्त सेल में धातु इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण अभिक्रिया हो रही है अतः इलेक्ट्रोड विभव E(Mn+M) ऋणात्मक होगा। माना कि सेल,
इलेक्ट्रोड तथा सेल अभिक्रिया निम्न प्रकार से लिखी जा सकती है।
चूंकि Zn इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण हो रहा है अतः E(zn2+ Zn) ऋणात्मक होगा।
चूंकि Cu इलेक्ट्रोड पर अपचयन हो रहा है अतः E(Cu2+.Cu) धनात्मक होगा।
यहां यह ध्यान रखना चाहिये कि इलेक्ट्रोड विभव हमेशा अपचयन अभिक्रियाओं के लिये लिखा जाता. है, अतः इसे अपचयन विमव (Reduction Potential) कहते हैं तथा E (Mn+ M) द्वारा व्यक्त किया जाता है।
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