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तरंग फलन की परिभाषा , क्या है , तरंगफलन के गुण , क्वाण्टम यांत्रिकी के अभिग्रहित
(wave function in hindi) तरंग फलन : किसी सूक्ष्म कण की समैहि पर स्थित आदि की जानकारी के लिए जो गणितीय फलन काम आता है उसे तरंग फलन कहते है।
इसे Ψ(x,t) से दर्शाते है।
तरंगफलन का वर्ग अर्थात Ψ2 किसी परमाणु में नाभिक के चारों ओर electron के पाए जाने की संभावना को दर्शाता है।
परमाणु में नाभिक के चारों ओर वह क्षेत्र जहाँ Ψ2 का मान अधिकतम होता है , वहाँ electron पाये जाने वाले की सम्भावना अधिक होती है उसे कक्षक कहते है।
इसे Ψ(x,t) से दर्शाते है।
तरंगफलन का वर्ग अर्थात Ψ2 किसी परमाणु में नाभिक के चारों ओर electron के पाए जाने की संभावना को दर्शाता है।
परमाणु में नाभिक के चारों ओर वह क्षेत्र जहाँ Ψ2 का मान अधिकतम होता है , वहाँ electron पाये जाने वाले की सम्भावना अधिक होती है उसे कक्षक कहते है।
तरंगफलन के गुण
1. तरंग फलन Ψ का वास्तविक होना आवश्यक नहीं होता , यह सम्मिश्रण भी हो सकता है।
2. तरंगफलन Ψ का मान सभी जगह परिमित (finite) होना चाहिए , यदि Ψ का मान किसी बिन्दु पर अपरिमित (infinite) होता है तो ऐसा तरंग फलन अस्वीकार्य (not acceptable ) होता है।
3. तरंग फलन(Ψ) का मान सतत होना चाहिए।
4. तरंगफलन Ψ का एक बिन्दु एक ही मान मान होना चाहिए अर्थात यह single valued होना चाहिए। यदि किसी बिन्दु पर Ψ के एक से अधिक मान होते है तो वह तरंग फलन अस्वीकार्य होता हैं।
क्वाण्टम यांत्रिकी के अभिग्रहित (postulates of quantum mechanics )
अभिग्रहित – 1 : किसी भी प्रेक्षण योग्य भौतिक राशि के लिए एक संगत तरंग फलन होता है अर्थात किसी भी तंत्र की भौतिक अवस्था समय T पर एक तरंगफलन द्वारा व्यक्त की जाती है। Ψ(x,t)
अभिग्रहित – 2 : तरंग फलन (Ψ(x,t)) इसका प्रथम derivatives (dΨ(x,t)/dx ) , इसका second derivative (d2 Ψ(x,t)/dx2) x के सभी मानों पर continuous single valued व finite होते है और तरंग फलन सामानीकृत (normalised) होता है।
अभिग्रहित – 3 : प्रेक्षण योग्य प्रत्येक भौतिक राशि के लिए एक रेखीय हर्मिशियन संकारक होता है।
किसी संकारक A को हर्मिशियन संकारक (Hermitian operator ) कह सकते है यदि वह निम्न शर्त का पालन करे
अभिग्रहित – 4 : किसी प्रेक्षण योग्य भौतिक राशि A के मापन से केवल वही मान संभव है जो निम्न समीकरण में आइगेन मान ai हो।
A Ψi = ai Ψi
आइगेन मान समीकरण
यहाँ A = फलन का संकारक
Ψi = संकारक A का आइगेन फलन है।
ai = संकारक A का आइगेन मान है।
आइगेन मान वास्तविक व काल्पनिक हो सकता है , परन्तु यह सदैव constant (नियत) मान होता है।
अभिग्रहित – 5 : किसी प्रेक्षण योग्य भौतिक राशि A के
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