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रिक्त सम्बन्ध (void or null or empty relation in hindi) , सार्वत्रिक अथवा समष्टीय सम्बन्ध , तत्समक
तत्समक सम्बन्ध , रिक्त सम्बन्ध (void or null or empty relation in hindi) , सार्वत्रिक अथवा समष्टीय सम्बन्ध क्या है , परिभाषा किसे कहते है ? उदाहरण , प्रश्न कक्षा 12 .
सम्बन्धो के प्रकार (types of relations in hindi) : इस टॉपिक में हम सम्बन्धों और फलनों के विभिन्न प्रकार एवं उनके संयोजन और द्विआधारी संक्रियाओं का अध्ययन करेंगे।
रिक्त सम्बन्ध (void or null or empty relation)
सम्बन्ध की परिभाषा के अनुसार , A x B का प्रत्येक उपसमुच्चय A से B में एक सम्बन्ध होता है , हम जानते है कि रिक्त समुच्चय Φ भी A x B का एक उपसमुच्चय है।
अत: Φ भी A से B में एक सम्बन्ध हुआ , इस सम्बन्ध को रिक्त सम्बन्ध कहते है।
पुनः यदि A कोई समुच्चय है तो Φ ⊂ A x A , अत: Φ : A → B पर एक सम्बन्ध हुआ। इस सम्बन्ध को रिक्त सम्बन्ध कहते है।
अत: स्पष्ट है कि यदि किसी समुच्चय A का कोई भी अवयव A के किसी अन्य अवयव से सम्बन्धित नहीं है तो इसे रिक्त सम्बन्ध कहा जाता है।
उदाहरण के लिए यदि R सम्बन्ध समुच्चय A पर इस प्रकार परिभाषित है कि R = {(a , b) : a – b = 15} , जहाँ A = {2 , 4 , 6 , 8} , तो सम्बन्ध R एक रिक्त समुच्चय है क्योंकि R में कोई भी ऐसा युग्म नहीं है जो प्रतिबन्ध a – b = 15 को संतुष्ट करता है।
यदि a = 4 , b = 8 तो a-b = 4-8 = -4 ≠ 15
इस तरह से R ⊄ A x A
तब सम्बन्ध R , समुच्चय A पर रिक्त सम्बन्ध है। रिक्त सम्बन्ध सबसे छोटा सम्बन्ध होता है।
सार्वत्रिक अथवा समष्टीय सम्बन्ध (universal relation)
यदि किसी समुच्चय A पर कोई भी सम्बन्ध R इस तरह परिभाषित है कि A समुच्चय का प्रत्येक अवयव A के सभी अवयवों से सम्बन्ध R के द्वारा सम्बन्धित है तो सम्बन्ध R को सार्वत्रिक या समष्टी सम्बंध कहते है।
यहाँ R = A x A ⊆ A x A
अत: पुनः हम जानते है कि A x B ⊆ A x A अर्थात A x B स्वयं A से B में एक सम्बन्ध है , इस सम्बन्ध को समष्टीय सम्बन्ध कहलाता है।
यह सम्बन्ध A से B में सबसे बड़ा सम्बन्ध है , इसे वसुधैव कुटुम्बकम् का सम्बन्ध समष्टीय सम्बन्ध है , इसी तरह से देशवासियों में भाई=भाई का सम्बन्ध भी समष्टीय सम्बन्ध कहलाता है।
टीप्पणी :
(1) रिक्त सम्बन्ध तथा सार्वत्रिक सम्बन्ध को कभी कभी तुच्छ सम्बन्ध भी कहा जाता है।
(2) यदि समुच्चय A में m अवयव एवं समुच्चय B में n अवयव हो तो A x B में mn अवयव होंगे तथा A x B में उपसमुच्चयो की संख्या 2mn होगी।
हमें यह भी पता है कि A x B का प्रत्येक उपसमुच्चय A से B में एक सम्बन्ध है अत: A से B में 2mn प्रकार के सम्बन्ध होंगे।
उदाहरण : यदि A = {1 , 2 , 3} तब
R = A x A = {(1,1) , (1,2) , (1,3) , (2,1) , (2,2) , (2,3) , (3,1) , (3,2) , (3,3)}
सार्वत्रिक या समष्टीय सम्बन्ध है।
पुनः यदि सम्बन्ध R इस प्रकार हो कि R = {(a,b) ∈ R : |a-b| ≥ 0} , तब हम देखते है कि |a-b| ≥ 0 , जहाँ a और b , A के अवयव है।
अत: (a,b) ∈ R से (a,b) ∈ A x A
अर्थात A का प्रत्येक सदस्य स्वयं या दुसरे अवयवों से सम्बन्धित है।
या R = A x A
जिसका तात्पर्य है कि R , समुच्चय A में समष्टीय सम्बन्ध है।
तत्समक सम्बन्ध (identity relation )
यदि समुच्चय A में सम्बन्ध R इस प्रकार हो कि प्रत्येक x , y ∈ A के लिए xRy यदि x = y
अर्थात (x,y) ∈ R → x = y
तो R तत्समक सम्बन्ध कहलाता है। समुच्चय A में इस सम्बन्ध को IA से निरुपित किया गया है।
IA = {(x,y) : x ∈ A , y ∈ A एवं x = y}
उदाहरण : यदि A = {a,b,c} तो IA = {(a,a) , (b,b) , (c,c)}
A में तत्समक सम्बन्ध है परन्तु सम्बन्ध R = {(a,a) , (c,c)} तत्समक सम्बन्ध नहीं है क्योंकि क्रमित युग्म (b,b) इस सम्बन्ध में नहीं है।
पुनः यदि A = {p,q,r,s} में दो सम्बन्ध निम्न प्रकार है –
R1 = {(p,p) , (q,q) , (r,r) , (s,s)}
R2 = {(p,p) , (q,q) , (r,r), (s,s) , (p,q) , (r,s) , (p,r)}
तो सम्बन्ध R1 तत्समक सम्बन्ध है लेकिन R2 तत्समक सम्बन्ध नहीं है क्योंकि R2 में (p,q) , (r,s) , (p,r) भी सम्मिलित है।
द्विआधारी सम्बन्ध (binary relation)
हम जानते है कि समुच्चय A में कोई सम्बन्ध R , A x A का उपसमुच्चय होता है और इसे A x A के अवयवो के रूप में लिखा जाता है , समुच्चय A के युग्मों के रूप में प्राप्त इस सम्बन्ध को द्विआधारी सम्बन्ध कहा जाता है।
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