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Viscosity in hindi श्यानता किसे कहते हैं , श्यानता की परिभाषा और सूत्र समझाइये
जानिए Viscosity in hindi श्यानता किसे कहते हैं , श्यानता की परिभाषा और सूत्र समझाइये ?
श्यानता (Viscosity)
माना किसी गैस का (X-Y) तल में स्थित दो समान्तर पृष्ठों AB व CD के मध्य धारा – रेखी प्रवाह (stream line flow) हो रहा है। यह गैस (X-Y) तल के समानान्तर परतों के रूप में x दिशा में प्रवाहित होती हुई मानी जा सकती है। जैसा कि चित्र (5.12-1) में दर्शाया गया है। पृष्ठ AB स्थिर है अत: वह परत जो इस पृष्ठ के सम्पर्क में उसका वेग शून्य होता है । परन्तु जैसे-जैसे परत की दूरी तल AB से बढ़ती है परत का वेग भी बढ़ता जाता है। इस प्रकार 2 दिशा में गैस में वेग प्रवणता dv/dz उत्पन्न हो जाती है। इसके कारण कोई भी परत अपने ठीक नीचे वाली परत द्वारा एक पश्चकर्षणी बल (backward dragging force) का अनुभव करती है जो परतों के बीच आपेक्षित गति को नष्ट करने की चेष्टा करती है। यह बल श्यान बल ( viscous force) कहलाता है। यह श्यान बल परतों के बीच संवेग के अभिगमन से उत्पन्न होता है।
यदि स्थिर तल AB को z = 0 पर स्थिर मानें तो इससे 2 दूरी पर किसी परत Q का वेग v है तथा (z + λ) तथा (z – λ) दूरियों पर स्थित परतों P व R के वेग क्रमशः (vx + λδvx/δz) तथा (vx – λδvx/δz) होंगे। यहाँ माध्य मुक्त पथ है। मुक्त पथ की कोटि की दूरियों के लिये वेग प्रवणता नियत मानी जा सकती है।
गैस के प्रवाह की दिशा में उपर्युक्त वेग अणुओं के यादृच्छिक ऊष्मीय वेगों पर अध्यारोपित रहते हैं । पृष्ठ Q को निरन्तर अणु ऊपर व नीचे से पार करते रहते हैं। पृष्ठ Q पार करने से पूर्व अपने अंतिम संघट्टन में प्रत्येक अणु x- दिशा (गैस प्रवाह की दिशा ) में उस विशेष स्थिति अर्थात् 2 के मान के संगत प्रवाह वेग ग्रहण करता है। चूँकि पृष्ठ Q के ऊपर प्रवाह वेग पृष्ठ के नीचे वेग की अपेक्षा अधिक है अतः ऊपर से पृष्ठ को पार करने वाले अणु नीचे से पृष्ठ को पार करने वाले अणुओं के सापेक्ष अधिक संवेग का अभिगमन करते हैं। इसके परिणामस्वरूप ऊपर से नीचे की ओर अर्थात् वेग प्रवणता के विपरीत दिशा में x-दिशीय संवेग का अभिगमन होता है और न्यूटन के द्वितीय नियम से प्रति एकांक क्षेत्रफल संवेग के अभिगमन की दर प्रति एकांक क्षेत्रफल श्यान बल के बराबर होती है। P व R परतों की परत Q से दूरियाँ माध्य मुक्त पथ λ लेने के कारण यह कल्पना की जा सकती है कि ऊपर से परत Q को पार करने वाले अणु का अंतिम संघट्टन परत P में हुआ होगा व नीचे से परत Q को पार करने वाले अणु का अंतिम संघट्टन परत R में हुआ होगा ।
चूंकि अणु यादृच्छ (अनियमित) गति करते हैं अतः उनकी सभी दिशाओं में गति की प्रायिकता समान होती है। यदि अणुओं के वेगों को x, y, व 2 दिशाओं में नियोजित कर लें तो कल्पना कर सकते हैं कि कुल अणुओं के संख्या के (1/3) x दिशा में, (1/3)y दिशा में तथा ( 1/3 ) z दिशा में गति करते हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक अक्ष के अनुदिश धनात्मक व ऋणात्मक दिशायें भी संभव हैं अतः किसी एक दिशा में गतिशील अणुओं की संख्या कुल संख्या की (1 /6) होगी। यदि परतों Q व P के मध्य λ ऊँचाई व एकांक अनुप्रस्थ परिच्छेद के एक बेलने पर विचार करें तो इसका आयतन λ होगा वह इसमें अणुओं की संख्या nλ होगी, जहाँ n एकांक आयतन में अणुओं की संख्या है। बेलन में स्थित इन nλ/6 अणुओं में से परत Q की ओर (नीचे की ओर) गति करने वाले अणुओं की संख्या nλ/6 होगी। यदि अणुओं की माध्य चाल c है तो इन nλ/6 अणुओं को परत Q पार करने में लगा कुल समय क्षेत्रफल को एकांक समय में पार करने वाले आणुओं की संख्या होगी ।
इसी प्रकार परतों Q व R के मध्य स्थित अणुओं में से परत Q के एकांक क्षेत्रफल को एकांक समय में ऊपर की ओर पर करने अणुओं की संख्या nc/6 होगी। परत Q को नीचे की ओर पार करने वाले nc/6 अणुओं का गैस के प्रवाह की दिशा में संवेग होगा-
तथा परत Q को ऊपर की ओर पार करने वाले nc/6 अणुओं का गैस के प्रवाह की दिशा में संवेग होगा-
अतः परत Q के एकांक क्षेत्रफल से प्रति सेकण्ड वेग प्रणवता की दिशा में अभिगमित परिणामी x – दिशीय संवेग का मान होगा-
न्यूटन के नियमानुसार प्रति सेकण्ड प्रदान किया गया संवेग आरोपित बल के बराबर होता है। अतः परत के एकांक क्षेत्रफल पर आरोपित स्पर्श रेखीय बल
परन्तु न्यूटन के श्यानता के नियम से किसी परत के एकांक क्षेत्रफल पर श्यान बल
क्योंकि M = mN व_k = R/N, N आवोगाद्रो संख्या है व M अणु-भार है। इस प्रकार श्यानता गुणांक गैस के परम ताप के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होता है। यह दाब तथा घनत्व पर निर्भर नहीं है। अत्यन्त निम्न दाबों को छोड़ कर जहाँ मुक्त पथ की लम्बाई अल्प नहीं रहती, प्रयोगों से उपर्युक्त निष्कर्षों की पुष्टि होती है।
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