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अवरक्त / कम्पन स्पेक्ट्रोस्कोपी , अंगुली छाप क्षेत्र , क्रियात्मक समूह क्षेत्र , तनन , बंधन कम्पन
IR spectroscopy (vibrational spectroscopy in hindi) (अवरक्त /कम्पन स्पेक्ट्रोस्कोपी ) :
region : 667 cm-1 → 4000 cm-1
1. अंगुली छाप क्षेत्र (fingerprint region in ir spectroscopy)
2. क्रियात्मक समूह क्षेत्र (functional groups region)
1. अंगुली छाप क्षेत्र (fingerprint region in ir spectroscopy) : IR spectroscopy में 667 से 1500 cm-1 के मध्य का क्षेत्र अंगुली छाप क्षेत्र कहलाता है।
बहुत अधिक आण्विक समानता प्रदर्शित करने वाले यौगिक भी IR स्पेक्ट्रम के इस क्षेत्र में भिन्न भिन्न spectrum दर्शाते है। अत: इस क्षेत्र के IR spectrum के आधार पर यौगिक में आसानी से विभेद किया जा सकता है , इस कारण आण्विक संरचना में अधिक समानता वाले यौगिक भी अंगुली छाप क्षेत्र में असमानता दर्शाते है। जिससे उनकी पहचान आसानी से हो जाती है।
अवरक्त सक्रीय होने के लिए आवश्यक शर्तें :-
1. अणुओं में कम्पन्न होने से उसके द्विध्रुव आघूर्ण में परिवर्तन होना चाहिए।
2. अणुओ के कम्पन्न की आवृति उनसे टकराने वाले विकिरणों की आवृति के समान होनी चाहिए।
region : 667 cm-1 → 4000 cm-1
1. अंगुली छाप क्षेत्र (fingerprint region in ir spectroscopy)
2. क्रियात्मक समूह क्षेत्र (functional groups region)
1. अंगुली छाप क्षेत्र (fingerprint region in ir spectroscopy) : IR spectroscopy में 667 से 1500 cm-1 के मध्य का क्षेत्र अंगुली छाप क्षेत्र कहलाता है।
बहुत अधिक आण्विक समानता प्रदर्शित करने वाले यौगिक भी IR स्पेक्ट्रम के इस क्षेत्र में भिन्न भिन्न spectrum दर्शाते है। अत: इस क्षेत्र के IR spectrum के आधार पर यौगिक में आसानी से विभेद किया जा सकता है , इस कारण आण्विक संरचना में अधिक समानता वाले यौगिक भी अंगुली छाप क्षेत्र में असमानता दर्शाते है। जिससे उनकी पहचान आसानी से हो जाती है।
अवरक्त सक्रीय होने के लिए आवश्यक शर्तें :-
1. अणुओं में कम्पन्न होने से उसके द्विध्रुव आघूर्ण में परिवर्तन होना चाहिए।
2. अणुओ के कम्पन्न की आवृति उनसे टकराने वाले विकिरणों की आवृति के समान होनी चाहिए।
- नोट : समनाभिकीय द्विपरमाणुक अणु जैसे H2 , O2 , N2 आदि जिनके द्विध्रुव आघूर्ण का मान शून्य होता है को छोड़कर अन्य सभी अणु IR active होते है।
- IR spectroscopy में sample ठोस , द्रव अथवा गैस हो सकता है।
आण्विक कम्पन्न / कम्पन की विधाएं
कमरे के ताप पर उष्मीय ऊर्जा के कारण अणु में स्थित परमाणु कम्पन करते है , जिससे बंध लम्बाई व बंध कोण का मान परिवर्तित हो जाता है , इसे कंपन्न की मूल विधाएं कहते है।
आण्विक कम्पन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है –
1. तनन कम्पन – सममित , असममित
2. बंधन कम्पन – कैथिनुमा , संदोली , अभिदोलन , व्यावर्त
1. तनन कम्पन : इस प्रकार के कम्पन के दौरान बंध कोण में परिवर्तन नहीं होता है , परन्तु बंध लम्बाई परिवर्तित होती है।
तीन परमाणु युक्त अणुओं में तनन कम्पन्न दो प्रकार से होते है।
(a) सममित तनन कम्पन : इस प्रकार के कम्पन्न में दो बंध दूरियाँ एक साथ बढती अथवा एक साथ घटती है।
CO2 अणु का सममित तनन कम्पन IR अक्रिय होता है , क्योंकि इसके द्विध्रुव आघूर्ण के मान में कोई परिवर्तन नहीं होता है परन्तु ये रमन सक्रीय होते है।
(b) असममित तनन कम्पन : यदि अणु में उपस्थित परमाणुओं का एक साथ तनन अथवा संपीडन नहीं होता है अर्थात एक बंध दूरी बढती है तथा दूसरी बंध दूरी घटती है इसे असममित तनन कम्पन्न कहते है।
CO2 अणु में असममित तनन कम्पन्न में u का मान परिवर्तन होने से यह IR active होता है।
2. बंकन कम्पन्न (bonding vibration ) : इन्हें विरूपण कम्पन भी कहते है।
इस प्रकार के कम्पन के दौरान बंध लम्बाई में परिवर्तन नहीं होते परन्तु बंध कोण change हो भी सकता है , अथवा नहीं भी बंक कम्पन दो प्रकार के होते है –
(a) एक तल में कम्पन (on the plane) : इस प्रकार के कम्पन्न में अणु एक ही तल से कम्पन्न करते है।
- कैचीनुमा : इस प्रकार के कम्पन्न में परमाणुओं के बंध उसी तल में रहते है हुए कैंची नुमा गति करते है अर्थात उनका परस्पर बंध कोण घटता या बढ़ता रहता है।
- संदोली कम्पन्न : इस प्रकार के कम्पनों में अणु के तल में ही समूह का दायीं अथवा बायीं ओर कम्पन होता है।
(b) तल के बाहर (out of the plane) : इन कम्पनों में परमाणु तल के बाहर कम्पन्न करते है , यह दो प्रकार से होता है –
- अभिदोलन कम्पन्न : इसमें कम्पन करने वाले परमाणु या समूह एक साथ ही तल के बाहर की ओर जाते है अथवा अन्दर की ओर जाते है।
- व्यावर्त कम्पन : इस प्रकार के कंपन्न में अणु के दो भाग एक दूसरे के विपरीत दिशा में जाते है।
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