JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: hindi grammer

क्रिया हिंदी व्याकरण | सकर्मक क्रिया (transitive verb) और अकर्मक क्रिया (intransitive verb) उदाहरण

(verb in hindi) क्रिया हिंदी व्याकरण में परिभाषा क्या है ? सकर्मक क्रिया (transitive verb) और अकर्मक क्रिया (intransitive verb) उदाहरण , अंतर , पहचान कैसे करे ? प्रश्न उत्तर |

क्रिया

जिस विकारी शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाय उसे क्रिया कहते हैं। जैसे आना, जाना, खेलना, पढ़ना आदि। हिन्दी की अपनी विशेषता के अनुसार क्रिया के रूप लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार बदलते हैं।

धातु क्रिया का मूल है। धातु उस मूल शब्द को कहते हैं जिसमें विकार होने से क्रिया बनती है। जैसे ‘चलना’ क्रिया में ‘चल’ धातु है । इस ‘चल’ धातु में ‘ना’ प्रत्यय लगने से ‘चलना’ क्रिया बनी है। हिन्दी में क्रिया का साधारण रूप मूल धातु में ‘ना’ जोड़कर बनाया जाता है। जैसे-देख $़ ना = देखना, पढ़ $ ना = पढ़ना, खा $ ना = खाना आदि। क्रिया के साधारण रूपों में से ‘ना’ हटाकर धातु का मूल रूप जाना जा सकता है ।

धातुओं के अतिरिक्त हिन्दी में क्रियाएँ संज्ञा और विशेषण से भी बनती हैं, जैसे-चिकना $ आना = चिकनाना, दुहरा $ आना = दुहराना। धातु के भेद-

धातु के प्रकार

व्युत्पत्ति अथवा शब्द निर्माण की दृष्टि से धातु, दो प्रकार की होती है-्पहला है मूल धातु और दूसरा है यौगिक धातु। मूल धातु किसी दूसरे शब्द पर आश्रित नहीं होती अर्थात् वह स्वतंत्र होती है। जैसे खा, देख, पी आदि । यौगिक धातु का निर्माण किसी प्रत्यय के योग से होता है। जैसे ‘खाना’ से खिलाना, रंग से रंगना, पढ़ना से पढ़ाना आदि ।

यौगिक धातु की रचना

यौगिक धातु की रचना तीन प्रकार से होती है -(1) धातु में प्रत्यय लगाने पर अकर्मक से सकर्मक और प्रेरणार्थक धातुएँ बनती हैं, (2) कई धातुओं को संयुक्त करने से संयुक्त धातु बनती है, (3) संज्ञा या विशेषण से बननेवाली नामधातु ।

प्रेरणार्थक क्रियाएँ ;ब्ंनेंजपअम टमतइद्ध या धातुएँ वे क्रियाएँ हैं जिनसे इस बात का बोध होता है कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। जैसे-काटना से कटवाना। प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप होते हैं, जैसे-‘गिरना’ से ‘गिराना’ और ‘गिरवाना’। दोनों क्रियाएँ एक के बाद दूसरी प्रेरणा में हैं। यहाँ ध्यान देने की बात है कि अकर्मक क्रिया भी प्रेरणार्थक होने पर कर्मवाली हो जाती है। जैसे मोहन लजाता है, वह मोहन को लजवाता है।

प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक और अकर्मक दोनों से बनती हैं। ऐसी क्रियाएँ सकर्मक क्रिया से बनें अथवा अकर्मक क्रिया से, वे प्रत्येक स्थिति में सकर्मक ही रहती हैं । जैसे मैंने उसे हँसाया, मैंने उससे किताब लिखवायी। पहले में कत्र्ता स्वयं हँसाने का काम करता है और दूसरे में कत्र्ता दूसरे को किताब लिखने के लिए प्रेरित करता है। अतः हिन्दी में प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप मिलते हैं। पहले रूप में ‘ना’ का और दूसरे रूप में ‘वाना’ का प्रयोग होता है। जैसे-

मूल द्वितीय  तृतीय (प्ररणा)

हँसना हँसाना,  हँसवाना

पीना पिलाना, पिलवाना

देना  दिलाना, दिलवाना

जगना  जगाना, जगवाना

सोना  सुलाना सुलवाना

उठना  उठाना उठवाना

यौगिक क्रिया – यौगिक क्रिया उसे कहते हैं जो दो या दो से अधिक धातुओं और दूसरे शब्दों के संयोग से या धातुओं में प्रत्यय लगाने से बनती है। जैसे-हँसना-हँसाना, चलना-चलाना, चलना-चल देना।

नामधातु ;छवउपदंस टमतइद्ध

नामधातु उसे कहते हैं जो धातु संज्ञा या विशेषण से बनती है।

उदाहरणार्थ देखिए

संज्ञा से-

हाथ-हथियाना

बात—बतियाना

विशेषण से-

चिकना-चिकनाना

गर्म-गर्माना

टंडा-ठंडाना

रचना की दृष्टि से क्रिया के भेद

रचना की दृष्टि से सामान्यतः क्रिया के दो भेद बताए जाते हैं- (1) सकर्मक, (2) अकर्मक।

सकर्मक क्रिया (transitive verb)

जिस क्रिया के साथ कर्म की संभावना हो अथवा जिस क्रिया का कर्म हो उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। तात्पर्य यह है कि सकर्मक क्रिया के व्यापार का संचालन तो कर्ता से होता है, लेकिन जिसका फल या प्रभाव किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु अर्थात् कर्म पर पड़ता है। जैसे, राम रोटी खाता है। इस वाक्य में ‘राम’ कर्ता है, ‘खाने’ के साथ उसका कर्तृरूप से सम्बन्ध है। प्रश्न है, क्या खाता है? उत्तर है-‘रोटी’। इस तरह -‘रोटी’ का ‘खाने’ से सीधा सम्बन्ध है। अतः -‘रोटी’ कर्मकारक है। यहाँ राम के खाने का फल -‘रोटी’ पर अर्थात् कर्म पर पड़ता है। इसलिए ‘खाना’ सकर्मक हुई। साथ ही ध्यान देने की बात है कि कभी-कभी सकर्मक क्रिया का कर्म छिपा रहता है । जैसे ‘वह पढ़ता है’ में ‘पुस्तक’ जैसा कर्म छिपा हुआ है।

अकर्मक क्रिया (intransitive verb)

अकर्मक क्रिया उसे कहते हैं जिसका व्यापार और फल कर्ता पर ही होता है। वस्तुतः अकर्मक क्रियाओं का ‘कर्म’ नहीं होता, क्रिया का व्यापार और फल दूसरे पर न पड़कर कर्ता पर पड़ता है। जैसे-राम सोता है। यहाँ ‘सोना’ क्रिया अकर्मक है । राम कर्त्ता है, ‘सोने’ की क्रिया उसी के द्वारा उत्पन्न होती है । इस प्रकार ‘सोने’ का फल भी राम पर ही पड़ता है। इसलिए इस वाक्य में ‘सोना’ क्रिया अकर्मक हुई।

सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान

‘क्या’, ‘किसे’ आदि प्रश्नों के माध्यम से सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान होती है। इन प्रश्नों का यदि कोई उत्तर मिलता है तो समझना चाहिए कि क्रिया सकर्मक है और यदि उत्तर नहीं मिलता है तो क्रिया अकर्मक होगी । जैसे कुछ क्रियाओं में क्या, किसको लगाकर प्रश्न करने पर इनके उत्तर इस प्रकार मिलते हैं-

(1) तुमने किसको मारा ?

उत्तर–मोहन को मारा ।

(2) क्या खाया ।

उत्तर–भात खाया ।

(3) तुम क्या पढ़ते हो ?

उत्तर-किताब पढ़ता हूँ।

इन सब उदाहरणों में ‘मारना’, ‘खाना’ और पढ़ना क्रियाएँ सकर्मक हैं।

चूँकि कुछ क्रियाएँ अकर्मक और सकर्मक दोनों होती हैं, अतः प्रसंग अथवा अर्थ के अनुसार उनकी पहचान होती है, जैसे-

अकर्मक सकर्मक 

वह लजा रही। वह तुम्हें लजा रही है।

उसका सिर खुजलाता है। वह अपना सिर खुजलाता है।

बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। उसने आँखें भरकर कहा।

ऐसी धातुएँ जो अकर्मक और सकर्मक दोनों रूपों में प्रयुक्त होती हैं, उभयविध धातु कहलाती है।

द्विकर्मक क्रिया

कुछ क्रियाएँ एक कर्मवाली होती हैं और कुछ दो कर्मवाली । जैसे- श्याम ने रोटी खायी । इसमें कर्म एक ही है- ‘रोटी’ । लेकिन ‘गुरुजी लड़के को वेद पढ़ाते हैं’ में दो कर्म हैं-‘लड़के को’ और वेद। यहाँ पढ़ाना क्रिया द्विकर्मक है।

अकर्मक क्रिया से सकर्मक क्रिया बनाने के नियम

(1) यदि अकर्मक धातु दो अक्षरों की हो तो प्रथम अक्षर अथवा द्वितीय अक्षर के और यदि तीन अक्षरों की हो तो दूसरे या तीसरे अक्षर के इस्व स्वर को दीर्घ कर सकर्मक बनाया जाता है।

जैसे-

अकर्मक सकर्मक

उठना उठाना

बैठना बिठाना

उड़ना उड़ाना

निकलना  निकालना

सरकना सरकाना

(2) साधारण अवस्था वाली अकर्मक क्रिया प्रेरणार्थक में सकर्मक बन जाती है। अकर्मक एकाक्षरी धातु में ‘ला’ जोड़कर सकर्मक क्रिया बनायी जाती है। इस प्रक्रिया में धातु के दीर्घ स्वर को हस्व, एकार को इकार और ओकार को उकार बनाया जाता है। जैसे-

अकर्मक सकर्मक

जीना  जिलाना, जिलवाना

सोना  सुलाना

रोना रुलाना

संयुक्त क्रिया (compound verb)

दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से जो क्रिया बनती है उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं। उदाहरण-राम रोने लगा, श्याम घर पहुँच गया । यहाँ ‘रोने लगा’ और ‘पहुँच गया’ संयुक्त क्रियाएँ हैं।

क्रिया के प्रकार (mood in hindi grammar)

क्रिया के प्रकट करने की रीति को प्रकार (मूड mood) कहते हैं। इस प्रकार की तीन रीतियाँ होती हैं.-

(1) साधारण, (2) सम्भाव्य, (3) आज्ञार्थक।

(1) साधारण क्रिया -साधारण अवस्था की क्रिया को साधारण क्रिया कहते हैं। प्रायः इसी का प्रयोग हमलोग करते हैं। जैसे-राम आता है। तुम खाते हो। मैंने खाया। सामान्य वर्तमान, अपूर्ण वर्तमान, सामान्य भूत, आसत्र भूत, पूर्ण भूत, अपूर्ण भूत तथा सामान्य भविष्यत् की क्रियाएँ साधारण क्रियाओं की कोटि में आती हैं।

(2) सम्भाव्य क्रिया – जिस क्रिया से अनिश्चय, इच्छा या संशय सूचित होता है उसे संभाव्य क्रिया कहते हैं। जैसे- संभव है पानी बरसे। तुम्हारी जय हो। मैंने मारा भी होगा तो केवल मोहन को ही। सन्दिग्ध वर्तमान, सन्दिग्ध भूत, हेतुहेतुमद् भूत, तथा संभाव्य भविष्यत् की क्रियाएँ संभाव्य क्रिया की श्रेणी में आती हैं।

(3) आज्ञार्थक क्रिया – आज्ञार्थक क्रिया उसे कहते हैं जिससे आजा, अपेक्षा, प्रार्थना आदि का बोध हो । जैसे-हे प्रभो ! इस विपत्ति से रक्षा करिए । तुम पढ़ो, सेवक को भेज दो। क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ?

कुछ क्रियाएँ जिनका प्रयोग निश्चित संज्ञाओं के साथ होता है

भाँग गनी जाती है। आँख फूटती है।

शराब ढाली जाती है। तूफान आता है।

गीत गाया जाता है। हवा चलती है।

मुकद्दमा चलाया जाता है। पानी बरसता है।

भात बनाया जाता है। बादल गरजते हैं।

फाँसी पर लटकाया जाता है। कष्ट भोगा जाता है।

दूध जमाया जाता है। युद्ध किया जाता है।

अभियोग लगाया जाता है। लड़ाई लड़ी जाती है।

कागज फाड़ा जाता है। तकलीफ उठाई जाती है।

शीशा फोड़ा जाता है। गाड़ी खींची जाती है।

दूध उबलता है। दीवार में कील ठोंकी जाती है।

पानी खौलता है।  अँगूठी में नगीना जड़ा जाता है।

दाल पकती है।  दरजी कपड़े सीता है।

हाथ टूटता है। जुलाहा कपड़े बुनता है।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now