हिंदी माध्यम नोट्स
अपठित गद्यांश कक्षा प्रश्न उत्तर | unseen passage with questions and answers for class in hindi
unseen passage with questions and answers for class in hindi अपठित गद्यांश कक्षा प्रश्न उत्तर दीजिये | अपठित गद्यांश के प्रश्नों के उत्तर लिखिए |
निर्देश: (प्रश्न संख्या 23 से 27) निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर सम्बद्ध वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर का चयन कर उसे चिन्हीत करें।
शिक्षा को वैज्ञानिक और प्रविधिक मूलाधार देकर हमने जहाँ भौतिक परिवेश को पूर्णतया परिवर्तित कर दिया है और जीवन अप्रत्याशित गतिशिलता दे दी है, वहाँ साहित्य, कला, धर्म और दर्शन को अपनी चेतना से बहिष्कृत कर मानव विकास को एकांगी बना दिया है। पिछली शताब्दी में विकास के सूत्र प्रकृति के हाथ निकलकर मनुष्य के हाथ में पहुँच गए है, विज्ञान के हॉथ में पहुँच गए हैं और इस बंद गली मे पहुँचने का अर्थ मानव जाति का नाश भी हो सकता है। इसलिए नैतिक और आत्मिक मूल्यों को साथसाथ विकसित करने की आवश्यकता है, जिससे विज्ञान हमारे लिए भस्मासुर का हाथ न बन जाए। व्यक्ति की क्षुद्रता यदि राष्ट्र की क्षुद्रता बन जाती है, तो विज्ञान भस्मासुर बन जाता है। इस सत्य को प्रत्येक क्षण सामने रखकर ही अणु-विस्फोटक को मानव प्रेम और लोकहित की मर्यादा दे सकेंगे। अपरिसीम भौतिक शक्तियों का स्वामी मानव आज अपने व्यक्तित्व के प्रति आस्थावान नहीं है और प्रत्येक क्षण अपने अस्तित्व के संबंध में शंकाग्रस्त है।
23. आज का मानव अपने व्यक्तित्व और अस्तित्व के प्रति इसलिए शंकालु है, क्योंकि
(अ) वह विज्ञान की विध्वंसक शक्तियों से भयभीत है
(ब) उसका आत्मविश्वास लुप्त होता जा रहा है
(स) मानव ईश्वर के प्रति आस्थावान नहीं है
(द) वह सीमित भौतिक शक्तियों का स्वामी है
उत्तर-(अ)
24. हमारी विज्ञानधृत शिक्षा की सर्वाधिक महत्वपूर्ण देन है
(अ) जीवन का एकांगी विकास
(ब) गतिशील जीवन का प्रत्यावर्तन
(स) जीवन का अपरिसीम भौतिक विकास
(द) जीवन का सर्वांगीण विकास
उत्तर-(स)
25. मानव जीवन को भस्मासुर बनने से कैसे रोक सकता है?
(अ) प्रकृति-जगत का पूर्ण स्वामित्व प्राप्त करके
(ब) मानव सभ्यता का विनाश करके
(स) भौतिक जीवन-मूल्यों का निर्धारण करके
(द) नौतिक-आत्मिक मूल्यों को विकसित करके
उत्तर-(द)
26. आधुनिक मानव विकास को सर्वांगीण नहीं कहा जा सकता, क्योंकि
(अ) साहित्य, धर्म कला आदि मानव चेतना से निर्वासित हैं
(ब) जीवन में अशातीत का समावेश नहीं हुआ
(स) विकास के सूत्र मानव के हाथ मकें हैं
(द) भौतिक परिवेश पूर्णतया परिवर्तित हो गया है
उत्तर-(अ)
27. अणु-विस्फोटक को मानवतावाद की मर्यादा देना तभी संभव है, जब व्यक्ति की
(अ) क्षुर्द भावनाओं का उन्नयन हो
(ब) उदात्त भावनाओं को विकसित किया जाए
(स) क्षुद्रता को राष्ट्र की क्षुद्रता न बनने दिया जाए
(द) क्षुद्रता जब राष्ट की क्षुद्रता बन जाए
उत्तर- (स)
निर्देश (प्रश्न संख्या 28 से 32): निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर सम्बद्ध वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर का चयन कर उसे चिन्हित करें।
आवश्यकता इस बात की है कि हमारी शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषा हो, जिसमें राष्ट्र के हृदय-मन-प्राण के सूक्ष्मतम और गंभीरतम संवेदन मुखरित हों और हमारा पाठ्यक्रम यूरोप तथा अमेरिका के पाठ्यक्रम पर आधारित न होकर हमारी अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं एवं आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करे। भारतीय भाषाओं, भारतीय इतिहास, भारतीय दर्शन, भारतीय धर्म और भारतीय समाजशाध को हम सर्वोपरि स्थान दें। उन्हें अपने शिक्षाक्रम में गौण स्थान देकर या शिक्षित जन को उनसे वंचित रखकर हमने राष्ट्रीय संस्कृति में एक महान रिक्त को जन्म दिया है, जो नई पीढ़ी को भीतर से खोखला कर रहा है। हम राष्ट्रीय परम्परा से ही नहीं, सामयिक जीवन प्रवाह से भी दूर जा पड़े हैं। विदेशी पश्चिमी चश्मों के भीतर से देखने पर अपने घर के प्राणी भी बे-पहचाने और अजीब-से लगने लगे हैं। शिक्षित जन और सामान्य जनता के बीच की खाई बढ़ती गई है और विश्व संस्कृति दावेदार होने का दंभ करते हुए भी हम अपने घर में ही बामन बनकर रह गए हैं। इस स्थिति को हास्यास्पद ही कहा जा सकता है।
28. हमारी शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषा इसलिए होना चाहिए क्योंकि उसमें
(अ) विदेशी पाठ्यक्रम का अभाव होता है
(ब) सामयिक जीवन निरंतर प्रवाहित होता रहता है
(स) भारतीय इतिहास और दर्शन का ज्ञान निहित है
(द) भारतीय मानस का स्पंदन ध्वनित होता है
उत्तर-(द)
29. हमारी शिक्षा में ऐसे पाठ्यक्रम की आवश्यकता है जिसमें
(अ) सामयिक जन-संस्कृति का समावेश हो
(ब) भारतीय सांस्कृतिक परम्परा का प्रतिनिधित्व हो
(स) पाश्चात्य संस्कृति का पूर्ण ज्ञान कराने की क्षमता हो
(द) आधुनिक वैज्ञानिक विचारधाराओं का सन्निवेश हो
उत्तर-(ब)
30. उपर्युक्त गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक है
(अ) हमारी शिक्षा-माध्यम और पाठ्यक्रम
(ब) हमारी सांस्कृतिक परम्परा
(स) शिक्षित जन और सामान्य जनता
(द) शिक्षा का माध्यम
उत्तर-(अ)
31. शिक्षित जन और सामान्य जतना में निरंतर अंतर बढ़ने का कारण है कि हम
(अ) भारतीय समाजशाधं को सर्वोपरि स्थान नहीं देते
(ब) भारतीय भाषाओं का अध्ययन नहीं करते
(स) विदेशी चश्मे लगाकार अपने लोगों को देखते हैं
(द) नई पीढ़ी को भीतर से खोखला कर रहे हैं
उत्तर-(स)
32. हमें राष्ट्रीय सांस्कृतिक परम्परा के साथ-साथ जुड़ना चाहिएः
(अ) सामयिक जीवन प्रवाह से
(ब) अद्यतन साहित्यिक परंपरा से
(स) समसामयिक वैज्ञानिक विचारधारा से
(द) भारतीय नव्य-समाजशाधं से
उत्तर-(द)
निर्देश (प्रश्न संख्या 33 से 35): निम्नलिखित गद्यांश कां पढ़कर सम्बद्ध वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर का चयन कीजिए।
सौन्दर्य की परख अनेक प्रकार से की जाती है। बाह्य सौन्दर्य की परख समझना तथा उसकी अभिव्यक्ति करना सरल है। जब रुप के साथ चरित्र का भी स्पर्श हो जाता है तब उसमें रसास्वादन की अनुभूति भी होती है। एक वस्तु सुन्दर तथा मनोहर कही जा सकती है, परन्तु सुन्दर वस्तु केवल इन्द्रियों को सन्तुष्ट करती है, जबकि मनोरम वस्तु चित्त को भी आनन्दित करती है। इस दृष्टि से कवि जयदेव का बसन्त चित्रण सुन्दर है तथा कालिदास का प्रकृति वर्णन मनोहर है क्योंकि उसमें चरित्र की प्रधानता है। सुन्दर शब्द संकीर्ण है, जबकि श्मनोहरश् व्यापक तथा विस्तृत। साहित्य में साधारण वस्तु भी विशेष प्रतीत होती है, उसे मनोहर कहते हैं।
33. कालिदास के प्रकृति वर्णन का आधार है
(अ) उसकी प्रकृतिध्अभिव्यक्ति
(ब) उसकी मनोहरता
(स) उसका सौन्दर्य
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-(ब)
34. सौन्दर्य की परख की जाती है
(अ) आनन्द की मात्रा के आधार पर
(ब) इन्द्रियों की सन्तुष्टि के आधार पर
(स) रुप के आधार पर
(द) मनोहरता के आधार पर
उत्तर-(द)
35. उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक है
(अ) साहित्य और सौन्दर्य
(ब) अभिव्यक्ति की अनुभूति
(स) सुन्दरता बनाम मनोहरता
(द) सुन्दरता की संकीर्णता परिचालक परीक्षा, 2015
उत्तर-(अ)
निर्देश (प्रश्न संख्या 36 से 39): निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर सम्बद्ध वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर का चयन कर उसे चिह्नित करें।
मैथिलीशरण गुप्त गाँधी-युग के प्रतिनिधि कवि हैं-अपने जीवन
के प्रौढकाल में ही वे इस गौरव के अधिकारी हो गए थे। गाँधी
युग का प्रतिनिधित्व एक सीमा तक सम्पूर्ण आधुनिक काल का प्रतिनिधित्व भी माना जा सकता है। गाँधी -युग की प्रायरू समस्त मूल द्य प्रवृत्तियाँराष्ट्र य, सामाजिक और सांस्कृतिक आन्दोलन गुप्तजी के काव्य में प्रतिफलित हैं। यह प्रतिफलन प्रत्यक्ष भी है और परोक्ष भी कुछ रचनाओं में युग-जीवन का स्वर मुखर है और उनमें वातावरण की । हलचल का प्रत्यक्ष चित्रण किया गया है। इनमें कवि राष्ट्रकवि के दायित्व का भी पालन करता है। कुछ अन्य रचनाओं में युग-चेतन अत्यन्त प्रखर है, परन्तु वह प्रच्छन्न है। गुप्तजी के संस्कार मूलतः सामन्तीय थे और उनके घर का वातावरण वैष्णव था, तथापि वे समय के साथ चलने का निरन्तर प्रयत्न करते थे तथा देश के विभिन्न आन्दोलनों को समझने का भी प्रयत्न करते थे। उनकी प्रतिक्रिया प्रायः प्रखर और प्रबल होती थी। गाँधी-युग की समस्याओं का चित्रण प्रेमचन्द ने भी किया और अपने ढंग से प्रसाद ने भी। प्रेमचन्द की दृष्टि बहिर्मुखी थी, उनकी चेतना सामाजिक-राजनीतिक थी। प्रसाद दृष्टि अन्तर्मुखी थी और उनकी चेतना एकान्त रूप में सांस्कृतिक थी। गाँधी-युग की प्रायः सभी प्रमुख समस्याओं को उन्होंने ग्रहण किया, परन्तु उनके बहिरंग में उनकी रुचि नहीं थी। अपने नाटकों में प्रसाद ने उन्हें पूर्णतः सांस्कृतिक रूप में प्रस्तुत किया है और कामायनी आध्यात्मिक धरातल पर अपने उपन्यासों में प्रसाद उन्हें राजनीतिकसामाजिक धरातल पर ग्रहण करते हैं, परन्तु शीघ्र ही उनके बहिरंग रूपों को भेदकर उनमें निहित सांस्कृतिक तत्वों का चित्रण भी करने लगते हैं। गुप्तजी की स्थिति मध्यवर्ती है, उनका दृष्टिकोण राष्ट्रीय संस्कृति है। उनमें न तो प्रेमचन्द के समान व्यावहारिकता का आग्रह है और न प्रसाद की तरह दार्शनिकता का। उनमें सगुण तत्व अधिक
प्रेमचन्द में धर्म-भावना का अभाव है, तो प्रसाद में लोक-भावना का। गुप्तजी में लोक-चेतना का प्रतिनिधित्व अपेक्षाकृत अधिक मिलता है।
36. सही वक्तव्य कौन-सा है?
(अ) गुप्तजी के संस्कार सामन्तीय थे
(ब) प्रसाद के घर का वातावरण वैष्णव था
(स) धार्मिक आन्दोलन गाँधी-युग की प्रवृत्ति थी
(द) प्रेमचन्द्र में युग-चेतना अत्यन्त प्रखर है।
उत्तर-(अ)
37. निम्न में कौन-सा वक्तव्य सही नहीं है?
(अ) गुप्तजी राष्ट्रकवि के दायित्वबोध से ओतप्रोत हैं
(ब) गुप्तजी में निर्गुण तत्व अधिक है
(स) गुप्तजी आधुनिक काल के प्रतिनिधि कवि हैं
(द) प्रसाद के नाटक में गाँधीयुगीन समस्या है
उत्तर-(ब)
38. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है
(अ) आधुनिक हिन्दी दर्शन (ब) गाँधी-युग की काव्य-चेतना
(स) प्रेमचन्द का साहित्य (द) मैथिलीशरण गुप्त का काव्य
उत्तर-(द)
39. गंद्यांश में किस शब्द का प्रयोग नहीं हैं?
(अ) जन-काव्य (ब) प्रच्छन्न (स) बहिरंग (द) लोक-चेतना
उत्तर-(अ)
निर्देश (प्रश्न संख्या 40 से 44): निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर सम्बद्ध वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर का चयन कर उसे चिह्नित करें।
हम सब लोग एक भीड़ से गुजर रहे हैं। जो सवेरे घर से निकलकर दफ्तर और वापस घर जाकर अपना दिन सार्थक करते उन्हें भीड़ से सिर्फ बस में साक्षात्कार होता है। जो मोटर से चलते उनके लिए भीड़ एक अवरोध है जिसे वे लोग सशक्त और फुर्तीली सवारी गाड़ी से पार कर जाते हैं। जो पैदल चलते हैं वे खुद भीड़ लेकिन ये तीनों वास्तव में न तो भीड़ से कुछ समय के लिए निपट कर बाकी समय मुक्त हैं न अलग-अलग रास्तों के कारण भीड़ के अन्दर कम या ज्यादा फँसे हुए हैं। ये सब बिल्कुल एक ही तरह और हर समय पूरी तौर से भीड़ में फँस चुके हैं। सिर्फ इतना है ये जानते नहीं, और यह तो बिल्कुल नहीं जानते कि जिसके पास सत्ता है, वह राज्य की हो या संगठित उद्योग की, वह भीड़ का इस्तेमाल भीड़ में फँसे प्रत्येक व्यक्ति के विरुद्ध करता है। जान भी
तो सिर्फ इतना जानते हैं कि हम इस संसार के नहीं रह गए हैं और हमारे चारों तरफ जीवन नहीं बल्कि भीड़ है जो अपनी शक्ल भीड़ पर्दे पर नहीं देख सकते। अगर किसी को यह शक्ल दिखाई देने तो उसे मालूम होता है कि अब वह जिस भीड़ को पहचानता है वह अभी तक उसके विरुद्ध इस्तेमाल की जाती रही है। अपनी शक्ल का यह परिचय कवि के लिए, जो एक भीड़ से अन्य सामान्य जनों की अपेक्षा अधिक गहरा भाषाई संबंध रखता है, एक मुक्त कर देने वाला अनुभव बन जाता है। उसका विपर्यय भी सही है कि जब तक उसे अपनी शक्ल नहीं दिखाई देती, वह फँसा रहता है।
40. उपर्युक्त गद्यांश का सही शीर्षक है-
(अ) भीड़ में फँसे लोग (ब) भीड़ की शक्ल
(स) भीड़ में कवि (द) भीड़ का इस्तेमाल
उत्तर- (स)
41. भीड़ से मुक्ति का उपाय है
(अ) भीड़ में खो जाना (ब) भीड़ का इस्तेमाल करना
(स) भीड़ से दूर रहना (द) भीड़ में अपनी शक्ल देखना
उत्तर-(द)
42. भीड़ किनके लिए रुकावट है?
(अ) मोटर में चलने वाले के लिए
(ब) दौड़ने वाले के लिए
(स) पैदल चलने वाले के लिए द्य
(द) बस में चलने वाले के लिए
उत्तर-(अ)
43. भीड़ का इस्तेमाल किसके विरुद्ध किया जाता है?
(अ) विरोधियों के विरुद्ध
(ब) भीड़ में फँसे लोगों के विरुद्ध
(स) सरकार के विरुद्ध
(द) जनता के विरुद्ध
उत्तर-(ब)
44. भीड़ का इस्तेमाल कौन करता है?
(अ) सरकार (ब) पूँजीपति (स) सत्ताधारी (द) नेता
उत्तर-(स)
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…