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विषम विन्यास unconformity in hindi
(unconformity in hindi ) विषम विन्यास : विषम विन्यास अपरदन की सतह है जो दो संस्तरों को विभाजित करती है। विषम विन्यास विकास कई स्तरों में होता है। पहले पुराने शैल संस्तर निक्षेपित होते है फिर उत्थान होता है और फिर अपरदन होता है।
इस प्रकार पुन: अवसादन शुरू होता है।
इस प्रकार पुन: अवसादन शुरू होता है।
विषम विन्यास का विकास
विषम विन्यास के प्रकार
1. कोणीय विषम विन्यास (angular unconformity)
2. अपसम विन्यास (dis conformity)
3. स्थानीय विषम विन्यास (local unconformity)
4. असम विन्यास (non conformity)
1. कोणीय विषम विन्यास (angular unconformity) : जब शिलायें तिरछी हो तथा विपरीत दिशाओं में झुकी हो तब कोणीय विन्यास माना जाता है।
2. अपसम विन्यास (disconformity) : इनमे विषम विन्यास तल के दोनों ओर संस्तर अनिवार्यत: समानांतर होते है यह विस्तृत विन्यास माना जाता है।
3. स्थानीय विषम विन्यास (local unconformity) : यह अपसम विन्यास के समान ही होता है परन्तु इनका क्षेत्र सिमित होता है।
4. असम विन्यास (non conformity) :जब एक शिला आग्नेय हो और पुरानी हो तब उसे असम विन्यास कहते है।
Recognition of unconformity
इनकी पहचान कई विधियों से की जा सकती है –
1. यदि कोणीय विषम विन्यास हो तो पूरा क्रम समान्तर नहीं होगा। उदग्र क्लिफ , रोड कटान तथा रेलवे कटान में ये आसानी से पहचाने जा सकते है।
2. अगर दोनों स्तर के रंगों में अंतर हो और यदि संस्तर असमान हो तथा अगर दोनों के बीच में संगुटीकाश्म संस्तर हो तो अपसम विषम विन्यास होगा।
3. अगर निचे आग्नेय शिला हो तो असम विन्यास होगा।
4. अगर अपरदन की क्रिया तेज हो तो इससे वहाँ पर अधिक मात्रा में मिट्टी बन जाती है इसे मिश्रित विन्यास कहते है।
5. नयी शैलों की श्रेणियां पुरानी श्रेणियों से कम कायांतरित होती है।
fault and unconformity
अनुनती तिर्यक या विकर्णि तथा अन्य भ्रंश पहचानने में कठिनाई नहीं होती , परन्तु विषम विन्यास तथा संस्तर भ्रंश में विभेद करना कठिन है।
यदि दोनों संस्तरो के बीच में गुटिका हो तो विषम विन्यास होगा , अगर ऊपरी संस्तर स्पर्श सतह पर नत हो तो वह भ्रंश माना जायेगा।
यदि विषम विन्यास होगा तो निचे की शिलाओ में कुछ न कुछ अवशेष उठे हुए भागों में अवश्य होंगे।
गाज (मृद्लेप ) , ब्रेसिया (संकोणाश्म) आदि विषम विन्यास में होगा। कभी कभी भ्रंश विषम विन्यास के तल पर ही होता है। साधारण तिरछे विन्यास के तल पर भ्रंश बनते है।
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