JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Geology

कायान्तरण के प्रकार Types of metamorphism in hindi

Types of metamorphism in hindi (कायान्तरण के प्रकार) : कायांतरण के मुख्य प्रकार निम्न है
1. अपदलनी कायान्तरण (cataclastic metamorphism) : कम तापक्रम एवं कम गहराई पर प्रतिबल द्वारा शैलो के संदलन तथा कणीभवन से अपदलनी कायान्तरण होता है।  इस कायान्तरण द्वारा केवल उन तलों को छोड़कर जिन पर बहुत अधिक मात्रा में संचलन हुआ हो तथा जहाँ स्थानीय रूप से उष्मा उत्पन्न हुई हो , नवीन खनिजो की उत्पत्ति नही होती।  अधिक कोमल और रासायनिक क्रिया से अधिक प्रभावित होने वाले मृण्मय और कैल्शियम अवसाद तथा आग्नेय शैलो की अपेक्षा ग्रेनाईट और बालुकाश्म जैसे भंगुर और प्रतिरोधी शैलो में अपदलन अधिक होता है।
अपदलनी कायान्तरण के फलस्वरूप स्लेट , संदलन कोणाशम (कैटाक्लेसाईट) , संदलन संगुटीकाश्म , रेखित शैल तथा माइलोनाईट शैल विकसित होते है।
स्लेट शैल की सबसे बड़ी विशेषता उनमे स्लेटी विदलन की उपस्थिति है।  स्लेट शैले , मृण्मय शैलो के अपदलनी कायान्तरण के परिणाम है।  स्लेटे मुख्यतया अभ्रकी , क्लोराइट खनिजो से संघटित होती है।  इनके साथ अल्प मात्रा में सूक्ष्म कणीय फेल्सपार और क्वार्टज़ भी पाए जाते है अपदलनी कायान्तरण में आपेक्षिक संचन के कारण पूर्णतया चूर्णित और वेल्लित संरचना विहीन शैल को माइलोनाईट कहते है।  वे शैल जिनमे सूक्ष्मतया संद्लित और अंशत: पुनक्रिस्टलीत आधात्री में अपेक्षाकृत अप्श्वर्तित पदार्थ के लेंस परिरक्षित हो , उन शैलो को रेखित शैल कहते है।

2. तापीय कायान्तरण (thermal or contact metamorphism ) : तापीय कायान्तरण के अन्तर्गत उच्च तापीय कायान्तरण , संस्पर्श कायान्तरण , भ्रज्जनी कायान्तरण तथा ऊष्मावाष्मीय कायान्तरण सम्मिलित है।  उच्च तापीय कायान्तरण से यहाँ तात्पर्य ऐसे उच्चतम सामान्य ऊष्मा के प्रभाव से है जिसमे वास्तविक गलन न हो और कायान्तरण शुष्क वातावरण में सम्पन्न हो।  संस्पर्श कायान्तरण उससे निम्न तापमान पर होता है तथा इसमें शैल आद्रता एवं मैग्मीय प्रसंगों से सहयोग मिलता है।  इन कायान्तरनो का प्रभाव तापक्रम ठंडा होने की गति , मैग्मीय अन्तर्वेध के प्रकार तथा कायान्तरित होने वाले मूल शैलो के संघटन और घठन पर निर्भर है।
भ्रज्जनी कायान्तरण द्वारा डाइक के पाशर्वो में दहन , आद्रवण होता है।  हार्नस्टोन , निकषाशम पोर्सेलेनाईट तथा नोवाकुलाईट इत्यादि का निर्माण भ्रज्जनी कायान्तरण का ही परिणाम है।

3. ऊष्मागतिक कायान्तरण (dynamo metamorphism ) : अत्यधिक ताप और दिष्ट बल के एक साथ कार्य करने पर उष्मागतिक कायान्तरण होता है।  दिष्ट बल विभंजन , विदारण और बेल्हन के प्रक्रम संखंडन , बिना विदारण के विदलन और विसर्पण तलों में दिर्घित और प्रवाहित होने प्रक्रम प्लैस्टिक विरूपण , तथा अधिकतम दाब की दिशा में पूर्व निर्मित खनिजो के दिर्घित होने एवं अनुकूल विदलन और विसर्पण वाले खनिजो के नव निर्माण के प्रक्रम ब्लास्टि विरूपण द्वारा शैलो को प्रभावित करता है।  ऊष्मा शैलों को पुन: क्रिस्टलित करने का प्रयास करती है।  कुछ स्थितियों में दिष्ट बल द्वारा संचलन और पुन: क्रिस्टलन साथ साथ होता है और इसलिए क्वार्टज़ और बायोटाइट के सर्पिल विन्यास में परिबद्ध गार्नेट की हिमकंदुक संरचना का विकास होता है।  मृण्मय शैलो का उष्मागतिक कायान्तरण पर पुन: क्रिस्टलन होता है तथा प्राथमिक अवस्था में फाइलाइट शैल का निर्माण होता है और भी अधिक कायान्तरण पर वे अभ्रक शिष्ट में परिवर्तित हो जाते है।  कायान्तरण की उग्रता की वृद्धि के साथ शिष्टाम और अंतत: नाइसी संरचना विकसित होती है।  मृण्मय शैलों के उष्मागतिक कायान्तरण से उत्पन्न समस्त शैल प्ररूपो के लिए सामूहिकत: मृदास्मिक शिस्ट और मृदास्मिक नाइस शब्दों का प्रयोग होता है।

4. वितलीय कायान्तरण (plutonic metamorphism) : निम्न मण्डल में एक समान दाब और अत्यधिक ऊष्मा पर होने वाले कायान्तरण को वितलीय कायान्तरण कहते है।  इस प्रकार के कायान्तरण में दिष्ट दाब के अनुपस्थित होने के कारण समान्तर संरचनाएं विकसित नहीं होती , इनके स्थान पर समकणीय , समविमीय कणिकामय संरचना उत्पन्न होती है।  वितलीय कायांतरण में दाब और ताप की स्थितियाँ कम विशिष्ट एवं अधिक आपेक्षिक घनत्व वाले समबल खनिजो के विकास के लिए अनुकूल है।  मृण्मय बालुकामय संघटन वाले शैलो के वितलीय कायान्तरण के कार्डीएराइट सिलीमैनाईट और गार्नेट नाइस तथा अल्पसिलिक आग्नेय शैलो के कायान्तरण से पाईराक्सिन नाइस , एक्लोजाईट एवं गार्नेट एम्फीबोलाइट शैल उत्पन्न होते है।  क्वार्टज़ फेल्सपारीय शैलो के कायान्तरण से कणिकाशम एवं लैपटाइट शैल निर्मित होते है।  चार्नोकाईट जैसे कुछ अन्य शैलो के लक्षण उनके वितलीय कायान्तरण से उत्पत्ति के धोतक है।

Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

3 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now