JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: indian

लाहौर की संधि कब हस्ताक्षरित हुई , के बारे में बताइए , किसके बीच हुई treaty of lahore was signed between in hindi

treaty of lahore was signed between in hindi लाहौर की संधि कब हस्ताक्षरित हुई , के बारे में बताइए , किसके बीच हुई ?

प्रश्न: लाहौर की संधि
उत्तर: यह संधि 9 मार्च, 1846 में प्रथम आंग्ल-सिक्ख युद्ध के बाद कम्पनी तथा पंजाब के मध्य हुई। इस संधि के अनुसार-
(i) सतलज पार के समस्त प्रदेश, सतलज-व्यास का दोआब एवं यहां स्थित सभी दुर्ग कम्पनी को मिले।
(ii) युद्ध हर्जाने के रूप में 11 करोड़ रु. कम्पनी को मिले, साथ ही कश्मीर व हजारा के प्रांत भी।
(iii) महाराजा की सेना सीमित कर दी गई, लाहौर में ब्रिटिश सेना की तैनातगी।
(iv) दलीपसिंह महाराजा एवं रानी जिंदा उसकी संरक्षिका तथा लालसिंह डोगरा को प्रधानमंत्री स्वीकार कर लिया।
(v) सर हेनरी लॉरेन्स कम्पनी का लाहौर में रेजीडेन्ट नियुक्त किया गया।
प्रश्न: ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा अवध का विलय कब और किस प्रकार किया गया?
उत्तर: अवध का अंतिम नवाब वाजिद अली शाह (1847-56) अपने समय का बहुत अच्छा नृतक व गायक था। डलहौजी ने कर्नल स्लीमैन को 1848 मे अवध की आर्थिक व्यवस्था सुधारने का भार सौंपा। स्लीमैन ने रिपोर्ट दी कि अवध की आर्थिक स्थिति अत्यधिक दयनीय हो गई है। अतः भारत सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। 1854 में आउटम को अवध का प्रशासक बनाकर भेजा। इसने रिपोर्ट तैयार की व कहा कि अवध में कुशासन स्थापित हो गया है। अतः भारत सरकार द्वारा इसका विलय कर लेना चाहिए, जबकि सब कुछ कंपनी के हाथ में ही था। अतः कुशासन के नाम पर 1856 में लार्ड डलहौजी ने अवध को अस्तगत कर दिया।
प्रश्न: 1857 का स्वतंत्रता संग्राम क्या पश्च दृष्टिकोण से प्रभावित था? विवेचना कीजिए
उत्तर : इस स्वतंत्रता संग्राम की भी अपनी सीमाएं थी। निश्चित रूप से विद्रोही, अंग्रेजी सरकार से तंग आ चुके थे और वे किसी भी तरह अपने को उससे बचाना चाह रहे थे। इसके लिए उन्होंने मुगल सम्राट को अपना श्प्रतिनिधिश् मान कर उसकी सत्ता को प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया। यह प्रयास निश्चय ही पूर्व व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने जैसा ही था। मुगल सम्राट को अपना समर्थन देकर ये विद्रोही, स्वयं की आकांक्षाओं को पल्लवित करना चाह रहे थे। मसलन, झांसी की रानी दा संग्राम में सिर्फ इसलिए कूद सकीं, क्योंकि उनके राज्य को हड़प लिया गया था। इसी तरह नाना साहब इसलिए सक्रिय हुए, क्योंकि उनके साम्राज्य को कानपुर में खतरा पैदा हो गया था। इस तरह यह बात स्वीकारने योग्य है कि कुछ निश्चित सीमाओं के अधीन 1857 के विद्रोही, पूर्व व्यवस्था को कायम करना चाह रहे थे।

प्रश्न: 1857 के विद्रोह की असफलता के मुख्य कारण क्या थे?
ऽ. जॉन लारेन्स के अनुसार यदि विद्रोहियों में एक भी योग्य नेता निकला होता तो हम सदा के लिए हार जाते अर्थात योग्य नेतृत्व का अभाव असफलता का प्रमुख कारण था।
ऽ जनरल हयूरोज के अनुसार यहां वह औरत सोई हुई है जो विद्रोहियो में एक मात्र मर्द थी —
ऽ तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग ने कहा कि तूफान के आगे इन्होंने (देशी रियासतों) बांध की तरह कार्य किया, वरना यह तूफान एक ही लहर में हमारी किश्ती डूबो देता अर्थात् देशी राजाओं के सहयोग के कारण अंग्रेज सफल हुए और विद्रोही असफल हो गए।
प्रश्न: 1857 के पश्चात् हुए ब्रिटिश नीति में हुए नीतिगत परिवर्तन क्या थे ? स्पष्ट कीजिए।
1857 के बाद जो नीतिगत परिवर्तन किये गए। उनका उद्देश्य अन्य जन विद्रोह को रोकना था। किए गए नीतिगत परिवर्तन निम्नलिखित थे-
1. सामाजिक सुधार प्रक्रिया को जारी रखने की आवश्यकता महसूस नहीं की गई अर्थात् सुधारों के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया गया।
2. प्रगतिशीलता के तथ्यों को नकारा गया, रूढ़िवादिता को समर्थन दिया गया।
3. संकीर्णता का दृष्टिकोण अपनाया गया।
4. सतर्कता का दृष्टिकोण अपनाया गया।
5. प्राथमिक एवं तकनीकी शिक्षा की अवहेलना की गई।
6. भारतीयों में उच्च शिक्षा के प्रसार का विरोध का दृष्टिकोण अपनाया गया।
7. विशेषताएं पहले के समान – श्वेत नस्लवाद का सिद्धान्त, सभ्य बनाने, ईसाई मिशनरियों के कार्य आदि।
प्रश्न : ब्रिटिश भारत में उन्नीसवीं शताब्दी में, प्रमुख जनजातीय विद्रोहों के स्वरूप पर चर्चा कीजिए।
उत्तर 19वीं शताब्दी में देश के विभिन्न प्रांतों में जनजातियों द्वारा अनेक विद्रोह किये गये। इनमें प्रमुख थे 1820 से 1837 तक का कोल विद्रोह, 1855-56 का संथाल विद्रोह तथा 1899-1900 का मुंडा विद्रोह। इन सारे विद्रोहों का मूल कारण ब्रिटिश अधिकार क्षेत्र में वृद्धि एवं उनका औपनिवेशिक प्रशासन ही था। जनजातियां अपनी परंपरागत जीवन शैली में ही जीना चाहती थी, इसलिए उन्होंने महाजनों, साहूकारों एवं अन्य लोगों के अपने क्षेत्र में प्रवेश का भरपूर विरोध किया। क्योंकि इससे उनकी सादगी एवं व्यवस्थित जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। ये जनजातीय विद्रोह प्रायः ब्रिटिश शासन से लड़ाई हेतु हिंसा का सहारा लेते थे और जब ब्रिटिश दमन का सहारा लेते थे तब उनका स्वरूप धार्मिक हो जाया करता था और विद्रोही स्वयं को किसी देवता का अवतार मान लेते थे। इन विद्रोहियों का संघर्ष केवल अपने उद्देश्यों तक ही सीमित होता था। सभी प्रकार के शोषण और अत्याचारों के विरुद्ध विद्रोह भी जनजातीय आक्रोश का एक उदाहरण है।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

20 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

20 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now