JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

अनुवाद किसे कहते हैं | अनुवाद कैसे करें | हिंदी में अनुवाद बताओ उदाहरण , अंग्रेजी पद्य या गद्य का translate in hindi

हिंदी में अनुवाद बताओ उदाहरण , अंग्रेजी पद्य या गद्य का translate in hindi , अनुवाद किसे कहते हैं | अनुवाद कैसे करें  ?

अनुवाद

राष्ट्रभाषा हिन्दी के परिप्रेक्ष्य में अनुवाद का महत्व बहुत बढ़ गया है। विदेशी भाषा अंग्रेजी में लिखित उत्कृष्ट कृतियों को हिन्दी भाषा-भाषी प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति अपनी भाषा में पढ़ना चाहता है। हिन्दी भाषा के माध्यम से शिक्षा प्राप्त छात्र वैज्ञानिक और तकनीकी विषयों से सम्बन्धित अंग्रेजी में लिखित पाठ्य पुस्तकों का अध्ययन करना चाहता है। किन्तु यह उसी समय संभव हो सकता है जब . उसे ऐसी पाठ्य पुस्तकों तथा कृतियों का हिन्दी में अनुवाद उपलब्ध हो।।

सरकारी कर्मचारियों को अंग्रेजी से हिन्दी में और हिन्दी से अंग्रेजी में अनुवाद करना पड़ता है। अंग्रेजी में लिखित पत्राचार को हिन्दी में अनूदित करना होता है, रिपोर्टो, निर्णयों और स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व निर्मित अधिनियमों का हिन्दी में अनुवाद करना होता है और हिन्दी में निर्मित नियमों आदि का समय-समय पर अंग्रेजी में अनुवाद करना होता है।

अनुवाद कार्य सरल नहीं होता । अंग्रेजी के मूल पाठ का अनुवाद हिन्दी में इस प्रकार प्रस्तुत करना कि वह अनुवाद न लगकर स्वतन्त्र प्रवाहपूर्ण लेख लगे, वास्तव में कठिन है । अनुवादक को दोनों भाषाओं का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। उसे अंग्रेजी के प्रत्येक शब्द, प्रत्येक पदावली का अर्थ मालूम होना चाहिये । उसे दोनों भाषाओं पर समान अधिकार होना चाहिए । शब्दों की बनावट, वाक्य रचना और व्याकरण का उसे समुचित ज्ञान होना चाहिये । साथ ही उसमें उतनी योग्यता होनी चाहिये कि वह मूल पाठ के अर्थ को सहज रूप में सरल और सुबोध भाषा में सुमगतापूर्वक व्यक्त कर सके । उसमें परकाया प्रवेश की सामर्थ्य होनी चाहिए । सफल अनुवादक वही होता है जिसका अनुवाद अनुवाद न मालूम पड़े अपितु वह प्रवाहपूर्ण मूल कृति मालूम पड़े।

भाषा का कच्चा झान होने के कारण अर्थ का अनर्थ हो जाता है और अनुवाद हास्यास्पद । श्ब्तवूद टे. च्मवचसमश् का अनुवाद सरकारी कार्यालय में ताज बनाम जनता किया गया था । अनुवादक वर्ष 1940 में दिये गये एक निर्णय का अनुवाद कर रहा था । उसे स्पष्टतया श्ब्तवूदश् का अर्थ नहीं मालूम था कि श्ब्तवूपदश् ‘सम्राट‘ का घोतक है । उसने शाब्दिक अनुवाद कर दिया और ब्तवूद को ताज अनूदित कर दिया। इसी प्रकार एक अनुवादक ने ‘सर्वसाधारण के लिये नर्स की भी व्यवस्था कर दी गई है‘ का अनुवाद किया- श्। दनतेम ींे ंसेव इममद चतवअपकमक वित चनइसपब नेम. अस्पतालों में जच्चा बच्चा के लिये उपलब्ध सुविधाओं का संदर्भ था वहीं नर्स की व्यवस्था का भी उल्लेख किया गया था। अंग्रेजी अनुवाद ने तो अनर्थ कर दिया । इस प्रकार के अशुद्ध और हास्यास्पद अनुवाद वही अनुवादक करते हैं जिन्हें न तो अपनी मातृभाषा हिन्दी का और न अंग्रेजी का ही पर्याप्त ज्ञान होता है ।

अनुवाद के विभिन्न प्रकार

1. शब्दानुवाद

2. भावानुवाद

3. वैज्ञानिक और तकनीकी अनुवाद

4. विधिक अनुवाद

शब्दानुवाद – इस प्रकार का अनुवाद सरल होता है जैसे श्त्मेमंतअमक ैमंजश् का अनुवाद हुआ ‘स्थान आरक्षित‘ ैउवापदह च्तवीपइपजमक का अनुवाद हुआ ‘धूम्रपान निषेध‘ है या धूम्रपान मना है, अनुवाद से अर्थ का स्पष्ट बोध हो जाता है और मूल मन्तव्य प्रकट हो जाता है।

भावानुवाद- इसमें विषय प्रधान होता है । इसमें अंग्रेजी के मूल पाठ का भाव अपने शब्दों में सुगठित भाषा में अभिव्यक्त करना होता है, साथ ही इसका ध्यान रखा जाता है कि मूल पाठ के किसी भी महत्वपूर्ण अंश की उपेक्षा न हो जाय । अपेक्षाकृत अनुवादक को अभिव्यक्ति के शब्दों के चयन में स्वतंत्रता होती है। सामान्यतया जब बड़ी-बड़ी रिपोर्टों या पत्र-व्यवहार में अन्तर्निहित विषय और भाव की सूचना सम्बन्धित अधिकारी को देनी होती है तो भावानुवाद ही किया जाता है। .

वैज्ञानिक और तकनीकी अनुवाद – इस प्रकार के अनुवाद में विषय को अत्यधिक महत्व दिया जाता है । अनुवादक इसके अनुवाद में कोई शिथिलता नहीं कर सकता । इस प्रकार के अनुवाद में एकरूपता के विचार से भारत सरकार द्वारा प्रमाणित और विहित शब्दावली का ही प्रयोग किया जाता है । विषयवस्तु को स्पष्ट, सरल और बोधगम्य भाषा में अभिव्यक्त करना ही अनुवादक की सफलता का माप है । शैली का स्थान इसमें गौड़ होता है।

विषय का पूरा ज्ञान अनुवादक को होना चाहिये तभी वह मूल विषय-वस्तु को अच्छी तरह समझ सकता है और उसके अनुवाद में समर्थ हो सकता है ।

विधिक अनुवाद- इसमें अधिनियमों, विधेयकों, नियमों, विज्ञप्तियों आदि का अनुवाद सम्मिलित है। यह अत्यावश्यक है कि अनुवाद में प्रयुक्त शब्द निश्चित और स्पष्ट अर्थ के बोधक हो । वास्तव में यह अनुवाद अधिकतर शाब्दिक अनुवाद होता है। इसमें प्रामाणिक शब्दावली प्रयुक्त की जाती है, क्योंकि सभी राज्यों के लिये प्रयोग की जाने वाली विधिक शब्दावली में एकसमानता और एकरूपता होनी चाहिये अन्यथा विभिन्न स्थानों पर विभिन्न अर्थ लगाए जावेंगे जो अहितकर होगा।

सरकारी कर्मचारी को सरकारी सामग्री का भी अनुवाद करना होता है चाहे वह अंग्रेजी से हिन्दी में हो या हिन्दी से अंग्रेजी में द्य सरकारी सामग्री के अन्तर्गत आते हैं-

(1) पत्राचार का अनुवाद

(2) रिपोर्ट आदि का अनुवाद

(3) सरकारी दृष्टि से महत्वपूर्ण अन्य साहित्य का अनुवाद ।

पत्राचार का अनुवाद – इसमें कर्मचारी को टिप्पणी और प्रालेखों का अंग्रेजी या हिन्दी में अनुवाद करना पड़ सकता है। प्रालेखों में अंग्रेजी के वाक्य प् ंउ कपतमबजमक जव प् ंउ कपेपतमक जव का सामान्यतया हिन्दी अनुवाद नहीं किया जाता है. क्योंकि मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि या मुझसे कहा गया है कि मैं यह कहूँ हिन्दी भाषा की शैली के अनुरूप नहीं है । मुझे निवेदन करना है या अनुरोध करना है से काम निकल जाता है।

इस प्रकार के अनुवाद में सरल सुबोध और स्पष्ट भाषा प्रयुक्त की जाती है जिससे अभीष्ट अर्थ के अतिरिक्त कोई अन्य अर्थ न निकल सके ।

रिपोर्टों आदि का अनुवाद – इसमें सरकार को अंग्रेजी भाषा में लिखित प्राप्त ज्ञापन, आवेदन पत्र, संविदा, करार आदि शामिल हैं । इनके अनुवाद में सतर्कता बरतना अत्यावश्यक है । शाब्दिक अनुवाद करते हुए भी अनुवाद सुस्पष्ट और बोधगम्य होना चाहिये, साथ ही उसमें विषय के मूल आशय को अभिव्यक्त करने की सामर्थ्य होनी चाहिये ।

इस प्रकार अनुवाद गुण होने चाहिए .-

(1) शुद्धता

(2) सुस्पष्टता

(3) सरलता

(4) बोधगम्यता

(5) प्रवाह

अनुवाद के अभ्यास

मूल- 1

अनुवाद- 1

तात्पर्य यह है कि लोगों को ‘मनुष्य की तरह धरती पर चलने‘ और अगला कदम बढ़ाने की । शिक्षा देनी होगी। हम प्रायः यहाँ-वहाँ देखते हैं कि जो लोग कभी बहुत जुझारू और युद्धप्रिय थे, वे अब बहुत विनम्र और शान्तिप्रिय बन गये हैं । स्वीडन और स्विटजरलैण्ड इसके उदाहरण हैं । यह बहुत आवश्यक है कि संसार – भर में लोगों को इस प्रकार से शिक्षित किया जाए । यदि वे ठीक समय पर सीख ग्रहण नहीं करेंगे तो उन्हें निरन्तर एक के बाद दूसरे भीषण युद्ध का सामना करते रहना होगा।

मूल- 2

अनुबाद – 2

राष्ट्रीय चेतना का प्रवाह अविराम गति से बहता रहता है। जिस प्रकार हिमालय से निकलने वाली गंगा अनेक मार्ग और रूप ग्रहण करती है तथा भारत के लोगों की आध्यात्मिक और शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करती है, उसी प्रकार हिमालय की कन्दराओं में रहने वाले मनीषियों के विचार उनके देशवासियों को अनेक रूपों में ऐक्य का सन्देश देने वाले प्रेरणास्रोत रहे हैं । गंगा एक है, किन्तु उसके नाम अनेक हैं। चाहे उसे हम मन्दाकिनी कहें या भागीरथी, अथवा किसी अन्य नाम से पुकारें, वह है एक ही । उसका पवित्र जल लोगों को तृप्ति प्रदान करने वाली संजीवनी है। गंगा देश के सभी स्थानों, समस्त वर्गों, जातियों, गाँवों और शहरों के निवासियों का माँ के समान पालन-पोषण करती है। अपनी जन्मभूमि के प्रति भी यही मातृत्व-भावना भारतीयों की राष्ट्रीय चेतना का मूल आधार है ।

मूल- 3

अनुवाद – 3

मालवीय जी भारत और विदेशों में एक प्रभावशाली वक्ता के रूप में विख्यात थे। हिन्दी, संस्कृत, उर्दू और अंग्रेजी पर उनका पूरा अधिकार था । वे इन सभी भाषाओं में बड़ी सहजता, धाराप्रवाह-शैली, प्रभविष्णुता, विचारशीलता, सुस्पष्टता, उच्चारण-शुद्धता, उपयुक्त लयबद्धता एवं सटीकता के साथ बोल सकते थे। इनमें से किसी भी भाषा में उन्हें सुनना आनन्ददायक था । उनमें श्रोताओं को क्षणभर में प्रभावित करके द्रवित या गद्गद् कर देने की अपूर्व क्षमता थी।

मूल- 4

अनुवाद- 4

कृपया ध्यान रखें

कार्यालय से जारी होने वाले सभी परिपत्र, आदेश, ज्ञापन आदि हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में होने चाहिये।

यह सुनिश्चित करना हस्ताक्षरकर्ता अधिकारी का दायित्व है कि ये सभी हिन्दी और अंग्रेजीदोनों में जारी किए जाएँ।

कहीं से भी प्राप्त हिन्दी पत्रों के उत्तर निरपवाद रूप से हिन्दी में ही दिए जाने चाहिए।

जिन पत्रों पर हिन्दी में हस्ताक्षर हों उनके उत्तर भी हिन्दी में ही दिये जाने चाहिये ।

Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

3 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now