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TRANSISTOR AMPLIFIER CIRCUITS in hindi ट्रांजिस्टर प्रवर्धक परिपथ तथा उनका विश्लेषण क्या हैं
ट्रांजिस्टर प्रवर्धक परिपथ तथा उनका विश्लेषण क्या हैं TRANSISTOR AMPLIFIER CIRCUITS in hindi ?
विभिन्न विन्यासों के ट्रॉजिस्टर प्रवर्धक परिपथ तथा उनका विश्लेषण (TRANSISTOR AMPLIFIER CIRCUITS IN DIFFERENT CONFIGURATIONS AND ANALYSIS)
संधि ट्रॉजिस्टर को निम्न तीन विन्यासों में प्रवर्धक के रूप में लगाया जा सकता है-
(i) उभयनिष्ठ उत्सर्जक ट्रॉजिस्टर प्रवर्धक (Common emitter transistor amplifier)
(ii) उभयनिष्ठ आधार ट्रॉजिस्टर प्रवर्धक (Common base transistor amplifier)
(iii) उभयनिष्ठ संग्राहक ट्रॉजिस्टर प्रवर्धक (Common collector transistor amplifier) या उत्सर्जक ट्रॉजिस्टर प्रवर्धक (Emitter follower transistor amplifier)
अब हम खण्ड (4.11) में वर्णित विधि का उपयोग कर उपरोक्त प्रवर्धकों का विश्लेषण करेंगे।
(i) उभयनिष्ठ उत्सर्जक प्रवर्धक (Common emitter amplifier) अनुग गया। चित्र (4.12-1) में NPN ट्रॉजिस्टर युक्त उभगनिष्ठ उत्सर्जक प्रवर्धक का मूल परिपथ प्रदर्शित किया लघु आयाम के प्रत्यावर्ती संकेतों के लिये तुल्य परिपथ चित्र (4.12-2) में दिया गया है। तुल्य परिपथ के विश्लेषण से
निर्गम प्रतिरोध- इसके लिये vi शून्य मान लीजिये व RL को वोल्टता स्रोत Vo से प्रतिस्थापित कर दीजिये। संकेत जनित्र का प्रतिरोध नगण्य मानने पर-
सरलीकृत प्रारूप (Simplified Model)
प्रायोगिक उपयोग में प्रवर्धक के लिये उपरोक्त जटिल संबंधों के स्थान पर उनके सन्निकट संबंधों का उपयोग किया जाता है। सन्निकट मानों के उपयोग से उत्पन्न त्रुटि 10 प्रतिशत से कम रहती है और यह त्रुटि इसलिये उपेक्षणीय है कि ट्रॉजिस्टर के प्राचलों के निर्माता द्वारा दिये गये मान औसत मान होते हैं व वास्तविक परिस्थितियों में नियत नहीं रहते हैं, उदाहरणस्वरूप hfe का निर्माता द्वारा दिया गया औसत मान 100 होने पर वास्तविक मान 50 से 150 के परास में होता है। ट्रॉजिस्टर संरचना से पुनर्निवेशी वोल्टता hre Vo नगण्य होती है अतः vi की तुलना में इसकी उपेक्षा की जा सकती है। टॉजिस्टर के लिये h का मान 10-5 mho की कोटि का होता है अतः यदि RL का मान 103 कोटि का ही हो hoe RL का मान । के सापेक्ष अत्यल्प होता है व उसको नगण्य माना जा सकता है। इस सन्निकटनों के द्वारा सरलीकृत तुल्य परिपथ चित्र (4.12-3) में प्रदर्शित किया गया है। सरलीकृत प्रारूप से
इस प्रकार प्रवर्धक से सम्बद्ध सब राशियाँ केवल दो प्राचलों hie व hfe पर निर्भर होती हैं।
अन्तराचालकता प्रारूप (Transconductance model )
ट्रॉजिस्टर के प्राचलों hie hfe की परिभाषा से
अर्थात् यह अनुपात निर्गत धारा व ट्रॉजिस्टर पर निवेशी वोल्टता को संबंधित करता है। इसकी विमा चालकता की है अत: इस राशि को अन्तरा चालकता (transconductance) कहते हैं व इसे gm से निरूपित करते हैं। अत:
अतः अन्तराचालकता प्रारूप में तुल्य परिपथ चित्र (4.12-4) की भांति होगा। इस प्रारूप के अनुसार
CE विन्यास में प्रयुक्त ट्रॉजिस्टर से उच्च वोल्टता व धारा लाभ प्राप्त होते हैं तथा शक्ति लाभ अन्य विन्यासों की तुलना में सर्वाधिक होता है। निवेश व निर्गम प्रतिबाधायें मध्यम मान के होते हैं अतः यदि CE परिपथों का सोपानी संबंधन किया जाये तो सुमेलन (matching ) के लिये ट्रांसफॉर्मर आदि युक्तियों की आवश्यकता नहीं होती है जिससे मूल्य लाभ भी प्राप्त होता है।
(ii) उभयनिष्ठ आधार प्रवर्धक (Common base amplifier)
उभयनिष्ठ आधार प्रवर्धक का मूल परिपथ तथा लघु आयाम के प्रत्यावर्ती संकेतों के लिये तुल्य परिपथ क्रमशः चित्र (4.12-5) व (4.12-6) में प्रदर्शित किये गये हैं।
सरलीकृत प्रारूप (Simplified model) hrb व hob को नगण्य मानते हुए, सरलीकृत प्रारूप में तुल्य परिपथ चित्र (4.12 – 7 ) में प्रदर्शित है इस परिपथ के
अर्थात् CB परिपथ के लिये अन्तराचालकता (gm)b CE परिपथ की अन्तराचालकता ( gm)e = gm के परिमाण में बराबर होती है। ऋण चिन्ह .. वोल्टता Veb की Vbe के सापेक्ष विपरीत दिशा के कारण है।
hfb ie = – gm Veb ………………………..(22)
अन्तराचालकता प्रारूप में तुल्य परिपथ चित्र (4.12-8) में प्रदर्शित है।
CB व CE परिपथों में निवेशी संकेत समान होने पर (Veb = – Vbe)
hoe का मान 10-3 mho की कोटि का होता है अत: Rob का मान 106 की कोटि का होगा। इस प्रवर्धक का निवेश प्रतिरोध बहुत कम होता है।
परन्तु निर्गम प्रतिरोध बहुत अधिक 106 कोटि का होता है। अत: CB प्रवर्धक का उपयोग कम आंतरिक प्रतिरोध के स्रोत व उच्च प्रतिरोध के लोड के सुमेलन के लिये व वोल्टता अप्रतिलोमी प्रवर्धक के रूप में किया जाता है।
(iii) उभयनिष्ठ संग्राहक प्रवर्धक (Common collector amplifier) इस प्रवर्धक को उत्सर्जक अनुगामी (emitter follower) भी कहा जाता है क्योंकि इसमें निर्गत वोल्टता लगभग निविष्ट वोल्टता की अनुगामी (vo = V1 ) होती है। प्रवर्धक परिपथ व उसका सरलीकृत अन्तराचालकता प्रारूपी तुल्य परिपथ क्रमशः चित्र (4.12-9) व (4.12-10) में प्रदर्शित है। इस परिपथ में लोड उत्सर्जक और भू- टर्मिनल के मध्य लगा होता है तथा प्रत्यावर्ती संकेत के लिये संग्राहक भू-सम्पर्कित होता है। आधार B व उत्सर्जक E के मध्य प्रतिरोध hie होता है, निवेशी धारा ic है, निर्गत धारा है तथा संग्राहक परिपथ में संग्राहक व उत्सर्जक के मध्य धारा जनित्र hfe ib या gm Vbe है।
निर्गम प्रतिरोध Roc ज्ञात करने तो परिपथ प्रारूप चित्र (4.12 – 11 ) की भांति होगा ।
इस प्रकार CC प्रवर्धक या उत्सर्जक अनुगामी, एकांक वोल्टता लब्धि वाला प्रतिबाधा ट्रांसफार्मर की भांति चित्र (4.12-11) कार्य करता है। इसका निवेश प्रतिरोध बहुत अधिक व निर्गम प्रतिरोध कम होता है, जिससे यह उच्च आन्तरिक प्रतिरोध के स्रोत तथा कम प्रतिरोध के लोड के सुमेलन के लिये प्रयुक्त होता है। इसका यह कार्य CB परिपथ के विपरीत होता है।
(A) CE, CB व CC प्रवर्धकों की तुलना (COMPARISON OF CE, CB AND CC AMPLIFIERS) CE, CB व CC प्रवर्धकों की सरलीकृत प्रारूप द्वारा तुलना निम्न सारणी में की गई है। एक विशेष ट्रॉजिस्टर के प्राचलों के मान प्रयुक्त कर विभिन्न राशियों के तुलनात्मक मान कोष्ठकों में दिये गये हैं। प्रयुक्त प्राचलों के मान हैं-
विभिन्न विन्यासों के ट्रॉजिस्टर प्रवर्धकों के लिये धारा लाभ (Ai), वोल्टता लाभ (Av), निवेशी प्रतिबाधा। निर्गम प्रतिबाधा (Zo) इत्यादि की गणना लोड प्रतिबाधा तथा स्रोत प्रतिरोध के फलन के रूप में की जाती है। उपर्यु राशियों का ट्रॉजिस्टर के विभिन्न विन्यासों के लिये अलग-अलग परिमाण प्राप्त होता है। इन्हीं परिमाणों के आधार ट्रॉजिस्टर के विभिन्न विन्यासों का उपयोग अलग-अलग विशिष्टता वाली स्थितियों में किया जाता है। निम्न सारणी विभिन्न विन्यासों के ट्रॉजिस्टर प्रवर्धकों की तुलनात्मक विशेषताओं को प्रस्तुत किया गया है-
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