हिंदी माध्यम नोट्स
अनुलेखन , transcription unit in hindi अनुलेखन इकाई व जीन
transcription unit in hindi अनुलेखन इकाई व जीन
अनुलेखन (transcription):-
DNA से RNA के निर्माण की क्रिया को अनुलेखन कहते है इसमें DNA अपनी आनुवाँशिक सूचनाओं का प्रतिलिपिकरण RNA में करता है।
DNA = अनुलेखन = RNA
अनुलेखन क्रिया में 5 से 3 ध्रुवण वाले टेम्पलेट रज्जुक पर की RNA का निर्माण होता है तथा पूरक रज्जुक में T के स्थान पर U आ जाता है RNA का निर्माण दोनो रज्जुक पर नहीं होता क्योकि:-
1. यदि RNA कानिर्माण दोनो रज्जुक पर हो तो RNA द्विरज्जु की हो जायेगा तथा प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया नहीं कर पायेगा अतः अनुलेखन का प्रयास व्यर्थ हो जायेगा।
2. यदि दोनो रज्जुक का RNA का निर्माण हो तो के अनुक्रमों में भिन्नता होगी तथा RNA प्रोटीन का निर्माण करे तो अमीनो अम्लो के क्रम में भिन्नता होगी तथा अनुवाँशिक सूचना तंत्र में जटिलता उत्पन्न होगी।
अनुलेखन इकाई (transcription unit ):-
अनुलेखन क्रिया में भाग लेने वाली इकाईयों को अनुलेखन इकाई कहते है ये तजीन प्रकार की होती है।
1 उन्नायक इकाई (promoter unit ):-
यह कोडिग रब्जुक के 5 सिरे पर स्थित होती है । तथा DNA पर निर्भर RNA पाॅलीमरेज को अनुलेखन क्रिया प्रारंभ करने के लिए प्रेरित करती है।
2 संरचनात्मक इकाई (Structural unit):-
यह अनुलेखन क्रिया को आगे बढाती है तथा यह क्रिया DNA की प्रतिकृति के समान ही होती है किन्तु T के स्थान पर U आ जाता है यह उन्नायक इकाई व समापक इकाई के मध्य स्थित होती है।
3 समापक इकाई (terminator unit ):-
यह कोशिका रज्जुक के 3 सिरे पर स्थित है यह RNA पाॅलीमरेज को पृथक करती है जिससे अनुलेखन की क्रिया बन्द हो जाती है।
चित्र
अनुलेखन इकाई व जीन (transcription unit of gene ):-
DNA अणुओं का वह खण्ड जो पाॅजलीटोप्टाइप श्रृंखला का कूट लेखन करता है उसे सिस्ट्रान (समपार) कहते है ये दो प्रकार के होते है।
1 पालीसिस्ट्रानिक जीन:-यह प्रोैकेरियोटिक में पाई जाती है।
2 मोनोसिस्ट्रानिक जीवन:-यह यूकैरियोटिक में पाई जाती है यह दो प्रकार की होती है।
(A)- एकजान (व्य्कतेक):- ये संशाधित RNA में पाई जाती है। उसे एवजान कहते है।
(B)- इन्ट्रोन (अव्यक्तैक):- ये संशाधित RNA में नहीं पाई जाती है उसे इण्ट्रान कहते है।
अनुलेखन प्रक्रम या अनुलेखन प्रक्रम की क्रियाविधि:-अनुलेखन की क्रिया तीन चरणों में समान होती है।
1. प्रारम्भन:- उन्यायक इकाई + RNA
2. दीर्घीकरण:-
3. समापक:-
प्रौकेरिपीटिक में अनुलेखन क्रिया जीवाणु में:-
जीवाणु में तीन प्रकार RNA पाये जाते है।
कार्य
1-m-RNA यह टैम्पलेट प्रदान करता है।
2-t -RNA यह कोड को पढता है तथा स्थानान्तरण करता है।
3-r -RNA यह उत्प्रेरक एवं संरचनात्मक कार्य करता है। तीनो RNA के लिए एक ही RNA पालीमरेज आवश्यक होता है।
यूकैरियोटीक में अनुलेखन क्रिया:-
इसमें तीन पाजलीमरेज पाये जाते है।
1-m-RNA पाॅलिमरेज:- II
2-t -RNA पाॅलिमरेज:-III
3-r -RNA पाॅलिमरेज:-I
2- स्पालाइसिंग (समबंधन):- इनदान को हटा दिया जाता है तथा RNA आ जाते है इसे समबंधन कहते है।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…