JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Physicsphysics

अवतल दर्पण की सहायता से एक पारदर्शी द्रव का, अपवर्तनाक ज्ञात करना To determine the refractiveness of a transparent liquid with the help of a concave mirror in hindi

To determine the refractiveness of a transparent liquid with the help of a concave mirror in hindi अवतल दर्पण की सहायता से एक पारदर्शी द्रव का, अपवर्तनाक ज्ञात करना ?

प्रयोग संख्या 7(1)
Experiment No – 7(i)
उद्देश्य (Object):
अवतल दर्पण की सहायता से एक पारदर्शी द्रव का, अपवर्तनाक ज्ञात करना।
उपकरण (Apparatus):
तीन भिन्न-भिन्न फोकस दूरी के अवतल दर्पण, पायोगिक दव मोटर पैमाना, वस्तु पिन, साहुल सूत्र, क्लैम्प सहित ऊर्ध्वाधर स्टैण्ड।
किरण चित्र (Ray Diagram):

सिद्धान्त (Theory) : 
जब अवतल दर्पण में द्रव भरा होता है तब दर्पण का वक्रता केन्द्र, वास्तविक, वक्रता केन्द्र पर प्राप्त नहीं होता क्योंकि द्रव से अपवर्तन के कारण अब किसी अन्य बिन्दु से आपतित किरणें दर्पण पर अभिलम्बवत् होती हैं। इस प्रकार द्रव भरे होने पर दर्पण की वक्रता त्रिज्या, का भिन्न आभासी मान प्राप्त होता है तथा द्रव का अपतर्वनाक दर्पण की वास्तविक वक्रता त्रिज्या एवं आभासी वक्रता त्रिज्या को अनपात के समान होता है अर्थात्
द्रव का अपतर्वनाक μ = दर्पण की वास्तविक वक्रता विज्या/दर्पण की आभासी वक्रता त्रिज्या = R/R”
प्रयोग विधि (Method):
1. सर्वप्रथम हम अवतल दर्पण से सूर्य की किरणों को फोकसित कर अवतल दर्पण की लगभग फोकस दूरी ज्ञात कर लेते हैं।
2. अब अवतल दर्पण को स्टैण्ड के क्षैतिज आधार पर इस प्रकार रखते हैं कि उसका परावर्तक तल उपर की ओर हो।
3. अब स्टैण्ड पर एक बारीक नोंक वाली पिन क्षैतिज रूप से कसते हैं तथा पिन की क्षैतिज आधार से ऊँचाई, दर्पण की लगभग फोकस दूरी की दुगुनी रखकर पिन की स्टैण्ड से बाहर लम्बाई इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि उपर से देखने पर पिन की नोंक तथा दर्पण का ध्रुव एक ही ऊर्ध्व रेखा पर हो।
4. अब पिन को ऊर्ध्वाधर स्टैण्ड पर इतना ऊपर-नीचे चलाते हैं कि दर्पण में दिखाई देने वाले प्रतिबिम्ब की नोके परस्पर स्पर्श करें तथा इनके मध्य लम्बन न रहे।
5. अब साहुल सूत्र एवं मीटर पैमाने की सहायता से दर्पण के ध्रुव वस्तु पिन की दूरी माप लेते हैं यह दर्पण की वास्तविक वक्रता त्रिज्या त् है।
6. अब दर्पण पर थोड़ा प्रायोगिक द्रव डालकर पुनः पिन के प्रतिबिम्ब को देखते हैं तथा वस्तु पिन को इतना नीचे लाते हैं कि वस्तु पिन तथा प्रतिबिम्ब की नोकें परस्पर स्पर्श करें तथा इनके मध्य लम्बन न रहे।
7. अब दर्पण के ध्रुव से वस्तु पिन की दूरी साहुल सूत्र एवं मीटर पैमाने की सहायता से माप लेते हैं यह द्रव भरे होने पर दर्पण की आभासी वक्रता त्रिज्या R’ है।
अब भिन्न-भिन्न फोकस दूरी के अवतल दर्पण लेकर, इसी द्रव के लिए प्रयोग को तीन बार दोहराते हैं तथा पे्रक्षणों को प्रेक्षण सारणी में नोट करते हैं।
प्रेक्षण (Observations):
अवतल दर्पणों की लगभग फोकस दूरी = (i) ….. सेमी. (ii)……. सेमी. (iii) ……… सेमी. 2.
सारणी:
क्र.सं. अवतल दर्पण की
वास्तविक वक्रता
त्रिज्या R = CP सेमी. अवतल दर्पण की
आभासी वक्रता
त्रिज्या R = C’P सेमी. द्रव का अपवर्तनांक
𝛍 = R/R’
(मात्रकहीन) द्रव का माध्य अपवर्तनांक
𝛍 त्र 𝛍1़ 𝛍2़ 𝛍3ध्3

1.
2.
3. 𝛍1=
𝛍2=
𝛍3=

गणना (Calculations):
1. प्रत्येक अवतल दर्पण के लिए प्राप्त त् व त्ष् के मानों से द्रव के अपवर्तनांक की गणना करते हैं।
द्रव का अपवर्तनांक μ = R/R” =
2. अब द्रव के अपवर्तनांकों के प्राप्त मानों से द्रव का माध्य अपवर्तनांक ज्ञात कर लेते हैं।
द्रव का. माध्य अपवर्तनांक μ = μ 1 ़ μ 2 ़ μ 3 / 3 = …..
परिणाम (Result):
दिए गए द्रव का अपवर्तनांक …………. (मात्रकहीन) प्राप्त होता है।
सावधानियां (Precautions):
1. लिया गया द्रव पारदर्शी होना चाहिए।
2. प्रयुक्त अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या अधिक एवं द्वारक छोटा होना चाहिए।
3. दर्पण पर द्रव की कुछ बूंदें ही डालनी चाहिए।
4. वस्तु पिन की नोंक एवं प्रतिबिम्ब की नोंक के मध्य लम्बन पूर्णतः दूर कर लेना चाहिए।
त्रुटि स्त्रोत (Sources of Error):
1. गणना में प्रयुक्त सूत्र छोटे द्वारक एवं बड़ी वक्रता त्रिज्या के दर्पण के लिए ही सत्य है अतः यदि कम वक्रता त्रिज्या एवं बड़े द्वारक का दर्पण प्रयुक्त करते हैं तो परिणाम त्रुटिपूर्ण होंगे।
2. दर्पण पर द्रव की मोटी तह बनाने पर भी परिणाम त्रुटिपूर्ण होंगे।
मौखिक प्रश्न व उत्तर:
प्रयोग संख्या 7(ii) के पश्चात् देखें।

Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

2 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

2 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now