हिंदी माध्यम नोट्स
काल वृद्धि किसे कहते हैं ? Time dilation definition in hindi सम संस्थिति की आपेक्षिकता (Relativity of colocality)
भौतिकी में काल वृद्धि किसे कहते हैं ? Time dilation definition in hindi सम संस्थिति की आपेक्षिकता (Relativity of colocality) समझाइये ?
काल वृद्धि (Time dilation) :
सम संस्थिति की आपेक्षिकता (Relativity of colocality) : लॉरेन्ज रूपान्तरणों का एक और महत्वपूर्ण परिणाम किसी समयांतराल की काल वृद्धि है जिससे यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि “निरपेक्ष समय” का जिसका मान सब प्रेक्षकों के लिए समान हो , कोई अस्तित्व नहीं है | समय का मापन आपेक्षिक होता है तथा यह निर्देश तन्त्र पर निर्भर होता है |
मान लीजिये किसी निर्देश तन्त्र S’ में एक ही नियत स्थिति पर दो घटनाओं (जैसे घडी की टिक) के मध्य समयांतराल τ0 है | यह निर्देश तंत्र S’ जिसमें ये दोनों घटनाएं समसंस्थिति (colocal) पर हैं | इन घटनाओं या घडी के लिए उपयुक्त (उचित) निर्देश तन्त्र कहलायेगा | यदि इन घटनाओं का प्रेक्षण किसी अन्य निर्देश तंत्र S (प्रयोगशाला निर्देश तन्त्र) में लें जिसमें वह घड़ी अथवा घटना स्थिति v वेग से -X दिशा में गतिशील प्रेक्षित हो तो इस निर्देश तंत्र में दोनों घटनाओं की स्थितियां एक ही (सम संस्थिति) प्रेक्षित नहीं होगी |
मान लीजिये उपयुक्त निर्देश तंत्र S’ में दो घटनाएँ (घडी की टिक टिक) x1’ स्थिति पर t1’ और t2’ समयों पर प्रेक्षित होती है |
अत:
उचित (उपयुक्त) समयांतराल (proper time interval) τ0 = (t1’ – t2’)
ये घटनायें निर्देश तंत्र S में जिसके सापेक्ष S’ , v वेग से X दिशा में गतिशील है , t1’ और t2’ समयों पर प्रेक्षित होती हैं | इनकी स्थिति समान प्रेक्षित नहीं होगी |
लोरेन्ज रूपान्तरणों से
t2 = α (t1’ + vx1’/c2)
इसलिए S में प्रेक्षित समयांतराल t = t2’ – t1’ और
= α(t2’ – t1’ )
= ατ0
= τ0/√1-v2/c2
चूँकि √1-v2/c2 सदैव 1 से कम होगा | इसलिए τ सदैव τ0 से अधिक प्रेक्षित होगा | इस प्रकार किसी घडी को दो टिक टिक के मध्य समयान्तराल उपयुक्त निर्देश तन्त्र में यदि 1 सेकंड है तो अन्य जडत्वीय निर्देश तंत्रों में , जिसमें वह गतिशील प्रेक्षित होगी , यह समयान्तराल अधिक होगा अर्थात घडी धीरे धीरे चलती प्रेक्षित होगी |
इस प्रकार उपयुक्त निर्देश तंत्र में स्थित घडी C1 के सापेक्ष कोई अन्य जडत्वीय निर्देश तंत्र में स्थित घडी C2 जो C1 के उपयुक्त फ्रेम में गतिशील है , सदैव धीरे चलती प्रेक्षित होगी | इसी प्रकार C2 के उपयुक्त फ्रेम में जिसमें C1 गतिशील प्रेक्षित होगी , C2 की तुलना में C1 धीरे चलती लगेगी |
उपर्युक्त घटनाएं जो S’ में समान स्थिति x1’ पर t1’ और t2’ समयों पर प्रेक्षित होती है , S में भिन्न स्थितियों पर x1 और x2 प्रेक्षित होगी , जहाँ
x1 = x1’ + vt1’/(1-v2/c2)1/2
x2 = x1’ + vt2’/(1-v2/c2)1/2
जब t1’ और t2’ तब x1 = x2 अर्थात केवल समकालिक और समस्थिति पर घटनाएं ही अन्य निर्देश तन्त्र में समकालिक और समस्थिति पर प्रेक्षित होगी |
काल वृद्धि (विस्फारण) का प्रायोगिक सत्यापन (experimental verification of time dilation)
काल वृद्धि का एक स्पष्ट प्रमाण (साक्ष्य) π+ मेसोनों (पायोनो) के क्षय से प्राप्त होता है | उपयुक्त निर्देश तंत्र (proper frame) में इनकी अर्ध आयु 1.8 x 10-8 से (माध्य आयु 2.5 x 10-8) प्राप्त होती है | π+ मेसोन का विराम द्रव्यमान इलेक्ट्रान के द्रव्यमान का 273 गुना होता है और ये μ+ मेसोन और न्यूट्रिनो में क्षयित हो जाते है | प्रयोगशाला में त्वरित (accelerator) से प्राप्त उच्च ऊर्जा के प्रोटोनों की किसी लक्ष्य से टक्कर के द्वारा इन मेसोनों के पुंज को प्राप्त किया जा सकता है | इन मेसोनों का वेग प्रकाश के वेग के निकट (0.99 c तक) होता है | यदि इनका वेग के बराबर मानें तो लगभग 1.8 x 10-8 x 3 x 108 = 5.4 मीटर दूरी तय करने के पश्चात् उपयुक्त फ्रेम में इनकी संख्या घट कर प्रारंभिक संख्या की आधी रह जानी चाहिए | प्रयोगशाला में उनके फ्लक्स को 30 मीटर दूरी पर स्थित दो स्थितियों पर नापा गया | प्रेक्षणों से ज्ञात हुआ कि इतनी दूरी चलने पर भी फ्लक्स का मान प्रथम स्थान पर मान के आधे से अधिक (लगभग 60%) था जबकि उनकी अर्ध आयु के अनुसार यह मान लगभग 2% हो होना चाहिए था | इस असंगति का कारण प्रयोगशाला निर्देश तन्त्र में उनकी अर्ध आयु में काल वृद्धि है | कणों का वेग 0.99 c लेने पर प्रेक्षित अर्ध आयु
τ = τ0/(1-v2/c2)1/2 = 7τ0
= 12.6 x 10-8 सेकंड
इस समय में फ्लक्स आधा रहने के लिए तय की गयी दूरी लगभग 37 मीटर होगी और फ्लक्स 60% रहने के लिए दूरी लगभग 30 मीटर प्राप्त होगी जो प्रायोगिक परिणाम के अनुरूप है |
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…