त्रिविमीय ज्यामिति कक्षा 12 गणित प्रश्नावली हल पीडीएफ डाउनलोड three dimensional geometry class 12 pdf in hindi
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त्रि-विमीय ज्यामिती pdf download
त्रिविमीय ज्यामिति ज्यामितिक विज्ञान का एक शाखा है जो तीन आयामों (लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई) की माप करने, स्थानांतरण करने और निर्माण करने से संबंधित है। इसमें ज्यामितिक सूत्रों, सिद्धांतों और तकनीकों का उपयोग करके त्रिविमीय दूरी, आकार, आयाम, स्थानांतरण और त्रिविमीय आकृतियों को मापा और वर्णन किया जाता है।
त्रिविमीय ज्यामिति का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे निर्माण, भूगर्भीय ज्ञान, उड़ान यान, सड़क निर्माण, जल निर्माण, नौसेना, वनस्पति विज्ञान, सटीक नक्शापन आदि।
त्रिविमीय ज्यामिति में कई उपकरण और तकनीकें प्रयोग की जाती हैं, जैसे निर्माण स्तर, ज्यामिति इन्स्ट्रुमेंट, ज्यामिति डाटा प्रोसेसिंग सॉफ़्टवेयर, ज्यामिति लेजर, ज्यामिति स्कैनर, ज्यामिति कैमरा आदि।
त्रिविमीय ज्यामिति विज्ञान के अनुसार, जब हम त्रिविमीय दूरी, आकार और स्थानांतरण को मापते हैं, तो हम त्रिविमीय आकृति के तत्वों को वर्णन करते हैं जो वास्तविक दुनिया में निर्माण, विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में उपयोगी होती हैं।
त्रिविमीय ज्यामिति एक शाखा है जो तीन आयामों की माप और स्थानांतरण के संबंध में अध्ययन करती है। इसका उपयोग त्रिविमीय आकारों की वर्णन, निर्माण और गणना करने में किया जाता है। यह ज्यामिति के एक महत्वपूर्ण विभाग है और विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग होता है, जैसे भौतिकी, रसायन शास्त्र, इंजीनियरिंग, आरक्षण और कंप्यूटर ग्राफिक्स।
त्रिविमीय ज्यामिति में तीन आयाम लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई को मापा जाता है। इसके अलावा, यह भूमितीय निर्माण, स्थानांतरण, अंतरिक्ष ज्यामिति, कोण, अंतरदेशीय और प्रायोगिक ज्यामिति के साथ जुड़ी समस्याओं को हल करने में भी मदद करती है।
त्रिविमीय ज्यामिति के नियम, सूत्र और सिद्धांतों का उपयोग करके, हम त्रिविमीय आकारों के वर्णन, संयोजन, और समाधान कर सकते हैं। इसमें शीर्षक, व्यास, दिशा, केंद्र, संरेखाएं, गोलाकार वक्र, व्यास्त्रिज्या, समांतर-समकोणीय आकार, स्फेरा, गोला, और प्रिज्म जैसे तत्व शामिल होते हैं।
त्रिविमीय ज्यामिति अध्ययन के द्वारा, हम त्रिविमीय स्थानांतरण, दूरी, आयाम, संरेखाएं, आकार और आकृतियों को समझ सकते हैं और उनके सम्बंधित समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
त्रिविमीय किसे कहते हैं ?
त्रिविमीय का अर्थ है “तीन आयामों वाला”। जब हम किसी वस्तु, आकृति या स्थानांतरण के बारे में बात करते हैं और उसके लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई को मापते हैं, तो हम उसे त्रिविमीय कहते हैं। इसका मतलब है कि वस्तु या आकृति का तीनों आयामों में विस्तार होता है और हम इसे त्रिविमीय वस्तु या त्रिविमीय आकृति के रूप में जानते हैं। यह तीन आयाम सामान्य रूप से लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई होते हैं, जो एक त्रिविमीय ऑब्जेक्ट को परिभाषित करते हैं।
ज्यामिति किसे कहते हैं ?
ज्यामिति (Geometry) एक गणितीय शाखा है जो आकारों, संरेखाओं, निर्माणों, स्थानांतरणों, और उनके संबंधित गुणों का अध्ययन करती है। इसके माध्यम से हम आकृतियों को वर्णन, मापन, गणना और विश्लेषण करते हैं। ज्यामिति के नियम, सिद्धांत और गणितीय तर्क का उपयोग करके हम आकारों के बीच संबंधों को समझते हैं।
ज्यामिति भूमितीय और नक्शात्मक ज्ञान का महत्वपूर्ण अंग है और यह विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग होती है, जैसे इंजीनियरिंग, संगणक विज्ञान, भौतिकी, निर्माण, भूगर्भीय विज्ञान, विमानन, गणित और कंप्यूटर ग्राफिक्स आदि। इसके अलावा, ज्यामिति का उपयोग सामान्य जीवन में नक्शापन, आवास, वास्तुकला, सांस्कृतिक विरासत, गणनात्मक तकनीक, और समस्या हल करने में भी होता है।
ज्यामिति (Geometry) वह गणितीय विज्ञान है जो आकारों, संरेखाओं, निर्माणों, स्थानांतरणों और उनके संबंधित गुणों का अध्ययन करती है। यह शाखा आकार, आयाम, कोण, रेखाएँ, त्रिभुज, समतल, गोला, आकृति, रेखीय और त्रिविमीय संरेखाएँ, अंतरदूरी, और अन्य गणितीय तत्वों के बारे में शिक्षा देती है।
ज्यामिति के माध्यम से, हम आकारों को चित्रित, मापा, गणना और विश्लेषण करते हैं। यह गणितीय तर्क, सिद्धांत और नियमों का उपयोग करके होती है। ज्यामिति महत्वपूर्ण रूप से भूगर्भीय और नक्शात्मक ज्ञान का एक हिस्सा है और यह भौतिकी, रसायन शास्त्र, इंजीनियरिंग, संगणक विज्ञान, भूगर्भीय विज्ञान, विमानन, गणित और कंप्यूटर ग्राफिक्स जैसे क्षेत्रों में व्यापक उपयोग होती है।
संरेखा
संरेखा (Line) ज्यामिति में एक महत्वपूर्ण तत्व है। संरेखा एक सीधी और असीमित रेखा होती है जो दो बिंदुओं को जोड़ती है। इसकी लंबाई निर्धारित नहीं होती है और इसकी दिशा एकत्वपूर्ण होती है। संरेखा को तीन पट्टियों से निरूपित किया जा सकता है – आरंभ बिंदु, अंत बिंदु और सभी बिंदुओं को जोड़ने वाली सीधी रेखा।
संरेखा के प्रकारों में से कुछ महत्वपूर्ण प्रकार हैं:
1. समांतर संरेखा (Parallel Lines): जो संरेखाएं एक दूसरी से कभी नहीं मिलती हैं और समान दिशा और समान दूरी में पाई जाती हैं।
2. अंतरदूर संरेखा (Intersecting Lines): जो संरेखाएं एक दूसरे के साथ एक बिंदु में मिलती हैं।
3. लंबक संरेखा (Perpendicular Lines): जो संरेखाएं एक दूसरे के साथ 90 डिग्री कोण बनाती हैं। इनका ग्राफिकल प्रतिनिधित्व टी-शेप द्वारा किया जा सकता है।
संरेखाओं का अध्ययन ज्यामिति में महत्वपूर्ण है और इसका उपयोग भौतिकी, भूगर्भीय विज्ञान, निर्माण, कंप्यूटर ग्राफिक्स, संगणक विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में किया जाता है।
अंतरदूरी
अंतरदूरी (Intersecting) दो संरेखाओं का संयोजन या मिलन होने का स्थिति होती है। दो संरेखाएं जब एक ही बिंदु में मिलती हैं, तो हम कहते हैं कि वे अंतरदूर हैं। इस मिलन के परिणामस्वरूप, वे एक या अधिक बिंदुओं को साझा करती हैं।
अंतरदूरी संरेखाएं कई तरह की हो सकती हैं, जैसे:
1. साधारण अंतरदूरी (Simple Intersection): दो संरेखाएं एक ही बिंदु में मिलती हैं और वहाँ ही विलक्षण बिंदु बनाती हैं। इस बिंदु पर दो संरेखाओं का समानांतर पाया जाता है।
2. विलक्षण अंतरदूरी (Non-Simple Intersection): दो संरेखाएं एक ही बिंदु में मिलती हैं, लेकिन वहाँ एक अतिरिक्त बिंदु निर्माण करती हैं, जो संरेखाओं को अलग करता है।
अंतरदूरी का अध्ययन ज्यामिति में महत्वपूर्ण है, और इसका उपयोग निर्माण, भूगर्भीय विज्ञान, कंप्यूटर ग्राफिक्स, संगणक विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में किया जाता है। अंतरदूरी के माध्यम से हम विभिन्न आकृतियों, संरेखाओं और रेखांशों के मिलन से सम्बंधित गणितीय और भौतिकी गुणों का अध्ययन करते हैं।
विमानन किसे कहते हैं ?
विमानन (Aeronautics) वह विज्ञान है जो वायुमंडल में उड़ान करने, विमानों के डिज़ाइन और निर्माण, वायुयानों के कार्यप्रणाली, विमानों के उड़ान का निर्यातन, विमानों की निर्धारण और संचालन आदि के सम्बंध में अध्ययन करता है। यह शाखा विज्ञान, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के अंतर्गत आती है।
विमानन के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों का अध्ययन होता है, जैसे:
1. विमान डिज़ाइन और निर्माण: विमानों के आकार, संरचना, प्रोपलर्स, विमान इंजन, ब्रेकिंग सिस्टम, उड़ान के संबंधित यंत्र आदि का डिज़ाइन और निर्माण।
2. विमानों का उड़ान का निर्यातन: विमानों के उड़ान की योजना, मार्गनिर्धारण, नेविगेशन, अविघ्यात के नियम और अन्य संबंधित विमाननीय तत्वों का अध्ययन।
3. वायुयानों का निर्धारण और संचालन: विमानों के उड़ान की निगरानी, अवरोधन, वायुयान संचालन, उड़ानी सुरक्षा, ट्रैफिक नियंत्रण और अन्य विमाननीय प्रबंधन तत्वों का अध्ययन।
विमानन का अध्ययन उड़ानिकी उद्योग, विमानन अनुसंधान संगठन, सरकारी विमानन निकाय, निजी विमानन कंपनियों, और विमानन विद्यापीठों में किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य सुरक्षित, अधिकार्य और अधिकतम दक्षता के साथ विमानों के उड़ान को संभव बनाना होता है।
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