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ऊष्मागतिक प्रक्रम , समदाबी , समआयतनिक , समतापी , रुद्धोष्म प्रक्रम , thermodynamical process in hindi
(thermodynamical process in hindi) ऊष्मागतिक प्रक्रम : ऊष्मागतिक प्रक्रम ऊष्मा की गति के अध्ययन को कहते है , जैसा की हम जानते है कि जब हम गर्मी में किसी बर्फ के टुकड़े को हाथ लगाते है तो हमें बहुत ही अधिक आराम मिलता है क्योंकि बर्फ की तुलना में हमारा शरीर अधिक गर्म होता है जिससे हमारे शरीर से ऊष्मा का उत्सर्जन होता है और हमें ठंडक का अनुभव होता है , इसी प्रकार जब अधिक गर्म वस्तु को हाथ लगाते है तो हमें अच्छा नहीं लगता क्योंकि इस स्थिति में ऊष्मा गर्म वस्तु से हमारे शरीर में तेजी से गति करती है जिससे हमें गर्मी का अनुभव होता है और हमारा शरीर का ताप बढ़ जाता है जिससे हमें अच्छा नही लगता है।
ऊष्मा का प्रवाह उच्च मान से कम मान की तरफ होता है अर्थात यदि कोई वस्तु अधिक गर्म है तो ऊष्मा अधिक गर्म वस्तु से निम्न गर्म वस्तु की होगा , और ऊष्मा के प्रवाह या गति का अध्ययन करना ऊष्मागतिक प्रक्रम कहलाता है।
यदि दोनों वस्तुओं के ताप में अधिक अंतर है तो ऊष्मा की गति तेजी से होती है जैसे बर्फ को हाथ लगाते ही हमें ठंडक का अनुभव होता है चाहे कितनी भी अधिक गर्मी क्यों न हो।
यदि दो वस्तुओं का ताप समान है अर्थात समान रूप से गर्म है तो उनके मध्य ऊष्मा की गति नहीं होती है।
ऊष्मागतिक प्रक्रम की परिभाषा : किसी निकाय में या निकायों के मध्य ऊष्मा ऊर्जा की गति को कहलाती है , निकाय की अवस्था में परिवर्तन की यह एक प्रक्रिया है और निकाय में यह परिवर्तन इसके दाब , ताप , आयतन के परिवर्तन से होता है , अत: निकाय में परिवर्तन की प्रक्रिया को ही ऊष्मागतिक प्रक्रम कहते है।
यह चार प्रकार का होता है
1. समदाबी प्रक्रम (Isobaric Process)
2. समआयतनिक प्रक्रम (Isochoric Process)
3. समतापी प्रक्रम (Isothermal Process)
4. रुद्धोष्म प्रक्रम (adiabatic process in hindi)
अब हम यहाँ हर एक प्रक्रम को थोडा विस्तार से समझते है।
1. समदाबी प्रक्रम (Isobaric Process) : ऐसा प्रक्रम जिसमे निकाय का दाब समान रहता है , इसे निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है –
माना एक पात्र में एक पिस्टन लगा है और इसमें कुछ गैस भरी हुई है , जब इसे गर्म किया जाता है तो गस के अणु गर्म होकर गति करते है और इसकी दीवारों पर जोर लगाते है जिससे पिस्टन खिसक जाता है और गैस का क्षेत्र बढ़ जाता है , हालाँकि क्षेत्र बढ़ने से निकाय में परिवर्तन आया लेकिन चूँकि पहले की तुलना में क्षेत्र बढ़ गया इसलिए दीवारों पर गैस के कारण लगने वाला बल अर्थात दाब का मान पहले के समान ही है , इसलिए इस प्रक्रम को समदाबी प्रक्रम कहेंगे।
2. समआयतनिक प्रक्रम (Isochoric Process) : ऐसा प्रक्रम जिसमे आयतन का मान समान रहता है , जब एक ठोस में भरी गयी गैस को गर्म किया जाता है तो इसका आयतन का मान नहीं बढ़ सकता क्योंकि यह थोड है लेकिन गर्म करने से गैस के अणु अधिक तेजी से गति करते है जिससे दाब इत्यादि का मान बढ़ जाता है अर्थात निकाय में परिवर्तन तो होता है लेकिन आयतन समान बना रहता है अत: इसे समआयतानिक प्रक्रम कहते है।
3. समतापी प्रक्रम (Isothermal Process): ऐसा प्रक्रम जिसमे निकाय का ताप समान बना रहता है केवल दाब , आयतन आदि में परिवर्तन आता है।
4. रुद्धोष्म प्रक्रम (adiabatic process in hindi) : ऐसा प्रक्रम जिसमे निकाय के अन्दर या बाहर कोई भी ऊष्मा की गति न हो अर्थात सम्पूर्ण निकाय को रोधक पदार्थ से पैक कर दिया जाता है।
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