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एकांत की अवस्था किसे कहते है (The Stage of Seclusion in hindi) | वापसी का अनुष्ठान (The Rite of Return)
(The Stage of Seclusion in hindi) एकांत की अवस्था किसे कहते है वापसी का अनुष्ठान (The Rite of Return) की परिभाषा क्या है अर्थ मतलब बताइए ?
एकांत की अवस्था (The Stage of Seclusion)
एकांत का चरण आमतौर पर तीन से चार महीनों का होता है। टर्नर ने जिस विशिष्ट मुकांदा अनुष्ठान को देखा उसमें यह सिर्फ दो महीने चला। ऐसे लंबे समय तक चलने वाले अनुष्ठान जो पूरा होने में दो से चार महीनों का समय लेते हैं, देम्बू समाज के अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू हैं। इनसे हमें यह भी पता चलता है कि ऐसे जनजातीय रीति-रिवाज सामाजिक एकजुटता और मुखिया/सरपंच जैसी विशेष विशिष्ट भूमिका निभाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस चरण में सबसे पहले नव दीक्षितों का निवास बनाया जाता है। यह घास और लकड़ियों का कच्चा मकान होता है। लड़के यहाँ खाते और सोते हैं और रिश्तेदारी की अपेक्षा मित्रता के आधार पर गुट बनाते हैं। उनकी देखभाल का काम प्रशिक्षक द्वारा संभाला जाता है जो खाने पीने के नियमों के पालन की ओर ध्यान देता है। यहाँ की गुप्त बातें कभी बाहर आती नहीं, पर आजकल इस नियम का उल्लंधन किया जा रहा है। जब तक उनके घाव भर न जाये नव दीक्षित और उनके मां-बाप नमक नहीं खा सकते हैं। मां-बाप के लिये संभोग भी मना है। नमक, खून, वीर्य और संभोग को एक दूसरे से जोड़ा जाता है। माना जाता है कि नमक खाने या संभोग करने से नव दीक्षितों के घाव भरने में दिक्कत होती है। अनुशासन और बड़ों का सम्मान जैसे मूल्य नव दीक्षितों को सिखाये जाते हैं । टर्नर के अनुसार ‘‘उन्हें सुशील बनकर रहना था, कम बोलना था और छोटे-मोटे काम चुस्ती से करने थे। (टर्नर 1967: 236) निवास के अधिकारियों और बुजुर्गों द्वारा उन्हें शिक्षा दी जाती है, जैसे झूठ न बोलना, चोरी न करना, वृद्धों की निदा न करना शौर्य कायम करना और अतिथि-सत्कार करना। जब वे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं तब ‘चिकुला‘ विधियों का आरंभ होता है । ‘मकीशी‘ मुकुटधारी जिन्हें मरे हुए सरपंचों की आत्माओं का प्रतीक माना जाता है, नृत्य करते हैं। इस नृत्य के माध्यम से बताया जाता है कि लड़के अब स्वस्थ हैं। उनके माता-पिताओं को नमक दिया जाता है। अब वे अपने शारीरिक संबंध फिर से कायम कर सकते हैं। ‘चिकुला‘ विधियों के समाप्त होने के बाद लड़कों को जनजाति की मिथक पहेलियों, कहावतों, शिकार संबंधित नृत्य और गाने सिखाये जाते हैं। वे ‘कू-टोंबोका‘ युद्ध नृत्य करना सीखते हैं। जिसे मुकांदा के अंत में हर लड़के को कर के दिखाना पड़ता है।
कार्यकलाप 2
भारत की किसी एक आदिम जाति के लोगों के दीक्षा ग्रहण समारोह के बारे में कुछ सूचना एकत्रित करने का प्रयास करें। आप अपने केन्द्र के विद्यार्थियों के साथ अपनी सूचनाओं का मिलान करने का प्रयास करें।
वापसी का अनुष्ठान (The Rite of Return)
एकांत के चरण की समाप्ति पर नव दीक्षितों को मुकांदा के बाद के अपने पहले सामूहिक दर्शन के लिये सफेद मिट्टी के लेप से सजाया जाता है। यह सजावट इस बात का प्रतीक है कि वे अब बदल गये हैं, खासतौर पर अपनी माँ से अलग हुए हैं। वे अब बच्चे नहीं, बल्कि बालिग मर्दो के नैतिक समूह के सदस्य हैं। उन्हें अपने माता-पिता के शिविर में लाया जाता है जहाँ खुशी भरे गीतों के साथ उनका स्वागत किया जाता है। रात भर नाच-गाने के कार्यक्रम होते हैं जिसमें वे भाग लेते है। महिलाएँ और छोटे बच्चे (जिनका खतना अभी नहीं हुआ) यह दृश्य नहीं देख सकते। उस रात में अंतिम भव्य जश्न के लिए लड़कों को बड़ी सजगता से सजाया और तैयार किया जाता है। आवास प्रशिक्षक अपना अंतिम भाषण देते हुए नव दीक्षितों को खाने और संभोग संबंधी निषिद्ध नियमों का पालन करने का आदेश देता है। इसके बाद ‘कू-टोंबोका‘ नृत्य शुरू होता है। लड़कों के कार्य की चर्चा और मूल्यांकन किया जाता है। इसके बाद लड़के अपने अपने गाँव चले जायेंगे जहाँ और जश्न मनाए जायेंगे। मुकांदा में भाग लेने वाले अधिकारियों का भुगतान किया जाता है और इस तरह मुकांदा समाप्त होता है।
टर्नर द्वारा मुकांदा का विश्लेषण (Turner’s Analysis of ‘Mukanda’)
टर्नर द्वारा मुकांदा के विश्लेषण को समझने के लिये यह आवश्यक है कि हम उन सैद्धांतिक विचारों को समझ लें जिनका परिचय उन्होंने इस क्षेत्र में किया है। एक विचारधारा को “सामाजिक संरचना‘‘ की विचारधारा कहा जा सकता है। इसी क्रम में उन्होंने समाज व्यवस्था की संरचना जैसे वंशानुक्रमिक, राजनीतिक गठबंधन और गुट तथा सामाजिक विशिष्टताओं से संबंधित आंकड़े भी जमा किये। दूसरी विचारधारा सांस्कृतिक संरचना को सामने लाने से संबंधित है। इस क्रम में उसने अनुष्ठान संबंधित जानकारियाँ और आम व्यक्तियों की व्याख्याएँ एकत्रित कीय और व्यावहारिक जीवन के उन अंगों को समझने का भी प्रयास किया जिनका आनुष्ठानिक व्यवस्था से सीधा संबंध है।
बॉक्स 7.02
टर्नर ने अपने मुकांदा संबंधी विश्लेषण में आनुष्ठानिक व्यवहार को उसके सामाजिक संदर्भ में समझने का प्रयास किया है। उसके शब्दों में ……. ‘‘यह बात स्पष्ट हुई कि मुकांदा में जिन प्रसंगों को मैंने देखा वे आनुष्ठानिक और सामाजिक दोनों तत्वों से प्रभावित थे।“ (टर्नर, 1967ः 262) टर्नर की व्याख्या के मुख्य मुद्दों पर आइए नजर डालें।
1) मुकांदा माता-पिता और बच्चे के अंतः संबंधों को पुनः परिभाषित करने में सहायक है। (Mukanda helps redefine parent child relationships): मुकांदा के माध्यम से माँ-बेटे और बाप बेटे के रिश्ते में परिवर्तन होता है। टर्नर कहता है …………मुकांदा के बाद इन तीनों के आपसी संबंध नये मूल्यों और लक्ष्यों पर आधारित होते हैं। अपनी माँ के लाडले अपवित्र बच्चे…… पुरुषों के नैतिक समुदाय के पवित्र सदस्य बन जाते हैं। जो देम्बू समाज के न्यायिक, राजनीतिक और आनुष्ठानिक मामलों में भाग ले सकते हैं।” (टर्नर, 1967: 266) इस प्रकार वे परिवार के बाहर भी संबंध जोड़ने में सक्षम बन जाते है। माँ के द्वारा लड़का अपने गाँव के मातृसत्तीय वंश से जुड़ा रहता है। लेकिन अपने पिता द्वारा वह दूसरे गाँव और इससे भी बड़ी सामाजिक इकाइयों से (पड़ोस………..जनजाति) से संबंध जोड़ सकता है। टर्नर के अनुसार ‘‘मुकांदा से संबंध व्यापक और मजबूत बनते हैं। और संकीर्ण संबंध घट जाते हैं।‘‘ (टर्नर, 1967ः 266) मातृसत्तात्मक वंश के होने के बावजूद मुकांदा पुरुषों की एकता पर जोर देता है।
2) मुकांदा सामाजिक संतुलन को पुनः स्थापित करता है (Mukanda as a mecha nism for restoring equillibrium in society): मुकांदा का आयोजन तब होता है जब समाज में बहुत सारे अपवित्र लड़के होते हैं जो महिलाओं के आस-पास घूमते रहते हैं। माँ से अधिक लगाव हानिकारक माना जाता है और मुकांदा के द्वारा इन लड़कों को पिता के नियंत्रण में लाया जाता है।
3) मुकांदा-प्रतिष्ठा के लिये संघर्ष (Mukanda as a Struggle for prestige): हम देख चुके हैं कि किस प्रकार मुकांदा का आयोजन और उससे संबंधित कर्तव्य और कार्य प्रतिष्ठा और नेतृत्व के लिये प्रतिस्पर्धा से जुड़े हैं। मुकादा आयोजित करने वालो को विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं जिनका प्रयोग वे भविष्य में धार्मिक या अन्य अवसरों पर कर सकते है।
संक्षेप में मुकांदा जैसे पेचीदा अनुष्ठान को निर्धारित व्यवहारों और प्रतीकों से कुछ बढ़कर देखा गया है । टर्नर इसे उस सामाजिक परिवेश के संदर्भ में देखता है जिसका वह एक अंग है। इस प्रकार सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक संरचना को टर्नर उनके गहरे अंतः संबंधों के संदर्भ में देखता है। तभी तो अनुष्ठानों का यह अध्ययन इतना गहरा और सूक्ष्म है।
बोध प्रश्न 3
प) घर में नव दीक्षितों को सिखाये जाने वाले मूल्यों में से कुछ पर प्रकाश डालिए । अपना उत्तर पाँच पंक्तियों में दीजिए।
पप) मुकांदा माता-पिता एवं उनके पुत्र के बीच के संबंध को कैसे नया रूप प्रदान करता है। अपना उत्तर पाँच पंक्तियों में दीजिए।
बोध प्रश्नों के उत्तर
बोध प्रश्न 3
प) घर में नव दीक्षितों/लड़कों को अनुशासन में रहना और आज्ञापालन करना सिखाया जाता है । उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि वे चोरी न करें, झूठ न बोलें, बड़े-बूढ़ों पर न हंसें और साहसी और मेहमाननवाज बनें ।
पप) मुकुन्दा “अपवित्र” बच्चों को पुरुष नैतिक समुदाय का पवित्र सदस्य बनाता है । इससे वे अधिक समय तक माँ या मातृवंशीय संबंधी से जुड़े नहीं रहते बल्कि अब वे बड़ी सामाजिक इकाइयों के साथ जुड़ने की स्थिति में आ जाते हैं ।
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