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ताजमहल का पूर्वगामी किसे कहते है , मुगलों की कब्रगाह किसे कहा जाता है tajmahal ka purvgami kise kahate hain

tajmahal ka purvgami kise kahate hain ताजमहल का पूर्वगामी किसे कहते है , मुगलों की कब्रगाह किसे कहा जाता है ?

हुमायँ का मकबरा – अकबर काल के स्थापत्य का प्रथम उदाहरण दिल्ली स्थित दोहरी गुम्बद वाला विशाल हुमायू का मकबरा है जो कि ईरानी शैली पर आधारित है। इसमें चारबाग प्रणाली व कृत्रिम फव्वारों का प्रयोग हुआ है। इसमें लाल बलुआ पत्थर व संगमरमर का मिश्रित प्रयोग किया गया है। इसे ताजमहल का पूर्वगामी भी कहा जाता है।
इसे अकबर की सौतेली माँ एवं हुमायूँ की विधवा हाजी बेगम (बेगा बेगम) द्वारा ईरानी वास्तुकार मिरक मिजा गियास की देखरेख में 1565 ई. में बनवाया गया। यह मुगलकालीन पहला मकबरा जिसमें संगमरमर का प्रयोग किया गया। यह फारसी शैली का विशुद्ध नमूना है। इसके स्थापत्य की मुख्य विशेषताएं हैं –
ऽ फारसी चारबाग प्रणाली का पहली बार प्रयोग।
ऽ योजना में फारसी मॉडल एवं वास्तुकला में पंचकरण शैली का प्रयोग।
ऽ अष्टभुजीय हाल
ऽ श्वेत संगमरमर का विशाल गुंबज एवं द्विगुम्बदीय (दुहरा) प्रणाली का प्रयोग
ऽ तराशे गए लाल बलुआ पत्थर उसके विपरित सफेद संगमरमर की नक्काशी।
ऽ चबूतरे का निर्माण (खिलजी, तुगलक तकनीकी छज्जे व छतरियां)। दुहरा गुंबद।
हुमायूं के मकबरे को मुगलों की कब्रगाह जाता है। इसमें हाजी बेगम, ब हलिमा, हमीदा बाना बनम ष् दारा शिकाह, मुहम्मद शाह (औरंगजेब का पत्रा, बहादरशाह प्रथम. जहाँदारशाह, फर्रूखशियर रफा-उद-दरजात, रफी-उद-दौल्ला, आलमगीर द्वितीय, शाहआलम द्वितीय, अकबर द्वितीय आदि की कब्रे है।

तुगलककालीन वास्तुकला के प्रमुख स्मारक कौन-कौनसे हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर: गयासुद्दीन तुगलक कालीन स्थापत्य
(1) तुगलकाबाद का नगर रू इसकी ढलवाँ दीवारें जो बड़े-बड़े असमान पत्थरों से बनी थी और जिनमें थोड़े-थोड़े अंतर के पश्चात् वृत्ताकार बुर्ज बने थे। इब्बनबतूता लिखता है कि गयासुद्दीन का बड़ा महल सुनहरी ईटों से बना था और जब सूर्य उदय होता था तो वह इतनी तेजी से चमकता था कि किसी की भी उस पर आँख नहीं ठहरती थी।
(2) गयासुद्दीन का मकबरा रू यह गढ़ी के पास ही है जिसे कृत्रिम झील के बीच बने रास्ते से जोड़ा गया है। इसलाल पत्थर तथा सफेद व काले संगमरमर का मिलाजुला प्रयोग किया गया है। गुम्बद पूर्णतः श्वेत संगमरमर बनाया गया है जिसमें हिंदू-शैली के समान कलश रखा गया।
मोहम्मद बिन तुगलक कालीन स्थापत्य
1. आदिलाबाद का लघुदुर्ग
2. जहांपनाह नगर
फिरोजशाह तुगलक कालीन स्थापत्य
फिजिशाह तुगलक ने अपने समय में अनेक निर्माण कार्य करवाये। उसे. श्सल्तनत काल का अकबरश् कहा गया। इस अनेक नगर बसाये। ये नगर हैं –
1. फिरोजशाह कोटला – दिल्ली
2. फिरोजाबाद – दिल्ली
3. फिरोजपुर – पंजाब
4. हिसार – हरियाणा
5. फतेहाबाद – उत्तर प्रदेश
6. जौनपुर – उत्तर प्रदेश
अन्य इमारतें
हौज-खास का मदरसा – यह फिरोज तुगलक शैली का सुदरतम रूप है।
फिरोज तुगलक का मकबरा – दिल्ली
फिरोजाबाद दुर्ग – दिल्ली
कुतुबमीनार – इसकी ऊपरी मंजिल बनवायी।
फिरोज तुगलक के समय एकागंना और चतुरांगना प्रकार की मस्जिदें बनायी गयी।
एकांगना मस्जिद
जामा मस्जिद – यह फिरोजशाह कोटला 1355 ई. में है।
जामा मस्जिद – हौज खास (1360 ई.)
कला मस्जिद – तुर्कमान द्वार (1387 ई.)
चतुरांगना मस्जिद
खिड़की मस्जिद (दिल्ली), निजामुद्दीन की कला मस्जिद (दिल्ली), कालूसराय मस्जिद, खास मस्जिद, चैबुर्जी मस्जिद, जुमा मस्जिद, कालूसराय मस्जिद।
मकबरे
इसके समय में अष्ट भुजाकार मकबरे पहली बार निर्मित होने लगे।
1. खाने जहां तेलंगानी का मकबरा रू यह तुगलककालीन सबसे प्रमुख मकबरा है जो फिरोज के वजीर खाने जहां तेलंगानी की याद में
बनाया गया। यह पहला मकबरा था जो अष्टकोणीय था।
2. कबीरूद्दीन औलिया का मकबरा रू यह महमूद तुगलक के समय बना। इसे लाल गुम्बद भी कहा जाता है। अन्य रू नासिरूद्दीन महमूद
के समय कबीरूद्दीन औलिया का मकबरा बना जो लाल गुम्बद के नाम से जाना गया।
प्रश्न: सैय्यद एवं लोदी कालीन स्थापत्य की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर: सैय्यद एवं लोदी कालीन स्थापत्य की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं
1. इमारतों में मकबरे अधिक बने।
2. मकबरें चतुर्भुजी और अष्टभुजी।
3. मकबरों में दोहरे गुम्बद का प्रयोग।
4. मकबरों में नक्काशी व सजावट।
5. मकबरों में टाईलों का प्रयोग।
सैय्यदकालीन स्थापत्य
खिज्र खाँ – खिज्राबाद नगर दृ
मुबारकशाह – मुबारकबाद नगर, मुबारकशाह का मकबरा (दिल्ली), अष्टभुजाकार
मोहम्मदशाह का मकबरा – अष्टभुजाकार (दिल्ली)
लोदी काल में मकबरों को ऊँचे चबूतरे पर बनाया गया तथा कुछ मकबरे उद्यान के मध्य बनाये गये। जैसे – दिल्ली का . लोदी गार्डन। इसीलिये लोदीकाल को मकबरों का काल भी कहा जाता है। लोदी मकबरों में सुल्तानों द्वारा बनवाये गये मकबरे अष्टभुजी होते थे तथा अमीरों द्वारा बनवाये गये मकबरे चतुर्भुजी होते है। सिकन्दर लोदी ने एक गम्ब पर दो गुम्बद की (द्वि गुम्बदीय) नई शैली की शुरुआत की। दिल्ली की मोठ मस्जिद सिकन्दर लोदी के प्रधान भुवा ने बनाई।
लोदीकालीन स्थापत्य
आगरा नगर की स्थापना – 1504-6 ई.
सिंकदर लोदी का मकबरा – इसकी महत्वपूर्ण विशेषता है
(1ं) इसमें पहली बार दोहरे गुम्बद का प्रयोग किया गया।
(2) चार दीवारी से घिरे सहन की विशालता।
(3) 60 स्तम्भों पर टिका हुआ है।
(4) अष्टभुजाकार
. बड़ी गुम्बद मस्जिद – दिल्ली
जमाली-कमाली मस्जिद – दिल्ली
मोठ मस्जिद – वजीर मियाँ भुआ द्वारा निर्मित. लोदी कालीन सबसे बड़ी मस्जिद है इसमें तीन गुम्बद व पाँच मेहराबे हैं।
प्रश्न: अकबर कालीन मुगलकालीन स्थापत्य की विशेषकर हुमायूं के मकबरे और दुर्ग स्थापत्य की मुख्य विशेषताएं बताइए।
उत्तर: अकबरकालीन स्थापत्य कला की विशेषताओं में गुम्बदों का प्रयोग कम, मेहराबों का प्रयोग सिर्फ अलंकरण हेतु, ज्यादातर लाल बलुआ पत्थरों का प्रयोग तथा संगमरमर का सीमित प्रयोग मितव्ययिता को दर्शाता है। इन भवनों के निर्माण का उद्देश्य आवश्यकता, भावना, व्यावहारिकता तथा अध्यात्मवाद पर आधारित था न कि अतिशय सौन्दर्यता के प्रदर्शन हेत। अकबरकालीन स्थापत्य कला हिन्दू-मुस्लिम (ईरानी) शैलियों का सम्मिश्रण थी। हिन्दू व देशी विशेषताओं में राजपूत शैली, बौद्ध विहार शैली, शहतीरों का प्रयोग, किलानुमा संरचना आदि प्रमुख हैं। जबकि दोहरी गुम्बद, मेहराब, नक्काशी, इस्लामिक पद्धति से चित्रांकन आदि ईरानी मुस्लिम शैली की है। इस काल के स्थापत्य में गुम्बद, मेहराब, संगमरमर का कम प्रयोग व लाल बलुआ पत्थर का ज्यादा प्रयोग मितव्ययिता को दर्शाता है। इस कला के प्रमुख भवन फतेहपुर सीकरी स्थित जामा मस्जिद, बुलन्द दरवाजा, मरियम महल, पंचमहल आदि हैं।
लाल बलुआ पत्थर का अधिकांश प्रयोग। प्रभाव के लिए कहीं-कहीं श्वेत संगमरमर का भी प्रयोग। निर्माण में शहतीर को आधार बनाया। छतरियों के अलंकरण के लिए ट्यूडर मेहराबों का प्रयोग (मेहराबी व शहतीरी शैली का समान अनुपात) किया गया। आरंभिक भवनों में लोदीकालीन गुंबदों का प्रयोग हुआ है। अकलंकरण जड़ावट, नक्काशी एवं चित्रकारी द्वारा किया गया है। इस शैली का पहला भवन आगरे का लाल किला (शाही महल) तथा जहांगीरी महल हैं। अकबर कालान प्रमुख स्मारक निम्न हैं।

अकबर कालीन दुर्ग स्थापत्य
अकबर के द्वारा 4 दुर्ग बनाये गये। (1) आगरा का शाही आवास (1564) (2) लाहौर दुर्ग (1585) (3) इलाहबाद दुग (1583) (4) अटक दुर्गे अकबर के भवनों को आगरा व फतेहपरा सीकरी के आधार पर दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। आगरा स्थित किला अत्यन्त विशाल है जो कि महान सत्ता व शक्ति एवं राजपूतों के साथ मित्रवत् सम्बन्ध का दर्शाता है। इस पर भारतीय शैली की प्रमुखता दिखाई देती है। यह लाल बलआ पत्थर से निर्मित तथा गुजरात, राजस्थान, बंगाल शैली पर आधारित है। इसमें गुम्बदों के प्रयोग से बचा गया है। इस किले में जहाँगीरी महल, अकबरी महल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास एवं दिल्ली दरवाजा प्रमुख हैं। जहांगीरी महल ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर के महलों की नकल है। इस महल में हिन्दू और इस्लामी परम्पराओं का समन्वय हुआ है।

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