हिंदी माध्यम नोट्स
T AND π SECTIONS in hindi CONVERSION BETWEEN T व π खण्डों का परस्पर रूपांतरण क्या है ?
जानिये T AND π SECTIONS in hindi CONVERSION BETWEEN T व π खण्डों का परस्पर रूपांतरण क्या है ?
जटिल परिपथ जाल का लघुकरण (REDUCTION OF COMPLICATED NETWORK)
T और π या स्टार (Star) और डेल्टा (Delta) जाल – अनेक परिपथ जाल बहुत जटिल होते हैं और उनका विश्लेषण कठिन होता है। ऐसे जालों का लघुकरण कर उनके व्यवहार का ज्ञान संभव होता है। कोई निष्क्रिय (passive) जाल दूसरे निष्क्रिय जाल के तुल्य होता- है यदि उसके बाह्य टर्मिनलों पर प्राप्त वोल्टता व धारा के मान में कोई अन्तर न पड़े। मान लीजिये कि कोई जटिल परिपथ जाल है जिसे एक बॉक्स द्वारा निरूपित किया गया है इस जाल के बाह्य टर्मिनल 1, 1 व 2,2 हैं (चित्र 1.5-1)।
चित्र (1.5-1)
इन दो टर्मिनल-युग्मों में से एक युग्म पर कोई निश्चित लोड प्रतिबाधा प्रयुक्त कर दूसरे युग्म पर निवेशी प्रतिबाधा ज्ञात की जा सकती है। सरलता के लिये ये लोड प्रतिबाधाओं अनंत (infinite ) व शून्य ( zero) (खुला परिपथ या लघुपथित परिपथ) ली जा सकती है। 2.2 टर्मिनलों को खुला रख कर 1.1 टर्मिनलों पर मापित प्रतिबाधा को Zioc से निरूपित किया जाता है, 2.2 को लघुपथित कर 1.1 पर प्रतिबाधा को 21sc से निरूपित किया जाता है, इसी प्रकार 2.2 पर मापित प्रतिबाधायें Z20c ( 1.1 खुले रख कर ) 22sc (1, 1 लघुपथित कर) द्वारा निरूपित होती है। यदि किसी अन्य परिपथ जाल के लिये ये चार टर्मिनल प्रतिबाधायें दिये गये परिपथ के लिये टर्मिनल प्रतिबाधाओं के बराबर हों तो ये परिपथ जाल परस्पर तुल्य होते हैं।
कम से कम तीन प्रतिबाधाओं के द्वारा ऐसे सरल परिपथ जाल की रचना की जा सकती है जो किसी अन्य जटिल परिपथ जाल के तुल्य हो । तीन प्रतिबाधाओं से दो आकृतियों के जाल संभव हैं : T व II आकृतियाँ। Tव II आकृतियों के तीन प्रतिबाधाओं द्वारा रचित जाल को क्रमशः स्टार (star) व डेल्टा (delta) जाल भी कहते हैं। T व II जालों को चित्र (1.5-2 ) में प्रदर्शित किया गया है।
मान लीजिये किसी जटिल चर्तुटर्मिनल परिपथ के लिये पूर्व – परिभाषित प्रतिबाधाओं के मापित मान
Zioc,Z1sc Z20c व Z2sc है। यदि इसके तुल्य एक 7- जाल की रचना करे जिसके अवयवों की प्रतिबाधायें z1, z2 व Z3 हैं (चित्र 1.5-2 (अ)) तो इस जाल के लिये
2.2 टर्मिनलों को खुला रखकर 1.1 पर प्रतिबाधा
Z1oc = Z1 + Z3
2.2 टर्मिनलों को लघुपथित कर 1.1 पर प्रतिबाधा
इस प्रकार Z1, Z2 व 23 के मान ज्ञात कर तुल्य T- परिपथ की रचना कर सकते हैं। तुल्य II परिपथ प्राप्त करने के लिये उपरोक्त विश्लेषण की भांति (चित्र 1.5-2 (ब))
संक्षेप में कोई भी रैखिक (linear), द्विपाविक (bilateral), निष्क्रिय (passive) वैद्युत परिपथ निश्चित आवृत्ति पर एक T अथवा II जाल के द्वारा निरूपित किया जा सकता है।
T व π खण्डों का परस्पर रूपांतरण (CONVERSION BETWEEN T AND π SECTIONS)
पिछले खण्ड में किसी भी जटिल वैद्युत जाल के T अथवा II जाल में रूपांतरण की विधि का वर्णन किया गया था। T व I] खण्डों का उसी सिद्धान्त के आधार पर परस्पर रूपांतरण भी संभव है। मान लीजिए एक T- जाल, जिसके अवयव Z1, Z2 तथा Z3 है एक II- जाल के तुल्य है जिसके अवयव ZA, ZB व Zc है। जालों की तुल्यता के लिये उनके टर्मिनलों पर निश्चित आवृत्ति पर मापित प्रतिबाधायें Z1oc, Z1sc Z2oc व Z2sc बराबर होनी चाहिये। किन्हीं तीन प्रतिबाधाओं (चित्र 1.5-2 ) की तुल्यता से रूपांतरण समीकरण प्राप्त कर सकते हैं।
T – जाल के लिये II जाल के लिए
समी. (5-7) II-जाल से T – जाल में रूपांतरण के लिए संबंध है | T- से II – जाल में रूपांतरण के लिये समी. (5), (6) व (7) के परस्पर गुणनफलों को योग करने पर
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…