हिंदी माध्यम नोट्स
संश्लेषित अपमार्जक क्या है , परिभाषा , प्रकार , क्रांतिक मिसेल सान्द्रता (CMC) , साबुन और अपमार्जक में अंतर
(synthetic detergents in hindi) संश्लेषित अपमार्जक क्या है , परिभाषा , प्रकार , क्रांतिक मिसेल सान्द्रता (CMC) , साबुन और अपमार्जक में अंतर किसे कहते है ?
synthetic detergents संश्लेषित अपमार्जक : लम्बी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला युक्त सल्फ्यूरिक अम्ल या सल्फोनिक अम्लों के सोडियम लवण अपमार्जक कहलाते है।
ये साबुन नहीं होते परन्तु साबुन के समान कार्य करते है अत: इन्हें साबुन रहित साबुन (soap less soap) भी कहते है।
अपमार्जक अणु के दो भाग होते है –
1. हाइड्रोकार्बन भाग या जल विरोधी भाग
2. आयनिक भाग या जल स्नेही भाग
जैसे : सोडियम लारिल सल्फेट
अपमार्जको के प्रकार
अपमार्जक निम्न प्रकार के होते है –
1. धनायनिक अपमार्जक : ये मुख्यत चतुष्क अमोनियम लवण होते है इनका जल स्नेही सिरा धनायन होता है इसलिए इन्हें प्रतीप साबुन कहते है , इनके अणुओं का बड़ा भाग धनावेशित होता है। ये अधिक महंगे होते है अत: इनका उपयोग सिमित होता है।
उदाहरण : सैटिल ट्राई मेथिल अमोनियम क्लोराइड
2. ऋणायनिक अपमार्जक : इन अपमार्जको का ऋणायन पृष्ठ सक्रीय होता है इनमे लम्बी श्रृंखला युक्त भाग पर ऋणावेश होता है।
उदाहरण : सोडियम लोरिल सल्फेट
3. उदासीन अपमार्जक : आधुनिक अपमार्जक सामान्यत: उदासीन होते है ये मुख्यत: पोली हाइड्रोक्सी एल्कोहल एस्टर होते है इनमे जल स्नेही सिरा बहु क्रियात्मक समूह होता है जो H बंध द्वारा जल में विलेय होता है।
जैसे : पेंटा एरिथ्रिल मोनो स्टीयरेट
क्रांतिक मिसेल सान्द्रता (CMC)
वह न्यूनतम सांद्रता जो मिसेल बनाने के लिए आवश्यक होती है CMC कहलाती है।
इस सान्द्रता पर साबुन एवं अपमार्जक जल के साथ मिसेल का निर्माण करते है।
साबुन द्वारा मिसेल निर्माण की क्रिया विधि को निम्न प्रकार समझा जा सकता है –
साबुन या अपमार्जक के दो भाग होते है –
1. आयनिक / जल स्नेही भाग : यह भाग जल में घुलता है।
2. हाइड्रो कार्बन / जल विरोधी भाग : यह भाग चिकनाई या वसा में विलेय होता है।
उदाहरण : सोडियम स्टीयरेट
साबुन को जल में घोलने पर काफी संख्या में लगभग 100 अणु स्टीयरेट आयन व्यवस्थित होकर मिसेल का निर्माण करते है।
चिकनाई युक्त रेशे को साबुन या अपमार्जक के घोल में डाला जाता है तो साबुन के स्टीयरेट आयन चिकनाई को इस प्रकार घेर लेते है कि H-कार्बन सिरा तेल या चिकनाई में घुला रहता है एवं कर्बोक्सिलेट सिरे कांटे के समान जल में निकले रहते है।
अत: साबुन की हाइड्रोकार्बन भाग चिकनाई में तथा कर्बोक्सिलेट भाग जल में घुला होता है।
हिलाने पर चिकनाई युक्त मेल की सतह साबुन के साथ मिसेल बनाती है। जो बहते जल के साथ रेशे से अलग अलग हो जाती है जिससे कपडे से चिकनाई हट जाती है।
साबुन का निर्माण : तेल या वसा का जल अपघटन NaOH या KOH क्षार की उपस्थिति में कराने पर साबुन का निर्माण होता है।
साबुन और अपमार्जक में अंतर लिखो
साबुन :
- साबुन दुर्बल अम्ल एवं प्रबल क्षार के लवण होते है अतः इनका जलीय विलयन क्षारीय होता है।
- कठोर जल के साथ झाग का निर्माण नहीं करता क्योंकि कठोर जल में उपस्थित कैल्सियम तथा मैग्नीशियम आयनों के साथ क्रिया करके यह अविलेय लवण बना लेते है।
- ऊनी वे रेशमी वस्त्र जिनमे मृदु धागे होते है उनकी सफाई साबुन द्वारा नहीं की जाती है।
अपमार्जक :
- अपमार्जक प्रबल अम्ल एवं प्रबल क्षार के लवण होते है अतः इनका जलीय विलयन उदासीन होता है।
- ये कैल्शियम और मैग्नीशियम आयन द्वारा अवक्षेपित नहीं होते। अतः ये कठोर जल के साथ भी काम में लिए जाते है।
- इनके द्वारा सभी प्रकार के रेशो की सफाई की जाती है।
अपमार्जकः संश्लेषित अपमार्जक ऐल्किल हाइड्रोजन सल्फेट के सोडियम लवण या ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनिक अम्लों के सोडियम या पोटैशियम लवण होते हैं।उदाहरण – सोडियम ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनेट अपमार्जकों में साबुन की भाँति मैल अथवा चिकनाई को दूर करने का गुण पाया जाता है। इनमें साबुन की अपेक्षा आर्द्रता गुण अधिक होता है। इन्हें साबुन रहित साबुन भी कहते हैं। अपमार्जकों का उपयोग कठोर जल में भी किया जाता है, क्योंकि ये तथा लवण के साथ अवक्षेप नहीं बनाते हैं।
अपमार्जक की विशेषताएँ निम्न हैं-
(1) ये कठोर व मृदु दोनों प्रकार के जल के साथ प्रयुक्त होते हैं।
(2) ये तेल रहित होते हैं।
(3) इनका जलीय विलयन उदासीन होता है, अतः ये बिना नुकसान के कोमल रेशों की धुलाई करते हैं।
रंजक ये रंगीन पदार्थ हैं तथा उन वस्तुओं के प्रति बन्धुता रखते हैं, जिन पर इन्हें लगाया जाता है। रंजक को सामान्यतः जलीय विलयन के रूप में लगाया जाता है तथा इसमें एक रंगबन्धक भी मिलाया जाता है जो रेशे के शुष्क होने की दर को बढ़ा देता है। अम्लीय रंजक का प्रयोग सिल्क, ऊन, नायलॉन आदि वस्त्रों पर किया जाता है तथा क्षारकीय रंजक का प्रयोग कागज तथा एक्राइलिक रेशों को रँगने के लिए किया जाता है।
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…