हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
सुन्नी और शिया में अंतर क्या है | सुन्नी और शिया में क्या फर्क है मुसलमान किसे कहते है sunni and shia differences in hindi
sunni and shia differences in hindi सुन्नी और शिया में अंतर क्या है | सुन्नी और शिया में क्या फर्क है मुसलमान किसे कहते है ?
इस्लामी समाज में पंथ (Sects in Islamic Society)
पंथ के अनुसार इस्लाम के अनुयायी अनेक वर्गों में बंटे हुए हैंः यदि स्पष्ट रूप से कहा जाए तो मुस्लिम समाज दो स्पष्ट वर्गों में बंटा है: सुन्नी और शिया। इसमें से सुन्नी पंथ अपेक्षाकृत अधिक बड़ा और प्रभावशाली है।
I) सुन्नी
सुन्नी लोग ‘सुन्ना‘ या परंपराओं में विश्वास रखते हैं। लेकिन वे शियाओं से परंपरा में विश्वास के अलावा कई बातों में अलग हैं। वे खलीफा का चुनाव स्वयं करते हैं या समुदाय के लोग उसका चुनाव करते हैं। उनका कहना है कि मुहम्मद साहब ने यह कभी नहीं सोचा था कि खलीफा का चुनाव इसके अलावा और किसी ढंग से हो।
II) शिया
यह मुसलमानों का एक और पंथ है। शिया और सुन्नी पंथों में भिन्नता का आधार यह है कि शिया लोग यह मानते हैं कि मुहम्मद साहब के उत्तराधिकारियों को ही खलीफा बनने का अधिकार है। उनका कहना है कि तीन खलीफा अबू बकर, उमर और उसमान ठग और अन्यायपूर्वक अधिकार करने वाले थे, और केवल अली और उनके वारिसों को मुहम्मद साहब के बाद विश्वासियों का ‘इमाम‘ या गुरू होना चाहिए था। अली के पक्ष में उनका तर्क यह है कि वें पैगम्बर साहब के नजदीकी रिश्तेदार थे और उनकी इकलौती जीवित बेटी फातिमा के पति भी थे।
बोध प्रश्न 1
1) इस्लाम शब्द का अर्थ लगभग पाँच पंक्तियों में स्पष्ट कीजिए।
I) मुसलमान के अपेक्षित कर्तव्यों का उल्लेख कीजिए?
II) इस्लाम के प्रमुख पंथ कौन से हैं? लगभग पांच पंक्तियों में इनके बीच के अंतर को स्पष्ट कीजिए।
बोध प्रश्न 1 उत्तर
I) पैगम्बर मुहम्मद ने अरब में इस्लाम नाम के धर्म का प्रचार किया । इस्लाम का शाब्दिक अर्थ है ‘‘परमेश्वर की इच्छा के आगे पूर्ण समर्पण‘‘। यह शब्द जिस मूल शब्द से लिया गया है, उसका अर्थ है ‘‘शांति‘‘। एक धर्म के रूप में इस्लाम उन पूर्ण धार्मिक सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का सिलसिला हैं जिन्हें परमेश्वर ने इलहाम के द्वारा मूसा और ईसा सहित तमाम पैगम्बरों पर प्रकट किया था।
II) क) कलमा पढ़ना,
ख) पांच वक्त की नमाज पढ़ना,
ग) जकात देना,
घ) रमजान के महीने में उपवास (रोजा) रखना,
च) पवित्र काबा की तीर्थ यात्रा (हज) करना ।
III) व्यापक अर्थ में, मुस्लिम समाज दो प्रमुख पंथों में बंटा है: शिया और सुन्नी। सुन्नी लोग सुन्ना या परंपराओं के मानने वाले हैं। इन दोनों में मुख्य भिन्नता खलीफा के पद को लेकर है। सुन्नी यह मानते हैं कि मुहम्मद साहब ने यह कभी नहीं चाहा कि उनका वारिस कोई खलीफा हो, और वे खलीफा के रूप में अबू बकर, उमर, उसमान और अली सब पर विश्वास करते हैं। जबकि शिया यह विश्वास करते हैं कि केवल अली ही मुहम्मद साहब के वैध वारिस और खलीफा हैं।
उद्देश्य
इस इकाई को पढ़ने के बाद, आपः
ऽ अरब में इस्लाम से पहले की मौजूदा दशाओं और इस्लाम के आगमन पर प्रकाश डाल सकेंगे,
ऽ इस्लाम शब्द का अर्थ और उसके स्रोतों और सिद्धांतों को व्यक्त कर सकेंगे,
ऽ प्रमुख इस्लामी संप्रदायों और पंथों का वर्णन कर सकेंगे,
ऽ सामाजिक संगठन की व्याख्या कर सकेंगे और
ऽ भारत में इस्लामी समाज का वर्णन कर सकेंगे।
प्रस्तावना
भारतीय संस्कृति और सभ्यता की बहुलता में इस्लाम की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस्लामी समाज की जीवन शैली इस्लाम के सिद्धांतों के अनुरूप है। समाजशास्त्र का विद्यार्थी होने के नाते आप इस समाज की विश्वास पद्धति के बारे में जानने के इच्छुक होंगे। आपकी रुचि उन आंदोलनों और स्थितियों की जानकारी प्राप्त करने में भी होगी जिन्होंने इस समाज में विभिन्न पंथों को जन्म दिया। हमें इस समाज की संगठनात्मक व्यवस्था के बारे में भी जानना चाहिए जिनके माध्यम से विश्वास पद्धति दैनिक जीवन में क्रियाशील होती है। इस इकाई में हम सामाजिक-ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्यों में इस्लाम के सिद्धांतों, आंदोलनों, संप्रदायों और पंथों पर विचार करेंगे। यहाँ हम इस समाज के सामाजिक संगठनों की भी संक्षेप में चर्चा करेंगे (इसकी विस्तृत जानकारी के लिए मुस्लिम सामाजिक संगठन पर ई.एस.ओ.-12 की इकाई 16 का अध्ययन करें)। इस्लाम का इतिहास जानने के लिए विश्लेषण की शुरुआत हम अरब में इस्लाम पूर्व की स्थितियों पर एक प्रस्तावक टिप्पणी के साथ करेंगे। यहाँ हम इस्लाम के अर्थ, उसके स्रोतों और सिद्धांतों की भी चर्चा करेंगे। इसके अतिरिक्त, हम इस्लाम के अनुयायी समुदायों और उसके पंथों पर भी प्रकाश डालेंगे। इस इकाई में हम इस्लाम के अनुयायी समुदायों में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार जैसी कुछ सामाजिक संस्थाओं की भी चर्चा करेंगे । यहाँ हम सामाजिक संरचना पर इस्लामी शिक्षाओं के प्रभाव का भी विश्लेषण करेंगे। अंत में, हम भारत में समाज का वर्णन करेंगे।
सारांश
इस इकाई में हमने इस्लाम के बुनियादी सिद्धांतों को स्पष्ट करने का प्रयास किया। सर्वप्रथम हमने अरब समाज की इस्लाम पूर्व की स्थितियों का वर्णन किया। आपको यह इकाई पढ़ने के बाद इस्लाम के स्रोतों और सिद्धांतों की जानकारी अवश्य मिली होगी। दूसरे विश्व स्तरीय धर्मों की तरह, इस्लाम में भी कुछ पंथ और संप्रदाय हैं । इस इकाई में इन पर प्रकाश डाला गया है। इस्लाम के आगमन के बाद, सामाजिक संस्थाओं का ‘‘शरीअत‘‘ के सिद्धांत के अनुसार पुनर्गठन हुआ। इस इकाई में हमने इस पक्ष पर भी विचार किया। इकाई के अंत में हमने भारत में मुस्लिम समाज पर चर्चा की।
शब्दावली
सुन्ना (Sunna) ः प्रथाएं, रीतियां
बिद्दत (Biddat) ः प्रवर्तन, कभी-कभी इसका अर्थ विचलन भी निकलता है।
कयास (Quias) ः कार्यकलापों के लिए लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए उदाहरण रखकर तर्क देना।
अकबरी शिया (Akbarishiahs) ः किसी स्त्री को एक निश्चित अवधि के लिए पत्नी बनाकर रखने की रीति, जिसका पालन शिया, विशेषकर फारस के शिया मुसलमानों में होता है।
अशरफ (Ashra)ि ः माननीय
अरजल (A=al) ः अशुद्ध
कुछ उपयोगी पुस्तकें
अमीर, ए., 1978. दि स्प्रिट ऑफ इस्लाम, इदाराये अदबियार: दिल्ली
कादर, ए.ए., 1989 द कन्सेपशन ऑफ गॉड इन इस्लाम, दि इस्लामिया सेंटर: वाशिंगटन
टाकले, जे, 1988. द फेथ इन इस्लाम, दीप एंड दीप: नई दिल्ली
Recent Posts
नियत वेग से गतिशील बिन्दुवत आवेश का विद्युत क्षेत्र ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi
ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi नियत वेग से…
four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं
चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…
Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा
आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…
pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए
युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…
THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा
देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…
elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है
दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…