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सल्फ्यूरिक अम्ल , सल्फर के ऑक्सी अम्ल , उपयोग , गुण , अपरूप
Sulfuric acid uses and properties सल्फर के ऑक्सी अम्ल :
- सल्फ्यूरस अम्ल :
H2SO3
S = +4
- सल्फ्यूरिक अम्ल :
H2SO4
S = +6
- थायो सल्फ्यूरिक अम्ल
H2S2O3
- पर ऑक्सो सल्फ्यूरिक अम्ल या कैरो अम्ल :
H2SO5
- पायरो सल्फ्यूरिक अम्ल या ओलियम :
H2S2O7
- पर ऑक्साइड सल्फ्यूरिक अम्ल :
H2S2O8
सल्फ्यूरिक अम्ल :
बनाने की विधि :
इसे सम्पर्क विधि या सस्पर्श विधि से बनाया जाता है , इस विधि के मुख्य बिंदु निम्न है।
- (S) गंधक की क्रिया (O) वायु से करने पर SO2गैस प्राप्त करते है।
S + O2 → SO2
- शुद्ध SO2की क्रिया निम्न परिस्थितियों में O2से करने पर सल्फर ट्राई ऑक्साइड गैस प्राप्त करते है।
2SO2 + O2 → 2SO3
SO3 की अधिक मात्रा प्राप्त करने की आवश्यक शर्ते निम्न है।
- यह क्रिया ऊष्माक्षेपी है अतः SO3 की अधिक मात्रा प्राप्त करने के लिए ताप कम होना चाहिए इस क्रिया के लिए न्यूनतम ताप 723k हैं।
- SO3 की अधिक मात्रा प्राप्त करने के लिए दाब अधिक होना चाहिए। (2atm)
- SO3 की अधिक मात्रा प्राप्त करने के लिए (V2O5) उत्प्रेरक काम में लेते है।
- SO3 का संपर्क सांद्र H2SO4 से करने पर ओलियम प्राप्त होता है।
SO3 + H2SO4 → H2S2O7 (ओलियम)
- H2S2O7 (ओलियम) में आवश्यकता अनुसार जल मिलाने पर सल्फ्यूरिक अम्ल प्राप्त होता है।
H2S2O7 + H2O → 2H2SO4
उपयोग :
इसे रसायनों का राजा कहते हैं
- प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में
- अभिरंजक बनाने में
- उर्वरक बनाने में
- सीसा संचायक सेल में
- सेल्यूलोज नाइट्रेट बनाने में
- डिटर्जेंट बनाने में
- वस्त्र उद्योग में
- पेट्रोलियम के शोधन में
गुण :
- यह रंगहीन , गाडा तेलीय द्रव है
- निर्जलीकरण – यह नमी को अवशोषित कर लेता है
- यह सुक्रोज से क्रिया करके जल बाहर निकाल देता है जिससे चीनी काली पड़ जाती है
C12H22O11 → 11H2O + 12C
ऑक्सीकारक गुण :
- यह कार्बन को CO2में ऑक्सीकृत कर देता है।
2H2SO4 + C → 2H2O + CO2 +SO2
- यह (S) गंधक को SO2में ऑक्सीकृत कर देता है।
2H2SO4 + S → 2H2O + 3SO2
- यह कॉपर को कॉपर सल्फेट में ऑक्सीकृत कर देता है।
Cu + 2H2SO4 → CuSO4 + 2H2O + SO2
सल्फर के अपरूप :
सल्फर के निम्न दो अपरूप ज्ञात हैं
विषम लंबास | एकनताक्ष |
रोम्बिक | मोनो क्लीनिक |
एल्फा गंधक | Beta गंधक |
इसका घनत्व 2.06 होता है | इसका घनत्व 1.98 होता है |
इसका गलनांक 385.8k होता है | इसका गलनांक 393k होता है |
यह 369k से कम ताप पर अधिक स्थाई होता है | यह 369k से अधिक ताप पर अधिक स्थाई होता है |
यह पीले रंग का क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है | यह रंगीन सुई के समान क्रिस्टल होते हैं |
नोट : गंधक के दोनों अपरूप 369k पर एक दूसरे के साम्य में रहते हैं , इस ताप को संक्रमण ताप कहते हैं
नोट : दोनों अपरूप जल में अविलेय परंतु कार्बन डाई सल्फाइड में विलय होते हैं
S8 की संरचना :
किरीटाकर (crown shape )
प्रश्न : वाष्प अवस्था में गंधक अनुचुंबकीय होती है क्यों ?
उत्तर : वाष्प अवस्था में गंधक का अणुसूत्र S2 होता है जोकि O2 अणु के समान है , इसमें paai अणु कक्षक में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते है।
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