हिंदी माध्यम नोट्स
सहायक संधि क्या थी इसके किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख करें subsidiary alliance in hindi मराठों पर पड़ने वाले दो प्रभाव लिखिए।
जानिये सहायक संधि क्या थी इसके किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख करें subsidiary alliance in hindi मराठों पर पड़ने वाले दो प्रभाव लिखिए।
प्रश्न: लार्ड वैल्जली की सहायक संधि एक प्रकार से देशी राज्यों को अधीन करने की नीति थी तथा साथ ही अंग्रेजी सर्वोच्चता स्थापित करने का एक उपकरण। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
उत्तर: लॉर्ड वैल्जली के गवर्नर जनरल काल के पहले की ब्रिटिश साम्राज्य की नीतियाँ यद्ध एवं दमन, अहस्तक्षेप तथा अलग-अलग क्षेत्रों से संबंध में अलग-अलग क्षेत्रों को आधार बनाकर निर्मित की गई थी। इन नीतियों का परिणाम हुआ कि वैल्जली के समय तक भारतीय राजनीतिक स्थिति कम्पनी के पक्ष में हो गई थी। वैल्जली के सामने मुख्य आधुनिक भारत का महत्वपूर्ण घटनाक्रम, व्यक्तित्व और मुद्दे 415 उददेश्य अब कम्पनी को भारत की सर्वोच्च शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करना था और इसके लिए मुख्य बाधा थी भारत में बढता फ्रांसीसी हस्तक्षेप। यह वह समय था जब यूरोप में फ्रांसीसी क्रांति हो रही थी। नेपोलियन भारत पर हमला करने के उददेश्य से मिस्र पर अधिकार करने की कोशिश कर रहा था। टीप सल्तान जैसे भारतीय शासक फ्रासीसिया स सधन कर रहे थे। ऐसी स्थिति में वैल्जली द्वारा एक व्यापक राजनीतिक व्यवस्था स्थापित करने की जरूरत था, जा फ्रांसीसियों को भारतीय शक्तियों से दूर रखे तथा इन शक्तियों को अपने अधीन रखकर इन्हें ब्रिटिश वस्तुओं का ग्राहक बना सके। उसकी योजना थी कि प्रमुख भारतीय क्षेत्र अंग्रेजों के अधीन हो जाएं तथा फ्रांसीसी आक्रमण का भय सदा के लिए समाप्त हो जाए। इसी साम्राज्यवादी योजना का नाम सहायक संधि था।
सहायक संधि की विशेषताएं (शर्ते) क्या थी ?
ऽ सहायक संधि स्वीकार करने वाले राज्यों की विदेश नीति कम्पनी के हाथों में आ जाती थी अर्थात् वह राज्य बिना कम्पनी की अनुमति से
किसी अन्य राज्य से युद्ध या संधियाँ नहीं करेगा।
ऽ देशी राज्य किसी अन्य यूरोपीय शक्ति से सम्बन्ध नहीं रखेगा तथा बगैर कम्पनी की अनुमति से वह किसी अन्य यरोपीय को अपने राज्य
की सेवा में नियुक्त नहीं करेगा।
ऽ संबंधित देशी राज्यों की उनके आंतरिक विद्रोहों एवं बाह्य आक्रमणों से रक्षा करने का दायित्व कम्पनी का होगा और इसी उद्देश्य से कम्पनी एक सहायक सेना रखेगी।
ऽ सहायक सेना का समस्त व्यय संबंधित राज्य को देना पड़ता था। कम्पनी ने संबंधित राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का
वचन दे दिया।
इस प्रकार सहायक संधि सैद्धांतिक रूप से कम्पनी द्वारा देशी राज्यों को सैन्य संरक्षण प्रदान करने का नाम था। लेकिन इसके पीछे मूल उद्देश्य भारतीय राज्यों में फूट डालना था तथा उसे कमजोर कर देना था, ताकि अपनी इच्छानुसार सहायक संधि की जा सके। अल्फ्रेड लॉयल के अनुसार सहायक संधि प्रणाली के तहत भारतीय युद्धों में कम्पनी द्वारा भाग लिए जाने की चार स्थितियां थी
1. केवल भारतीय शासक के अनुरोध पर कम्पनी द्वारा किराए पर सैन्य शक्ति प्रदान करना। यथा-हैदराबाद के निजाम के साथ संधि।
2. भारतीय शासक के खर्च पर ब्रिटिश सीमा की प्रांतीय सीमा पर स्थाई रूप से सेना रखना (यथा-सिंधिया के साथ भरतपुर की संधि)।
3. भारतीय शासक के खर्च पर ब्रिटिश सेना को प्रांत के अन्दर स्थायी रूप से रखना (यथा-हैदराबाद के निजाम के साथ 1798 की संधि)। 4. स्थाई रूप से अपने प्रांत में सेना रखना तथा उसके लिए अपने क्षेत्र का एक भाग और उससे संबंधित सभी क्षेत्रों का अधिकार देना।
आवश्यकतानुसार संबंधित राज्यों के सभी मामलों पर कम्पनी का अधिकार (यथा 1799 की मैसूर के साथ संधि)।
सहायक संधि प्रणाली से कम्पनी को लाभ
ऽ कम्पनी की सर्वोच्चता स्थापित होने की पृष्ठभूमि की शुरुआत।
ऽ कम्पनी की सैनिक शक्ति में वृद्धि तथा इन सैनिकों का पोषण देशी राज्यों द्वारा।
ऽ देशी राज्यों से संबंधित गठबंधन से सभी खतरों की समाप्ति।
ऽ कम्पनी भारतीय राजाओं के आपसी विवादों में मध्यस्थ बन गयी।
ऽ युद्ध के विनाशकारी प्रभाव से बचाव।
ऽ कम्पनी के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि।
ऽ फ्रांसीसी शक्ति के प्रभाव की समाप्ति।
वैल्जली का कथन इस व्यवस्था से अंग्रेज सरकार भारतीयों की महत्त्वाकांक्षी और हिंसा की उस भावना को अधिकार में रख सकी जो एशिया की प्रत्येक सरकार की विशेषता थी और इससे भारत में शांति स्थापित करने में मदद मिली।
सहायक संधियों द्वारा देशी राज्यों को हानियाँ
ऽ देशी राज्यों के स्वतंत्र अस्तित्व की समाप्ति।
ऽ देशी राज्यों की सैनिक शक्ति का क्षय।
ऽ देशी राज्यों पर अत्यधिक आर्थिक भार।
ऽ देशी राज्यों की शासन व्यवस्था के प्रति उदासीनता।
ऽ अपराधी प्रवृत्तियों में वृद्धि।
महत्व : अंग्रेजी सत्ता ऊपरी दोआब से लेकर पूर्वी एवं दक्षिणी राज्यों तक विस्तृत हो गई। मद्रास, बम्बई एवं बंगाल प्रेसीडेन्सियों को स्थल मार्ग से जोड़ा गया और इस प्रकार सभी महत्वपूर्ण तटों पर ब्रिटिश अधिकार स्थापित हो गया। – ष्हमने अपनी इस व्यवस्था के तहत अपने मित्रों को बिना शक्तिशाली बनाए पंगु बना दियाष् – कार्नवालिस।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…