JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Biology

परागकण की संरचना , परागकणों का महत्व Structure of pollen & Importance of pollen grains

Structure of pollen & Importance of pollen grains परागकण की संरचना , परागकणों का महत्व:-

परागकण गोला सूक्ष्मदर्शीय (25-50 um ) होता है इसकी भित्ति दो परतों की बनी होती है।

1 बाह्य चोल(External Chol):-

यह परागकण की बाहरी परत होती है। यह डिजाईन युक्त उभार वाली होती है यह सर्वाधिक ज्ञात प्रतिरोधी कार्बनिक पदार्थ की बनी होती है। जिसे स्पोरोपोत्निन कहते है। इसका जैविक एवं रासायनिक अपघटन नहीं होता है इस पर उच्च ताप सुदृढ अम्लों, क्षारों की क्रिया नहीं होती है यह किसी भी ज्ञात एकजाइम द्वारा निम्बीकृत नहीं होता है। यही कारण है कि परागकण यही कारण है कि परागकण लम्बे समय तक जीवाश्म के रूप में संरक्षित रहते है। ब्राहय चोल में एक स्थान पर स्पोरोपोलेनिन नहीं पाया जाता है जिससे जननछिद्र कहते है।

2 अन्तः चोल:-

यह परागकण की भीतरी परत है। यह सतत एवं अछिद्रित होती है इस पर कोई अक्षर व डिजाईन नहीं पाई जाती है। यह सेलुलोस व पैप्डिन की बनी होती है। अतः चोल के भीतर प्लाजमा झिल्ली से परिबद्ध (सिरा) कोशिका द्रव्य एवं केन्द्रक पाया जाता है।

चित्र

परागकण में समसूत्री विभाजन होती है। इसमें दो कोशिकाएं बनती है।

1- कायिका कोशिका(Actin cell)

2- जनन कोशिका(Germ cell)

अधिकाशं 60 प्रतिशत आवृत बीजी पादपों में परागकण का इसी दो कोशिकीय अवस्था में ही स्फूटन होता है। शेष 40 प्रतिशत आवृत बीजी पादपों में जनन कोशिका दो नर युग्मक बनाती है इसप्रकार तीन कोशिकीय नर युग्मभेदभिद का निर्माण हाता है।

चित्र

परागकणों का महत्व(Importance of pollen grains):-

1 आहार संपूरक:- परागकणों को टेबलेट एवं सिरप के रूप में धवक प्रश्नों तथा खिलाडियों द्वारा अपनी कार्यक्षमता में वृद्धि हेतु प्रयाग किया जाता है।

2 पराग एलर्जी:- कुछ पादपों के परागकण एलर्जी एवं श्वसनी विकार (घना श्वसनी शेध ) उत्पन्न करते है जैसे:- पार्थोनिगम (बाजरधातु)

 परागकणों की जीवन क्षमता (अंकुरण क्षमता):- परागकणों की जीवन क्षमता दो कारकों पर निर्भर करती है।

1- तापमान

2- आर्द्धता

परागकण कुछ घण्टे (गेहू, धान में 1 घण्टा) से 6 लेकर कुछ महीने (साॅलेनेसी, रोजेसी, लेग्यूमिनेसी (मटर) 6 साल अंकुरण क्षमता रखते है।

परागकणों को द्रव नाइट्रोजन 1920 डिग्री सेंटीग्रेट पर अण्डारीत करके पराग बैंक के रूप में फसल प्रजनन में प्रयोग करते है।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

11 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

11 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now