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स्प्रिंग निकाय (spring system in hindi) , स्प्रिंग लोलक , स्प्रिंग का श्रेणीक्रम , स्प्रिंगों का समान्तर क्रम या संयोजन
(spring system in hindi) स्प्रिंग निकाय : जब किसी स्प्रिंग को दबाया जाता है या खींचा जाता है तो स्प्रींग में विस्थापन उत्पन्न हो जाता है , उत्पन्न विस्थापन के विपरीत दिशा में एक बल लगता है तो स्प्रिंग को इसकी माध्य या साम्यावस्था में ले जाने का प्रयास करता है अर्थात यह बल इस विस्थापन का विरोध करता है , इस बल को प्रत्यानयन बल कहते है।
हुक के नियम के अनुसार इस प्रत्यानयन बल का मान निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है –
F = -kx
यहाँ F = प्रत्यानयन बल
x = स्प्रिंग में उत्पन्न विस्थापन
k = स्प्रिंग नियतांक
नोट : यहाँ ऋणात्मक चिन्ह यह दर्शाता है कि प्रत्यानयन बल , विस्थापन के विपरीत दिशा में लगता है।
जब स्प्रिंग को द्रव्यमान रहित माना जाता है , इसका अभिप्राय यह है की उस स्प्रिंग में सभी जगह प्रत्यानयन बल का मान एक समान है।
किसी भी स्प्रिंग के लिए इसकी लम्बाई और नियतांक (k) का गुणनफल नियत रहता है अर्थात kl = नियत।
स्प्रिंग का नियतांक इसकी लम्बाई और त्रिज्या पर निर्भर करता है।
यदि स्प्रिंग में विस्थापन उत्पन्न किया जाए चाहे यह विस्थापन इसे दबाकर उत्पन्न किया जाए या खींचकर , तो स्प्रिंग पर किया गया कार्य का मान इसमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।
हुक के नियम के अनुसार इस प्रत्यानयन बल का मान निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है –
F = -kx
यहाँ F = प्रत्यानयन बल
x = स्प्रिंग में उत्पन्न विस्थापन
k = स्प्रिंग नियतांक
नोट : यहाँ ऋणात्मक चिन्ह यह दर्शाता है कि प्रत्यानयन बल , विस्थापन के विपरीत दिशा में लगता है।
जब स्प्रिंग को द्रव्यमान रहित माना जाता है , इसका अभिप्राय यह है की उस स्प्रिंग में सभी जगह प्रत्यानयन बल का मान एक समान है।
किसी भी स्प्रिंग के लिए इसकी लम्बाई और नियतांक (k) का गुणनफल नियत रहता है अर्थात kl = नियत।
स्प्रिंग का नियतांक इसकी लम्बाई और त्रिज्या पर निर्भर करता है।
यदि स्प्रिंग में विस्थापन उत्पन्न किया जाए चाहे यह विस्थापन इसे दबाकर उत्पन्न किया जाए या खींचकर , तो स्प्रिंग पर किया गया कार्य का मान इसमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।
स्प्रिंग लोलक (spring pendulum)
जब एक द्रव्यमान रहित स्प्रिंग पर एक हल्का द्रव्यमान लटकाया जाता है तो इस प्रकार की व्यवस्था को स्प्रिन्ग लोलक कहते है।
स्प्रिंगों का संयोजन
स्प्रिंगो को दो प्रकार से संयोजित किया जा सकता है , पहला श्रेणी क्रम में और दूसरा समान्तर क्रम में। इन दोनों संयोजन को आगे विस्तार से पढ़ते है।
१. स्प्रिंग का श्रेणीक्रम (series combination of springs) : जब स्प्रिंगो को श्रेणी क्रम में संयोजित किया जाता है तो संयोजित सभी स्प्रिंग में प्रत्यानयन बल का मान समान होता है लेकिन प्रत्येक स्प्रिंग में उत्पन्न विस्तार या विस्थापन अलग अलग होता है।
२. स्प्रिंगों का समान्तर क्रम या संयोजन (parallel combination of springs) : जब स्प्रिंगो को समान्तर क्रम में संयोजित किया जाता है तो सभी स्प्रिंग में उत्पन्न प्रत्यानयन बल का मान अलग अलग होता है लेकिन सभी स्प्रिंगो में उत्पन्न विस्थापन का मान समान होता है।
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