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अन्तरिक्ष तरंग या क्षोभमण्डल तरंग संचरण (space wave propagation or tropospheric wave propagation in hindi )
(space wave propagation or tropospheric wave propagation in hindi ) अन्तरिक्ष तरंग या क्षोभमण्डल तरंग संचरण : हमारी पृथ्वी विभिन्न प्रकार की गैसों के आवरण से घिरी हुई है और इस चारों ओर के गैसों के आवरण को हम वायुमंडल कहते है। पृथ्वी के वायुमंडल को चार परतों में विभाजित किया गया है जो निम्न है –
1. क्षोभ मंडल
2. समताप मंडल
3. मीसोस्फीयर
4. योण क्षेत्र
क्षोभ मंडल : पृथ्वी सतह से लगभग 12 किलोमीटर की ऊंचाई तक के गैसों के आवरण को क्षोभ मंडल कहते है , वायुमंडल की इस परत में वाष्प पायी जाती है जिसके कारण बादल बनते है और जो रोजाना अचानक से मौसम परिवर्तित हो जाता है वह भी इस क्षोभ मंडल के कारण ही होता है।
1. क्षोभ मंडल
2. समताप मंडल
3. मीसोस्फीयर
4. योण क्षेत्र
क्षोभ मंडल : पृथ्वी सतह से लगभग 12 किलोमीटर की ऊंचाई तक के गैसों के आवरण को क्षोभ मंडल कहते है , वायुमंडल की इस परत में वाष्प पायी जाती है जिसके कारण बादल बनते है और जो रोजाना अचानक से मौसम परिवर्तित हो जाता है वह भी इस क्षोभ मंडल के कारण ही होता है।
अन्तरिक्ष तरंग या क्षोभमण्डल तरंग संचरण
वे तरंगें जो सीधे प्रेषि एंटीना से ग्राही एंटीना तक पहुँचती है उन्हें अन्तरिक्ष तरंगे कहते है और इस प्रकार जो संचरण संपन्न होता है उन्हें अन्तरिक्ष तरंग या क्षोभमण्डल तरंग संचरण कहते है।
हमने भू पृष्ठीय तरंग संचरण में पढ़ा कि भू पृष्ठीय तरंग संचरण द्वारा उच्च आवृत्ति की तरंगों को संचरित नहीं किया जा सकता है क्यूंकि भू पृष्ठीय तरंग संचरण विधि में अधिक ऊर्जा का हास या हानि होती है।
इसलिए उच्च आवृत्ति की तरंगों को एक स्थान से दुसरे स्थान तक संचरित करने के लिए अन्तरिक्ष तरंग संचरण विधि काम में ली जाती है।
याद रखे की इन तरंगों को योण क्षेत्र (ionosphere) अवशोषित कर लेता है इसलिए इन तरंगों को आकाशीय तरंग संचरण विधि द्वारा भी नहीं भेजा जा सकता है।
इसलिए इस प्रकार की उच्च आवृत्ति की तरंगों को अन्तरिक्ष तरंग या क्षोभ मण्डल तरंग संचरण विधि द्वारा सीधे प्रेषि एंटीना से ग्राही एंटीना तक भेजा जाता है , याद रखिये ये तरंगे सीधी रेखा में गति करती है इसलिए इन तरंगों के संचरण के लिए दोनों एंटीना लाइन ऑफ़ साईट में होने चाहिए अर्थात एक नजर में स्थित हो ताकि संचरण संभव हो सके।
इस विधि द्वारा लगभग 30 हर्ट्ज़ से अधिक आवृत्ति वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगे या रेडियो तरंगे संचरित की जाती है जो कि उच्च आवृति की तरंगे होती है।
उपयोग
अन्तरिक्ष तरंग संचरण के कारण ही टेलीविजन प्रसारण संभव है।
इसी के कारण रडार दूरसंचार और उपग्रह दूर संचार संभव हो पाता है।
यदि किसी प्रेषि एंटीना द्वारा h ऊंचाई से विद्युत चुम्बकीय तरंगों या रेडियो तरंगों को उत्सर्जित किया जाता है इन तरंगों की परास निम्न होगी –
तरंगों की परास = √2hR
यहाँ R = पृथ्वी की त्रिज्या है।
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