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Categories: chemistry
Sp3 संकरण , CH4 , NH3 , H2O , Sp2 संकरण , ज्यामिति , बंध कोण , sp , sp3d , Sp3d2 , Sp3d3 उदाहरण
1. Sp3 संकरण : एक ‘s’ कक्षक + तीन ‘p’ कक्षक =
चार ‘Sp3‘ संकर कक्षक
संकरण = Sp3
ज्यामिति = चतुष्टफलकीय
बंध कोण = 109′ 28′
उदाहरण 1. : CH4 [केन्द्रीय परमाणु = C]
6C = 2[He] 2s2 2p2
संकरण = Sp3
ज्यामिति = चतुष्टफलकीय
बंध कोण = 109′ 28′
CH4 में कार्बन का Sp3 संकरण होता है , कार्बन के चार अर्द्धपूरित Sp3 संकर कक्षक हाइड्रोजन की अर्द्धपूरित 1s कक्षक अतिव्यापन कर चार सिग्मा बंध बनाते है जिससे इसकी ज्यामिति चतुष्टफलकीय तथा बंध कोण 109′ 28′ का होता है।
उदाहरण 2. NH3
उदाहरण 2. NH3
संकरण = Sp3
ज्यामिति = पिरैमिड
बंध कोण = 107 डिग्री
NH3 में नाइट्रोजन का Sp3 संकरण होता है।
N के चार Sp3 संकर कक्षकों में से एक पूर्ण पूरित व तीन अर्द्धपूरित संकर कक्षक होते है।
एक पूर्णपूरित Sp3 संकर कक्षक एकांकी युग्म का निर्माण करती है तथा तीन अर्धपूरित Sp3 संकर कक्षक हाइड्रोजन परमाणु की 1s कक्षक से अतिव्यापन कर तीन सिग्मा बन्ध बनाते है।
l.p.-B.p. प्रतिकर्षण , B.p.-B.p. प्रतिकर्षण से अधिक होता है जिससे इसकी ज्यामिति पिरैमिड व बन्ध कोण 107 डिग्री का होता है।
उदाहरण 3 : H2O
संकरण = Sp3
ज्यामिति = ‘V’ आकार
बंध कोण = 104′ 5′
H2O में केन्द्रीय परमाणु O का Sp3 संकरण होता है।
O के चार Sp3 संकर कक्षकों में से दो पूर्णपूरित व दो अर्धपूरित होते है।
पूर्णपूरित Sp3 संकर कक्षक दो एकाकी युग्म का निर्माण करते है।
जब की दो अर्धपूरित Sp3 संकर कक्षक H2 परमाणु की अर्धपूरित 1s कक्षक से अतिव्यापन कर सिग्मा बन्धो का निर्माण करते है।
दो एकांकी युग्म की उपस्थिति के कारण इसकी ज्यामिति ‘V’ आकार की व बंध कोण लगभग 104 डिग्री 5 मिनट का होता है।
2. Sp2 संकरण
एक ‘s’ कक्षक + दो ‘p’ कक्षक =
तीन ‘Sp2‘ संकर कक्षक
संकरण = Sp2
ज्यामिति = त्रिकोणीय समतल
बंध कोण = 120′
उदाहरण 1 : BCl3
5B = 1s2 2s2 2p1
संकरण = Sp2
ज्यामिति = त्रिकोणीय समतल
बंध कोण = 120′
BCl3 में केन्द्रीय परमाणु बोरोन (B) का Sp2 संकरण होता है , B के तीन अर्धपूरित Sp2 संकर कक्षक Cl की p कक्षक से अतिव्यापन कर तीन सिग्मा बन्ध बनाते है जिससे इसकी ज्यामिति त्रिकोणीय समतल व बंध कोण 120 डिग्री का होता है।
3. sp संकरण
एक ‘s’ कक्षक + एक ‘p’ कक्षक =
दो ‘sp’ कक्षक
संकरण = sp
ज्यामिति = रेखीय
बंध कोण = 180 डिग्री
उदाहरण 1 : BeCl2
4Be = 1s2 2s2
संकरण = sp
ज्यामिति = रेखीय
बंध कोण = 180 डिग्री
BeCl2 में केन्द्रीय परमाणु Be का sp संकरण होता है , Be के दो अर्धपूरित sp संकर कक्षक cl की p कक्षक से अतिव्यापन कर 2 सिग्मा बंध बनाते है जिससे इसकी ज्यामिति रेखीय व बन्ध कोण 180 डिग्री का होता है।
4. sp3d संकरण
एक ‘s’ कक्षक + तीन ‘p’ कक्षक + एक ‘d’ कक्षक =
पांच sp3d संकर कक्षक
संकरण = sp3d
ज्यामिति = त्रिकोणीय द्विपिरेमिड
बंध कोण = 3 कोण 120 डिग्री
2 कोण = 90 डिग्री
उदाहरण 1 : Pcl5
15P = 10[Ne]
3s2 3p3 3d0
3s2 3p3 3d0
संकरण = sp3d
ज्यामिति = त्रिकोणीय द्विपिरेमिड
बंध कोण = 3 कोण 120 डिग्री
2 कोण = 90 डिग्री
Pcl5 में केन्द्रीय परमाणु p का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 15P = 10[Ne]
3s2 3p3 3d0 होता है।
3s2 3p3 3d0 होता है।
उत्तेजित अवस्था में 3s कक्षक का एक इलेक्ट्रॉन होकर रिक्त 3d कक्षक में चला जाता है।
1 3s , 3 3p तथा 1 3d कक्षक आपस में मिलकर पाँच नए sp3d संकर कक्षक बनाते है इसमें से 3 sp3d संकर कक्षक का बंध कोण 120 डिग्री का होता है एवं ये समबाहु त्रिभुज के कोणों की ओर व्यवस्थित होते है तथा दो sp3d संकर कक्षक के मध्य बंध कोण 90 डिग्री का होता है एवं Ф△ के तल के लम्बवत ऊपर व नीचे व्यवस्थित होते है इसलिए Pcl5 की ज्यामिति त्रिकोणीय द्विपिरेमिड होती है।
Pcl5 अणु तीन p-cl बंध एक ही तल में होते है इन्हें विषुवतीय (निरक्षीय) बंध कहते है तथा दो p-cl बंध तल के लम्बवत होते है इन्हें अक्षीय बन्ध कहते है।
अक्षीय बंध तथा विषुवतीय बंध के बीच की दूरी कम होने के कारण प्रतिकर्षण अधिक होता है , जिससे अक्षीय बंध लम्बाई अधिक हो जाती है।
बंध कोण में असमानता के कारण Pcl5 अस्थायी होता है तथा Pcl3 व cl2 में टूट जाता है।
5. Sp3d2 संकरण
एक ‘s’ कक्षक + तीन ‘p’ कक्षक + दो ‘d’ कक्षक =
छ: Sp3d2 संकर कक्षक
संकरण = Sp3d2
ज्यामिति = अष्टफलकीय
बंध कोण = 90 डिग्री
उदाहरण : SF6
16S =
10[Ne] 3s2 3p4 3d0
10[Ne] 3s2 3p4 3d0
संकरण = Sp3d2
ज्यामिति = अष्टफलकीय
बंध कोण = 90 डिग्री
SF6 में केन्द्रीय परमाणु सल्फर (s) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 16S =
10[Ne] 3s2 3p4 3d0 होता है।
10[Ne] 3s2 3p4 3d0 होता है।
उत्तेजित अवस्था 3s व 3p कक्षक में से एक एक इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर 3d कक्षक में चला जाता है।
जिससे अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की संख्या 6 हो जाती है।
1 3s , 3 3p व 2 3d कक्षक आपस में मिलकर 6 नए Sp3d2 संकर कक्षक बनाते है इसकी ज्यामिति अष्टफलकीय तथा प्रत्येक बंध कोण 90 डिग्री का होता है।
6. Sp3d3 संकरण
एक ‘s’ कक्षक + तीन ‘p’ कक्षक + तीन ‘d’ कक्षक =
सात Sp3d3 संकर कक्षक
संकरण = Sp3d3
ज्यामिति = पञ्च भुजिय द्विपिरेमिड
बन्ध कोण = 5 कोण 72 डिग्री
2 कोण 90 डिग्री
उदाहरण : IF7
53I =
36[Kr] 4d10 5s2 5p5 5d0
36[Kr] 4d10 5s2 5p5 5d0
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