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रॉउल्ट नियम से धनात्मक विचलन दर्शाने वाले विलयन Solutions showing positive deviation from Raoult’s law in hindi

Solutions showing positive deviation from Raoult’s law in hindi रॉउल्ट नियम से धनात्मक विचलन दर्शाने वाले विलयन ?

(1) आदर्श विलयन (Ideal solutions) — दो या दो से अधिक अवयवों वाले ऐसे विलयन जो सभी सान्द्रताओं एवं समस्त तापमानों पर राउल्ट के नियमों की अनुपालना करते हैं, आदर्श विलयन (Ideal Solutions) कहलाते हैं। इन विलयनों के वाष्प दाब शुद्ध अवयवों के वाष्प दाब के मध्य होते हैं। माना कि दो द्रव A व B को परस्पर मिलाते है, अब यदि A व B के मध्य के (A-B) आकर्षण बल का मान ठीक उतना हो जितना A-A अथवा B-B के मध्य है, तो यह विलयन एक आदर्श विलयन की भांति कार्य करेगा। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि केवल वे ही पदार्थ आदर्श विलयन बना सकते हैं जिनके अणु परस्पर संरचना एवं ध्रुवता (polarity) में एक-दूसरे के समान हों। उदाहरणार्थ,हेक्सेन (C6H14) व हेप्टेन (C7H16) परस्पर मिलकर आदर्श विलयन बनाते हैं। एक पूर्णरूप से आदर्श विलयन तो विरले (rare) ही होते हैं, लेकिन लगभग आदर्श विलयन कई यौगिकों द्वारा बनाये जा सकते हैं, और हम उन्हें ही आदर्श विलयन मान लेते हैं। उदाहरणार्थ, एथिल ब्रोमाइड व एथिल आयोडाइड का मिश्रण (C2H5Br + C2H5I), बेन्जीन व टॉलुईन का मिश्रण (C6H6 + C6H5CH3), क्लोरोबेन्जीन व ब्रोमोबेन्जीन (C6H5Cl + C6H5Br), आदि के मिश्रण आदर्श विलयन के उदाहरण हैं। अधिक तनुता पर लगभग सभी विलयन आदर्श विलयन हैं। चूंकि आदर्श विलयन बनाते समय अणुओं के पारस्परिक आकर्षण में कोई विशेष अन्तर नहीं आता अतः इनके मिश्रित होने की एन्थैल्पी परिवर्तन (Hmix) का मान शून्य होना चाहिए, साथ ही इनके मिश्रित होने से इनके आयतन में भी कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए अर्थात् Vmix का मान भी शून्य होना चाहिए। अतः एक आदर्श विलयन में निम्नलिखित गुण होने चाहिए

(i) रॉउल्ट नियम का पालन हो,

(ii) Hmix का मान शून्य हो और

(iii) Vmir का मान शून्य हो।

(2) अनादर्श विलयन (Non-ideal solutions)

जिन विलयनों में उपर्युक्त गुणों का अभाव होता है। उन्हें अनादर्श विलयन (Non-ideal solutions) कहते हैं। कई परस्पर मिश्रणीय द्रव मिलकर अनादर्श विलयन बनाते हैं। ये विलयन रॉउल्ट नियम का पालन नहीं करते और इस नियम से विचलन दशति हैं। यह विचलन धनात्मक व ऋणात्मक दोनों प्रकारों का होता है। यदि विलयन का वाष्प दाब आदर्श विलयन के वाष्प दाब से

(i) रॉउल्ट नियम से धनात्मक विचलन दर्शाने वाले विलयन (Solutions showing positive deviation from Raoult’s law)

यदि द्रव A व B के विलयन में अन्तराण्विक आकर्षण बल A-B का मान शुद्ध द्रवों के अन्तराण्विक आकर्षण बल A-A अथवा B-B से कम है तो विलयन में विलायक अणु आसानी से सतह छोड़कर वाष्पीकृत हो जाते हैं और इस प्रकार वाष्प दाब को बढ़ा देते हैं, अर्थात् धनात्मक विचलन दर्शाते हैं। उदाहरणार्थ, एथेनॉल में द्रव के अणु परस्पर प्रबल हाइड्रोजन बन्ध द्वारा बंधे रहते हैं और वाष्पीकृत नहीं हो पाते। अब यदि इसमें साइक्लोहेक्सेन मिला दिया जाये तो एथेनॉल अणुओं के मध्य साइक्लोहेक्सेन अणु आ जायेंगे जिनके साथ एथेनॉल अणु हाइड्रोजन बन्ध नहीं बना सकते, अतः उनके मध्य आकर्षण बल कम हो जाता है और वे आसानी से विलयन की सतह छोड़कर वाष्पीकृत हो जाते हैं, अतः इस विलयन का वाष्प दाब बढ़ जाता है। अतः एथेनॉल व साइक्लोहेक्सेन का मिश्रण रॉउल्ट नियम से धनात्मक विचलन दर्शाने वाला विलयन है। धनात्मक विचलन दर्शाने वाले कुछ अन्य विलयन निम्नलिखित हैं

(1) ऐसीटोन + कार्बन डाइ-सल्फाइड (CH3)2CO + CS2]

(2) ऐसीटोन + एथेनॉल [(CH3)2CO + C2H5OH]

(3) बेन्जीन + ऐसीटोन [C6H6 + (CH3)2CO]

(4) कार्बन टेट्राक्लोराइड + बेन्जीन (CCL4 + C6H6)

(5) कार्बन टेट्राक्लोराइड + क्लोरोफॉर्म (CCl4 + CHCH3)

(6) कार्बन टेट्राक्लोराइड + टॉलुईन (CCl4+C6H5CH3)

(7) जल + मेथेनॉल या एथेनॉल (H2O + CH3OH or C2H5OH) एस विलयनों के लिए (iO Hmir का मान धनात्मक होता है (AH.P>0) अतः एस विलयनों को बनाने में ऊष्मा का अवशोषण होता है, तथा (ii) विलयन के आयतन में थोड़ी-सी वृद्धि होती है (Vmix>0)| रॉउल्ट नियम से ऋणात्मक विचलन दशान वाले विलयन (Solutions showing negative deviation from Raoult’s law) इसके विपरीत यदि विलयन बनने में दोनों अवयवों के अणुओं के मध्य का A-B आकर्षण बल शद्ध अवयवों के आकर्षण बल A-A अथवा B-B से अधिक हो जाये तो अण मजबती से बंधे रह जाते है आर सतह से निकलकर वाष्पीकृत नहीं हो पाते। अतः ऐसे विलयनों का वाष्प दाब अपेक्षा से कम हो जाता है। ये विलयन रॉउल्ट नियम से ऋणात्मक विचलन दशति हैं। उदाहरणार्थ, यदि क्लोरोफॉर्म में ऐसीटोन मिला दिया जाये तो उनमे परस्पर H-बन्ध के कारण आकर्षण बल बढ़ जाता है. अतः यह विलयन ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करता है। ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले कछ अन्य विलयन निम्न हैं

(1) ऐसीटिक अम्ल + पिरीडीन (CH3COOH + C5H5N)

(2) क्लोरोफॉर्म + बेन्जीन (CHCl3 + C6H6)

(3) क्लोरोफॉर्म + ईथर [CHC13 + (C2H5)20]

(4) ऐसीटोन + ऐनिलीन [(CH3)2CO+ C6H5NH2]

(5) जल + हाइड्रोक्लोरिक अथवा नाइट्रिक अम्ल (H2O + HCI or HNO3)

ऐसे विलयनों के लिए (6) AH… का मान ऋणात्मक होता है (Hmix <0) अतः ऐसे विलयनों को बनाने में ऊष्मा मुक्त होती है, अर्थात् इनके विलयन बनने की प्रक्रिया ऊष्माक्षेपी (exothermic) होती है। तथात बिलयन के आयतन में थोड़ी-सी कमी आ जाती है (Vmix <o) इस प्रकार के अनादर्श विलयनों में एक और विशेषता पाई जाती है। किसी एक निश्चित संघटन पर ये विलयन स्थिरक्वाथी मिश्रण (Azeotropic mixture) अथवा ऐजोट्रोप (Azeotropes) बना लेते हैं, अर्थात् एक तापमान पर ये विलयन बिना संघटन बदले उबलते रहते हैं। ऐसे विलयनों को प्रभाजी आसवन (fractional distillation) द्वारा पृथक् नहीं किया जा सकता। चूंकि अनादर्श विलयन दो प्रकार के होते हैं अतः ये ऐजोट्रोप भी दो प्रकार के होते हैं :

(i) निम्न क्वथन ऐजोट्रोप (Low boiling ऐसीटोन azeotropes) — ये वे विलयन होते हैं जो रॉउल्ट का नियम से धनात्मक विचलन दशति हैं। इनके विलयन क्वथनांक में किसी एक अवयव की मात्रा बढ़ाने के साथ मिश्रण का का वाष्प दाब बढ़ता जाता है और एक बिन्दु ऐसा आता है जब वाष्प दाब उच्चतम हो जाता है और ऐजोट्रोप का क्वथनांक विलयन का ताप न्यूनतम हो जाता है। इस बिन्दु पर विलयन उबलने लगता है और बिना संघटन  बदले पूरा विलयन उबलता रहता हा यहा इस निरोसीटोन व कार्बन डाइ-सल्फाइड के निम्न क्वधन। ऐजोट्रोप का क्वथनांक बिन्दु होता है जिसका मान ऐजोट्रोप के लिए ताप-संघटन वक्र दोनों अवयवों के क्वथनांक बिन्दुओं से कम होता है। इसी कारण ऐसे ऐजोट्रोप को निम्न क्वथन ऐजोट्रोप कहते हैं।

(2) उच्च क्वथन ऐजोट्रोप (High boiling ऐजोट्रोप azeotropes) : ये वे विलयन होते है जो रॉउल्ट नियम से ऋणात्मक विचलन दर्शाते हैं। इनके विलयन में किसी  अवयव की मात्रा बढ़ाने के साथ मिश्रण का वाष्प दाब घटता जाता है और एक बिन्दु ऐसा होता है जब का विलयन का वाष्प दाब न्यूनतम हो जाता है और उस ताप पर विलयन का क्वथनांक उच्चतम हो जाता है।  इस क्वथनांक बिन्दु पर मिश्रण के संघटन में किसी परिवर्तन के बिना यह पूरा विलयन उबलता रहता है। यही बिन्दु इस ऐजोट्रोप मिश्रण का क्वथनांक बिन्दु होता है जिसका मान दोनों अवयवों के क्वथनांकों के मानों से अधिक होता है। इसी कारण ऐसे विलयन को उच्च क्वथन मिश्रण कहते हैं।

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