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Categories: chemistry

स्मेक्टिक द्रव क्रिस्टल (Smectic liquid crystals in hindi) , नाटक , मिश्रित , कोलेस्टीरिक (Nematic liquid crystals)

विस्तार से जानें कि स्मेक्टिक द्रव क्रिस्टल (Smectic liquid crystals in hindi) , नाटक , मिश्रित , कोलेस्टीरिक (Nematic liquid crystals) ?

इस प्रकार हम देखते हैं कि द्रव क्रिस्टलों के कुछ गुण द्रवों से मिलते हैं और कुछ गुण क्रिस्टलीय ठोसों के समान हैं अतः यदि इन्हें क्रिस्टलीय व्यवहार और द्रव जैसी अवस्था के कारण द्रव क्रिस्टल (liquid crystal) कहा जाता है। तो इन्हीं कारणों से इन्हें क्रिस्टलीय द्रव (Crystallin liquids) भी कहा जा सकता है और द्रव अवस्था में विषमदैशिक गुण के कारण इन्हें विषमदैशिक द्रव (anisotropic liquids) भी कहा जा सकता है। वस्तुतः इनका सही व उपयुक्त नाम मीसोमॉर्फिक अवस्था (Mesomorphic State) ही है जिसका ग्रीक भाषर में अर्थ है ‘मध्यवर्ती रूप’ (Intermediate form) क्योंकि ये ठोस एवं द्रव की मध्यवर्ती अवस्था है।

वर्गीकरण (CLASSIFICATION)

द्रव क्रिस्टलों का वर्गीकरण निम्न प्रकारों में किया गया है :

  • स्मेक्टिक द्रव क्रिस्टल (Smectic liquid crystals) — ये सामान्य द्रवों की तरह नहीं बहते हैं वरन इस प्रकार बहते हैं कि जैसे एक चिकनी सतह दूसरी सतह से फिसलकर जा रही हो। इसी से इनका नाम स्मेक्टिक पड़ा जिसका ग्रीक भाषा में अर्थात् होना है, ‘साबुन जैसा’ (soapy)| अतः इनका बहाव न्यूटोनियन (New tonian) बहाव नहीं होता। यदि इस प्रकार के द्रव को साफ कांच की सतह पर डाला जाए तो वे स्पष्टतः सीढ़ीनुमा सतहें बना लेते हैं (चित्र 12) और इन सतहों के किनारे महीन-महीन रेखाओं का झुण्ड साधारण प्रकाश में भी दिखलायी देता है और ध्रुवित प्रकाश में तो वह बहुत ही संरचना स्पष्ट दिखने लगता है।

ये क्रिस्टलाय ठोस पदार्थों की भांति x-किरण विवर्तन प्रदर्शित करते हैं, लेकिन केवल एक ही दिशा में। इससे निष्कर्ष निकलता है कि इनमें क्रिस्टल जालक की भांति आण्विक व्यवस्था तो होता ह, लाकन वह विकृत एव जाटल हाता है। धूवित प्रकाश में देखने पर ये पंखी जैसे लगते हैं और ये एक अक्षाय (uniaxial) होते हैं और चुम्बकीय क्षेत्र से प्रभावित नहीं होते।

सक्रमण ताप तक गर्म करने पर स्मेक्टिक द्रव क्रिस्टल देने वाले कछ पदार्थ सारणी 4.5 में दिए जा रहे है

सारणी 4.5. स्मेक्टिक द्रव क्रिस्टल देने वाले पदार्थ

क्रम संख्या यौगिक संक्रमण ताप (C) गलनांक (C)
1.

 

 

2.

 

 

3.

एथिल p-ऐजॉक्सीबेन्जोएट

 

एथिल p-ऐजॉक्सी सिनैमेट

 

n-ऑक्टिल p-ऐजॉक्सी सिनैमेट

114

 

 

140

 

 

 

94

121

 

 

249

 

 

 

175

 

(2) नाटक द्रव क्रिस्टल (Nematic liquid crystals) : इस प्रकार के द्रव क्रिस्टल कुछ सीमा तक सामान्य बहाव प्रकृति दशति हैं। इनका बहाव न्यूटोनियन होता है और सामान्य श्यानता नियमों का पालन करता ह कवल इनका श्यानता के मान सामान्य द्रवों की तलना में कम होते हैं। ये सामान्य द्रवों से अब भी भिन्न हात है, क्योंकि सामान्य द्रव समदैशिक होते हैं जबकि इन द्रव क्रिस्टलों में विषमर्देशिकता का गण होता है। साथ ही ये सामान्य द्रवों की भांति पारदर्शी नहीं होते वरन् धुंधले या आविल (turbid) होते हैं। यदि इन्हें ध्रुवित प्रकाश में देखा जाए तो ये पतले-पतले डोरे जैसी संरचनायुक्त दिखायी देते हैं। ये स्मेक्टिक अवस्था की भांति एक अक्षीय (uniaxial) होते हैं, लेकिन ये चुम्बकीय क्षेत्र से प्रभावित होते हैं।

यदि इन्हें चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा में देखा जाए तो ये बिल्कुल स्वच्छ द्रव की भांति दिखायी देते हैं और चुम्बकीय क्षेत्र हटाते ही पुनः धुंधले दिखायी देने लगते हैं। इस अवस्था को देने वाले कुछ पदार्थों को सारणी 4.6 में दिया गया है।

सारणी 4.6. नेमैटिक द्रव क्रिस्टल देने वाले कुछ यौगिक

क्रम संख्या यौगिक संक्रमण ताप (C) गलनांक (C)
1.

2.

3.

 

4.

5.

p-ऐजॉक्सीऐनीसोल

p-ऐजॉक्सीफिनेटोल

p-मेथॉक्सी सिनैमिक अम्ल

ऐनीसैल्डेजीन

डाइबेन्जल बेन्जीडीन

116

137

170

 

165

234

135

167

186

 

180

260

 

 (3). मिश्रित द्रव क्रिस्टल (Mixed liquid crystals) – कुछ यौगिक ऐसे भी होते हैं जो स्मेस्टिक व नेमैटिक टोनों अवस्थाओं को प्रदर्शित करते है उदाहरणार्थ, कोलेस्टीरॉल का मिरीस्टेट एस्टर (mvristate ester of cholesterol) तीन तीक्ष्ण (sharp) तापी पर क्रमशः स्मक्टिक, नमेटिक तथा द्रव अवस्था को प्राप्त करते है

कोलेस्टीरॉल मिरस्टेट – कोलेस्टीरॉल मिरस्टेट  – कोलेस्टीगेळ मिट

(ठोस क्रिस्टल) (स्मेक्टिक प्रावस्था) (नमैटिक प्रावस्था) (द्रव प्रावस्था)

कुछ यौगिक ऐसे भी ज्ञात हैं जो दो स्मैक्टिक प्रावस्था एवं एक नेमैटिक प्रावस्था से गुजरते हैं. इस प्रकार इनके कल चार तीक्ष्ण ताप होते हैं, तीन संक्रमण ताप एवं एक गलनांक बिन्दु । उदाहरणार्थ, एथिल ऐनीसैल- ऐमीनो सिनैमेट (Ethylanisal-p-amino-linnamate) EAPAC तीन प्रावस्थाओं से प्रवाहित होकर द्रव प्रावस्था में आता है।

(4) कोलेस्टीरिक द्रव क्रिस्टल (Cholesteric liquid crystals) इस प्रकार के द्रव क्रिस्टल सर्वप्रथम कोलेस्टीराइल बेन्जोएट में ज्ञात किए गए थे और अब भी यह गुण कोलेस्टीरॉल के एस्टर (फॉर्मेट से मिरस्टेट तक) में प्रदर्शित होता है इसी से इनका नाम कोलेस्टीरिक द्रव क्रिस्टल है। कोलेस्टीरॉल रक्त में पाया जाने वाला एक स्टीरॉइड होता है, चूंकि इनमें वही नाभिक होता है अतः इनका नाम कोलेस्टीरिक द्रव क्रिस्टल पड़ा। इस एक ही प्रावस्था में कुछ गुण स्मेटिक के होते हैं व कुछ गुण नेमैटिक प्रावस्था के होते हैं ये नेमैटिक की तरह पतले द्रव होते हैं, लेकिन स्मेक्टिक की तरह धुवित प्रकाश में रंग दर्शाते हैं। वस्तुतः इनमें स्मेक्टिक प्रावस्था की भांति परतीय या सतह संरचना होती है, लेकिन इन सतहों की चौड़ाई अधिक होती है। एक-एक परत में 500-500 तक अणु हो सकते हैं।

145°C                                                     1780 C

कोलेस्टीराइल बेन्जोएट –  कोलेस्टीराइल बेन्जोएट  – कोलेस्टीराइल बेन्जोएट

(ठोस क्रिस्टल प्रावस्था)    (कोलेस्टीरिक द्रव प्रावस्था)  (द्रव प्रावस्था)

 

नेमैटिक एवं कोलेस्टीरिक प्रावस्थाओं की संरचना STRUCTURE OF NEMATIC AND CHOLESTERIC PHASES)

द्रव क्रिस्टलों की विभिन्न स्मेक्टिक, नेमैटिक तथा कोलेस्टीरिक प्रावस्थाओं में इनके अणुओं की व्यवस्था से संरचना में परिवर्तन आता है। स्मेक्टिक प्रावस्था में विभिन्न अणु परतीय संरचना बनाते हैं और एक परत के समस्त अणु परस्पर समानान्तर व्यवस्था में होते हैं, जबकि एक परत के अणु आवश्यक नहीं है कि दूसरी परत के अणुओं के भी समानान्तर हों (चित्र 4.13)। नेमैटिक प्रावस्था में अणु परस्पर समानान्तर तो होते हैं, लेकिन अलगअलग डोरों की भांति होते हैं परतों के रूप में नहीं होते।

नेमैटिक शब्द का ग्रीक भाषा में अर्थ ही है डोरा या धागा’ (thread)| चूंकि अलग-अलग दिशा में अणुओं की व्यवस्था अलग-अलग प्रकार की है अतः इसमें विषमदैशिकता का गुण तो रहता ही है। कोलेस्टीरिक प्रावस्था में अणु एक परत के रूप में होते हैं, और ये परतें एक-दूसरे के साथ कुछ कोण बनाए हुए रहती हैं जो बदलता रहता है। इस प्रकार एक सर्पिलाकार संरचना बन जाती है। (चित्र 4.15) जिनके मध्य थोड़ा-सा रिक्त स्थान रह जाता है जिसका परिमाण ताप पर निर्भर करता है। इस कारण ये प्रकाश का विवर्तन करते हैं और भिन्न-भिन्न ताप पर भिन्न-भिन्न रंग दर्शाते है। जब इन सब प्रकार की मीसोमॉर्फिक अवस्थाओं को गर्म किया जाता है तो एक निश्चित
गलनाक पर य द्रव में बदल जाते हैं जिसमें इनके अण सब तरफ बिखर जाते हैं (चित्र 4.16) और इनमें। समदैशिकता का गुण आ जाता है |

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