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Categories: physics

Simple Pendulum as an Anharmonic Oscillator in hindi अप्रसंवादी दोलक के रूप में सरल लोलक

भौतिक विज्ञान में Simple Pendulum as an Anharmonic Oscillator in hindi अप्रसंवादी दोलक के रूप में सरल लोलक किसे कहते हैं या क्या होता है ?

सरल लोलक (अप्रसंवादी दोलक के रूप में) (Simple Pendulum as an Anharmonic Oscillator)

चित्रानुसार (15) जब लम्बाई के अवितान्य डोरी (inextinsible string) से m द्रव्यमान के किसी कण या पिण्ड को दृढ़ आधार से लटकाकार ऊर्ध्वाधर तल में दोलन कराया जाता है तो किसी क्षण कोणीय विस्थापन θ पर गुरुत्वीय बल के कारण बिन्दु कण पर कार्यरत प्रत्यानयन बल

F =- mg sinθ

लटकन बिन्दु O के सापेक्ष बलाघूर्ण

T =- mg I sin θ

अतः दोलक के कोणीय गति का समीकरण,

I d2 θ/dt2 = mg I sin θ

यहाँ I = MI2 लटकन बिन्दु O के सापेक्ष m द्रव्यमान के कण का जड़त्व आघूर्ण है।

D2 θ/dt2 + mgI/MI2 sin θ = 0

D2 θ/dt2 + ω02 sin θ = 0  ………………………(1)

g/I = ω02

समीकरण (1) को हल करने के लिए  d θ/dt से गुणा करने पर

(dθ/dt ) (d2 θ/dt2 ) + ω02 sin θ d θ/dt = 0

माना d θ/dt = ω

ω dω/dt + ω0 2  sin θ dθ/dt = 0

ω dω + ω02 sin θ dθ = 0

समाकलन करने पर

Ω2 /2 = ω0 2 cos θ = A ………………………………………….(2)

यहाँ A समाकल नियतांक है। A का मान दोलक की प्रारम्भिक स्थिति से ज्ञात कर सकते हैं। माना दोलक के अधिकतम आयाम  θ = θ0, की स्थिति पर ω का मान शून्य है।

A = – ω0 2 cos θ0

अब A का मान समीकरण (2) में रखने पर

ω = ω0 [2(cos θ -cos θ0)] ½

dθ/dt = 2ω0 (sin2 θ0/2 sin2 θ/2)1/2

ω0dt = dθ/2(sin2 θ0/2 – sin2 θ/2)1/2 ……………………………(3)

समीकरण (3) का एक चौथाई आवर्त्तकाल T/4 के लिए समाकल करने पर,

ω0 T/4 = dθ/2(sin2 θ0/2 – sin2 θ/2)1/2 ……………………………….(4)

sin θ/2 = sin θ0/2 sin ϕ

= 1/2 cos θ/2 dθ = sin θ0/2 cos ϕ dϕ

उपरोक्त मान समीकरण (4) में रखने पर

ω0 T/4 = [dϕ/(1-sin2 θ0/2 sin2 ϕ)1/2 ……………………………….(5)

ω0 T/4 = dϕ [1 + 1/2 sin2 θ0/2 sin2 ϕ + 3/8 sin4 θ0/2 sin4 ϕ + 5/16 sin6 θ0/2 sin6 ϕ + ………..]

sinn ϕ dϕ = (n – 1/n. n – 3/n -2) x π/2

जब n सम है

ω0 T/4 = [π/2 + π/8 sin2 θ0/2 + 9π/128 sin4 θ0/2 + ……….]

अब चूंकि ω0 = 2π/T0

T = T0 [1 + 1/4 sin2 θ0/2 + 9/64 sin4 θ0/2 + ………..]

यदि sin2 θ0/2 << 1 हो तो उच्च घात वाले पदों को उपेक्षणीय माना जा सकता है।

T = T0 (1 + 1/4 sin2 θ0/2)

यदि आयाम कम हो तो sin θ0/2 = θ0/2

T = T0 (1 + θ02/16) ……………..(16)

समीकरण (6) से यह स्पष्ट होता है कि सरल लोलक के आयाम में वृद्धि करने पर आवर्तकाल में अल्प वृद्धि होती है, जैसा कि चित्र (16) में प्रदर्शित किया गया है।

एकान्तर विधि

समीकरण (1) से sin θ को श्रेणी रूप में लिखने पर

D2θ/dt2 + ω02 (θ – θ3/6 + θ5/120 ……….) = 0 ………………..(7)

यदि θ का मान रेडियन में लिखें तो θ5 से उच्च घातों को नगण्य माना जा सकता है।

D2θ/dt2 + ω02 (θ – θ3/6) = 0

या  d2θ/dt2 + ω02θ = ω02θ3/6 ……………………..(8)

खण्ड (2.6) के समीकरण (4) से तुलना करने पर

X = θ, a =0, B=- ω02/6 तथा B1 = θ

समीकरण (8) का हल, [खण्ड (2.6) के समीकरण (17) से]

T = T0 [1 – 3/8 B B12T02/4π2

= T0 [1 – 3/8 (-ω02 /6) (θ02/ ω02)]

= T0 (1 + θ02/16) ……………………….(9)

जहां θ0 अप्रसंवादी लोलक के सरल लोलक की स्थिति में दोलन करने पर आयाम है। इसी प्रकार खण्ड (2.6) के अप्रसंवादी दोलक के विस्थापन समीकरण (16) से

Θ = θ0 cos  t + ω02θ03/24 (ω02 – 9ω2) cos ωt …………………………….(10)

अतः अप्रसंवादी लोलक के दोलन का आवर्तकाल आयाम में वृद्धि होने पर बढ़ता है तथा इसमें दो संवादी होते हैं जिनकी आवृत्ति ω तथा 3ω होती है।

संख्यात्मक उदाहरण

उदाहरण-1. एक 10g के प्रणोदित दोलक का न्यून आवृत्तियों पर आयाम 0.01 cm है तब बढ़कर 512Hz हर्टज् आवृत्ति पर महत्तम मान 1 cm प्राप्त कर लेता है। दोलक के विशेषता गुणा तथा अवमन्दन गुणांक की गणना करो।

हल : प्रश्नानुसार,

xo (ω << ω0) = 0.01 cm

xo (ω = ω0 ) =1cm

ω0 – 2πf0 = 2π x 512 = 1024π rad/s

हम जानते हैं कि

Q = x0(ω = ω0)/x0(ω >> ω0)

= 1/0.01 = 100

तथा    λ = mω0 = 0.010 x 1024 x 3.14/100

= 0.32kg/s

उदाहरण-2. विशेषता गुणांक 100 तथा आवृत्ति ω = 0.9ω0 द्वारा चलित दोलक का आयाम निम्न सम्बन्ध द्वारा व्यक्त किया जाता है

A = f0/( ω02 – ω2)2 + ω2/t2

Amax /A की गणना करो।

हल : प्रश्नानुसार,

Q = 100

ω = 0.9ω0

t = Q/ ω0 =100 /ω0

A = f0/( ω02 – 0.81 ω02)2 + 0.81ω04/104

F0/ ω02 1/(1 – 0.81)2 + 0.81 x 10-4 = f0/0.19 ω02

A = Amax  जब ω = ω0

Amax = f0t/ ω0 = f0Q/ ωω0

= 100f0/ ω02

अतः   Amax/A = 100f0/ ω02  0.19 ω02/f0 = 19

उदाहरण-3. एक प्रणोदित दोलक का न्यून आवृत्ति पर आयाम 0.1 mm है। आयाम का, ω= 0.99 ω0 पर 5 mm हो जाता है। विशेषता गुणांक Q का मान ज्ञात कीजिए।

हल : प्रणोदित दोलक का आयाम

A = f0/( ω02 – ω2)2 + ω02 ω2/Q2

न्यून आवृत्ति पर

A0 = f0/ ω02 = 0.1 x 10-3

ω = 0.99 ω0, पर

A = f0/( ω02 – ω2)2 + ω02 ω2/Q2 = 5 x 10-3

A/A0 = 1/(1 – ω2/ ω02)2 + ω2/ ω02Q2

(1 – ω2/ ω02)2 + ω2/ ω02Q2 = 0.0004

(1-0.992)2 + 0.992/Q2 = 0.0004

0.992/Q2 = 0.0004 – 0.000396 = 4 x 10-6

Q = 0.99/2 x 10-3 = 495

उदाहरण-4. बल नियतांक 105 dyne/cm वाली एक स्प्रिंग से 10gm द्रव्यमान का एक पिण्ड लटकाया गया है। तन्त्र का विश्रान्ति काल 1s है। इस पिण्ड को F =104 sin (105 t) बल द्वारा दोलित कराया जाता है। दोलनों का आयाम तथा कला का परिकलन करो।

हल : प्रश्नानुसार, k = 105 dyne/cm

m = 10 gm

t = 1 s

चालित आवृत्ति  ω =105  rad/s

स्वाभाविक आवृत्ति ω0 =k/m = 105/10 = 100 rad/s

(i) आयाम  x0 = f0/m 1/[( ω02 – ω2)2 + ω2/t2]

= 10000/10 (1002 – 1052)2 + 1052

10000 10/100–105-02+1052 1000

= 1000/10252 + 1052 = 1000/1030.36

=0.97cm

(ii) कला कोण  ϕ = tan-1 ω/t(ω02 – ω2) = tan-1 105/(1002 – 1052)

ϕ = tan-1 (-105/1025) = tan-1 (-0.102)

ϕ = 174.180

उदाहरण-5. चालित दोलक के लिए सिद्ध कीजिए कि

Q = 1/2 [1 + ω02 / ω2] ωt

जहाँ ω0, दोलक की स्वाभाविक आवृत्ति, ω बल की आवृत्ति तथा t विश्रान्ति काल है।

हल : दोलक की कुल ऊर्जा E = माध्य गतिज ऊर्जा + माध्य स्थितिज ऊर्जा

E = 1/4 m ω2x02 + 1/4 mω02x02 = m/4 (ω2 + ω02) x02

माध्य शक्ति अवशोषण

<p> = 1/2 m ω2x02/t

विशेषता गुणांक  Q = ω E/<P> = 1/2 ω(ω2 + ω02)t / ω2

= 1/2 [1 + ω02/ ω2 ] ωt

Sbistudy

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