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जिओलाइट का आकार वर्णनात्मक उत्प्रेरण , सामान्य रासायनिक सूत्र , जिओलाइट वरणात्मक उत्प्रेरण
(shape selective catalysis by zeolites in hindi) जिओलाइट का आकार वर्णनात्मक उत्प्रेरण , सामान्य रासायनिक सूत्र , जिओलाइट वरणात्मक उत्प्रेरण : जैसा कि हम जानते है कि किसी भी उत्प्रेरक अभिक्रिया में यह सबसे बड़ी विशेषता होती है कि उत्प्रेरक की चयनात्मकता होना जरुरी है अर्थात किसी विशेष अभिक्रिया में क्रियाकारकों के लिए विशेष चयनात्मकता उत्प्रेरक काम में आते है।
हम आपको बता दे कि कुछ उत्प्रेरक अभिक्रिया तभी संपन्न होती है जब उनके लिए चयनात्मकता उत्प्रेरक के कणों में क्रियाकारक के कण फिट हो सके अर्थात कुछ अभिक्रिया इस बात पर भी निर्भर करती है कि क्रियाकारक के कणों का आकार और उत्प्रेरक का आकार या आकृति क्या है , यदि क्रियाकारक या क्रियाफल के अणुओं में उत्प्रेरक के कण समा सके या फिट हो सके , यदि इन दोनों का आकार अर्थात क्रियाकारक और उत्प्रेरक का आकार इस चयनात्मकता ढंग से न लिया जाए तो यह उत्प्रेरक अभिक्रिया संभव नहीं हो पायेगी।
अत: वे अभिक्रिया जिनमें आकार वर्णनात्मक उत्प्रेरक का उपयोग किया जाता है तो ऐसे उत्प्रेरक को जिओलाइट कहते है।
अत: वह अभिक्रिया जो उत्प्रेरक की संरचना , क्रियाकारक तथा क्रियाफल के आकार पर निर्भर करती है ऐसे अभिक्रिया को आकार वर्णनात्मक उत्प्रेरण कहते है।
उदाहरण : जैसे जिओलाइट के अणुओं की धारण करने की रेंज 260-740 pm होती है इसलिए क्रियाकारक के अणुओं का आकार इससे अधिक होना चाहिए ताकि उनमें जिओलाइट के कण फिट हो सके और क्रियाकारक उत्पाद में बदल सके या क्रिया संपन्न हो सके यदि इनका आकार इस प्रकार नहीं होता है तो यह क्रिया संपन्न नहीं हो पाती है।
हम आपको बता दे कि कुछ उत्प्रेरक अभिक्रिया तभी संपन्न होती है जब उनके लिए चयनात्मकता उत्प्रेरक के कणों में क्रियाकारक के कण फिट हो सके अर्थात कुछ अभिक्रिया इस बात पर भी निर्भर करती है कि क्रियाकारक के कणों का आकार और उत्प्रेरक का आकार या आकृति क्या है , यदि क्रियाकारक या क्रियाफल के अणुओं में उत्प्रेरक के कण समा सके या फिट हो सके , यदि इन दोनों का आकार अर्थात क्रियाकारक और उत्प्रेरक का आकार इस चयनात्मकता ढंग से न लिया जाए तो यह उत्प्रेरक अभिक्रिया संभव नहीं हो पायेगी।
अत: वे अभिक्रिया जिनमें आकार वर्णनात्मक उत्प्रेरक का उपयोग किया जाता है तो ऐसे उत्प्रेरक को जिओलाइट कहते है।
अत: वह अभिक्रिया जो उत्प्रेरक की संरचना , क्रियाकारक तथा क्रियाफल के आकार पर निर्भर करती है ऐसे अभिक्रिया को आकार वर्णनात्मक उत्प्रेरण कहते है।
उदाहरण : जैसे जिओलाइट के अणुओं की धारण करने की रेंज 260-740 pm होती है इसलिए क्रियाकारक के अणुओं का आकार इससे अधिक होना चाहिए ताकि उनमें जिओलाइट के कण फिट हो सके और क्रियाकारक उत्पाद में बदल सके या क्रिया संपन्न हो सके यदि इनका आकार इस प्रकार नहीं होता है तो यह क्रिया संपन्न नहीं हो पाती है।
जिओलाइट उत्प्रेरण
धातुओं के एल्युमिनों सिलिकेट को ही जिओलाइट कहा जाता है , धातुओं के एल्युमिनों सिलिकेट अर्थात जिओलाइट का सामान्य सूत्र MX/n[(AlO2)x(SiO2)y]zH2O होता है , यहाँ ध्यान दे कि n धातु आयन पर उपस्थित आवेश को प्रदर्शित करता है।
अधिकतर यह देखा गया है कि जिओलाइट में धनायन मुख्यतः Na+
, Ca2+ , K+ आदि होते है।
, Ca2+ , K+ आदि होते है।
जब जिओलाइट को नीरवत में अर्थात वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है तो जिओलाइट का निर्जलीकरण हो जाता है अर्थात जिओलाइट से जल बाहर निकल जाता है जिससे जिओलाइट में छिद्र या रंध्र बन जाते है जिससे जिओलाइट की संरचना मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखने लगती है। अब इस संरचना में सिलिकन के कण एल्युमिनियम के कणों को प्रतिस्थापित कर देते है अर्थात कुछ सिलिकन के कण एल्युमिनियम की जगह ले लेते है जैसे Al-O-Si संरचना बन जाती है।
चूँकि जिओलाइट में छिद्र या रंध्र बन जाते है जिससे क्रियाकारक के अणुओं का आकार इन रंध्रो के अनुरूप होना चाहिए अर्थात जब क्रियाकारक के अणुओं का आकार छोटा होता है तो वे फिसलकर बाहर निकल जाते है और यदि क्रियाकारक का आकार इन रंध्रों से अधिक है तो वे इनमें प्रवेश नहीं कर पाते है इसलिए केवल वे ही कण इनमें प्रवेश कर उत्पाद बना सके है जो इन रन्ध्रों के अनुरूप हो अत: जिओलाइट को आकार वरणात्मक उत्प्रेरक कहते है।
उदाहरण : ZSM-5 नामक जिओलाइट उत्प्रेरक द्वारा एल्कोहल को गैसोलीन में बदला जाता है। यह एक आकार वरणात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया कहते है अर्थात यह आकार वरणात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया द्वारा संपन्न होता है।
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