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द्वितीय व्यवसाय , secondary secondary in hindi , विश्व के प्रमुख उद्योग , जनसंख्या को प्रभावित करने वाले कारक
द्वितीय व्यवसाय in geography notes for IAS/RAS in hindi , secondary secondary in hindi , विश्व के प्रमुख उद्योग , जनसंख्या को प्रभावित करने वाले कारक :
1. स्वामित्व :
- सार्वजनिक
- निजी
- संयुक्त
2. आकार के आधार पर :
- कुटीर
- लघु
- मध्यम
- वृहत
3. कच्चे माल :
- कृषि
- खनिज
- रसायन
- वन
- पशु
4. उत्पाद के आधार पर :
- मूलभूल
- उपभोक्त
1. स्वामित्व के आधार पर
(i) सार्वजनिक : ऐसे उद्योग जिन पर सरकार व भारत के सभी लोगो (नागरिको) का अधिकार होता है।
उदाहरण : मुंबई में स्थित पेट्रोल की कम्पनी व HPCL BPCL की कंपनी
(ii) निजी : ऐसा उद्योग जो किसी व्यक्ति का या व्यक्तियों के समूह का होता है जिनमे एक अनुपात में पूंजी लगते है व लाभांश को उसी अनुपात में बाँट लेते है।
उदाहरण : रिलाइंस कंपनी Jio
(iii) संयुक्त : ऐसा उद्योग जो निजी , सार्वजनिक दोनों की हिस्सेदारी होती है उसे संयुक्त उद्योग कहते है।
उदाहरण : सरकारी उपक्रम को बेचना या विनिवेश कहलाता है।
3. कच्चे माल के आधार पर :
(i) कृषि :
- खाद्यान – बेकरी (बिस्किट)
- उद्यानिकी , फलोद्यान – फलो व फूलो
- औषधियां – विभिन्न प्रकार की औषधियाँ
- व्यापारिक – कपास – वस्त्र , गन्ना – चीनी
- तिलहन – तेलगाणी
(ii) खनिज :
- धात्विक – लोहा , सोना -चाँदी , ताम्बा
- अधात्विक – संगमरमर , अभ्रक , चुना पत्थर
- ऊर्जा युक्त – कोयला , खनिज तेल
(iii) रसायन : प्लास्टिक , उर्वरक
(iv) वन : माचिस , कागज
(v) पशु : चमडा , दुग्ध , ऊन , मांस
4. उत्पाद के आधार पर :
मूलभूत : जो किसी उद्योगों के लिए कच्चा माल प्राप्त करवाता है।
उपभोक्ता : ऐसे उद्योग जिनके उत्पाद जो सीधी ही उपभोक्ताओ के द्वारा उपयोग में में लाया जाता है।
विश्व के प्रमुख उद्योग
1. लोहा इस्पात
2. वस्त्र उद्योग
प्रश्न : लोहा इस्पात उद्योग किसे कहते है ?
उत्तर : लोहा इस्पात : इसको स्थापित करने के लिए आवश्यक दर्शायी व कच्चा पदार्थ।
1. लोहा अयस्क : हेमेटाईट , मैग्नेटाईट , लियोनाईट , सिडेराइट।
कोयला : पिट , लिग्नाईट , बिट मिनस , एंथेसाइट , डोलोमाइट
चूना पत्थर : इन सभी से कच्चा लोहा प्राप्त होता है , इसके बाद कि प्रक्रिया इस प्रकार होती है –
कच्चा लोहा → ढलुआ लोहा → पिटवा → इस्पात
विश्व के प्रमुख उद्योग :
1. ऊनी : जानवरों की उन से (भेड़)
2. सूती : कपास – फसल काली मिट्टी वाले क्षेत्र में
3. रेशमी : कीट (शहतूत के वृक्ष पर) वनीय
4. जुट उद्योग : फसल डेल्टाई भागो में
5. सश्लीलष्ट रेशो से बने वस्त्र : पेट्रोलियम रासायनिक पदार्थो से।
सूती वस्त्र उद्योग : कच्चे पदार्थ व तैयार किये गए भार में अधिक अंतर न होने से यह माल में उद्योग बाजार के निकट स्थापित किया जाता है।
कपास – धागा – वस्त्र
चीन , भारत , USA , पाकिस्तान , इंडोनेशिया।
यह देश सूती वस्त्र उद्योग विश्व के आगे है।
निम्नलिखित अध्याय के प्रमुख बिन्दुओ को लिखते हुए वर्णन कीजिये।
1. भारत के जनसंख्या वितरण घनत्व वृद्धि
2. भारत की संरचना
जनसंख्या वितरण :
समय के सन्दर्भ में
क्षेत्र के सन्दर्भ में
समय के सन्दर्भ में : पहले जनसंख्या नदियों के किनारों निवास करती थी जिसके कई समस्याएं विकसित हुई अब मैदान पहाड़ , पठार आदि से भी है। समय के साथ जनसंख्या में भी बढ़ोतरी हुई। प्राचीन समय में (1850 ई.) में जनसंख्या 100 करोड़ थे और अब 1 अरब 20 करोड़ है।
क्षेत्र के सन्दर्भ में : उत्तरी गोलार्द्ध में जनसंख्या ज्यादा निवास करती है क्योंकि स्थल भाग ज्यादा है , 80% जनसंख्या तटीय व मैदानी भाग में निवास करती है।
जनसंख्या को प्रभावित करने वाले कारक :
1. भौतिक कारक
2. आर्थिक कारक
3. सामाजिक व सांस्कृतिक और धार्मिक कारक
4. राजनैतिक कारक
जनसंख्या घनत्व : प्रति वर्ग किलोमीटर में निवास करने वाले लोगो की संख्या को जनसंख्या घनत्व कहते है।
जनसंख्या घनत्व = कुल जनसंख्या/कुल क्षेत्रफल
आर्थिक घनत्व = कुल जनसंख्या/संसाधन की उत्पादन क्षमता
कार्यिकी घनत्व = कुल जनसंख्या/ कृषि के अंतर्गत क्षेत्रफल
कृषि घनत्व = कुल कृषक जनसंख्या/कृषि के अन्तर्गत क्षेत्रफल
पोषण घनत्व = कुल जनसंख्या/भोजन फसलों के क्षेत्रफल
जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक :
1. स्थिति 2. जल की उपलब्धता
3. जलवायु 4. मृदाएँ 5. आर्थिक
6. खनिज 7. नगरीयकरण 8. औद्योगिकरण
9. सामाजिक एवं सांस्कृतिक
भारत में जनसंख्या वृद्धि :
वृद्धि : किसी क्षेत्रफल में निश्चित समय अंतराल के मध्य जनसंख्या में हुए परिवर्तन को ही जनसंख्या वृद्धि कहते है।
जनसंख्या वृद्धि के 2 प्रकार है –
1. धनात्मक – जब जनसंख्या अधिक होती है।
2. ऋणात्मक – जब जनसंख्या में कमी आती है।
जनसंख्या वृद्धि दर : जनसंख्या वृद्धि / आधार वर्ष की जनसंख्या
जनसंख्या वृद्धि की प्रवृतियाँ :
- प्रागैतिहासिक काल
- प्राचीन काल
- मध्य काल
- आधुनिक काल
जनसंख्या वृद्धि के कारण :
- मृत्य दर में गिरावट
- सुरक्षा एवं कानून
- जलवायु
- बाल विवाह
- प्रवास
भारत की संरचना या जनसंख्या संघटन :
जनसंख्या संरचना या संघटन –
- लिंगानुपात
- आयु
- शिक्षा
- प्रौदशिक्षा
- नामांकन शिक्षा
- रोजगार
- ग्रामीण
- धर्म
- भाषा
1. जनसंख्या संरचना व संघटन : किसी क्षेत्र में निवास करने वाले लोगो की संख्या को उसकी प्रमुख विशेषताएं के आधार पर समूह में वितरण करना है जनसंख्या संरचना व संघटन कहलाता है।
(i) लिंगानुपात : किसी क्षेत्र में लोगो को लिंग के आधार पर समूह में बाँट देना ही लिंगानुपात कहलाता है।
(ii) आयु संरचना : आयु के अनुसार लोगो को बाँट है –
आयु दो भागो में होती है –
0-14 साक्षरता
15-59 कार्यशील
60- से अधिक
जनसंख्या एक इकाई के रूप में होती है जिसका आकलन हम नहीं कर सकते।
(iii) साक्षरता :
- शिक्षा
- प्रौढ़ शिक्षा
- नामांकन शिक्षा
1. शिक्षा : शिक्षा के अनुसार लोगो को बांटा जाता है , शिक्षा को दो भागो में बाटा गया है। प्रौढ़शिक्षा , नामांकन शिक्षा।
2. प्रौढ़ शिक्षा : जो शिक्षा पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है जो शिक्षा पहले से ही चली आ रही है उसे ही प्रौढ़शिक्षा कहते है।
3. नामांकन शिक्षा : जो शिक्षा विद्यालय या पाठशाला से ली जाती है या उससे नाम जुटवाकर पढ़ा जाता है उसे ही नामांकन शिक्षा कहते है।
(iv) रोजगार : किसी क्षेत्र में लोगो की संख्या को रोजगार के समूह में बांटना भारत के कितने राज्य में रोजगार कम व ज्यादा है।
भारत में रोजगार इन राज्य में अधिक है।
महाराष्ट्र , पंजाब , हरियाणा
भारत में रोजगार सबसे कम केरल राज्य में है।
(v) ग्रामीण : किसी क्षेत्र में लोगो की समुदाय के किस तरह से समूह बंट जाते है उसे ग्रामीण समुदाय कहते है।
(vi) धर्म : किसी क्षेत्र में लोगो को अलग अलग धर्म के अनुसार बांटना ही या कोई हिन्दू , मुस्लिम , सिख , इसाई आदि के अनुसार बाटने को ही धर्म कहते है। धर्म को सीधे शब्द में ही मजहब भी कहते है।
(vii) भाषा : किसी क्षेत्र में लोगो की भाषा के अनुसार समूह में बाटना या कोई हिंदी , अंग्रेजी , मराडी , पंजाबी , बंगाली आदि के अनुसार ही भाषा को बाँटा जाता है।
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