JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: sociology

संघ किसे कहते हैं | संघ की परिभाषा क्या है अर्थ मतलब बताइए संघ की स्थापना sangh in hindi meaning

sangh in hindi meaning definition संघ किसे कहते हैं | संघ की परिभाषा क्या है अर्थ मतलब बताइए संघ की स्थापना ?

संघ (Sangh)
बुद्ध द्वारा स्थापित, संघ स्पष्ट राष्ट्रीय चरित्र की विविधता के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित हुआ है। इसने स्थानीय परम्पराओं तथा धर्म संस्था (चर्च) से भी काफी कुछ ग्रहण किया है। तथापि यह धर्म संस्था नहीं है। धर्म का अभिप्राय है निश्चित उद्देश्य के लिए निकट संपर्क स्थापित करना अथवा कुछ लोगों का एक स्थान पर रहना। इसका अभिप्राय समाज व संस्था से भी है। एक धार्मिक संगठन के तौर पर इसके दो निश्चित उद्देश्य हैं । ‘(1) व्यक्तिगत उत्थान के लिए संभव सर्वोत्तम परिस्थितियां उपलब्ध कराना, (2) मानवजाति को धम्म (क्ींउउं) (संस्कृत में धर्म के लिए उपयुक्त) की शिक्षा देना। (हम्फ्री क्रिश्चियनः 1951)।

संघ के सदस्य व्यक्तिगत तौर पर संपत्ति के मालिक नहीं होते पर संघ एक वैधानिक संगठन के रूप में संपति रख सकता है। इसमें नियुक्त एवं निर्वाचित पदों की श्रेणीबद्धता का तंत्र होता है। यह धर्म निरपेक्ष, राजकीय व तर्कसंगत है। इसकी तलना सरलता से एक संस्था से की जा सकती है।
इसकी संरचना त्रिरत्न (तीन रत्न) के सिद्धांत के आधार पर की जाती है जो इस प्रकार है, शिक्षक, शिष्य तथा इसका अनुसरण करने वाले शिक्षाथी। जैसा कि बुद्ध ने निर्देश दिया था कि उनके बाद त्रिरत्न को ‘धम्म‘ तथा ‘विनय‘ द्वारा निर्देशित किया जाये। बुद्ध के अनुसार ‘धम्म‘ धर्म के प्रचलित रूप का प्रतीक नहीं है वरन एक प्रयोग सिद्ध-तर्कसंगत नियमों व कर्तव्य का संग्रह है जो व्यक्ति विशेष को ‘सही दिशा की ओर ले जाता है और कष्ट और पीड़ा से बचाता है। समय के साथ संघ “एक पीत वस्त्रधारी भिक्षुओं, जिनसे दो सौ सत्ताइस नियमों के पालन की अपेक्षा की जाती है तथा इसके उल्लंघन के संबंध में पाक्षिक स्वीकारोक्ति की व्यवस्था के रूप में विकसित हो गया है। (बाम, ए.: 1958, पृ. 131)

संघ का विस्तार प्रजातांत्रिक सीमित द्वारा संचालित धर्म निरपेक्ष संगठन के रूप में हुआ (बापत्त, 1956: 4-6 पाणिकारक एच. 1954 रू 20 ), इसका विकास ‘चैत्य‘ व ‘विहार‘ भिक्षु के रहने के स्थल के विकास के साथ हुआ । जैसे जैसे भिक्षुओं की संख्या में वृद्धि हुई, शिष्यों की संख्या बढ़ी, सम्पति उपहार स्वरूप मिलने लगी तथा बुद्ध की शिक्षाओं को सुनने के लिए लोग आने लगे, मठों को संगठित किया जाने लगा। संघ का प्रारंभ भिक्षुओं के समूह के रूप में हुआ जिसका कार्य संपत्ति की देख रेख करने, वस्त्रों को बांटने, निवास स्थानों का आबंटन तथा संघ के लिए संपत्ति स्वीकार करने के कार्य के लिए पद धारकों का चुनाव व नियुक्ति करना था। अपनी प्रणाली के नियमों के अतिरिक्त संघ का आधार था भिखुतत्व अर्थात उन भिक्षुओं (संस्कृत में भिक्षु) का तंत्र जो बौद्ध मठ के निवासी होते हैं। इन भिक्षुओं को सत्ता तंत्र के अनुसार संगठित किया जाता है। इस श्रेणीबद्धता में सबसे नीचे है ‘समनेरा‘ (नवदीक्षित अथवा नया सदस्य)। उसे नया नाम व वस्त्र दिए जाते हैं तो वह नए भिक्षु के चरण तक पहुंचता है। अगले चरण के भिक्षुओं को ‘झेरा‘ (बुजुर्ग) कहते हैं तथा ‘महाठेरा‘ सबसे ऊँचे चरण का पद है। मठ के मुखिया को ‘नायक‘ कहा जाता।
एक निर्धारित दीक्षा समारोह के द्वारा भिक्खु के रूप में एक नए सदस्य को संघ में ग्रहण किया जाता है। जैसा कि बौद्ध धर्म का सिद्धांत है समाज में व्यक्ति की स्थिति उसके जन्म से नहीं वरन उसके कर्म से निर्धारित होती है। अतः भिक्खु समूह में प्रवेश सभी 20 वर्ष की उम्र से ऊपर तथा स्वस्थ स्वतंत्र व्यक्तियों के लिए खुला है। भिक्खु से ब्रह्मचर्य का पालन करने तथा भिक्षा के रूप में प्राप्त दान से जीवन बिताने की अपेक्षा की जाती है। जिसका उद्देश्य है अध्ययन और तपस्या के द्वारा आंतरिक ज्ञान की प्राप्ति तथा लोगों को ‘धम्म‘ की शिक्षा देना ।

भिक्खु से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वह एक सादा, मितव्ययी तथा संपति के मोह से परे संतुष्ट जीवन बिताए व केवल उतना ही ग्रहण करे जितनी उसकी आवश्यकता है। उसकी संपति केवल तीन वस्त्र, एक कमर का वस्त्र, भिक्षा का पात्र, एक उस्तरा, एक जलपात्र तथा एक सूई होती है। वह उसमें एक छाता, एक जोड़ी खड़ाऊ तथा कुछ पुस्तकें जोड़ सकता है।

भिक्खु विशेषतया नवदीक्षित भिक्षु (समनेरा) का कर्तव्य है कि वह प्रातः भिक्षा मांगने जाए और दोपहर तक खाने के लिए वापिस लौट आए। शेष दिन वह अध्ययन, मनन व शिक्षा प्रदान करने में व्यतीत करता है। वर्षा के दिनों को छोड़कर ‘भिक्खु‘ का कर्त्तव्य है कि वह पूरे वर्ष यात्रा करे और शिक्षा प्रदान करने का कार्य करे। वर्षा के दिनों में वह वापस संघ के जीवन की ओर लौट आता है तथा अध्ययन व धम्म के नियमों को दोहराता है। धम्म के उपहार को लोगों तक पहुंचाना भिक्खु का मुख्य कर्तव्य है। धम्म के रास्ते पर आगे बढ़ना व्यक्ति विशेष का अपना कार्य है न कि उसका । वह ईसाई धर्म के समान पादरी अथवा चर्च सेवक नहीं है। वह केवल धम्म के ज्ञान के बारे में बताने वाला है। (हम्फ्री: वही: पृ. 138)

1) संगठन (Organisation)ः प्रत्येक बौद्ध भिक्षु एक विशेष क्षेत्र के संघ का सदस्य बन सकता है। सदस्यों को चारों दिशाओं (चतुर्दिशा) का प्रतिनिधित्व करना आवश्यक समझा जाता है। दस सदस्यों के कोरम का नियम है पर आजकल सब जगह इसे एक सा नहीं माना जाता। पूरे कोरम का बिना समूह द्वारा लिए गए निर्णय व जारी निर्देशों को कोई मान्यता प्राप्त नहीं थी। ऐसे निर्णयों को अनुपस्थित सदस्यों की सहमति लेकर विधिमान्य नहीं बनाया जा सकता था।

संघ के सदस्यों द्वारा स्थान ग्रहण करने की व्यवस्था के बारे में पहले से नियम तय थे। संघ के सामने निर्णय के लिए रखे जाने वाले मामलों को औपचारिक रूप से प्रस्तुत करना आवश्यक था। हर सदस्य को अपनी बात व अपना वोट प्रस्तुत करने का अधिकार था क्योंकि बहुमत के द्वारा पारित निर्णय ही लिए जाते थे। जटिल समस्याओं को एक विशेष समिति के हवाले किया जाता था तथा उसके सुझाव संघ के सामने विधिवत मान्यता प्रदान करने के लिए प्रस्तुत किए जाते थे। मूलभूत नियमों संबंधी प्रश्नों के निर्णय के लिए धार्मिक समिति बनाई जाती थी।

बुद्ध ने हालांकि अनमने ढंग से ही पर नारी भिक्षुओं (भिक्षुनियों) के समूह की भी सर्जना की थी। पुरुषों से पद व अन्य मामलों में निचले स्तर पर रहने वाली भिक्षुनी की व्यवस्था भारत में सम्राट अशोक के समय तक प्रायः समाप्त हो चुकी थी। आज भी यहाँ तक की थेरवाड (ज्ीमतंूंक) परम्परा वाले देशों में भी व्यवस्था के किसी स्तर पर नारी सदस्य नहीं हैं।

2) संघ और समाजः बौद्ध मठ में संघ सर्वोपरि है। इसकी भूमिका सामाजिक जीवन के सभी मामलों में अंतिम न्यायालय की है। ‘‘मैं अपने आपको भगवान बुद्ध, धम्म व संघ को समर्पित करता हुँ‘‘, ऐसा बुद्ध के लिए प्रार्थना में कहा जाता है। इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि धम्म के प्रति समर्पण स्वैच्छिक है व अंततः बुद्ध द्वारा दिखाए रास्ते पर चलकर यह स्वैच्छिक समर्पण संघ के प्रति हो जाता है।

बुद्ध ने यह शिक्षा दी कि सभी वस्तुओं को उनकी वस्तुस्थिति में ही ग्रहण किया जाए। इसलिए यह कहा जाता है कि संघ दार्शनिक रूप से राजनीतिक शक्तिओं के प्रति सामान्य दृष्टिकोण रखता है। अधिकांशतः राजनीतिक शक्ति इसकी मित्र बनी रही, पर यह सदैव सभी परिस्थितियों में संभव नहीं हो सका। जैसा कि बर्मा और श्रीलंका की हाल की घटनाओं से लक्षित होता है, यह सांसारिक राजनीति में उलझ गया है (हम्प्रीस: वही, पृ. 139)।

आज संघ अधिकतर पूर्ववत ही है, यद्यपि प्रचार तथा पंथ संबंधी पद्वति में कुछ परिवर्तन अवश्य आए हैं। भिक्षु की ग्राम शिक्षक के रूप में भूमिकाय आधुनिकीकरण के क्रम में एक भाग के रूप में शिक्षा क्षेत्र पर धर्म निरपेक्ष शक्तिओं के बढ़ते नियंत्रण के फलस्वरूप समाप्त हो गई है। जापान में भिक्षु केवल संप्रेषक मात्र हैं न कि प्रदर्शक। यदि वह चाहे तो विवाहित जीवन बिता सकता है। संघ की भी अब पूर्व शक्ति का हास हुआ है।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

10 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

10 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now