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S , P , d , f खण्ड के तत्व , IUPAC पद्धति में नामकरण , संक्रमण तत्व , s p d f block elements in hindi
100 से अधिक क्रमांक वाले तत्वों का IUPAC पद्धति में नामकरण : इस पद्धति के अनुसार 100 से अधिक परमाणु क्रमांक वाले तत्वों का नामकरण करने के लिए निम्नलिखित नियमों की पालना की जाती है –
- 100 से अधिक परमाणु क्रमांक वाले तत्वों में तीन अंक होते है , अत: तत्व का प्रतिक तीन अक्षरों और नाम तीन शब्दों में होता है।
- प्रत्येक अंक के लिए एक मूल नाम होता है।
- तत्व के नाम से तीनो अंको का मूल नाम लिखकर अंतिम अंक के मूल नाम से इयम् लगाते है।
- तत्व का प्रतिक बनाने के लिए मूल नाम के तीनो नामों के प्रथम अक्षर लिखे जाते है और पहला अक्षर बड़ा होता है।
- सामान्यतया नाम के अंत में आने वाले i और n हो हटाकर इयम लगा देते है।
अंक | 0 | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
मूल नाम | nil | Un | bi | tri | quad | pent | Hex | sept | oct | en |
हिंदी में | निल | अन | बाई | ट्राई | क्वाड | पेंट | हेक्स | सेप्ट | ओक्ट | इन |
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर तत्वों का वर्गीकरण
तत्वों को उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर और गुणों के आधार पर चार खण्डो में वर्गीकृत किया गया है .
1. ‘s’ खंड
2. “P” खण्ड
3. ‘d’ खंड
4. ‘f’ खंड
1. ‘s’ खण्ड
- वे तत्व जिनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन ns उपकोश में जाते है , ‘s’ खण्ड के तत्व कहलाते है।
- ये तत्व आवर्त सारणी के पहले और दुसरे वर्ग में आते है।
- इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns1-2 होता है।
- पहले वर्ग के तत्वों को क्षारीय धातु कहते है और इनकी ऑक्सीकरण अवस्था +1 होती है।
- दुसरे वर्ग के तत्वों को क्षारीय मृदा धातु कहते है और इनकी ऑक्सीकरण अवस्था +2 होती है।
नोट : क्षार धातु [Alkali] लेटिन शब्द ‘Alqualis’ = caustic से व्युत्पत्ति हुआ है अर्थात वे तत्व जो पानी के साथ क्रिया करके कास्टिक (क्षार) बनाते है , वे क्षार धातु कहलाते है।
2. “P” खण्ड
- वे तत्व जिनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन np उपकोश में जाता है , ‘p’ खंड के तत्व कहलाते है।
- ये तत्व आवर्त सारणी के 13 से लेकर 18 तक के वर्गों में आते है।
- इन तत्वों का बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2 np1-6 होता है।
- 18 वें वर्ग के तत्वों को उत्कृष्ट गैस/अक्रिय गैस कहते है। क्यूंकि इनका बाह्यतम कोश पूर्णतया अर्थात पूर्ण रूप से भरा होता है। इसलिए इनकी रासायनिक अभिक्रियाशीलता बहुत कम होती है।
- 17 वें वर्ग के तत्वों को हैलोजन कहते है क्योंकि इनकी लवण बनाने की क्षमता अधिक होती है।
- 16 वें वर्ग के तत्वों को चैल्कोजन या केल्कोजन कहते है क्यूंकि इनकी अयस्क बनाने की क्षमता अधिक होती है।
- 15 वें वर्ग के तत्वों को निक्टोजन कहते है।
- p खण्ड में धातुएं , अधातुएँ , उपधातुएँ और उत्कृष्ट गैसें पायी जाती है।
3. ‘d’ खण्ड
- वे तत्व जिनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन (n-1)d उपकोश में जाता है।
- ये तत्व आवर्त सारणी के 3 से लेकर 12 तक के वर्गों में आते है।
- इनका बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n – 1)d1-10
ns1-2 होता है। - इस खंड के तत्वों की चार श्रेणियां [3d , 4d , 5d , 6d] ज्ञात है।
- इस खण्ड के बाह्यतम कोश (संयोजकता कोश और उपान्त्यकोश ) अपूर्ण होते है।
- ये उत्प्रेरक के रूप में काम आते है।
- ये संकुल यौगिक बनाते है।
- ये रंगीन होते है।
- ये परिवर्तनशील (ऑक्सीकरण) अवस्था प्रकट करते है।
- इन्हें संक्रमण तत्व कहते है।
संक्रमण तत्व : वे तत्व जिनकी परमाण्विक या आयनिक अवस्था में d उपकोश आंशिक रूप से रिक्त या भरे होते है उन्हें संक्रमण तत्व कहते है।
4. ‘f’ खण्ड
- वे तत्व जिनमें इलेक्ट्रॉन (n-2)f उपकोश में जाता है उन्हें f खण्ड के तत्व कहते है।
- इनका बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n – 2)f1-14
(n – 1)d0-2 nS2 होता है। - इनके बाह्यतम तीन कोश (संयोजकता कोश , उपान्त्य कोश , पूर्ण उपान्त्य कोश ) अपूर्ण होते है।
- ये आवर्त सारणी में छट्ठे और 7 वें आवर्त में आते है।
- इन्हें आंतरिक संक्रमण तत्व भी कहा जाता है।
- इस खंड के तत्वों की दो श्रेणियां होती है –
(a) लैन्थेनाइड श्रेणी
(b) एक्टिनाइड श्रेणी
(a) लैन्थेनाइड श्रेणी : यह श्रेणी लेंथेनम [La] के बाद प्रारंभ होती है और इसमें परमाणु क्रमांक सीलीयम से लेकर ल्युटेशियम तक के तत्व आते है।
इनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन 4f उपकोश में जाता है अत: इसे 4f श्रेणी भी कहते है।
इन्हें दुर्बल मृदा तत्व भी कहते है।
(b) एक्टिनाइड श्रेणी : यह श्रेणी एक्टिनियम के बाद प्रारंभ होती है और इसमें परमाणु क्रमांक थोरियम से लोरोंशियम तक के तत्व आते है।
इनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन 5f उपकोश में आता है अत: इसे 5f श्रेणी भी कहते है।
परायूरेनियम या ट्रांसएक्टिनाइड या अतिभारी तत्व
युरेनियम के बाद के तत्व प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में नहीं पाए जाते है इन्हें कृत्रिम विधियों से संश्लेषित किया जाता है अत:ये तत्व परायूरेनियम या ट्रांसएक्टिनाइड या अतिभारी तत्व कहलाते है।
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