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रदरफोर्ड – सोडी का क्षय नियम या चर घातांकी क्षय नियम rutherford and soddy law for radioactive decay in hindi
rutherford and soddy law for radioactive decay in hindi रदरफोर्ड – सोडी का क्षय नियम या चर घातांकी क्षय नियम क्या है , परिभाषा ,अर्द्ध आयु काल रेडियो एक्टिव पदार्थ का :-
रदरफोर्ड – सोडी का क्षय नियम
या
चर घातांकी क्षय नियम :
किसी क्षण रेडियोएक्टिव पदार्थ के विघटन की दर उस क्षण उपस्थित सक्रीय नाभिको की संख्या के समानुपाती होती है।
अर्थात
-dN/dt ∝ N
यहाँ ऋणात्मक का चिन्ह समय के साथ विघटन की दर में कमी को व्यक्त करता है।
-dN/dt = λN
यहाँ λ एक समानुपातिक नियतांक है जिसे क्षय नियतांक कहते है , एक ही पदार्थ के लिए क्षय नियतांक (क्षयांक) का मान नियत होता है परन्तु अलग अलग पदार्थो के लिए अलग अलग होती है।
dN/dt = – λN
dN/N = – λt
यदि t = 0 पर सक्रीय नाभिको की संख्या N0 हो तथा t समय पर सक्रीय नाभिको की संख्या N हो तो –
N0∫N dN/N = – λ 0∫tdt
[loge N]N0N = – λ[t]0t
LogeN – logeN0 = – λ[t – 0]
चूँकि logem – logen = logem/n
Loge(N/N0) = – λt
दोनों तरफ एंटीलोग लेने पर –
eloge(N/N0) = e– λt
चूँकि elog x = x
N/N0 = e– λt
N = N0 e– λt
यह एक चरघातांकी समीकरण है।
अर्थात इस चरघातांकी समीकरण से यह स्पष्ट है कि समय के साथ सक्रीय नाभिको की संख्या चरघातांकी रूप से कम होती है।
वह समय जिस पर सक्रीय नाभिको की संख्या प्रारंभ की (1/e) गुना शेष रह जाए तो उस समय के व्युत्क्रम को ही क्षय नियतांक या क्षयांक कहते है।
अर्थात
N = N0 e-λt
t= 1/λ का व्युत्क्रम λ = 1/t
N = N0e-1
N = N0(1/e)
क्षय नियतांक का मात्रक Sec-1 होता है।
सक्रियता (R) : किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ के विघटन की दर को ही सक्रियता कहते है।
अर्थात
सक्रियता = विघटन की दर
R = dN/dt समीकरण-1
रदरफोर्ड – सोडी नियम से –
| -dN/dt = λN |
dN/dt = λN समीकरण-2
समीकरण-2 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
R = λN
R ∝ N
अर्थात किसी क्षण पर रेडियोएक्टिव पदार्थ की सक्रियता उस क्षण उपस्थित सक्रीय नाभिको की संख्या के समानुपाती होती है .किसी t समय पर रेडियो एक्टिव पदार्थ की सक्रियता –
R = R0 e -λt
सक्रियता के मात्रक विघटन/सेकंड या बैकरेल या क्युरी या रदरफोर्ड होता है .
1 बैकुरल = 1 विघटन/सेकंड
1 क्युरी = 3.7 x 1010 विघटन/सेकंड
1 रदरफोर्ड = 106 विघटन/सेकंड
1 क्यूरी = 3.7 x 104 रदरफोर्ड
रेडियोएक्टिव पदार्थ की अर्द्धआयु (T या t1/2)
वह समय जिस पर किसी रेडियो एक्टिव पदार्थ के सक्रीय नाभिको की संख्या प्रारंभ की आधी शेष रह जाती है उस समय को रेडिओ एक्टिव पदार्थ की अर्द्ध आयु काल कहते है।
माना t = 0 पर रेडियो एक्टिव पदार्थ के सक्रिय नाभिको की संख्या N0 है।
तो पहली अर्द्धआयु (T1) पर रेडियो एक्टिव पदार्थ के सक्रीय नाभिको की संख्या N1 = N0/2
N1 = N0 (1/2)
दूसरी अर्द्धआयु (T2) पर रेडिओ एक्टिव पदार्थ के सक्रीय नाभिको की संख्या N2 = N1/2
N2 = N0/4 = N0 (1/2)2
इसी प्रकार n वीं अर्द्धआयु (T2) पर रेडिओ एक्टिव पदार्थ के सक्रीय नाभिको की संख्या N = N0(1/2)n
रेडियो एक्टिव पदार्थ की अर्द्ध आयु (T ) व समय (t ) के मध्य सम्बन्ध t = n x T
अत: n = t/T
इसलिए N = N0(1/2)t/T
यहाँ t = समय
T = अर्द्धआयु
n = n वीं अर्द्ध आयु की संख्या एक ही रेडियोएक्टिव पदार्थ की अर्द्धआयु नियत होती है परन्तु अलग अलग रेडिओएक्टिव पदार्थ की अर्द्धआयु अलग अलग होती है।
रेडियोएक्टिव पदार्थ | अर्द्धआयु (T) |
युरेनियम-238 | 4.5 x 109 वर्ष |
थोरियम – 230 | 8 x 104 वर्ष |
रेडियम – 338 | 1620 वर्ष |
बिस्मिथ – 218 | 3 मिनट |
रेडियो एक्टिव पदार्थ की क्षयांक (λ) व अर्द्धआयु के मध्य सम्बन्ध : माना t = 0 पर रेडियो एक्टिव पदार्थ के सक्रीय नाभिको की संख्या प्रारंभ में N0 है तो किसी समय t पर सक्रीय नाभिको की संख्या N = N0 e-λT
t = T (अर्द्धआयु ) समय पर सक्रीय नाभिको की संख्या N0/2 होगी।
इसलिए
N0/2 = N0 e-λT
e-λt = 2
दोनों तरफ लोग लेने पर –
log (e-λT ) = log 2
चूँकि log ex = x
अत :
λT = log 2
T = log 2/λ
T = 0.693/ λ
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